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शासन व्यवस्था

सुशासन दिवस 2024

  • 25 Dec 2024
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सुशासन दिवस, विश्व बैंक, विधि सम्मत शासन, किसान क्रेडिट कार्ड, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, सर्व शिक्षा अभियान, मिशन कर्मयोगी, विकासशील पंचायत पहल, PRI, SWAYAM, कौशल भारत, आधार, RTI अधिनियम, 2005, PFMS, MGNREGA, CPGRAMS, भारत रत्न, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 

मेन्स के लिये:

सुशासन और संबंधित चुनौतियाँ, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों? 

सरकार की जवाबदेही और प्रभावी प्रशासन के संबंध में नागरिकों में अधिक जागरूक करने के लिये 25 दिसंबर को सुशासन दिवस मनाया जाता है।

  • वर्ष 2024 का विषय है "विकसित भारत के लिये भारत का मार्ग: सुशासन और डिजिटलीकरण के माध्यम से नागरिकों का सशक्तीकरण।"
  • इसकी शुरुआत वर्ष 2014 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष्य में की गई थी।
  • पं. मदन मोहन मालवीय की जयंती भी 25 दिसंबर को मनाई जाती है।

अटल बिहारी वाजपेयी

  • जन्म: वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ। वह एक कवि और राजनीतिज्ञ थे।
  • राजनीतिक कॅरियर: वे तीन बार- 1996 में सीमित समय के लिये, 1998 और 1999 में 13 माह तक तथा 1999 से 2004 तक पूर्णकालिक रूप से, भारत के प्रधानमंत्री रहे।
  • सम्मान: 2015 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 1994 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
  • प्रमुख कार्य:
    • स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना: यह चार राष्ट्रीय राजमार्गों का नेटवर्क है जो दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को जोड़ता है।
    • आर्थिक सुधार: औद्योगिक विकास और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को उदार बनाया गया।
    • 1998 के परमाणु परीक्षण: भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया, जिससे शांति और अहिंसा को बढ़ावा मिला।

पं मदन मोहन मालवीय

Pt_MADAN_MOHAN_MALAVIYA

सुशासन दिवस 2024 के उपलक्ष्य पर किन पहलों का शुभारंभ किया गया?

  • नया iGOT कर्मयोगी डैशबोर्ड: यह मंत्रालय/विभाग/संगठन (MDO) के नेताओं और राज्य प्रशासकों को अपनी संस्थाओं की प्रगति एवं प्रभावशीलता की अधिक कुशलतापूर्वक निगरानी करने की सुविधा प्रदान करेगा।
  • 1600वाँ iGOT कर्मयोगी पाठ्यक्रम: इसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों के लिये एक शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना, निरंतर विकास और आजीवन अधिगम को बढ़ावा देना है।
  • विकसित पंचायत पहल: इसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ प्रदान करने, प्रभावी शासन सुनिश्चित करने और पंचायत नेताओं को आवश्यक कौशल से सशक्त बनाने के लिये पंचायती राज संस्थाओं की कार्यक्षमता में वर्द्धन करना है।
  • CPGRAMS वार्षिक रिपोर्ट, 2024: यह एक सुदृढ़ शिकायत निवारण तंत्र के माध्यम से लोक सेवा वितरण की प्रभावशीलता को बढ़ाने में हुई प्रगति को रेखांकित करती है।

सुशासन क्या है?

  • परिचय: सुशासन निर्णय लेने की प्रक्रिया है तथा वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये आवश्यक निर्णयों को क्रियान्वित किया जाता है।
    • विश्व बैंक की रिपोर्ट "शासन और विकास, 1992" के अनुसार, सुशासन वह तरीका है जिसमें विकास के लिये किसी देश के आर्थिक और सामाजिक संसाधनों के प्रबंधन में शक्ति का प्रयोग किया जाता है।
    • 'सुशासन' की असली परीक्षा यह है कि वह किस हद तक मानव अधिकारों के वादे को पूरा करता है : नागरिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक अधिकार। 
  • प्रमुख विशेषताएँ: विश्व बैंक के अनुसार , सुशासन की 8 प्रमुख विशेषताएँ हैं। 
    • सहभागिता: सुशासन के लिये लैंगिक-समावेशी भागीदारी महत्त्वपूर्ण है, चाहे वह प्रत्यक्ष हो या प्रतिनिधियों या संस्थाओं के माध्यम से हो।
    • सर्वसम्मति उन्मुख: सुशासन में समुदाय के सर्वोत्तम हितों और सतत् विकास लक्ष्यों पर आम सहमति बनाने के लिये सामाजिक हितों की मध्यस्थता करना शामिल है।
    • जवाबदेह: किसी संगठन या संस्था को उन लोगों के प्रति जवाबदेह होना चाहिये जो उसके निर्णयों या कार्यों से प्रभावित होंगे।
    • पारदर्शी: पारदर्शिता का अर्थ है कि निर्णय नियमानुसार लिये जाते हैं तथा उनसे प्रभावित होने वाले लोगों को जानकारी उपलब्ध होती है।
    • उत्तरदायी: संस्थाओं को सभी हितधारकों को उचित समय सीमा के भीतर सेवा प्रदान करनी चाहिये। 
    • प्रभावी और कुशल: सुशासन यह सुनिश्चित करता है कि प्रक्रियाएँ और संस्थाएँ उपलब्ध संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करते हुए सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करें।
    • समतामूलक और समावेशी: किसी समाज का कल्याण सभी सदस्यों, विशेष रूप से कमज़ोर समूहों का कल्याण करने या उसे बनाए रखने के अवसरों में शामिल करने पर निर्भर करता है।
    • विधि का शासन: इसके लिये निष्पक्ष कानूनी ढाँचे की आवश्यकता है, जिसे स्वतंत्र न्यायपालिका और भ्रष्टाचार-मुक्त पुलिस बल का समर्थन प्राप्त हो।
    • यह सहभागी, सर्वसम्मति उन्मुख, जवाबदेह, पारदर्शी, उत्तरदायी, प्रभावी और कुशल, न्यायसंगत और समावेशी है और विधि के शासन का पालन करता है।

Good_Governance

सुशासन का महत्व क्या है?

