विदेश मंत्री की यूएस यात्रा | 01 Jun 2021

प्रिलिम्स के लिये 

लीडर्स समिट ऑन क्लाइमेट (Leaders' Summit on Climate),  बौद्धिक संपदा अधिकार, इंडो-पैसिफिक, ‘ग्लोबल टास्क फोर्स', क्वाड (QUAD), मालाबार अभ्यास

मेन्स के लिये 

भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों की भूमिका, भारत-अमेरिका संबंधों की वर्तमान स्थिति एवं संभावनाएँ (व्यापार, रक्षा, भारतीय प्रवासियों का योगदान), कोविड महामारी में भारत को अमेरिकी सहयोग

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के विदेश मंत्री (EAM) के अमेरिका दौरे के दौरान उन्होंने अमेरिकी सांसदों (American Lawmakers), राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, रक्षा सचिव, संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।

  • इससे पूर्व कोविड -19 महामारी के लिये टीकों की आपूर्ति शृंखला के सुचारु क्रियान्वयन तथा महामारी से संबंधित अन्य मुद्दों को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति के मध्य  टेलीफोन पर बातचीत हुई।
  • भारत ने ‘लीडर्स समिट ऑन क्लाइमेट’ (Leaders' Summit on Climate) में भी भाग लिया जो कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा आयोजित किया गया था।

प्रमुख बिंदु :

प्रमुख चर्चाएँ:

  • क्षेत्रीय (इंडो-पैसिफिक) या वैश्विक मुद्दे, अफगानिस्तान और भारत-अमेरिका  के रणनीतिक और रक्षा साझेदारी को और विकसित करने पर।
  • वैक्सीन सहयोग, समकालीन सुरक्षा चुनौतियाँ, कुशल और मज़बूत आपूर्ति शृंखला के लिये समर्थन आदि।
  • यूएस-इंडिया बिज़नेस काउंसिल (USIBC) की बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि कैसे निजी क्षेत्र, 40 कंपनियों के एक संघ के माध्यम से कार्यरत है, जिसे महामारी प्रतिक्रिया के लिये ‘ग्लोबल टास्क फोर्स' कहा जाता है, जो भारत के स्वास्थ्य अवसंरचना और राहत कार्यों को जारी रखने के लिये अन्य तरीकों का समर्थन कर सकता है।
    • वर्ष 1 975 में USBIC का गठन किया गया था। इसकी स्थापना भारत और अमेरिका दोनों के निजी क्षेत्रों में निवेश प्रवाह बढ़ाने और प्रोत्साहित करने के लिये एक व्यावसायिक सलाहकार संगठन के रूप में की गई थी।

भारत का रूख:

  • कोविड -19 की विनाशकारी लहर से मुकाबला करने हेतु भारत की सहायता के लिये  अमेरिका समर्थित प्रयासों में अमेरिकी सेना ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 
  •  रणनीतिक साझेदारी की अवसंरचना में व्यापार, प्रौद्योगिकी और व्यापार सहयोग मुख्य रूप से शामिल हैं,  जिन्हें कोविड पश्चात् आर्थिक सुधार के लिये और बढ़ाया जाना चाहिये।
  • भारत ने बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) के मुद्दे, कुशल और मज़बूत आपूर्ति-शृंखला संबंधी समर्थन पर अमेरिका के सकारात्मक रुख का स्वागत किया।

अमेरिका का रूख:

आपसी सहयोग:

  •  लोगों के बीच आपसी संबंध और साझा मूल्य अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी की नींव हैं जो महामारी को समाप्त करने में मदद करते हैं, हम स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक का समर्थन करते हैं तथा जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक नेतृत्व प्रदान करते हैं।
  • सहयोग का स्वागत किया गया जिसके परिणामस्वरूप अमेरिका से भारत को राहत सामग्री (राज्य, संघीय और निजी क्षेत्र के स्रोतों) के रूप में 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता प्रदान की गई।

