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डेली अपडेट्स

भारतीय अर्थव्यवस्था

दक्षिण भारतीय राज्यों की आर्थिक गतिशीलता

  • 12 Feb 2025
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सकल राज्य घरेलू उत्पाद, LPG सुधार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, शिशु मृत्यु दर, भारतमाला परियोजना

मेन्स के लिये:

भारत में आर्थिक विकास में क्षेत्रीय असमानताएँ, राज्य की अर्थव्यवस्थाओं में सुधार

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंथा नागेश्वरन ने दक्षिण भारतीय राज्यों से अपने आर्थिक प्रदर्शन को वैश्विक मानकों के अनुरूप करने का आग्रह करने के साथ उनकी मज़बूती और सुधार के क्षेत्रों पर प्रकाश डाला। मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंथा नागेश्वरन ने इस बात पर बल दिया कि दक्षिण भारतीय राज्यों को अपने आर्थिक प्रदर्शन को अन्य भारतीय राज्यों के बजाय वैश्विक मानकों के आधार पर मापना चाहिये। उन्होंने इस क्षेत्र की आर्थिक मज़बूती के साथ सुधार की आवश्यकता वाले क्षेत्रों पर प्रकाश डाला।

दक्षिण भारत के राज्यों का आर्थिक योगदान क्या है?

  • आर्थिक योगदान: दक्षिण भारत के राज्यों का भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 30% योगदान है, वित्त वर्ष 2024-25 में महाराष्ट्र के बाद तमिलनाडु और कर्नाटक सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) वृद्धि में अग्रणी रहे।
  • उच्च संवृद्धि दर: वास्तविक अर्थों में दक्षिण भारत के राज्यों में 6.3% वार्षिक GSDP वृद्धि दर्ज की गई, जबकि शेष भारत में यह 5% है।
    • यहाँ प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 5% से अधिक की दर से बढ़ रहा है जबकि शेष भारत में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि 4.2% है।
  • विनिर्माण एवं निवेश: कुल कारखानों का 37.4% और संचालित कारखानों का 37% दक्षिण भारत में स्थित हैं। 
  • भारत के कुल स्थायी पूंजी निवेश का 25.6% इसी क्षेत्र से संबंधित है।
  • भारत का 33% विनिर्माण कार्यबल दक्षिण भारत से संबंधित है।

दक्षिणी राज्य शेष भारत से बेहतर प्रदर्शन क्यों करते हैं?

  • ऐतिहासिक स्थिरता: उत्तर भारत के बार-बार होने वाले विदेशी आक्रमणों के विपरीत, दक्षिण भारत की सापेक्षिक स्थिरता ने विजयनगर, काँचीपुरम, मदुरै, महाबलीपुरम, कोच्चि और कोझीकोड जैसे प्रमुख व्यापार केंद्रों के साथ लगातार आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास को सक्षम बनाया।
  • औपनिवेशिक लाभ: 18वीं शताब्दी के मध्य तक दक्षिण में मद्रास और बॉम्बे प्रमुख प्रेसीडेंसी शहर बन गए थे जबकि उत्तर में केवल एक (कलकत्ता) ही था।
    • दक्षिण में पुर्तगाली और फ्राँसीसी प्रभाव से प्रारंभिक व्यापार तथा शहरी विकास को और भी बढ़ावा मिला।
  • आर्थिक विकास: LPG सुधारों के बाद आर्थिक विकास में दक्षिणी राज्यों ने उत्तरी राज्यों को पीछे छोड़ दिया, जिससे अधिक यहाँ औद्योगिक निवेश और FDI आकर्षित हुआ। 
    • कर्नाटक और तमिलनाडु ऑटोमोबाइल, वस्त्र और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) उद्योगों के केंद्र बन गए, जबकि तेलंगाना एक जैव प्रौद्योगिकी और फार्मास्युटिकल केंद्र के रूप में उभरा (इसका वैश्विक वैक्सीन उत्पादन में 1/3 का योगदान है)। 
    • महाराष्ट्र, गुजरात और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में विकास के बावजूद अन्य क्षेत्रों में असमान विकास हुआ है। दक्षिणी राज्यों के विपरीत, उत्तरी राज्यों में प्रमुख शहरी केंद्रों का अभाव है। 
    • पूर्वोत्तर में कई प्रमुख चुनौतियाँ (जिसमें भीड़भाड़ वाली सड़कें तथा सीमित संपर्क शामिल है) बनी हुई हैं, जो व्यापार और विकास में बाधक हैं।
  • कृषि उत्पादकता: तमिलनाडु और कर्नाटक ने आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाया तथा नकदी फसलों, बागवानी और जलीय कृषि में विविधता लायी।
    • उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे उत्तरी राज्य गेहूँ और चावल जैसी पारंपरिक फसलों पर बहुत अधिक निर्भर थे, जिसके कारण उत्पादकता में स्थिरता आ गई।
  • शासन: तेलंगाना और कर्नाटक ने IT और ई-गवर्नेंस सुधार लागू किये जिससे उनकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला।
    • हालाँकि, भूमि, श्रम और उद्योग में देरी से हुए सुधारों के कारण मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, नोएडा और गुरुग्राम जैसे शहरों ने दक्षिणी शहरों की तुलना में काफी विलंब से आर्थिक विकास हासिल किया।
  • सामाजिक विकास: स्वतंत्रता के समय दक्षिणी राज्य अविकसित थे। नियंत्रित जनसंख्या वृद्धि ने बाद में विकास के लिये बेहतर संसाधन आवंटन को सक्षम किया।
    • केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में साक्षरता दर उच्च है। दक्षिण में बेहतर स्कूली बुनियादी ढाँचे और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के कारण शेष भारत की तुलना में तुलनात्मक रूप से अधिक कुशल कार्यबल उपलब्ध हुआ।
      • तमिलनाडु ने मध्याह्न भोजन कार्यक्रम में अग्रणी भूमिका निभाई, जिससे स्कूल में नामांकन बढ़ा, जबकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना ने अंग्रेज़ी माध्यम शिक्षा के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया है। 
      • भारत में सर्वाधिक साक्षरता दर (96.2%) के साथ केरल ने अत्यधिक कुशल कार्यबल विकसित किया है।
    • उत्तरी राज्यों में खराब प्रदर्शन का कारण शिक्षा और बुनियादी ढाँचे में अपर्याप्त निवेश है, जो राजनीतिक उपेक्षा से प्रेरित है।
  • स्वास्थ्य और सामाजिक संकेतक: दक्षिणी राज्य स्वास्थ्य सेवा में उत्कृष्ट हैं, केरल में सबसे अच्छा बुनियादी ढाँचा है और मध्य प्रदेश (46) की तुलना में शिशु मृत्यु दर कम (प्रति 1,000 जन्म पर 6) है।
    • दक्षिणी भारत में मातृ मृत्यु अनुपात राष्ट्रीय औसत (वर्ष 2020 में 103) से कम है। 

Poverty_Index

  • प्राकृतिक कारक: बंदरगाहों की निकटता से व्यापार, निर्यात और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलता है (चेन्नई, कोच्चि, विशाखापत्तनम)।
    • मध्यम जलवायु उत्तर में चरम मौसम की तुलना में कृषि, पर्यटन और जीवन स्थितियों को बेहतर बनाती है।

दक्षिणी राज्यों की आर्थिक वृद्धि के संबंध में चिंताएँ क्या हैं?

