सामाजिक न्याय
फेमिसाइड्स, 2023: ग्लोबल एस्टिमेट्स ऑफ इंटिमेट पार्टनर/फैमिली मेंबर फेमिसाइड्स रिपोर्ट
- 27 Nov 2024
- 18 min read
प्रिलिम्स के लिये:महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिये अंतर्राष्ट्रीय दिवस, संयुक्त राष्ट्र महिला, मादक पदार्थों एवं अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC), राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो 2022, संयुक्त राष्ट्र महासभा। मेन्स के लिये:महिलाओं से संबंधित मुद्दे, सामाजिक मानदंडों की भूमिका और महिला सशक्तीकरण |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस (25 नवंबर) के दौरान फेमिसाइड्स, 2023: ग्लोबल एस्टिमेट्स ऑफ इंटिमेट पार्टनर/फैमिली मेंबर फेमिसाइड्स रिपोर्ट के माध्यम से महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा पर प्रकाश डाला गया।
- यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र महिला और संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) द्वारा जारी की गई, जिसमें महिला हत्या के वैश्विक संकट की गंभीरता पर प्रकाश डाला गया।
- महिलाओं की हत्या को लिंग-संबंधी प्रेरणा के साथ जानबूझकर की गई हत्या के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध भेदभाव, असमान शक्ति संबंधों, लैंगिक रूढ़िवादिता या हानिकारक सामाजिक मानदंडों से प्रेरित है।
- यह हत्या से भिन्न है, जिसमें लिंग-तटस्थ उद्देश्य मौजूद हो सकता है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- वैश्विक परिदृश्य: वर्ष 2023 में, विश्व में 85,000 महिलाओं और लड़कियों की हत्या जानबूझकर की गई, जिनमें से 60% (लगभग 51,100) की हत्या अंतरंग साथी या परिवार के सदस्यों द्वारा की गई।
- औसतन प्रतिदिन 140 महिलाएँ और लड़कियाँ अपने अंतरंग साथी या निकट संबंधियों द्वारा स्त्री-हत्या की शिकार हो जाती हैं।
- क्षेत्रीय असमानताएँ: अफ्रीका में पीड़ितों की संख्या सबसे अधिक (21,700) और प्रति जनसंख्या महिला हत्या की दर सबसे अधिक (प्रति 100,000 पर 2.9) दर्ज की गई है।
- इसके बाद अमेरिका और ओशिनिया में क्रमशः 1.6 और 1.5 प्रति 100,000 दर्ज की गई है, जबकि एशिया और यूरोप में यह दर काफी कम, 0.8 और 0.6 प्रति 100,000 थी।
- गैर-घरेलू महिलाओं की हत्याएँ: गैर-घरेलू महिलाओं की हत्याओं में भी तेज़ी देखी गई है। उदाहरण के लिये, फ्राँस (2019-2022) में 5% और दक्षिण अफ्रीका (2020-2021) में 9% गैर-घरेलू महिलाओं की हत्याओं के मामले दर्ज किये गए है।
- मानवहत्या: अनुमान है कि वर्ष 2023 में सभी हत्या में से 80% हत्याओं में पुरुष शामिल है जबकि 20% महिलाएँ हैं।
- लेकिन, घातक हिंसा पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है, वर्ष 2023 में जानबूझकर मारी गई लगभग 60% महिलाएँ अंतरंग साथी या परिवार के सदस्य की हत्या का शिकार होती हैं।
- महिला हत्या की रोकथाम: अंतरंग साथी (Intimate Partners) द्वारा की गई महिलाओं की हत्या से संबंधित काफी मामलों में पहले हिंसा की रिपोर्ट की गई थी, जिसमें फ्राँस (2019-2022) में 22-37% मामलों के साथ दक्षिण अफ्रीका (2020-2021) में इसी तरह की प्रवृत्ति देखी गई।
- डेटा और उपलब्धता: इससे संबंधित डेटा उपलब्धता में गिरावट आई है वर्ष 2020 (75 देशों ने) की तुलना में वर्ष 2023 में केवल आधे देशों द्वारा ही इससे संबंधित डेटा उपलब्ध कराए गए।
- केवल कुछ ही देश UNODC-UN वुमेन फ्रेमवर्क का उपयोग करके गैर-घरेलू महिला हत्याओं से संबंधित डेटा एकत्र करते हैं।
महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के कौन-कौन से रूप हैं?
