बौद्ध धर्म की वैश्विक विरासत | 21 Jan 2025

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण, बौद्ध धर्म, कलिंग पर आक्रमण, महायान, वज्रयान, बालीयात्रा महोत्सव, नालंदा विश्वविद्यालय, सम्राट कुमारगुप्त प्रथम, गुप्त साम्राज्य, आर्यभट्ट, पांडुलिपियाँ, अंकोर वाट, थेरवाद, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, एलोरा गुफाएँ, अजंता गुफाएँ, साँची स्तूप

मेन्स के लिये:

बौद्ध धर्म का वैश्विक प्रसार, भारत में प्रमुख बौद्ध स्थल, नालंदा विश्वविद्यालय।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने ओडिशा के रत्नागिरी में एक बड़ा बुद्ध सिर, एक विशाल ताड़ का वृक्ष, एक प्राचीन दीवार और उत्कीर्ण बौद्ध अवशेष खोजे हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि ये सभी 8वीं और 9वीं शताब्दी ई. के हैं।

  • इसने ओडिशा के माध्यम से दक्षिण-पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार पर भी प्रकाश डाला गया।

ओडिशा ने बौद्ध धर्म प्रचार में कैसे मदद की?

  • बुद्ध की भूमिका: यद्यपि बुद्ध के ओडिशा आने का कोई प्रमाण नहीं है, फिर भी विशेषज्ञ बुद्ध के शिष्यों तपस्सु और भल्लिका (उत्कल के व्यापारी भाई) को बौद्ध धर्म को लोकप्रिय बनाने में महत्त्वपूर्ण व्यक्ति मानते हैं।
  • मौर्य प्रभाव: सम्राट अशोक के 261 ईसा पूर्व में कलिंग (प्राचीन ओडिशा) पर आक्रमण के कारण उन्हें बौद्ध धर्म अपनाना पड़ा, जिसे उन्होंने दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में फैलाया।
  • ह्वेन त्सांग की यात्रा: अध्ययनों से पता चलता है कि चीनी बौद्ध भिक्षु और यात्री ह्वेन त्सांग, जिन्होंने 638-639 ई. में ओडिशा का दौरा किया था, उन्होंने रत्नागिरी का भी दौरा किया होगा, जिससे उन्हें इस क्षेत्र की जीवनशैली, संस्कृति, धर्म, कला और वास्तुकला के बारे में जानकारी मिली होगी।
  • ऐतिहासिक स्थल:ओडिशा में 100 से अधिक प्राचीन बौद्ध स्थल हैं, जिनमें रत्नागिरी, उदयगिरी और ललितगिरी के साथ हीरक त्रिभुज का हिस्सा भी शामिल है।
    • रत्नागिरी, जो 7वीं-10वीं शताब्दी का नालंदा से प्रतिस्पर्द्धा करने वाला एक प्रमुख बौद्ध शिक्षण केंद्र था, में ईंटों से बने स्तूप, मठ परिसर और मन्नत स्तूप जैसे अवशेष मिले हैं।
    • ऐसा माना जाता है कि रत्नागिरी महायान और वज्रयान संप्रदाय का केंद्र था, और इस स्थल पर तिब्बती ग्रंथ भी पाए गए थे।
    • रत्नागिरी की बुद्ध मूर्तियाँ अपनी जटिल, विशिष्ट केशविन्यास के लिये अद्वितीय हैं जिन्हें भारत में अन्यत्र नहीं देखा जा सकता है।
  • समुद्री और व्यावसायिक संबंध: बाली, जावा, सुमात्रा और श्रीलंका जैसे क्षेत्रों के साथ ओडिशा के व्यापार ने विशेष रूप से दक्षिण पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म के प्रसार में मदद की।
    • बालीयात्रा महोत्सव दक्षिण पूर्व एशिया के साथ ओडिशा के 2,000 वर्ष पुराने समुद्री संबंधों और बौद्ध धर्म के प्रसार में इसकी भूमिका का सम्मान करता है।
  • भौमकारा राजवंश: ओडिशा में भौमकारा राजवंश (8वीं-10वीं शताब्दी) के शासन में बौद्ध धर्म का विकास हुआ, जिसने इस क्षेत्र की समृद्ध बौद्ध विरासत में योगदान दिया।

नोट:

