शासन व्यवस्था
CSS और राजकोषीय संघवाद
- 10 Feb 2025
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (CSS), राजकोषीय संघवाद, अनुच्छेद 282, अनुच्छेद 270 और 275, वित्त आयोग, विनियोग अधिनियम, भारत की संचित निधि, योजना आयोग, नीति आयोग, सातवीं अनुसूची, अंतर-राज्य परिषद। मेन्स के लिये:केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (CSS) और उनके कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे। |
स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
केंद्र ने पिछले हस्तांतरणों से 1.6 लाख करोड़ रुपए की अप्रयुक्त धनराशि पाए जाने के बाद, वर्ष 2025-26 के लिये राज्यों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) के लिये व्यय में 91,000 करोड़ रुपए (योजनाओं के लिये बजट अनुमान का 18%) की कटौती की है।
- कई राज्यों ने इस निर्णय को राजकोषीय संघवाद के विपरीत बताया है और अनुच्छेद 282 की व्यवहार्यता पर सवाल उठाए हैं।
अनुच्छेद 282 क्या है?
- परिचय: यह संघ और राज्यों दोनों को किसी भी सार्वजनिक उद्देश्य के लिये अनुदान देने की अनुमति देता है, भले ही वह उद्देश्य उनके विधायी क्षेत्राधिकार से बाहर हो।
- कर हस्तांतरण (अनुच्छेद 270 और 275) के विपरीत, अनुच्छेद 282 के तहत अनुदान विवेकाधीन है और वित्त आयोग (FC) की सिफारिशों से बाध्य नहीं है।
- प्रारंभ में अप्रत्याशित आकस्मिकताओं के लिये इसका उपयोग किया गया था, तथा बाद की केंद्र सरकारों ने इसका उपयोग CSS को लागू करने के लिये किया।
- अनुच्छेद 270 और 275 के अनुसार वित्त आयोग संघीय कर राजस्व में राज्यों का हिस्सा निर्धारित करेगा।
- न्यायिक दृष्टिकोण: भीम सिंह मामले, 2010 में, सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने FC सिफारिशों (अनुच्छेद 275) से परे भी, अनुच्छेद 282 के तहत विवेकाधीन अनुदान प्रदान करने की केंद्र की शक्ति को बरकरार रखा।
- संसद की विधायी क्षमता से परे विषयों के लिये भी अनुदान दिया जा सकता है, बशर्ते कि वे सार्वजनिक उद्देश्य की पूर्ति करते हों।
- राम जवाया कपूर मामले, 1955 का हवाला देते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि भारत की संचित निधि (CFI) से व्यय को अधिकृत करने वाले विनियोग अधिनियम, अनुच्छेद 282 के तहत अनुदान को कानूनी रूप से उचित ठहराते हैं।
CSS राजकोषीय संघवाद को कैसे चुनौती देता है?
- विवेकाधीन CSS वित्तपोषण: अनुच्छेद 282 के तहत संघ या राज्य किसी भी सार्वजनिक उद्देश्य के लिये धन दे सकते हैं, भले ही उनके पास इस पर विधायी अधिकार न हो।
- नीति आयोग 2015 (पूर्ववर्ती योजना आयोग की तरह , जो संवैधानिक दर्जा न होने के बावजूद अनुदानों का मार्गदर्शन करता था), CSS डिजाइन को प्रभावित करना जारी रखता है।
- राज्यों की राजकोषीय स्वायत्तता का क्षरण: CSS में निधि उपयोग की शर्तें सख्त हैं, जिससे राज्यों को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप उन्हें अपनाने में लचीलापन सीमित हो जाता है।
- उदाहरण के लिये, पोषण अभियान के अंतर्गत राज्य लक्ष्य समूहों या प्रमुख पोषण संकेतकों में परिवर्तन नहीं कर सकते।
- संसाधन-व्यय विषमता: 15वें वित्त आयोग (2021-26) में इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया कि केंद्र के पास 63% संसाधन हैं लेकिन इसके द्वारा 38% व्यय किया जाता है, जबकि राज्यों के पास शेष 37% है लेकिन वे 62% व्यय वहन करते हैं।
- इससे राज्यों की CSS निधियों पर निर्भरता बढ़ जाती है तथा राज्य-विशिष्ट पहलें सीमित हो जाती हैं।
- प्राथमिकता संबंधी मुद्दे: CSS निधियों के लिये राज्यों को समतुल्य अनुदान उपलब्ध कराने की आवश्यकता होती है, जिससे इनके सनसाधनों का राज्य-प्राथमिकता वाले क्षेत्रों से इतर अन्य क्षेत्रों में व्यव हो जाता है।
- सहकारी संघवाद के लिये खतरा: संविधान सभा बहस के दौरान, डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने संघ और राज्यों के बीच समान भागीदारी पर ज़ोर दिया था लेकिन विवेकाधीन CSS अनुदान पर अत्यधिक निर्भरता से सहकारी संघवाद का संवैधानिक अभिप्राय प्रभावित होता है।
- उदाहरण के लिये, CSS दिशा-निर्देशों में केंद्रीय नेतृत्व को उजागर करने और केंद्रीय नियंत्रण को मज़बूत करने के लिये “ब्रांडिंग” को अनिवार्य किया गया हैं।
- संघ की नीतियों का विस्तार: राज्यों को नियंत्रित करने के लिये राजनीतिक साधन के रूप में CSS का उपयोग बढ़ता जा रहा है ।
- उदाहरण के लिये, वित्त मंत्रालय के वर्ष 2022 के दिशा-निर्देशों में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में विनिवेश के इच्छुक राज्यों के लिये 50,000 करोड़ रुपए का ब्याज मुक्त ऋण शामिल था, जिसका कई राज्यों ने विरोध किया था।
- CSS फंडिंग का प्रसार: CSS फंड रिलीज़ वर्ष 2014-15 में कुल अंतरण के 7.5% से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 47% हो गया, जिससे वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित हस्तांतरण में कमी आई।
- संविधान की सातवीं अनुसूची के विपरीत, कई CSS का कार्यक्षेत्र राज्य सूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में विस्तारित है, जिससे राज्य के अधिकार क्षेत्र में केंद्र का अतिक्रमण होता है।
केन्द्र प्रायोजित योजनाएँ (CSS) क्या हैं?