- घरेलू हिंसा: इसमें वर्तमान या पूर्व साथी (प्रायः पति या परिवार के सदस्य) द्वारा की गई ऐसी गतिविधियाँ शामिल होती हैं जिनसे शारीरिक, यौन या भावनात्मक क्षति होती है।
- इसके उदाहरणों में शारीरिक आक्रामकता, जबरदस्ती, मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार तथा नियंत्रणकारी व्यवहार शामिल हैं।
- यौन हिंसा: इसमें महिलाओं और बालिकाओं को निशाना बनाकर उनकी सहमति के बिना अवांछित यौन कृत्य किया जाना शामिल है।
- इसके उदाहरणों में बलात्कार, यौन उत्पीड़न, ऑनलाइन यौन शोषण, गैर-संपर्क यौन शोषण, तस्करी तथा जबरन वेश्यावृत्ति शामिल हैं।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो 2022 के अनुसार, भारत में वर्ष 2022 में 31,000 से अधिक (प्रतिदिन लगभग 87 मामले) बलात्कार के मामले दर्ज किये गए।
- मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार: इसमें नज़रों, इशारों या चिल्लाने के माध्यम से डराना-धमकाना साथ ही अपमान, अश्लील या अपमानजनक टिप्पणियाँ करना शामिल है।
- इसमें मासिक धर्म वाली महिलाओं को अलग-थलग करने के साथ कन्या भ्रूण हत्या जैसी प्रथाएँ (जिनसे महिलाओं के अधिकारों एवं सम्मान का उल्लंघन होता है) भी शामिल हैं।
- सांस्कृतिक दुर्व्यवहार: इसमें महिला जननांगों की विकृति, बाल विवाह, जबरन विवाह एवं हिंसा जैसी नकारात्मक सामाजिक और सांस्कृतिक प्रथाएँ शामिल हैं।
- प्रौद्योगिकी-प्रचारित हिंसा: इसमें ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म पर बदनामी, उत्पीड़न, पीछा करना, साइबर धमकी, मॉर्फ्ड एवं डीपफेक वीडियो का वितरण तथा डॉक्सिंग (किसी महिला के बारे में निजी जानकारी को सार्वजनिक रूप से जारी करना) शामिल है।
भारत में लैंगिक हिंसा के संबंध में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2022 के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 4% वृद्धि हुई है।
- महिलाओं के खिलाफ अपराधों की प्रकृति: वर्ष 2022 के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अधिकांश अपराध निम्नलिखित प्रकृति के थे:
- इसके अतिरिक्त दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत 13,479 मामले दर्ज किये गए।
- FIR दर्ज करना: NCRB की रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्ष 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4.45 लाख से अधिक मामले (प्रति घंटे लगभग 51 FIR) दर्ज किये गए।
- बलात्कार के अधिक मामले: वर्ष 2022 में 31,000 से अधिक बलात्कार के मामले दर्ज किये गए। वर्ष 2016 में बलात्कार के मामले लगभग 39,000 तक पहुँच गए।
- वर्ष 2018 में देश भर में औसतन प्रत्येक 15 मिनट में एक महिला द्वारा बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस
- यह दिवस महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा (Violence Against Women and Girls- VAWG) के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिये 25 नवंबर को मनाया जाता है।
- इसे वर्ष 1999 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा नामित किया गया था।
- मिराबल बहनों का सम्मान: यह दिन डोमिनिकन गणराज्य की मिराबल बहनों (पेट्रिया, मिनर्वा और मारिया टेरेसा) के सम्मान में मनाया जाता है, जो राफेल ट्रूजिलो की तानाशाही तथा हिंसा के खिलाफ प्रतिरोध की प्रतीक थीं।
- 25 नवंबर, 1960 को ट्रूजिलो (Trujillo’s) के आदेश पर दोनों बहनों की हत्या कर दी गई।
संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC)
- वर्ष 1997 में स्थापित UNODC अवैध ड्रग्स, अंतर्राष्ट्रीय अपराध और आतंकवाद से निपटने में एक वैश्विक अग्रणी संस्था है।
- मुख्यालय: यह वियना में स्थित है तथा इसके संपर्क कार्यालय न्यूयॉर्क और ब्रुसेल्स में हैं।
- आतंकवाद की रोकथाम: आतंकवाद के विरुद्ध सार्वभौमिक कानूनी उपायों के अनुसमर्थन और कार्यान्वयन में राज्यों की सहायता के लिये वर्ष 2002 में अपनी गतिविधियों का विस्तार किया।
यू.एन. वीमेन
- परिचय: संयुक्त राष्ट्र महिला एक संयुक्त राष्ट्र इकाई है जिसका लक्ष्य वैश्विक लैंगिक असमानता को दूर करना और महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाना है।
- निर्माण: संयुक्त राष्ट्र सुधार एजेंडे के हिस्से के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा जुलाई 2010 में स्थापित। इसमें चार मौजूदा संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं का विलय किया गया।
- महिला उन्नति प्रभाग (DAW)
- महिलाओं की उन्नति के लिये अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (INSTRAW)
- लैंगिक मुद्दों और महिलाओं की उन्नति पर विशेष सलाहकार का कार्यालय (OSAGI)
- महिलाओं के लिये संयुक्त राष्ट्र विकास कोष (UNIFEM)
- मुख्य लक्ष्य: महिलाओं और लड़कियों के प्रति भेदभाव को समाप्त करना।
- महिलाओं को सशक्त बनाना तथा महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता प्राप्त करना।
- विकास, मानवाधिकार, शांति और सुरक्षा में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना।
भारत में महिला सुरक्षा के लिये प्रमुख कानून क्या हैं?
