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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में परिवर्तित होते खाद्य उपभोग स्वरुप

  • 12 Sep 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये :

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM), न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (e-NAM) प्लेटफाॅर्म, राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण मिशन, कृषि उत्पादों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), राष्ट्रीय बागवानी मिशन

मेन्स के लिये :

भारत में विभिन्न सामाजिक-आर्थिक वर्गों में खाद्य उपभोग स्वरूप में परिवर्तन का सरकारी कल्याण नीतियों पर प्रभाव।

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) द्वारा प्रकाशित एक कार्य-पत्र में कहा गया है कि वर्ष 1947 के बाद पहली बार भारत में खाद्य पर औसत घरेलू व्यय आधे से भी कम रह गया है।

  • 'भारत के खाद्य उपभोग में परिवर्तन एवं नीतिगत निहितार्थ: घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 और 2011-12 का व्यापक विश्लेषण' शीर्षक वाले इस कार्य-पत्र में भारत के खाद्य उपभोग पैटर्न में हो रहे परिवर्तनों का विश्लेषण किया गया है।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) 

  • यह एक गैर-संवैधानिक, गैर-वैधानिक, स्वतंत्र निकाय है, जिसका गठन भारत सरकार, विशेष रूप से प्रधानमंत्री को आर्थिक मुद्दों पर सलाह देने के लिये किया गया है।
  • यह परिषद तटस्थ दृष्टिकोण से भारत सरकार के समक्ष प्रमुख आर्थिक मुद्दों को उजागर करने का कार्य करती है।
  • प्रशासनिक, संभार-तंत्र, योजना और बजटीय उद्देश्यों के लिये नीति आयोग EAC-PM के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
  • आवधिक रिपोर्ट:
    • वार्षिक आर्थिक परिदृश्य
    • अर्थव्यवस्था की समीक्षा

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में भोजन पर कुल घरेलू व्यय का हिस्सा काफी स्तर तक कम हो गया है।
    • यह पहली बार है कि आधुनिक भारत में औसत परिवार अपने कुल मासिक बजट का आधे से भी कम हिस्सा भोजन पर खर्च करता है।
  • ग्रामीण तथा शहरी दोनों क्षेत्रों में अनाज पर व्यय का हिस्सा काफी कम हो गया है और यह कमी अत्यधिक  गरीब परिवारों जो देश की जनसंख्या का 20% हिस्सा है, के बीच सबसे अधिक देखी गई है।
    • अनाज पर खर्च में तीव्र गिरावट ने परिवारों को अपने आहार में विविधता लाने में सक्षम बनाया है, जिसके परिणामस्वरूप दूध, फल, अंडे, मछली और माँस पर अधिक खर्च हुआ है।
  • आहार विविधता में वृद्धि (विशेष रूप से सबसे गरीब 20% परिवारों  के बीच) यह दर्शाती है कि बेहतर बुनियादी ढाँचे, परिवहन और भंडारण ने ताजे फल, अंडे, मछली, माँस एवं डेयरी को अधिक सुलभ व किफायती बना दिया है। यह पिछले दशक में देश में समावेशी विकास का एक सकारात्मक संकेत है।
  • लौह और जस्ता जैसे सूक्ष्म पोषक तत्त्वों का औसत दैनिक सेवन वर्ष 2011-12 से वर्ष 2022-23 तक कम हो गया है, विशेष रूप से अनाज से।
    • हालाँकि, विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों तक बेहतर पहुँच के कारण, विशेष रूप से सबसे गरीब 20% लोगों के बीच आहार विविधता में सुधार देखा गया है। 
  • यह प्रवृत्ति संभवतः भारत सरकार की प्रभावी खाद्य सुरक्षा नीतियों को प्रतिबिंबित करती है, जो लाखों लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराती है, विशेष रूप से सबसे कमज़ोर आबादी को लक्ष्य करके। 

परिवर्तित होते खाद्य उपभोग पैटर्न विभिन्न नीतियों के लिये क्या निहितार्थ रखते हैं?

