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जैव विविधता और पर्यावरण

कार्बन फार्मिंग: सतत् कृषि की राह

  • 10 May 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कार्बन फार्मिंग, कार्बन पृथक्करण, कृषि उत्सर्जन, GHG उत्सर्जन, UNFCCC, कार्बन क्रेडिट, कार्बन बैंक, पेरिस जलवायु अभिसमय, 4 per 1000 पहल, शुद्ध शून्य उत्सर्जन

मेन्स के लिये:

कृषि उत्सर्जन, कार्बन फार्मिंग- महत्त्व, कार्बन फार्मिंग को प्रोत्साहित करने वाले उपाय, किसानों के लिये नकदी फसल के रूप में कार्बन।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में कार्बन फार्मिंग सतत् कृषि के लिये एक आशाजनक दृष्टिकोण के रूप में उभरी है।

  • यह जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान करने के साथ-साथ मृदा के स्वास्थ्य और कृषि उपज को बढ़ाने के उद्देश्य से पुनर्योजी खेती के तरीकों को एकीकृत करता है।

कार्बन फार्मिंग क्या है?

  • परिचय:
    • कार्बन फार्मिंग कृषि के प्रति एक दृष्टिकोण है जो कार्बन पृथक्करण (वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड का संग्रहण और भंडारण) को बढ़ाने तथा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिये कृषि एवं वानिकी प्रथाओं के प्रबंधन पर केंद्रित है।
      • इसका उद्देश्य मृदा और वनस्पति में कार्बन भंडारण को बढ़ाकर, मृदा के स्वास्थ्य में सुधार एवं कृषि गतिविधियों के कार्बन फुटप्रिंट को कम करके जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करना है।
  • कार्बन फार्मिंग की आवश्यकता:
    • वायुमंडलीय CO2 का निर्माण: वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में चिंताजनक वृद्धि हो रही है, जो जलवायु परिवर्तन का एक प्रमुख चालक है।
      • कार्बन फार्मिंग वातावरण में CO2 के निष्कर्षण और इसे लंबे समय तक संग्रहीत करने में सहायता कर सकते हैं।
    • कार्बन पृथक्करण क्षमता: नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित शोध कृषि योग्य मृदा की महत्त्वपूर्ण कार्बन सिंक के रूप में कार्य करने की क्षमता पर ज़ोर देता है, जो वायुमंडल से CO2 को प्रभावी ढंग से हटाता है।
      • कार्बन फार्मिंग की प्रथाएँ कार्बन पृथक्करण में हुई वृद्धि के लिये आदर्श स्थितियाँ निर्मित करके स्पष्ट तौर पर इस क्षमता को बढ़ाती हैं।
    • मृदा क्षरण: पारंपरिक कृषि पद्धतियों के कारण मृदा का क्षरण एक गंभीर मुद्दा है। यह क्षरण मृदा की कार्बन संग्रहीत करने की क्षमता को कम कर देता है।
      • कार्बन फॉर्मिंग की प्रथाएँ, जैसे कवर क्रॉपिंग (आवरण फसल) और कम जुताई, स्वस्थ मिट्टी सूक्ष्मजीव एवं कार्बनिक पदार्थ सामग्री को बढ़ावा देती हैं, जिससे मिट्टी की कार्बन ग्रहण तथा संग्रहीत करने की क्षमता में वृद्धि होती है।
    • पुनर्योजी पद्धतियाँ: कंपोस्ट अनुप्रयोग जैसी कार्बन फॉर्मिंग पद्धतियाँ मृदा के स्वास्थ्य, उर्वरता और समग्र कृषि उत्पादकता में सुधार कर सकती हैं।
      • ये पद्धतियाँ  मिट्टी के क्षरण को संबोधित करती हैं तथा एक प्राकृतिक प्रणाली बनाती हैं जो सक्रिय रूप से वायुमंडलीय CO2 का अवशोषण करती है, जिससे जलवायु परिवर्तन को कम करने में योगदान मिलता है।
  • कार्बन फार्मिंग पद्धतियों के प्रकार: ये अभ्यास मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, जैवविविधता में वृद्धि, रसायनों की आवश्यकता तथा मीथेन उत्सर्जन को कम करने एवं चरागाहों में कार्बन भंडारण को बढ़ाने आदि में सहायता करते हैं।