रिपोर्ट के अनुसार महिला हत्या को कैसे रोका जाए?
- मूल कारणों पर ध्यान देना: विभिन्न स्तरों पर लैंगिक हिंसा के मूल कारणों पर ध्यान केंद्रित करना।
- व्यक्तिगत स्तर: हिंसा के दृष्टिकोण, व्यवहार और इतिहास को संबोधित करना।
- पारस्परिक संबंध: पारिवारिक गतिशीलता और साझेदार अंतःक्रियाओं में सुधार।
- सामुदायिक स्तर: संगठनात्मक और समुदाय-आधारित सहायता प्रणालियों को मज़बूत करना।
- सामाजिक स्तर: जड़ जमाये हुए लैंगिक मानदंडों और रूढ़ियों को चुनौती देना।
- शैक्षिक पहल: लैंगिक समानता, संबंध कौशल और पुरुषों और महिलाओं के लिये स्वीकार्य सामाजिक भूमिकाओं को बढ़ावा देने हेतु पाठ्यक्रम को एकीकृत करना।
- हिंसा को बढ़ावा देने वाले दृष्टिकोणों और व्यवहारों पर पुनर्विचार करने में दोनों लैगिकों को शामिल करना।
- कानूनी उपाय: लैटिन अमेरिका की तरह, लिंग आधारित उद्देश्यों से प्रेरित हत्याओं के लिये गंभीर कारकों को जोड़ते हुए, महिला हत्या को एक अलग आपराधिक अपराध के रूप में वर्गीकृत करना।
- लैंगिक हिंसा से निपटने के लिये पुलिस, न्यायपालिका और अभियोजन सेवाओं के भीतर समर्पित इकाइयाँ स्थापित करना (जैसे, कनाडा, स्वीडन, जॉर्डन)।
- जोखिम न्यूनीकरण: पुलिस को उच्च जोखिम वाली स्थितियों की पहचान करने और तत्काल हस्तक्षेप करने के लिये प्रशिक्षित करना।
- हत्याओं की संभावना को कम करने के लिये अपराधियों और पीड़ितों के बीच संपर्क को रोकने के आदेश लागू करना तथा अंतरंग साथी के साथ हिंसा की प्रवृत्ति वाले व्यक्तियों को हथियारों का लाइसेंस नहीं देना चाहिये।
- जागरूकता आंदोलन: लैंगिक हिंसा की ओर जनता का ध्यान आकर्षित करने और अपकारी प्रथाओं की निंदा करने के लिये मी टू आंदोलन (#Me Too) और नी ऊना मेनोस (अर्जेंटीना में एक भी महिला कम नहीं) जैसे अभियान।
- डेटा संग्रहण और विश्लेषण: सरकारों को महिला-हत्या के रुझान और पैटर्न पर वार्षिक रिपोर्ट तैयार करनी चाहिये।
- नागरिक समाज को विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आँकड़ों की निगरानी और विश्लेषण के लिये "फेमीसाइड ऑब्जर्वेटरी" स्थापित करनी चाहिये।
निष्कर्ष
रिपोर्ट में महिला हत्या के वैश्विक संकट पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें लैंगिक हिंसा से निपटने के लिये बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया गया है। रोकथाम के लिये मूल कारणों को संबोधित करना, कानूनी ढाँचे को मज़बूत करना, सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना और डेटा संग्रह में सुधार करना आवश्यक है। महिला हत्या को रोकने और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिये व्यक्तिगत, सामाजिक एवं संस्थागत स्तरों पर सामूहिक कार्यवाही आवश्यक है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: लैंगिक हिंसा के मूल कारणों की जाँच कीजिये और भारत में महिला हत्या को रोकने के लिये रणनीति प्रस्तावित कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. प्रायः समाचारों में देखा जाने वाला 'बीजिंग घोषणा और कार्रवाई मंच (बीजिंग डिक्लरेशन एंड प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन)' निम्नलिखित में से क्या है? (2015) (a) क्षेत्रीय आतंकवाद से निपटने की एक कार्यनीति (स्ट्रैटजी), शंघाई सहयोग संगठन की बैठक का एक परिणाम। उत्तर: C मेन्सप्रश्न. हम देश में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के मामलों में वृद्धि देख रहे हैं। इसके खिलाफ मौजूदा कानूनी प्रावधानों के बावजूद ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। इस खतरे से निपटने के लिये कुछ अभिनव उपाय सुझाइये। (2014) प्रश्न: महिला संगठनों को लिंग-भेद से मुक्त करने के लिये पुरुषों की सदस्यता को बढ़ावा मिलना चाहिये। टिप्पणी कीजिये। (2013) |