- परिचय: CSS को केंद्र और राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित किया जाता है, राज्यों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है और इसके तहत संविधान की राज्य और समवर्ती सूचियों के अंतर्गत क्षेत्रों को कवर किया जाता है।
- चूँकि केंद्र सरकार के पास अधिक वित्तीय संसाधन हैं इसलिये इन योजनाओं से राज्य सरकारों के प्रयासों को अतिरिक्त सहायता मिलती है।
- राज्यों को केंद्रीय सहायता योजनाओं के लिये सभी अंतरण राज्य की समेकित निधि के माध्यम से किये जाते हैं।
- प्रकार: CSS को तीन मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया गया है :
- कोर ऑफ द कोर स्कीम: ये योजनाएँ सामाजिक समावेशन और संरक्षण के लिये सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिये, मनरेगा।
- कोर स्कीम: ये योजनाएँ कृषि, बुनियादी ढाँचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास जैसे विभिन्न विकासात्मक क्षेत्रों पर केंद्रित हैं।
- उदाहरणार्थ, मध्यान्ह भोजन योजना (स्कूल पोषण कार्यक्रम), प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (ग्रामीण सड़कें) आदि।
- ऑप्शनल स्कीम: इसके अंतर्गत राज्य अपनी इच्छानुसार योजनाओं का चयन कर सकते हैं।
- उदाहरण: सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम आदि।
- वित्तपोषण स्वरूप: केंद्र अपने बजट का लगभग 12% CSS को आवंटित करता है, जिसमें विभिन्न केंद्र-राज्य अनुपातों में वित्तपोषण साझा किया जाता है:
- 60:40 (अधिकांश योजनाएँ)
- 80:20 (विशेष योजनाएँ)
- 90:10 (पूर्वोत्तर एवं विशेष श्रेणी राज्यों के लिये)
- केंद्र प्रायोजित और केंद्रीय क्षेत्रक योजनाओं के बीच अंतर:
विशेषता |
केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (CSS) |
केंद्रीय क्षेत्रक योजनाएँ |
कार्यान्वयन |
राज्य सरकारों द्वारा |
केंद्र सरकार द्वारा |
वित्तपोषण स्रोत |
साझा वित्तपोषण (केंद्र एवं राज्य) |
केंद्र द्वारा पूर्णतः वित्तपोषित |
उदाहरण |
MGNREGA, PMAY, स्वच्छ भारत मिशन |
आगे की राह
- अनुच्छेद 282 पर न्यायिक स्पष्टता: सर्वोच्च न्यायालय को यह मूल्यांकन करना चाहिये कि क्या CSS से संघीय संतुलन पर प्रभाव पड़ता है तथा उन विशेष परिस्थितियों को स्थापित करना चाहिये जिनके अंतर्गत विवेकाधीन अनुदानों का उपयोग किया जा सकता है।
- CSS का युक्तिकरण: समान CSS को प्रभावी अम्ब्रेला योजनाओं में विलय करने के साथ अप्रभावी योजनाओं को समाप्त करने के क्रम में नियमित प्रभाव आकलन करना चाहिये।
- वित्तपोषण तंत्र की समीक्षा: राज्यों के वित्तीय बोझ को कम करने के क्रम में निधि-साझाकरण पैटर्न को संशोधित (विशेष रूप से सामान्य श्रेणी के राज्यों के लिये) करना चाहिये और पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि (BRGF) बंद होने के बाद पिछड़े क्षेत्रों के लिये समर्थन को बहाल करना चाहिये।
- सहकारी संघवाद को मज़बूत करना: अंतर-राज्य परिषद और नीति आयोग के माध्यम से नियमित केंद्र-राज्य परामर्श पर ध्यान देना चाहिये तथा राज्यों को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार CSS को अनुकूलित करने में अधिक लचीलापन प्रदान करना चाहिये।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत में राजकोषीय संघवाद पर केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) के प्रभाव की चर्चा कीजिये। अनुच्छेद 282 के तहत विवेकाधीन अनुदान, राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को किस प्रकार प्रभावित करते हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न: स्मार्ट इंडिया हैकथॉन, 2017 के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 3 उत्तर: B मेन्सप्रश्न: भारत के 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों ने राज्यों को अपनी राजकोषीय स्थिति में सुधार करने में किस प्रकार सक्षम बनाया है? (2021) प्रश्न: हाल के वर्षों में सहकारी परिसंघवाद की संकल्पना पर अधिकाधिक बल दिया जाता रहा है। विद्यमान संरचना में मौजूद असुविधाओं के बारे में बताते हुए सहकारी परिसंघवाद किस सीमा तक इन असुविधाओं का हल निकाल लेगा, इस पर प्रकाश डालें। (2015) |