पद्धतियाँ 

विवरण 

आवर्ती पशु चारण 

चरागाहों में पशुओं की योजनाबद्ध आवाजाही

एग्रोफॉरेस्ट्री 

वृक्षों एवं पौधों को कृषि में एकीकृत करना

संरक्षण कृषि

शून्य जुताई, फसल चक्र, आवरण फसल जैसी प्रथाएँ

एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन

जैविक खाद और कंपोस्ट खाद का प्रयोग 

कृषि पारिस्थितिकी

पारिस्थितिक सिद्धांतों को कृषि में एकीकृत करना 

पशुधन प्रबंधन

आवर्ती पशु चारण तथा बेहतर भोजन गुणवत्ता जैसी रणनीतियाँ

भूमि पुनर्स्थापन

पुनर्वनरोपण और आर्द्रभूमि पुनर्स्थापन जैसी प्रथाएँ

Carbon_Farming

विश्व में संचालित सर्वोत्तम प्रथाएँ:

  • शिकागो क्लाइमेट एक्सचेंज और ऑस्ट्रेलिया के कार्बन फार्मिंग इनिशिएटिव जैसे प्रयास बिना जुताई वाली खेती, पुनर्वनीकरण एवं प्रदूषण में कमी जैसी प्रथाओं के माध्यम से कृषि में कार्बन शमन को प्रोत्साहित करते हैं।
  • विश्व बैंक द्वारा समर्थित केन्या की कार्बन फार्मिंग  परियोजना दर्शाती है कि कैसे कार्बन फार्मिंग आर्थिक रूप से विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने, खाद्य सुरक्षा बढ़ाने और इसके प्रभावों के अनुकूल होने में सहायता कर सकती है।
  • पेरिस में 2015 COP21 जलवायु वार्ता के दौरान '4 प्रति 1000' पहल की शुरुआत ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में कार्बन फार्मिंग के विशिष्ट महत्त्व को रेखांकित करती है।

कार्बन फार्मिंग से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • मानकीकरण और प्रमाणन: खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की एक रिपोर्ट कृषि मृदा में कार्बन पृथक्करण को मापने के लिये मानकीकृत पद्धतियों की कमी पर प्रकाश डालती है।
    • इससे कार्बन फार्मिंग पद्धतियों के माध्यम से उत्पन्न कार्बन क्रेडिट को सत्यापित करना कठिन हो जाता है।
  • जागरूकता और विस्तार सेवाओं की कमी: भारत सरकार के नीति आयोग की एक रिपोर्ट भारतीय किसानों के बीच कार्बन फार्मिंग प्रथाओं और उनके लाभों के बारे में सीमित जागरूकता पर प्रकाश डालती है।
  • छोटी जोत और अल्पकालिक लक्ष्य: भारत में छोटी तथा खंडित जोत का प्रभुत्व है। इससे कार्बन फार्मिंग पद्धतियों का बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन और अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • नीति और नियामक ढाँचे: भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry- CII) की एक रिपोर्ट भारत में कार्बन फार्मिंग प्रथाओं को प्रोत्साहित करने के लिये व्यापक नीति एवं नियामक ढाँचे की आवश्यकता पर ज़ोर देती है। 
  • वित्तीय प्रोत्साहन और बाज़ार पहुँच: भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (ICRIER) द्वारा प्रकाशित एक शोध पत्र किसानों को कार्बन फार्मिंग पद्धतियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करने के लिये सब्सिडी या कार्बन क्रेडिट योजनाओं जैसे वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने के महत्त्व को रेखांकित करता है।
    • कार्बन बाज़ारों तक सीमित पहुँच भी एक चुनौती है।
  • अन्य चुनौतियाँ:
    • गर्म और शुष्क क्षेत्र: सीमित जल की उपलब्धता, पादपों की वृद्धि तथा कार्बन पृथक्करण क्षमता को प्रतिबंधित करती है।
    • जल प्राथमिकता: पेयजल और नियमित आवश्यकताओं के लिये जल की कमी कृषि प्रथाओं को सीमित करती है।
    • कवर क्रॉपिंग के साथ चुनौतियाँ: अतिरिक्त जल की माँग कवर क्रॉपिंग जैसी प्रथाओं को अव्यवहार्य बना सकती है।
    • पादप चयन: सभी पादप प्रजातियाँ कार्बन का संग्रहण और भंडारण करने में शुष्क वातावरण में समान रूप से प्रभावी नहीं हैं।

