भारतीय अर्थव्यवस्था
PLI योजनाओं के तहत निवेश
- 19 Jan 2024
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प्रिलिम्स के लिये:उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजनाएँ, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, औषध, खाद्य प्रसंस्करण, दूरसंचार व नेटवर्किंग उत्पाद, पेनिसिलिन-G मेन्स के लिये:विनिर्माण क्षेत्र में विकास में उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना का महत्त्व |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (Production Linked Incentive- PLI) योजनाओं में नवंबर, 2023 तक 1.03 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया गया है।
- इससे 8.61 लाख करोड़ रुपए के बराबर उत्पादन/बिक्री हुई है तथा 6.78 लाख से अधिक रोज़गार उत्पन्न हुए हैं।
PLI योजना की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?
- PLI योजनाओं में वृहत् इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, औषध, खाद्य प्रसंस्करण तथा दूरसंचार व नेटवर्किंग उत्पाद जैसे विभिन्न क्षेत्रों के महत्त्वपूर्ण योगदान के साथ निर्यात 3.20 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है।
- PLI के लाभार्थियों में थोक औषधि, चिकित्सा उपकरण, औषध, दूरसंचार, भारी उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएँ (White Goods), खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र और ड्रोन जैसे क्षेत्रों के 176 लघु तथा मध्यम उद्यम (Micro, Small and Medium Enterprises- MSME) शामिल हैं।
- 8 क्षेत्रों के लिये PLI योजनाओं के तहत लगभग 4,415 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन धनराशि वितरित की गई। इनमें वृहत् इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण (Large-Scale Electronics Manufacturing- LSEM), IT हार्डवेयर, थोक औषधि, चिकित्सा उपकरण, औषध, दूरसंचार व नेटवर्किंग उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण और ड्रोन व इसके घटक शामिल हैं।
- PLI योजना के कारण औषधि क्षेत्र में कच्चे माल के आयात में काफी कमी आई है।
- भारत में पेनिसिलिन-G सहित अद्वितीय मध्यवर्ती सामग्री और थोक दवाओं का विनिर्माण किया जा रहा है।
- इसके अतिरिक्त 39 चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन शुरू किया गया है। इनमें सीटी-स्कैन, लीनियर एक्सेलेरेटर (LINAC), रोटेशनल कोबाल्ट मशीन, C-Arm, MRI, कैथ लैब, अल्ट्रासोनोग्राफी, डायलिसिस मशीन, हार्ट वॉल्व, स्टेंट आदि शामिल है।
- दूरसंचार क्षेत्र में 60 फीसदी का आयात प्रतिस्थापन प्राप्त किया गया है तथा वित्तीय वर्ष 2023-24 में PLI लाभार्थी कंपनियों द्वारा दूरसंचार व नेटवर्किंग उत्पादों की बिक्री में आधार वर्ष (वित्त वर्ष 2019-20) की तुलना में 370 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
- इसके अतिरिक्त 90.74% की मिश्रित वार्षिक वृद्धि दर (Compounded Annual Growth Rate- CAGR) के साथ ड्रोन उद्योग में निवेश पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।
- खाद्य प्रसंस्करण के लिये PLI योजना, भारत से कच्चे माल की सोर्सिंग में काफी वृद्धि हुई है जिससे भारतीय किसानों और MSME की आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- जैविक उत्पादों की बिक्री में वृद्धि हुई और विदेशों में ब्रांडिंग तथा मार्केटिंग के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भारतीय ब्रांड की दृश्यता बढ़ी।
- इस योजना से बाजरा खरीद भी 668 मीट्रिक टन (वित्त वर्ष 2020-21) से बढ़कर 3,703 मीट्रिक टन (वित्त वर्ष 2022-23) हो गई है।
- इन प्रमुख विशिष्ट क्षेत्रों में PLI योजना भारतीय निर्माताओं को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने, मुख्य योग्यता और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने तथा भारत को वैश्विक मूल्य शृंखला का एक अभिन्न अंग बनाने के लिये शुरू हुई है।
- इसने भारत की निर्यात टोकरी को पारंपरिक वस्तुओं से उच्च मूल्य वर्धित उत्पादों जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार सामान, प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों आदि में बदल दिया है।
- वित्त वर्ष 2020-21 के बाद से मोबाइल फोन का उत्पादन 125% से अधिक बढ़ गया और मोबाइल फोन का निर्यात 4 गुना बढ़ गया।
- LSEM के लिये PLI योजना की शुरुआत के बाद से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment - FDI) में 254% की वृद्धि हुई है।
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (PLI) क्या है?
- परिचय:
- PLI योजना की कल्पना घरेलू विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ उच्च आयात प्रतिस्थापन और रोज़गार सृजन के लिये की गई थी। मार्च 2020 में शुरू की गई इस योजना ने आरंभ में तीन उद्योगों को लक्षित किया:
- मोबाइल और संबद्ध घटक विनिर्माण
- विद्युत घटक विनिर्माण
- चिकित्सा उपकरण
- बाद में इसे 14 क्षेत्रों तक बढ़ा दिया गया: मोबाइल विनिर्माण, चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण, ऑटोमोबाइल और इसके घटक, फार्मास्यूटिकल्स, दवाएँ, विशेष इस्पात, दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, घरेलू उपकरण (ACs व LEDs), खाद्य उत्पाद, कपड़ा उत्पाद, सौर पीवी मॉड्यूल, उन्नत रसायन सेल (ACC) बैटरी तथा ड्रोन व इसके घटक।
- PLI योजना में घरेलू और विदेशी कंपनियों को भारत में विनिर्माण के लिये पाँच वर्षों तक उनके राजस्व के प्रतिशत के आधार पर वित्तीय लाभ प्राप्त होता है।
- PLI योजना की कल्पना घरेलू विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ उच्च आयात प्रतिस्थापन और रोज़गार सृजन के लिये की गई थी। मार्च 2020 में शुरू की गई इस योजना ने आरंभ में तीन उद्योगों को लक्षित किया:
PLI योजना के संबंध में क्या चिंताएँ हैं?