  • महायान: महायान, जिसका संस्कृत में अर्थ "ग्रेट व्हीकल" है, बौद्ध धर्म के संप्रदायों में से एक है।
    • इसमें बुद्ध की दिव्यता तथा बुद्ध के मूर्ति रूप एवं बोधिसत्व की मूर्ति पूजा में विश्वास किया गया है।
    • इसकी उत्पत्ति 72 ई. में कनिष्क के शासनकाल के दौरान कश्मीर में चतुर्थ बौद्ध संगीत में हुई और फिर इसका पूर्व में मध्य एशिया, पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ क्षेत्रों में विस्तार हुआ।
    • चीन, कोरिया, तिब्बत और जापान में स्थित बौद्ध संप्रदाय महायान परंपरा से संबंधित हैं।
  • वज्रयान: वज्रयान का अर्थ "वज्र का वाहन" है जिसे तांत्रिक बौद्ध धर्म के रूप में भी जाना जाता है।
    • इसमें तांत्रिक प्रथाओं को शामिल किया गया है, जिसमें आध्यात्मिक बोध प्राप्त करने के लिये जटिल अनुष्ठान, कल्पना, मंत्र और ध्यान तकनीक शामिल हैं।
    • वज्रयान का संबंध मुख्यतः हिमालयी क्षेत्रों से है जिनमें तिब्बत, नेपाल, भूटान और मंगोलिया के कुछ हिस्से शामिल हैं।
  • हीनयान: इसे अक्सर "लेसर व्हीकल" के रूप में संदर्भित किया जाता है जिसके तहत मुख्य रूप से आत्म-अनुशासन तथा ध्यान के माध्यम से निर्वाण पर बल दिया जाता है।
    • यह मठवासी नियमों, ध्यान प्रथाओं और नैतिक आचरण के सख्त पालन पर केंद्रित है।
    • हीनयान बौद्ध धर्म में अर्हत एक आदर्श स्थिति है जिसके तहत ज्ञान प्राप्त करना शामिल है, जबकि महायान में बोधिसत्व द्वारा दूसरों के ज्ञान मार्ग में सहायता के लिये निर्वाण को विलंबित किया जाता है।

नालंदा विश्वविद्यालय

  • स्थापना: नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त साम्राज्य के सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने 5वीं शताब्दी ई. में, लगभग 450 ई. में की थी।
    • यह विश्वविद्यालय 8वीं और 9वीं शताब्दी के दौरान पाल वंश के संरक्षण में विकसित हुआ।
    • यह प्राचीन मगध राज्य (आधुनिक बिहार) में स्थित था।
  • अंतर्राष्ट्रीय ख्याति: विश्व के पहले आवासीय विश्वविद्यालय के रूप में नालंदा ने कोरिया, जापान, चीन, मंगोलिया, श्रीलंका, तिब्बत और दक्षिण पूर्व एशिया के विद्वानों को आकर्षित किया।
  • प्रवेश प्रक्रिया: नालंदा में प्रवेश प्रतिस्पर्द्धी प्रणाली पर आधारित था, जिसमें कठोर साक्षात्कार होते थे और छात्रों को धर्मपाल और शीलभद्र जैसे विद्वानों एवं बौद्ध आचार्यों द्वारा मार्गदर्शन दिया जाता था।
  • पाठ्यक्रम और विषय: इस विश्वविद्यालय में चिकित्सा, आयुर्वेद, बौद्ध धर्म, गणित, व्याकरण, खगोल विज्ञान तथा भारतीय दर्शन सहित कई विषयों की पढ़ाई होती थी।
    • भारतीय गणितज्ञ और शून्य के आविष्कारक आर्यभट्ट छठी शताब्दी ई .में नालंदा विश्वविद्यालय के  एक प्रमुख शिक्षक थे।
  • पुस्तकालय और पांडुलिपियाँ: इस पुस्तकालय में नौ मिलियन से अधिक हस्तलिखित ताड़-पत्ता पांडुलिपियाँ रखी गई थीं, जो इसे बौद्ध ज्ञान का सबसे समृद्ध भंडार बनाती हैं।
  • विनाश: वर्ष 1193 में इस्लामी आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने विश्वविद्यालय को ध्वस्त कर दिया, भिक्षुओं को मार डाला और मूल्यवान पुस्तकालय को जला दिया।

बौद्ध धर्म दक्षिण पूर्व एशिया में किस प्रकार विस्तारित हुआ?