  • कृषि नीति और खाद्य सुरक्षा के लिये निहितार्थ: आहार में अनाज के स्थान पर फलों, डेयरी, अंडो, मछली और माँस को शामिल किया जा रहा है जो कृषि नीति में परिवर्तन की आवश्यकता को चिह्नित करता है जिसमें इन खाद्य पदार्थों के लिये समर्थन भी शामिल हो। 
    • यह परिवर्तन भविष्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसे मूल्य समर्थन तंत्र की आवश्यकता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है, जो मुख्य रूप से अनाजों पर केंद्रित होता है।
  • कल्याणकारी नीतियों पर प्रभाव: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) जैसे कल्याणकारी कार्यक्रम, जो मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करते हैं, ने राजकोषीय प्रोत्साहन के रूप में कार्य किया है। 
    • अनाज की लागत कम करके, इन कार्यक्रमों ने परिवारों, विशेष रूप से निचले 50% लोगों को, विविध आहार पर अधिक खर्च करने की अनुमति दी है, जिससे आहार विविधता में सुधार हुआ है।
  • पोषण एवं सूक्ष्मपोषक नीति: निष्कर्ष पोषण नीति में आहार विविधता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देते हैं। 
    • हालाँकि आयरन की मात्रा बढ़ाने के लिये अनाज का सेवन बढ़ाने से एनीमिया से निपटने में सीमित सफलता मिली है, लेकिन विविधतापूर्ण आहार पर ध्यान केंद्रित करना अधिक प्रभावी हो सकता है। इसमें बेहतर उपभोक्ता शिक्षा और विविध खाद्य पदार्थों तक बेहतर पहुँच शामिल है।
  • लक्षित पोषण हस्तक्षेप: विभिन्न आय समूहों और राज्यों में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के सेवन तथा आहार विविधता में बड़े अंतर लक्षित हस्तक्षेप की आवश्यकता को उजागर करते हैं। 
    • यहाँ तक ​​कि अधिक आय वाले व्यक्तियों में भी, आयरन की कमी और आहार विविधता है, जिससे उनमें एनीमिया का जोखिम बढ़ जाता है। बेहतर परिणामों के लिये पोषण कार्यक्रमों को इन समूहों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अनुकूलित करने की आवश्यकता है।

खाद्यान्न व्यय पैटर्न में परिवर्तन से राष्ट्र की स्वास्थ्य और पोषण रणनीतियों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

  • पोषण संतुलन और स्वास्थ्य परिणाम:
    • आहार में विविधता बढ़ने से समग्र पोषण संतुलन में सुधार होने की संभावना है, जिससे सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी दूर होगी तथा बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त होंगे।
  • नीति समायोजन:
    • व्यय पैटर्न में परिवर्तन के कारण कृषि और खाद्य सुरक्षा नीतियों का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक हो गया है। नीति निर्माताओं को नई मांग को पूरा करने तथा खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये विविध खाद्य पदार्थों के उत्पादन और आपूर्ति शृंखलाओं का समर्थन करने की आवश्यकता हो सकती है।
  • आहार विविधता पर ध्यान दें:
    • यह परिवर्तन  स्वास्थ्य और पोषण रणनीतियों के एक भाग के रूप में आहार विविधता को बढ़ावा देने के महत्त्व को उजागर करता है। 
      • बेहतर भंडारण और परिवहन जैसे बुनियादी ढाँचे में सुधार जारी रखने की आवश्यकता है तथा विभिन्न प्रकार के पौष्टिक खाद्य पदार्थों तक पहुँच को सुविधाजनक बनाना जारी रखना होगा।
      • सरकारी एजेंसियों को बदलते खाद्य उपभोग पैटर्न को प्रतिबिंबित करने के लिये आहार संबंधी दिशा-निर्देशों को अद्यतन करना चाहिये तथा आहार विविधता के महत्त्व पर ज़ोर देना चाहिये। 

सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न खाद्य सुरक्षा नीतियाँ क्या हैं?

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: खाद्य व्यय पैटर्न में परिवर्तन देश की स्वास्थ्य और पोषण रणनीतियों के निर्माण तथा प्रभावशीलता को कैसे प्रभावित कर सकता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. जलवायु-अनुकूलन कृषि (क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर) के लिये, भारत की तैयारी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021) 

  1. भारत में 'क्लाइमेट-स्मार्ट विलेज' दृष्टिकोण जलवायु परिवर्तन, कृषि और खाद्य सुरक्षा (CCAFS) के नेतृत्त्व वाली परियोजना का एक भाग है, जो एक अंतर्राष्ट्रीय शोध कार्यक्रम है। 
  2.  CCAFS की परियोजना फ्राँस में मुख्यालय वाले अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान (CGIAR) पर सलाहकार समूह के अंतर्गत की जाती है।
  3.  भारत में अर्द्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय के लिये अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) CGIAR के अनुसंधान केंद्रों में से एक है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत किये गए प्रावधानों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. केवल 'गरीबी रेखा से नीचे (BPL) की श्रेणी में आने वाले परिवार ही सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र हैं। 
  2.  परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किये जाने के प्रयोजन से परिवार की मुखिया होगी।
  3.  गर्भवती महिलाएँ एवं दुग्ध पिलाने वाली माताएँ गर्भावस्था के दौरान और उसके छह महीने बाद तक प्रतिदिन 1600 कैलोरी वाला राशन घर ले जाने की हकदार हैं। 

उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 और 2   
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3   
(d) केवल 3  

उत्तर: (b) 


मुख्य:

प्रश्न. खाद्यान्न वितरण प्रणाली को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिये सरकार द्वारा कौन-से सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं?  (2019)

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