  • आर्थिक विकास: सुशासन के तहत की गई पहल कार्यबल में पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान अधिकार और सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे वर्ष 2025 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 770 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हो सकती है।
  • सामाजिक विकास: स्वयं (SWAYAM) और कौशल भारत शिक्षा और रोज़गार कौशल के साथ हाशिये पर पड़े समूहों को सशक्त बनाते हैं।
  • लोकतंत्र को मज़बूत बनाना: MyGov जैसे प्लेटफॉर्म से नागरिकों को अपने विचार व्यक्त करने का अवसर मिलता है तथा ई-गवर्नेंस भ्रष्टाचार को कम करने में सहायक है।
  • जवाबदेहिता: RTI अधिनियम, 2005 से सरकारी सूचना तक पहुँच का अधिकार सुनिश्चित हुआ है जबकि PFMS से सार्वजनिक व्यय में जवाबदेहिता सुनिश्चित करने के क्रम में धन प्रवाह पर निगरानी रखी जाती है।
  • असमानता में कमी आना: प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के माध्यम से बैंकिंग सुविधा से वंचित लोगों के लिये वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला है।
    • मनरेगा से ग्रामीण परिवारों को गारंटीकृत रोज़गार मिला है।
  • विश्वास निर्माण: ई कोर्ट परियोजना से दक्षता एवं पहुँच के क्रम में न्यायालयी प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाया गया है जबकि CPGRAMS के तहत नागरिक शिकायतों के समाधान हेतु एक मंच मिला है।

भारत में सुशासन के लिये क्या पहल हैं? 

भारत में सुशासन के समक्ष क्या बाधाएँ हैं?

  • भ्रष्टाचार: विश्व बैंक के अनुसार, भ्रष्टाचार के कारण भारत को प्रतिवर्ष सकल घरेलू उत्पाद का 0.5% का नुकसान होता है तथा निवेशकों एवं संगठनों के लिये कारोबारी माहौल में बाधा उत्पन्न होती है।
    • वर्ष 2023 के भ्रष्टाचार बोध सूचकांक में 180 देशों में से भारत 93वें स्थान पर है।
  • जवाबदेहिता का अभाव: जवाबदेहिता के अभाव से सरकार में नागरिकों का विश्वास समाप्त होता है जिसके परिणामस्वरूप राजनीतिक उदासीनता, कम मतदान प्रतिशत के साथ शासन में नागरिक सहभागिता में कमी आती है।
  • राजनीति का अपराधीकरण: आपराधिक पृष्ठभूमि वाले राजनेताओं के कारण सभी नागरिकों के लिये न्याय एवं समान व्यवहार सुनिश्चित करने के प्रयासों में बाधा आती है।
    • एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार 18वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित 543 सदस्यों में से 251 (46%) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 27 को दोषी ठहराया गया है।
  • कानूनों का अप्रभावी कार्यान्वयन: भारत के भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों (जैसे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988) की अप्रभावी प्रवर्तन के कारण आलोचना की जाती है, जिससे लोगों में निराशा पैदा होती है।

आगे की राह

  • विकेंद्रीकरण: सत्ता, केंद्र और राज्य सरकारों के पास केंद्रित है; जमीनी स्तर पर सुशासन सुनिश्चित करने हेतु नगरपालिकाओं तथा पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों को अधिक कार्यात्मक एवं वित्तीय प्राधिकार देने की आवश्यकता है।
  • नैतिक मानक: नोलन समिति (1994) द्वारा अनुशंसित ईमानदारी, जवाबदेहिता और निस्वार्थता जैसे नैतिक मूल्यों को लोक सेवकों में स्थापित किया जाना चाहिये।
  • लैंगिक समानता: सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के साथ यह सुनिश्चित करना चाहिये कि समाज की सभी आवश्यकताएँ पूरी हो सकें।
  • व्हिसलब्लोअर संरक्षण: सरकारी मंत्रालयों/विभागों में भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले  व्हिसलब्लोअर को अधिक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिये।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत में सुशासन के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। सुशासन की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मेन्स 

प्रश्न: ई-शासन केवल नवीन प्रौद्योगिकी की शक्ति के उपयोग के बारे में नहीं है, अपितु इससे अधिक सूचना के 'उपयोग मूल्य' के क्रांतिक महत्त्व के बारे में है। स्पष्ट कीजिये। (2018)

प्रश्न: नागरिक चार्टर संगठनात्मक पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व का एक आदर्श उपकरण है, परंतु इसकी अपनी परिसीमाएँ हैं। परिसीमाओं की पहचान कीजिये तथा नागरिक चार्टर की अधिक प्रभाविता के लिये उपायों का सुझाव दीजिये। (2018)

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