- प्रतिस्पर्द्धा एवं बाज़ार की गतिशीलता: यह योजना भाग लेने वाली कंपनियों के बीच मूल्य युद्ध या बाज़ार विकृतियाँ उत्पन्न कर सकती है, जिससे उनकी लाभप्रदता एवं स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
- अनुपालन और रिपोर्टिंग बोझ: इस योजना के तहत कंपनियों को प्रोत्साहन का दावा करने के लिये विभिन्न दस्तावेज़ और रिपोर्ट जमा करने की आवश्यकता होती है, जिससे उनकी प्रशासनिक लागत बढ़ने के साथ विलंब हो सकता है।
- संयोजन बनाम मूल्य संवर्धन: घटकों को आयात करने और उन्हें भारत में संयोजित करने से उत्पन्न मूल्य योजना के तहत भारत में विनिर्माण द्वारा जोड़े गए मूल्य से अलग नहीं है। इसके परिणामस्वरूप घरेलू उद्योग में कम मूल्यवर्धन एवं नवाचार की प्राप्ति की जा सकती है।
- कम मूल्य वाली वस्तुओं का उत्पादन: कम मूल्य वाली वस्तुओं का उत्पादन उच्च मूल्य वाली वस्तुओं की तुलना में अधिक प्रचलित है। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ मुख्य रूप से उच्च मूल्य वाली वस्तुओं से जुड़े लेन-देन में संलग्न हैं।
- अनुसंधान और विकास: निर्यातोन्मुखी नीतियों के निर्माण में अनुसंधान एवं विकास पर अपर्याप्त ध्यान दिया जाता है।
- कार्यान्वयन एवं समन्वय मुद्दे: इस योजना में कई मंत्रालय और विभाग शामिल हैं, जो योजना के कार्यान्वयन एवं निगरानी में भ्रम तथा असंगतता उत्पन्न कर सकते हैं।
आगे की राह
- बाज़ार प्रभाव आकलन: संभावित विकृतियों की पहचान करने के लिये बाज़ार प्रभाव का गहन मूल्यांकन करना। अस्वास्थ्यकर मूल्य निर्धारण युद्धों को रोकने के लिये नियम या सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करना।
- दस्तावेज़ीकरण: प्रशासनिक बोझ को कम करने के लिये दस्तावेज़ीकरण आवश्यकताओं को सुव्यवस्थित करना।
- प्रशासनिक बोझ को कम करने के लिये दस्तावेज़ीकरण आवश्यकताओं को सरल बनाना।
- मूल्य संवर्धन एवं नवप्रवर्तन: ऐसे मानदंड प्रस्तुत करना जो उच्च-मूल्यवर्धन एवं नवाचार को प्रोत्साहित करना।
- हितधारकों के साथ जुड़ें: प्रदूषण, भूमि अधिग्रहण एवं श्रम अधिकारों से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिये उचित हितधारकों के साथ जुड़ाव।
- सतत् एवं सुसंगत नीति प्रवर्तन सुनिश्चित करने के लिये अंतर-मंत्रालयी सहयोग को बढ़ावा देना।
- अनुसंधान एवं विकास: अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने वाली कंपनियों के लिये अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रस्तुत करना। नवाचार को बढ़ाने के लिये उद्योग एवं अनुसंधान संस्थानों के बीच साझेदारी को सुविधाजनक बनाना।
- कोष की स्थापना: नवोन्मेषी परियोजनाओं एवं प्रौद्योगिकियों का समर्थन करने के लिये एक समर्पित कोष स्थापित करना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023) कथन-I वस्तुओं के वैश्विक निर्यात में भारत का निर्यात 3.2% है। कथन-II भारत में कार्यरत अनेक स्थानीय कंपनियों एवं भारत में कार्यरत कुछ विदेशी कंपनियों ने भारत की ‘उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव)’ योजना का लाभ उठाया है। उपर्युक्त कथनों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है? (a) कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या है। उत्तर: (d) व्याख्या:
मेन्स:प्रश्न. हाल ही के कुछ वर्षों में भारत व जापान के मध्य आर्थिक संबंधों में विकास हुआ है पर अभी भी वह संभाविता से बहुत कम है। उन नीतिगत दबावों (व्यवरोधों) को स्पष्ट कीजिये जिनके कारण यह विकास अवरुद्ध है। (2013) प्रश्न. श्रम-प्रधान निर्यातों के लक्ष्य को प्राप्त करने में विनिर्माण क्षेत्रक की विफलता के कारण बताइए। पूंजी-प्रधान निर्यात के अपेक्षा अधिक श्रम-प्रधान निर्यात के लिये, उपायों को सुझाइए? (2017) प्रश्न. हाल के समय में भारत में आर्थिक संवृद्धि की प्रकृति का वर्णन अक्सर नौकरीहीन संवृद्धि के तौर पर किया जाता है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में अपने तर्क प्रस्तुत कीजिये। (2015) |