हिंद महासागर में चीन का नया समुद्री-सड़क-रेल लिंक | 01 Sep 2021
प्रिलिम्स के लियेबेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, ग्वादर पोर्ट मेन्स के लियेचीन द्वारा विकसित कॉरिडोर का महत्त्व और भारत के लिये इसके निहितार्थ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चीन के ‘चेंगदू’ शहर को ‘यांगून’ (म्याँमार) के माध्यम से हिंद महासागर तक पहुँच प्रदान करने वाला एक नया समुद्री-सड़क-रेल लिंक शुरू किया गया है।
- यह पश्चिमी चीन को हिंद महासागर से जोड़ने वाला पहला ‘ट्रेड कॉरिडोर’ है।
प्रमुख बिंदु
- नए ‘ट्रेड कॉरिडोर’ के विषय में
- यह नया व्यापार गलियारा मार्ग सिंगापुर, म्याँमार और चीन की लॉजिस्टिक लाइनों को जोड़ता है तथा वर्तमान में हिंद महासागर को दक्षिण-पश्चिम चीन से जोड़ने वाला सबसे सुविधाजनक भूमि और समुद्री चैनल है।
- चीन की योजना म्याँमार के ‘रखाइन प्रांत’ के ‘क्युकफ्यू’ में एक और बंदरगाह विकसित करने की भी है, जिसमें युन्नान (चीन) से सीधे बंदरगाह तक प्रस्तावित रेलवे लाइन शामिल है, लेकिन म्याँमार में सैन्य शासन और अशांति के कारण इसकी प्रगति रुकी हुई है।
- चीन ने ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के तहत म्याँमार में इस क्षेत्र को 'सीमा आर्थिक सहयोग क्षेत्र' के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है।
- इस तरह यह क्षेत्र जहाँ एक ओर म्याँमार की आय का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत होगा, वहीं चीन के लिये अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने में भी महत्त्वपूर्ण होगा।
- यह व्यापार गलियारा हिंद महासागर के लिये एक और प्रत्यक्ष चीनी आउटलेट है।
- पहला पाकिस्तान के ‘ग्वादर बंदरगाह’ पर है।
- यह व्यापार मार्ग ‘मलक्का डाइलेमा’ के लिये भी चीन का विकल्प है।
- ‘मलक्का डाइलेमा’ वर्ष 2003 में तत्कालीन चीनी राष्ट्रपति ‘हू जिंताओ’ द्वारा गढ़ा गया एक शब्द है।
- यह चीन के ‘मलक्का जलडमरूमध्य’ में समुद्री ब्लाकेड के डर को दर्शाता है। चूँकि चीन का अधिकांश तेल आयात ‘मलक्का जलडमरूमध्य’ द्वारा होता है, इसलिये यहाँ एक समुद्री ब्लाकेड चीन की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचा सकता है।
- ग्वादर पत्तन के बारे:
- ग्वादर को सुदूर पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र में CPEC के हिस्से के रूप में विकसित किया जा रहा है।
- ग्वादर को लंबे समय से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (People's Liberation Army Navy-PLAN) के संचालन हेतु उपयुक्त चीनी बेस के लिये स्थल के रूप में जाना जाता है।
- चीन एक "रणनीतिक मज़बूत बिंदु" अवधारणा का अनुसरण करता है जिसके तहत चीनी फर्मों द्वारा संचालित टर्मिनलों और वाणिज्यिक क्षेत्रों वाले रणनीतिक रूप से स्थित विदेशी बंदरगाहों का उपयोग इसकी सेना द्वारा किया जा सकता है।
- इस तरह के "मज़बूत बिंदु" चीन के लिये हिंद महासागर की परिधि के साथ आपूर्ति, रसद और खुफिया केंद्रों का एक नेटवर्क बनाने की क्षमता प्रदान करते हैं।
- इसे स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स सिद्धांत के रूप में जाना जाता है।
- ग्वादर चीन के लिये तीन कारणों से महत्त्वपूर्ण है:
- पहला CPEC के ज़रिये हिंद महासागर क्षेत्र में सीधा परिवहन संपर्क स्थापित करना है।
- दूसरा कारक यह है कि ग्वादर पश्चिमी चीन को स्थिर करने में मदद करता है, एक ऐसा क्षेत्र जहाँ चीन इस्लामी आंदोलन के प्रति संवेदनशील महसूस करता है।
- इसके अलावा ग्वादर महत्त्वपूर्ण होर्मुज़ जलडमरूमध्य (फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ने वाले) से सिर्फ 400 किमी. दूर है, जिसके माध्यम से चीन द्वारा 40% तेल का आयात किया जाता है।
- भारत के लिये निहितार्थ:
- बंगाल की खाड़ी में चीन का आर्थिक दाँव और यह नया व्यापार गलियारा इस क्षेत्र में एक बड़ी समुद्री उपस्थिति तथा नौसैनिक जुड़ाव का प्रतीक है, जो बदले में चीन की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स को मज़बूती प्रदान करता है।
- इस व्यापार गलियारे और चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के अलावा चीन, चीन-नेपाल आर्थिक गलियारे (CNEC) की भी योजना बना रहा है जो तिब्बत को नेपाल से जोड़ेगा।
- परियोजना के समापन बिंदु गंगा के मैदान की सीमाओं को स्पर्श करेंगे।
- इस प्रकार तीन गलियारे भारतीय उपमहाद्वीप में चीन के आर्थिक और साथ ही रणनीतिक उदय को दर्शाते हैं।
- भारत द्वारा चीन को प्रतिसंतुलित करने हेतु उठाए गए कदम: