सामाजिक न्याय
वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट 2024
- 12 Nov 2024
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:क्षय रोग (TB), WHO की वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट 2024, सतत् विकास लक्ष्य (SDG), वन वर्ल्ड टीबी समिट (2023), निक्षय पोषण योजना मेन्स के लिये:क्षय रोग उन्मूलन के लिये भारत की प्रतिबद्धता और पहल, क्षय रोग उन्मूलन के लिये भविष्य की रणनीतियाँ, राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम, भारत और विश्व में क्षय रोग की वर्तमान स्थिति। |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत ने वर्ष 2015 से 2023 तक क्षय रोग (TB) के मामलों में उल्लेखनीय 17.7% की गिरावट आई है।
- यह गिरावट वैश्विक औसत 8.3% से अधिक है, जो राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत वर्ष 2025 तक तपेदिक को समाप्त करने की भारत की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट 2024 के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- वैश्विक तपेदिक घटना रुझान: वर्ष 2023 में 8.2 मिलियन नए क्षय रोग के मामले दर्ज किये गए, जो वर्ष 2022 में 7.5 मिलियन से अधिक है, जो वर्ष 1995 के बाद से WHO द्वारा दर्ज किया गया उच्चतम आँकड़ा है।
- अनुमान है कि वर्ष 2023 में क्षय रोग से 1.25 मिलियन मृत्यु दर्ज की गईं थी, जो वर्ष 2022 में 1.32 मिलियन से थोड़ी कम थी।
- क्षय रोग मामलों की जनसांख्यिकी: 30 निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) में वैश्विक क्षय रोग का 87% हिस्सा है।
- अकेले पाँच देश भारत (26%), इंडोनेशिया (10%), चीन (6.8%), फिलीपींस (6.8%) और पाकिस्तान (6.3%) वैश्विक क्षय रोग बोझ का 56% योगदान देते हैं।
- क्षय रोग के 55% मामले पुरुषों में, 33% महिलाओं में और 12% बच्चों तथा युवा किशोरों में पाए गए।
- क्षय रोग उन्मूलन रणनीति लक्ष्य (वर्ष 2015 के बाद): विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षय रोग उन्मूलन रणनीति के तहत देशों को वर्ष 2025 तक क्षय रोग से होने वाली मृत्यु दर में 75% और घटना दर में 50% की कमी लानी होगी।
- हालाँकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट 2024 और इंडिया क्षय रोग रिपोर्ट 2024 से संकेत मिलता है कि भारत द्वारा इन लक्ष्यों को हासिल करना या वर्ष 2025 तक क्षय रोग को समाप्त करना संभव नहीं है।
- भारत में क्षय रोग का परिदृश्य: भारत में वर्ष 2023 में अनुमानित 27 लाख तपेदिक के मामले दर्ज किये गए, जिनमें से 25.1 लाख व्यक्तियों का निदान किया गया और उनका उपचार शुरू किया गया।
- भारत में क्षय रोग के मामले वर्ष 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 237 मामलों से घटकर वर्ष 2023 में प्रति लाख 195 हो गए, जो इस अवधि में 17.7% की गिरावट दर्शाता है।
- उपचार कवरेज वर्ष 2015 में 72% से बढ़कर वर्ष 2023 में 89% हो गया, जिससे निदान न किये गए या उपचार न किये गए मामलों का अंतर काफी कम हो गया।
तपेदिक/क्षय रोग/यक्ष्मा/टीबी (TB)
- क्षय रोग बैक्टीरिया (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस) नामक जीवाणु के कारण उत्पन्न होता है, जो प्रायः फेफड़ों को प्रभावित करता है।
- संक्रमण: क्षय रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हवा के ज़रिये फैलता है। जब फेफड़े की क्षय रोग से पीड़ित व्यक्ति खांसता, छींकता या थूकता है तो वे क्षय रोग के कीटाणुओं को हवा में फैला देते हैं।
- लक्षण: खांसी के साथ बलगम और कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द, कमज़ोरी, वजन कम होना, बुखार और रात में पसीना आना।
- उपचार: क्षय रोग एक उपचार योग्य एवं साध्य रोग है।
- क्षय रोग का इलाज 4 रोगाणुरोधी दवाओं के 6 माह के मानक कोर्स के साथ किया जाता है, जहाँ स्वास्थ्य कार्यकर्ता या प्रशिक्षित स्वयंसेवक द्वारा रोगी को जानकारी, पर्यवेक्षण एवं सहायता भी प्रदान की जाती है।
- क्षय रोग रोधी दवाओं का उपयोग दशकों से किया जा रहा है और सर्वेक्षण किये गए प्रत्येक देश में एक या अधिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी उपभेदों (स्ट्रेन) की उपस्थिति को दर्ज किया गया है।
- बहुऔषध-प्रतिरोधक तपेदिक (Multidrug-resistant tuberculosis- MDR-TB) क्षय रोग का एक रूप है जो ऐसे जीवाणु द्वारा उत्पन्न होता है जो दो सबसे प्रभावशाली और प्रथम पंक्ति की तपेदिक-रोधी दवाओं आइसोनियाज़िड (isoniazid) एवं रिफैम्पिसिन (rifampicin) पर प्रतिक्रिया नहीं करता है। MDR-TB का उपचार बेडाक्विलिन (Bedaquiline) जैसी दूसरी पंक्ति की दवाओं के उपयोग से संभव है।