भारत-अमेरिका संबंधों की वर्तमान स्थिति:

रक्षा:

  • भारत और अमेरिका ने पिछले कुछ वर्षों में महत्त्वपूर्ण रक्षा समझौते किये और क्वाड (QUAD) के चार देशों के गठबंधन को भी औपचारिक रूप दिया।
    • इस गठबंधन को हिंद-प्रशांत में चीन के लिये एक महत्त्वपूर्ण प्रतिकार के रूप में देखा जा रहा है।
  • नवंबर 2020 में मालाबार अभ्यास ने भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों में एक उच्च बिंदु को प्रदर्शित किया, यह 13 वर्षों में पहली बार था कि क्वाड के सभी चार देश एक साथ चीन को प्राथमिकी(FIR) का संदेश भेज रहे थे।
  • भारत के पास अब अफ्रीका में जिबूती (Djibouti in Africa) से लेकर प्रशांत महासागर में गुवाम (Guam) तक अमेरिकी ठिकानों तक पहुंँच है। यह अमेरिकी रक्षा उपकरणों में उपयोग की जाने वाली उन्नत संचार तकनीक तक भी पहुँच सकता है।

व्यापार:

  • पिछली अमेरिकी सरकार ने भारत के विशेष व्यापार का दर्जा समाप्त कर दिया और कई प्रतिबंध भी लगाए, जिसकी जवाबी कार्रवाई के रूप में भारत ने भी 28 अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया।
  • वर्तमान अमेरिकी सरकार ने पिछली सरकार द्वारा लगाए गए सभी प्रतिबंधों को समाप्त करने की अनुमति दी है।

भारतीय प्रवासी (Diaspora):

  • अमेरिका में सभी क्षेत्रों में भारतीय डायस्पोरा की संख्या या उपस्थिति में वृद्धि हो रही है। उदाहरणस्वरूप अमेरिका की वर्तमान उप-राष्ट्रपति (कमला हैरिस) का भारत से गहरा संबंध है।
  • वर्तमान अमेरिकी प्रशासन में भारतीय मूल के अनेक लोग मज़बूत नेतृत्व पदों पर नियुक्त हैं।

कोविड-सहयोग:

  • जब पिछले वर्ष अमेरिका कोविड जैसी घातक महामारी का सामना कर रहा था, तो भारत ने महत्त्वपूर्ण चिकित्सा आपूर्ति की और देश की मदद के लिये निर्यात प्रतिबंधों में ढिलाई दी।
  • शुरुआती समय में अमेरिका ने भारत को आवश्यकता पड़ने पर मदद करने में झिझक दिखाई, लेकिन अमेरिका ने जल्दी ही अपना रुख बदलकर भारत को राहत आपूर्ति पहुँचा दी।

आगे की राह 

  • विशेष रूप से दोनों देशों में चीन विरोधी भावना का विस्तार होने के परिणामस्वरूप देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलने की बड़ी संभावना व्यक्त की जा रही है।
  • इस प्रकार वार्ता को विभिन्न गैर-टैरिफ बाधाओं के समाधान और अन्य बाज़ार तक पहुँच स्थापित करने वाले सुधारों पर जल्द-से-जल्द ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
  • समुद्री क्षेत्र में चीन का सामना करने के लिये  भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और अन्य भागीदारों के साथ मज़बूत संबंध बनाए रखने की आवश्यकता है, ताकि नेविगेशन की स्वतंत्रता और नियम-आधारित व्यवस्था को बनाए रखा जा सके।
  • अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में न कोई स्थायी मित्र होता है और न ही कोई स्थायी शत्रु, इसमें केवल स्थायी हित परिलक्षित होते हैं। ऐसे परिदृश्य में भारत को रणनीतिक हेजिंग या प्रतिरक्षा (Strategic Hedging) की अपनी विदेश नीति को जारी रखना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू