वृद्ध होती जनसंख्या से संबंधित चुनौतियाँ | 23 Jan 2025

प्रिलिम्स के लिये:

सर्वोच्च न्यायालय, अनुच्छेद 21, जननक्षमता, जीवन प्रत्याशा, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC), आयु पिरामिड, राष्ट्रीय वृद्धजन नीति (NPOP), मैड्रिड इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन ऑन एजिंग (2002), डिकेड ऑफ हेल्दी एजिंग (2021-2030), SDG-3, पेंशन, जनसांख्यिकी संक्रमण, टेलीमेडिसिन, PM-JAY 

मेन्स के लिये:

भारत में वृद्ध होती जनसंख्या की स्थिति, वृद्ध होती जनसंख्या से संबंधित चुनौतियाँ और आगे की राह

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वृद्धजनों के लिये एक समर्पित मंत्रालय की स्थापना की मांग वाली रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

नोट: माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 के अनुसार वरिष्ठ नागरिक/वृद्धजन से तात्पर्य ऐसे किसी भी व्यक्ति से है जिसकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक हो गई है।

भारत में वृद्धजनों की स्थिति क्या है? 

  • वर्तमान रुझान: भारत में वृद्धजन वर्ग (60+) वर्ष 2022 में 10.5% था जिसके वर्ष 2050 तक बढ़कर 20.8% और वर्ष 2100 तक 36% से अधिक हो जाने का अनुमान है।
    • वर्ष 2046 तक भारत में वृद्धजनों की संख्या बच्चों (0-14) से अधिक हो जाएगी और वर्ष 2050 तक कार्यशील वर्ग (15 से 59 आयु वर्ग) की जनसंख्या में गिरावट आएगी।
  • कालप्रभावन की गति: वर्ष 2010 से वर्ष 2020 की अवधि में, भारत की वृद्धजन संख्या 15 वर्षों की दर से दोगुनी हो गई, जबकि दक्षिण और पूर्वी एशिया में वृद्धजनों की संख्या दोगुना होने की अवधि 16 वर्ष थी।
    • वृद्धजन वर्ग की दशकीय वृद्धि दर 31% (1981-1991) से बढ़कर 41 % (2021-2031) हो गई, जो त्वरित उम्र बढ़ने का संकेत है।

Decadal_Growth_of_Elderly_Population

  • कालप्रभावन सूचकांक: दक्षिणी भारत के जिन राज्यों में वृद्धजनों की संख्या अधिक है, वहाँ कालप्रभावन सूचकांक (Ageing Index) अधिक है, जो जननक्षमता में कमी तथा बच्चों की तुलना में वृद्ध व्यक्तियों की अधिकता को दर्शाता है।
    • प्रति 100 बच्चों (15 वर्ष से कम) पर वृद्धजनों (60+ वर्ष) की संख्या को मापने वाला कालप्रभावन सूचकांक 2021 में भारत में 39 था।
  • वृद्धावस्था निर्भरता अनुपात: वर्ष 2021 में, भारत में प्रति 100 कार्यशील आयु वाले व्यक्तियों पर वृद्धजनों की संख्या 16 थी, जिनमें दक्षिणी भारत में यह अनुपात 20, पश्चिमी भारत में 17 और केंद्रशासित प्रदेशों और पूर्वोत्तर भारत में लगभग 13 था।
    • वृद्धावस्था निर्भरता अनुपात प्रति 100 कार्यशील आयु वाले व्यक्तियों (15 से 59 वर्ष) पर वृद्धजनों (60+ वर्ष) की संख्या को दर्शाता है।
  • 60 वर्ष की आयु में जीवन प्रत्याशा: भारत में 60 वर्ष की आयु में औसत जीवन प्रत्याशा 18.3 वर्ष है, जिसमें महिलाओं की प्रत्याशा पुरुषों की अपेक्षा अधिक है (महिलाओं के लिये 19 वर्ष, पुरुषों के लिये 17.5 वर्ष)। 
  • राज्य भिन्नताएँ: दक्षिणी राज्यों और हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे उत्तरी राज्यों में वर्ष 2021 में राष्ट्रीय औसत (10.5%) की तुलना में वृद्धजनों की आबादी अधिक थी।
    • बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे उच्च प्रजनन दर वाले राज्यों में 2036 तक वृद्धजनों की आबादी में वृद्धि होने के अनुमान हैं।

Elderly_Population

  • क्षेत्रीय तुलना: वर्ष 2050 तक, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) देशों की वृद्ध आबादी का औसत 19.8% होगा।
    • सार्क में मालदीव (34.1%) और श्रीलंका (27%) में वृद्धों का अनुपात अधिक होगा, जबकि भारत का हिस्सा लगभग 20% रहेगा, हालाँकि संख्या महत्त्वपूर्ण (लगभग 34.7 करोड़) होगी।

वृद्ध होती जनसंख्या के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?

  • वृद्धावस्था का स्त्रीकरण: महिलाएँ पुरुषों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहती हैं, जिसके कारण अधिक वृद्ध महिलाएँ, विशेष रूप से विधवाएँ, अकेली रहती हैं और परिवार के सहयोग पर निर्भर रहती हैं, जिससे वे अधिक असुरक्षित हो जाती हैं।
  • वृद्धावस्था का ग्रामीणीकरण: भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, लगभग 71% वृद्ध आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। 
    • ग्रामीण क्षेत्रों की दूरस्थता के कारण स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुँच, आय की असुरक्षा और सामाजिक अलगाव की समस्या और भी गंभीर हो जाती है।
  • वृद्धों की आयु बढ़ना: वृद्धों की आयु बढ़ने का अर्थ है कि बुजुर्गों की बढ़ती संख्या 75 वर्ष से अधिक होगी, जिससे स्वास्थ्य देखभाल, देखभाल और सामाजिक कल्याण प्रणालियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा।
    • अविकसित रजत अर्थव्यवस्था सेवाओं की मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन को और बढ़ा देती है।
      • रजत अर्थव्यवस्था में वृद्ध आबादी (60+) के लिये बाज़ार के अवसर शामिल हैं, जो उनके जीवन की गुणवत्ता, स्वास्थ्य और वित्तीय कल्याण को बढ़ाने के लिये वस्तुओं, सेवाओं और नवाचारों पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • आर्थिक निर्भरता: केवल 11% वृद्ध पुरुषों को कार्य पेंशन मिलती है, जबकि 16.3% को सामाजिक पेंशन मिलती है। वृद्ध महिलाओं में से 27.4% को केवल सामाजिक पेंशन मिलती है, तथा केवल 1.7% को कार्य पेंशन मिलती है।
    • लगभग पाँचवे हिस्से के वृद्धों के पास कोई आय नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप वे वित्तीय असुरक्षा की स्थिति में हैं।
  • वृद्धावस्था देखभाल सुविधाओं का अभाव: 30% वृद्ध महिलाएँ और 28% वृद्ध पुरुष कम से कम एक दीर्घकालिक रुग्णता से पीड़ित हैं, जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, गठिया आदि, जिसके कारण उनकी दैनिक गतिविधियाँ करने की क्षमता प्रभावित होती है।
    • उम्र बढ़ने से स्वास्थ्य की स्थिति खराब होती है, स्वास्थ्य देखभाल की लागत बढ़ती है और देखभाल और चिकित्सा देखभाल के लिये परिवार या अनौपचारिक सहायता पर निर्भरता बढ़ती है।
  • रोज़गार संबंधी चुनौतियाँ: वरिष्ठ नागरिकों को रोज़गार संबंधी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे आयु संबंधी भेदभाव (कम तकनीक-कुशल या कम ऊर्जावान माना जाता है), पुराने कौशल, कठोर कार्य घंटे, कम वेतन आदि।
  • सामाजिक और पारिवारिक दुर्व्यवहार: वरिष्ठ नागरिकों को परिवार के सदस्यों या देखभाल करने वालों से मौखिक दुर्व्यवहार, अलगाव और शारीरिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है, जो प्रायः डर या सीमित गतिशीलता के कारण रिपोर्ट नहीं किया जाता है।

जनसांख्यिकीय संक्रमण क्या है? 

  • परिचय: जनसांख्यिकीय संक्रमण एक ऐसा मॉडल है जो जन्म और मृत्यु दर में परिवर्तन के साथ-साथ जनसंख्या की आयु संरचना में बदलाव को भी समझाता है, क्योंकि समाज आर्थिक और तकनीकी रूप से प्रगति करता है। 
  • चरण: इसमें आमतौर पर अनेक चरण शामिल होते हैं:
    • चरण 1: उच्च जन्म और मृत्यु दर के परिणामस्वरूप जनसंख्या स्थिर हो जाती है। 
    • चरण 2: स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता और खाद्य उत्पादन में सुधार के कारण मृत्यु दर में कमी आती है, जबकि जन्म दर उच्च बनी रहती है। इससे जनसंख्या में तीव्र वृद्धि होती है। 
    • चरण 3: जन्म दर में गिरने लगती है, जिससे जनसंख्या वृद्धि धीमी हो जाती है। कारकों में शहरीकरण, कम बाल मृत्यु दर, गर्भनिरोधक तक पहुँच और छोटे परिवारों के पक्ष में सामाजिक बदलाव शामिल हैं। 
    • चरण 4: जन्म और मृत्यु दर दोनों कम होती हैं, जिससे जनसंख्या स्थिर या वृद्ध होती है। यह चरण उच्च जीवन स्तर, उन्नत प्रौद्योगिकी और सामाजिक विकास को दर्शाता है। 

Demographic_Transition

भारत में प्रमुख वृद्ध देखभाल योजनाएँ क्या हैं?