- व्यापक दवा प्रतिरोधी तपेदिक (Extensively drug-resistant TB- XDR-TB) MDR-TB का एक अधिक गंभीर रूप है जो ऐसे जीवाणु के कारण उत्पन्न होता है जो सबसे प्रभावी दूसरी पंक्ति की क्षय रोग-रोधी दवाओं पर भी प्रतिक्रिया नहीं करता है, जिससे प्रायः रोगियों के पास किसी अन्य उपचार का विकल्प नहीं बचता।
क्षय रोग उन्मूलन के लिये भारत की प्रतिबद्धता
- सतत् विकास लक्ष्य 3.3: सतत् विकास लक्ष्य (SDG) के एक भाग के रूप में भारत वैश्विक समय-सीमा वर्ष 2030 से पाँच वर्ष पहले ही 2025 तक क्षय रोग को समाप्त करने के लिये प्रतिबद्ध है।
- लक्ष्य:
- वर्ष 2015 के स्तर से क्षय रोग की घटनाओं में 80% की कमी।
- वर्ष 2015 के स्तर से क्षय रोग मृत्यु दर में 90% की कमी।
- क्षय रोग प्रभावित परिवारों के लिये भयावह स्वास्थ्य लागत का उन्मूलन।
- उच्च स्तरीय पहल: "क्षय रोग उन्मूलन शिखर सम्मेलन" (2018) और "वन वर्ल्ड टीबी समिट (2023) जैसे आयोजनों में प्रतिबद्धता दोहराई गई तथा भारत द्वारा गांधीनगर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये गए (दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों द्वारा क्षय रोग उन्मूलन के लिये की गई प्रगति का अनुसरण करने हेतु गांधीनगर गुजरात में आयोजित दो दिवसीय बैठक के अंत में अपनाया गया)
क्षय रोग उन्मूलन में क्या चुनौतियाँ हैं?
- अपर्याप्त वैश्विक वित्तपोषण: वर्ष 2023 में, निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) में उपलब्ध कुल वित्तपोषण 5.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो वर्ष 2027 तक 22 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने के लक्ष्य का केवल 26% के बराबर है।
- भयावह क्षय रोग लागत: क्षय रोग से पीड़ित लगभग 20% भारतीय परिवारों को भयावह स्वास्थ्य व्यय का सामना करना पड़ता है, जो WHO के शून्य लक्ष्य से कहीं अधिक है।
- LMIC में सीमित दाता समर्थन: LMIC में अंतर्राष्ट्रीय दाता वित्तपोषण लगभग 1.1-1.2 बिलियन अमरीकी डॉलर प्रतिवर्ष पर स्थिर रहती है।
- यद्यपि अमेरिका और ग्लोबल फंड प्रमुख योगदानकर्त्ता हैं, लेकिन उनका समर्थन आवश्यक क्षय रोग सेवा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अपर्याप्त है।
- अपर्याप्त वित्त पोषित क्षय रोग अनुसंधान: वर्ष 2022 तक 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुसंधान लक्ष्य का केवल पाँचवाँ हिस्सा ही पूरा होने के कारण क्षय रोग निदान, दवाओं और टीकों में महत्त्वपूर्ण प्रगति बाधित है।
- जटिल एवं परस्पर संबद्ध महामारी चालक: यह महामारी अनेक जोखिम कारकों से प्रेरित है, जिनमें कुपोषण, HIV, शराब का सेवन, धूम्रपान और मधुमेह शामिल हैं।
क्षय रोग उन्मूलन के लिये भारत की पहल
आगे की राह
- विस्तारित तपेदिक निवारक चिकित्सा (TPT): पहुँच बढ़ाने और क्षय रोग संचरण को कम करने के लिये TPT को छोटे उपचारों के साथ बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
- नवीन निदान और विकेंद्रीकरण: क्षय रोग का शीघ्र पता लगाने के लिये आणविक निदान परीक्षण का विस्तार करने और रिपोर्टिंग में सुधार करने के प्रयास किये जाने चाहिये।
- क्षय रोग सेवा वितरण का विकेंद्रीकरण: "आयुष्मान आरोग्य मंदिरों" के माध्यम से सेवाओं के विकेंद्रीकरण से क्षेत्रों में पहुँच और उपचार दक्षता में सुधार होगा।
- समुदाय-आधारित रोगी सहायता प्रणालियों को बढ़ाना: रोगी देखभाल में सुधार और कलंक को दूर करने के लिये सामुदायिक भागीदारी तथा सहायता प्रणालियों को मज़बूत करने हेतु प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (PMTBMBA) जैसी पहल को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- वयस्कों में BCG टीकाकरण पर अध्ययन आयोजित करना: क्षय रोग की रोकथाम के लिये वयस्कों में बेसिल कैलमेट-ग्यूरिन (BCG) टीकाकरण (क्षय रोग रोग के लिये एक टीका) की प्रभावकारिता का विश्लेषण करने के लिये व्यापक अध्ययन आवश्यक है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: वर्ष 2025 तक क्षय रोग उन्मूलन प्राप्त करने में भारत के दृष्टिकोण और प्रगति पर चर्चा कीजिये। इस लक्ष्य को पूरा करने में मुख्य बाधाएँ क्या हैं और इनके समाधान के लिये भविष्य में कौन-सी रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं? (250 शब्द) |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन' के उद्देश्य हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: A मेन्स:Q. "एक कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता होने के अलावा, सतत् विकास के लिये प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना एक आवश्यक पूर्व शर्त है।" विश्लेषण कीजिये। (2021) |