आगे की राह 

  • जलवायु परिवर्तन और कृषि: जलवायु-लचीली और उत्सर्जन कम करने वाली कृषि पद्धतियाँ अनुकूलन रणनीतियों से लाभान्वित हो सकती हैं।
    • जलवायु परिवर्तन को कम करने में कृषि महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • भारत में जैविक कृषि की व्यवहार्यता: भारत में शुरुआती पहल और कृषि अनुसंधान कार्बन पृथक्करण के लिये जैविक कृषि की व्यवहार्यता को प्रदर्शित करते हैं।
  • कृषि-पारिस्थितिकी प्रथाओं की आर्थिक क्षमता: भारत में कृषि-पारिस्थितिकी प्रथाओं में लगभग 170 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि से 63 बिलियन अमेरिकी डॉलर उत्पन्न करने की क्षमता है।
    • स्थायी कृषि पद्धतियों के माध्यम से जलवायु सेवाएँ प्रदान करने के लिये किसानों को प्रति एकड़ लगभग ₹5,000-6,000 का वार्षिक भुगतान प्राप्त हो सकता है।
  • कार्बन फार्मिंग के लिये क्षेत्रीय उपयुक्तता: सिंधु-गंगा के मैदान और दक्कन के पठार जैसे क्षेत्र कार्बन फार्मिंग के लिये उपयुक्त हैं।
    • हिमालय क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों व तटीय क्षेत्रों में लवणीकरण तथा सीमित संसाधनों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे पारंपरिक कृषि पद्धतियों को अपनाना सीमित हो जाता है। इसलिये, क्षमता निर्माण के बाद इन क्षेत्रों का उपयोग कार्बन फार्मिंग के लिये किया जा सकता है।
  • कार्बन क्रेडिट सिस्टम की भूमिका: कार्बन क्रेडिट सिस्टम पर्यावरणीय सेवाओं के माध्यम से अतिरिक्त आय प्रदान करके किसानों को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
    • कृषि मृदा में 20-30 वर्षों में सालाना 3-8 बिलियन टन CO2 -समकक्ष को अवशोषित करने की क्षमता होती है, जो व्यवहार्य उत्सर्जन को कम करके जलवायु स्थिरीकरण के मध्य अंतर को कम करती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. कार्बन फार्मिंग की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये और जलवायु परिवर्तन को कम करने में इसकी क्षमता पर चर्चा कीजियेI कार्बन फार्मिंग को भारत में कृषि पद्धतियों में कैसे एकीकृत किया जा सकता है? कार्बन फार्मिंग को बढ़ावा देने से जुड़ी चुनौतियाँ और अवसर क्या हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. ब्लू कार्बन क्या है?  (2021)

(a) महासागरों और तटीय पारिस्थितिक तंत्रों द्वारा प्रगृहीत कार्बन
(b) वन जैव मात्रा (बायोमास) और कृषि मृदा में प्रच्छादित कार्बन
(c) पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस में अंतर्विष्ट कार्बन
(d) वायुमंडल में विद्यमान कार्बन

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा ‘‘कार्बन निषेचन’’ (कार्बन फर्टिलाइज़ेशन) को सर्वोत्तम वर्णित करता है? (2018)

(a) वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ी हुई सांद्रता के कारण बढ़ी हुई पादप वृद्धि
(b) वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ी हुई सांद्रता के कारण पृथ्वी का बढ़ा हुआ तापमान
(c) वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ी हुई सांद्रता के परिणामस्वरूप महासागरों की बढ़ी हुई अम्लता
(d) वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ी हुई सांद्रता के द्वारा हुए जलवायु परिवर्तन के अनुरूप पृथ्वी पर सभी जीवधारियों का अनुकूलन

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन ‘कार्बन के सामाजिक मूल्य’ पद का सर्वोत्तम रूप से वर्णन करता है? आर्थिक मूल्य के रूप में यह निम्नलिखित में से किसका माप है? (2020)

(a) प्रदत्त वर्ष में एक टन CO2 के उत्सर्जन से होने वाली दीर्घकालीन क्षति,     
(b) किसी देश की जीवाश्म ईंधनाें की आवश्यकता, जिन्हें जलाकर देश अपने नागरिकाें को वस्तुएँ और सेवाएँ प्रदान करता है,
(c) किसी जलवायु शरणार्थी (Climate Refugee) द्वारा किसी नए स्थान के प्रति अनुकूलित होने हेतु किये गए प्रयास, 
(d) पृथ्वी ग्रह पर किसी व्यक्ति विशेष द्वारा अंशदत कार्बन पदचिह्न,

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. फसल विविधीकरण के समक्ष वर्तमान चुनौतियाँ क्या हैं? उभरती प्रौद्योगिकियाँ फसल विविधीकरण का अवसर कैसे प्रदान करती हैं? (2021)

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