भारतीय अर्थव्यवस्था
वैश्विक विनिर्माण जोखिम सूचकांक 2021
- 25 Aug 2021
- 4 min read
प्रिलिम्स के लिये:वैश्विक विनिर्माण जोखिम सूचकांक के बारे में मेन्स के लिये:भारत की रैंकिंग में सुधार हेतु उत्तरदायी कारक तथा विनिर्माण क्षेत्र में सुधार हेतु भारत द्वारा की गई विभिन्न पहलें |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत वैश्विक विनिर्माण जोखिम सूचकांक (Global Manufacturing Risk Index) 2021 में भारत अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए विश्व स्तर पर दूसरा सबसे अधिक मांग वाला विनिर्माण गंतव्य बन गया है।
- गत वर्ष जारी सूचकांक में अमेरिका दूसरे स्थान पर जबकि भारत तीसरे स्थान पर था।
प्रमुख बिंदु
सूचकांक के विषय में:
- यह यूरोप, अमेरिका और एशिया-प्रशांत (APAC) के 47 देशों में वैश्विक विनिर्माण की दृष्टि से सबसे फायदेमंद स्थानों का आकलन करता है।
- रिपोर्ट में रैंकिंग का निर्धारण चार प्रमुख मापदंडों के आधार पर किया जाता है:
- विनिर्माण को पुनः शुरू करने के मामले में देश की क्षमता,
- कारोबारी माहौल (प्रतिभा/श्रम की उपलब्धता, बाज़ारों तक पहुँच),
- संचालन लागत,
- जोखिम (राजनीतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय)।
- यह सूचकांक अमेरिका स्थित संपत्ति सलाहकार कुशमैन एंड वेकफील्ड (Cushman & Wakefield) द्वारा जारी किया जाता है।
- वैश्विक विनिर्माण जोखिम सूचकांक, 2021 में चीन पहले स्थान पर बना हुआ है जबकि अमेरिका तीसरे स्थान पर पहुँच गया है।
- रैंकिंग में सुधार निर्माताओं द्वारा अमेरिका और APAC क्षेत्र के देशों सहित अन्य देशों की तुलना में भारत के प्रति एक पसंदीदा विनिर्माण केंद्र के रूप में बढ़ती रुचि को दर्शाता है।
भारत की रैंकिंग में सुधार हेतु उत्तरदायी कारक:
- भारत पर बढ़ते फोकस का श्रेय भारत की परिचालन स्थितियों और लागत प्रतिस्पर्द्धात्मकता को दिया जा सकता है।
- भारत की जनसंख्या अति विशाल है, जिसका अर्थ है कि यहाँ नवीन क्षमताओं वाला एक युवा कार्यबल उपस्थित है जो देश के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने की क्षमता रखता है।
- फार्मा, रसायन और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में पहले से ही स्थापित आधार के कारण चीन से एशिया के अन्य हिस्सों में संयंत्र स्थानांतरण को भी रैंकिंग में सुधार के लिये उत्तरदायी माना जा सकता है।
- इसके अलावा ये कारक अमेरिका-चीन व्यापार तनाव के केंद्र में भी बने हुए हैं।
भारत में विनिर्माण क्षेत्र में सुधार हेतु हाल की पहल:
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP)
- मेक इन इंडिया
- स्किल इंडिया
- सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के लिये ऋण गारंटी योजना
- नवाचार, ग्रामीण उद्योग और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए एक योजना (ASPIRE)
- प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)
- औद्योगिक गलियारे