  • विनिर्माण में उत्पादकता अंतर: दक्षिणी क्षेत्र कुल विनिर्माण उत्पादन में केवल 26% का योगदान देता है। मज़बूत कार्यबल के बावजूद विनिर्माण में निम्न उत्पादकता और दक्षता को दर्शाता है।
  • कौशल विकास की कमियाँ: इस क्षेत्र में कौशल स्तर 2 कार्यबल (मध्यवर्ती कौशल) मज़बूत है, लेकिन कौशल स्तर 3 और 4 (AI, इंजीनियरिंग और उच्च तकनीक क्षेत्रों में उन्नत पेशेवर कौशल) में पिछड़ा हुआ है।
    • उच्च शिक्षा और अनुसंधान में अपर्याप्त निवेश उच्च मूल्य वाले उद्योगों में नवाचार और रोज़गार सृजन को सीमित करता है।
    • दक्षिणी राज्यों में घटती जनसांख्यिकी (युवा) और बेहतर अवसरों की तलाश में प्रवास के कारण स्थिति और नाजुक हो रही है, श्रमिकों की कमी का खतरा बढ़ रहा है, जिससे विकास को बनाए रखने के लिये समावेशी प्रवासी नीति की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जा रहा है।
  • बुनियादी ढाँचा: शहरी भीड़भाड़ और ऊर्जा संबंधी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के लिये बेहतर औद्योगिक गलियारों, लॉजिस्टिक्स नेटवर्क और डिजिटल बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता है।
  • क्षेत्रीय असमानताएँ: तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्य आर्थिक विकास में अग्रणी हैं, जबकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे अन्य राज्यों में औद्योगिकीकरण धीमा है।
    • आर्थिक अवसरों और बुनियादी ढाँचे के मामले में ग्रामीण क्षेत्र अभी भी शहरी केंद्रों से पीछे हैं।
  • जलवायु परिवर्तन: दक्षिणी भारत जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, यहाँ अक्सर सूखा, चक्रवात और चरम मौसम की घटनाएँ होती हैं। कृषि और तटीय अर्थव्यवस्थाएँ विशेष रूप से जोखिम में हैं।
  • नीतिगत मुद्दे: कई राज्य केंद्र सरकार से वित्तीय हस्तांतरण पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जिससे उनकी राजकोषीय स्वायत्तता कम हो रही है तथा राज्य ऋण अनुपात में वृद्धि से राज्यों पर बोझ बढ़ रहा है।

आगे की राह:

  • वैश्विक बेंचमार्किंग: भारत की "सिलिकॉन वैली" बेंगलुरू, प्रौद्योगिकी के मामले में कैलिफोर्निया की तर्ज पर विकास कर रही है, इसलिये दक्षिणी राज्यों को वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा के लिये प्रयास करना पड़ा। 
  • उत्पादकता में वृद्धि: कार्यबल की भागीदारी को आउटपुट के साथ संरेखित करने के लिये विनिर्माण उत्पादकता में सुधार करना। कौशल उन्नयन में निवेश करना, विशेष रूप से उच्च-मूल्य विनिर्माण में और उद्योग 4.0 अपनाने को प्रोत्साहित करना।
  • बुनियादी ढाँचे में सुधार: वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिये भारतमाला परियोजना के माध्यम से औद्योगिक गलियारों, लॉजिस्टिक्स नेटवर्क और डिजिटल बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना।
    • संतुलित विकास के लिये उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम आर्थिक क्षेत्रों को जोड़ने वाले औद्योगिक गलियारों का विस्तार करना।
  • पर्यटन संभावना: दक्षिणी राज्यों की समृद्ध मंदिर विरासत का लाभ उठाना तथा सतत् तटीय पर्यटन को बढ़ावा देना।
  • राजस्व वृद्धि को मज़बूत करना: GST के माध्यम से कर संग्रह में वृद्धि करना तथा स्थायी राजकोषीय स्थिति के लिये उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI) को बढ़ावा देना।
  • समावेशी विकास: स्मार्ट सिटी मिशन (SCM) और क्षेत्रीय संपर्क योजना (RCS) के माध्यम से कम औद्योगिक क्षेत्रों का विकास करके क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना।
    • उत्तरी राज्य मानव विकास को बढ़ावा देने के लिये केरल के स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा मॉडल को अपना सकते हैं, जिससे बदले में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
    • क्षेत्रीय संपर्क और व्यापार को बढ़ाने के लिये गंगा और यमुना जैसी प्रमुख नदियों के किनारे अंतर्देशीय जलमार्गों का निर्माण एवं विस्तार करना।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: दक्षिणी राज्यों के आर्थिक परिदृश्य पर सामाजिक विकास संकेतकों के प्रभाव का विश्लेषण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015))

  1. पिछले दशक में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में लगातार वृद्धि हुई है।
  2.  बाज़ार मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद (रुपए में) पिछले एक दशक में लगातार बढ़ा है।।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

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