नोट: भारत की प्रतिबद्धताएँ: भारत ने वर्ष 1999 में वृद्ध व्यक्तियों पर राष्ट्रीय नीति (NPOP) तैयार की और वह मैड्रिड अंतर्राष्ट्रीय वृद्धावस्था कार्य योजना (2002)  का हस्ताक्षरकर्त्ता है। 

  • संयुक्त राष्ट्र का स्वस्थ आयु दशक (2021-2030) अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण पर SDG-3 के साथ संरेखित है।

आगे की राह:

  • वृद्धजन स्वयं सहायता समूह: सामुदायिक सहभागिता, संसाधन साझाकरण और सामाजिक-आर्थिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिये वृद्धजनों के लिये स्वयं सहायता समूह स्थापित करना।
    • उदाहरण के लिये, वियतनाम अपने देश में वृद्धजनों के लिये राष्ट्रीय कार्य कार्यक्रम के माध्यम से स्वस्थ वृद्धावस्था को बढ़ावा दे रहा है।
  • बहु-पीढ़ीगत जीवन: वृद्धजनों के लिये बहु-पीढ़ीगत परिवारों (दादा-दादी, माता-पिता और बच्चों का एक साथ रहना) को बढ़ावा देने वाली नीतियों को भावनात्मक समर्थन, पारिवारिक संबंध और स्वायत्तता प्रदान करने के लिये प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
    • डेकेयर सेंटर जैसी अल्पकालिक देखभाल सुविधाओं के माध्यम से वृद्धजन व्यक्तियों को सहायता प्रदान करके, भोजन, स्वास्थ्य निगरानी और साथ प्रदान करके घर में वृद्धावस्था को बढ़ावा देना।
    • बहु-पीढ़ीगत सेतुओं का निर्माण ज्ञान, कौशल और अनुभवों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देकर समाज को समृद्ध बना सकता है, जिससे युवा पीढ़ी को तेज़ी से सक्षम बनाया जा सके।
  • डिजिटल समावेशन: वृद्धजन श्रमिकों के लिये डिजिटल साक्षरता और प्रौद्योगिकी दक्षता जैसे कौशल विकसित करने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करना, जिससे उन्हें डिजिटल अर्थव्यवस्था, ई-कॉमर्स और ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवा में शामिल होने में सक्षम बनाया जा सके।
  • स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना: वृद्धावस्था देखभाल में वृद्धि करके और वृद्ध-अनुकूल सुविधाओं का निर्माण करके वृद्धजनों के लिये गुणवत्तापूर्ण, सस्ती स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करना।
  • पेंशन योजनाओं का विस्तार करना: सभी वृद्धजनों को शामिल करने के लिये पेंशन योजनाओं का विस्तार और सार्वभौमिक कवरेज सुनिश्चित करना। उदाहरण के लिये, PM-JAY अब 70 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को कवर करता है।
  • नीतिगत सुधार: आर्थिक गतिविधियों में देखभाल कार्य को शामिल करने, वृद्धजनों के लिये एक अलग कार्यबल श्रेणी बनाने (सिल्वर डिविडेंड का दोहन करने के लिये), तथा  इन प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता है।
    • वृद्ध लोगों को अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने में मदद करने के लिये जापानी मॉडल अपनाना, जैसे कि स्मार्ट हेल्थकेयर गैजेट, गतिशीलता के लिये सहायक उपकरण और साथी रोबोट प्रदान करना।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत की तेज़ी से बढ़ती वृद्धजनों की आबादी के कारण उत्पन्न सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। इन चुनौतियों से निपटने के लिये क्या कदम उठाए जाने चाहिये?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

 प्रश्न. आर्थिक विकास से जुड़े जनांकिकीय संक्रमण के निम्नलिखित विशिष्ट चरणों पर विचार कीजिये:(2012)

  1. निम्न जन्म दर के साथ निम्न मृत्यु दर  
  2.  उच्च जन्म दर के साथ उच्च मृत्यु दर  
  3.  निम्न मृत्यु दर के साथ उच्च जन्म दर

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर उपर्युक्त चरणों का सही क्रम चुनिये:

(a) 1, 2, 3
(b) 2, 1, 3
(c) 2, 3, 1
(d) 3, 2, 1

उत्तर: (c)


प्रश्न. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (IGNOAPS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2008)

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों से संबंधित 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी व्यक्ति पात्र हैं।
  2.  इस योजना के तहत केंद्रीय सहायता प्रति लाभार्थी 300 रुपए प्रति माह की दर से प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत राज्यों से समान राशि देने का आग्रह किया गया है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: D


मेन्स:

प्रश्न. सुभेद्य वर्गों के लिये क्रियान्वित की जाने वाली कल्याण योजनाओं का निष्पादन उनके बारे में जागरुकता के न होने और नीति प्रक्रम की सभी अवस्थाओं पर उनके सक्रिय तौर पर सम्मिलित न होने के कारण इतना प्रभावी नहीं होता है। चर्चा कीजिये। (2019)

प्रश्न. जनसंख्या शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना करते हुए भारत में इन्हें प्राप्त करने के उपायों पर विस्तृत प्रकाश डालिये। (2021)