  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: भारतीय व्यापारियों, नाविकों और भिक्षुओं ने दक्षिण-पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म के प्रसार में मदद की, जहाँ श्रीविजय (सुमात्रा, इंडोनेशिया) और चंपा (वियतनाम) जैसे बंदरगाह 7वीं से 13वीं शताब्दी तक शिक्षा एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान के प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करते रहे ।
  • शासकों की वैधता: दक्षिण-पूर्व एशियाई शासकों ने अपनी सत्ता को मज़बूत करने के लिये बौद्ध धर्म को अपनाया तथा अपने शासन को वैध बनाने के लिये बुद्ध या हिंदू देवी-देवताओं की पूजा की। 
    • सुमात्रा में केंद्रित श्रीविजय साम्राज्य ने बौद्ध धर्म के प्रसार में प्रमुख भूमिका निभाई। 
  • हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म का सम्मिश्रण: दक्षिण पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म अक्सर स्थानीय मान्यताओं और हिंदू धर्म के साथ मिश्रित हो गया। 
    • दक्षिण-पूर्व एशिया के बौद्ध और हिंदू मंदिर, जैसे अंकोरवाट (कंबोडिया) और बोरोबुदुर (इंडोनेशिया), इस सम्मिश्रण को प्रदर्शित करते हैं।
  • सांस्कृतिक प्रसार: बौद्ध धर्म ने बाली और जावा जैसे स्थानों की स्थानीय संस्कृतियों को प्रभावित किया, जिसे उनके नृत्य, अनुष्ठानों और मंदिर वास्तुकला में देखा जा सकता है।

Buddhism

बौद्ध धर्म विश्व स्तर पर कैसे फैला?

  • दक्षिण-पूर्व एशिया: 5वीं शताब्दी ई. तक बौद्ध धर्म म्याँमार और थाईलैंड तक फैल गया और 13वीं शताब्दी तक थेरवाद संप्रदाय (जिसका अर्थ है "बुजुर्गों का मार्ग") दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म का प्रमुख रूप बन गया।
  • चीन: 7वीं शताब्दी ई. तक, बौद्ध धर्म ने कन्फ्यूशियस और ताओवादी परंपराओं के साथ अंतर्क्रिया करते हुए चीनी संस्कृति को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया था।
  • कोरिया और जापान: 7वीं शताब्दी ई. तक बौद्ध धर्म का कोरिया में विस्तार हो गया।
    • छठी शताब्दी ई. में बौद्ध धर्म जापान में आया, जहाँ यह शिंटो और अन्य स्वदेशी परंपराओं के साथ मिश्रित हो गया।
  • तिब्बत : 8वीं शताब्दी ई. में, पूर्वोत्तर भारत की तांत्रिक परंपराओं से प्रभावित बौद्ध धर्म का तिब्बत में विस्तार हुआ।
    • वहाँ, यह स्वदेशी बॉन धर्म के साथ विलीन हो गया तथा वज्रयान ("Diamond Vehicle") के रूप में विकसित हुआ, जो महायान बौद्ध धर्म की एक शाखा थी।

भारत में प्रमुख बौद्ध स्थल कौन से हैं?

  • बिहार: बोधगया वह स्थान है जहाँ सिद्धार्थ गौतम को बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
    • महाबोधि मंदिर, जिसे वर्ष 2002 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया, यह वह स्थान है जहाँ बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
    • वैशाली (बिहार) में बुद्ध ने अपने आसन्न परिनिर्वाण की घोषणा की तथा अपना अंतिम उपदेश दिया।
    • नालंदा विश्वविद्यालय एक प्रसिद्ध प्राचीन शिक्षा केंद्र था, जहाँ विश्व से बौद्ध विद्वान एकत्रित होते थे।
  • उत्तर प्रदेश: सारनाथ में बुद्ध ने अपने शिष्यों को अपना पहला उपदेश दिया था, जिसमें उन्होंने चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग की रूपरेखा बताई।
    • सारनाथ में धमेक स्तूप बुद्ध के प्रथम उपदेश का स्थल है।
    • कुशीनगर वह स्थान है जहाँ बुद्ध की मृत्यु हुई तथा उन्हें परिनिर्वाण (अंतिम निर्वाण) प्राप्त हुआ।
      • ऐसा माना जाता है कि कुशीनगर स्थित रामाभार स्तूप वह स्थान है जहाँ बुद्ध का अंतिम संस्कार किया गया था।
  • हिमाचल प्रदेश: धर्मशाला, खासतौर पर मैकलॉडगंज, तिब्बती निर्वासित सरकार और दलाई लामा का घर है। यह तिब्बती बौद्धों का केंद्र है।
  • महाराष्ट्र: एलोरा की गुफाएँ यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें बौद्ध, हिंदू और जैन परपराओं के चट्टान काटकर बनाए गए मंदिर और मूर्तियाँ शामिल हैं।
    • अजंता की गुफाएँ प्राचीन बौद्ध मठों और बुद्ध के जीवन को दर्शाने वाले सुंदर भित्तिचित्रों के लिये प्रसिद्ध हैं।
  • मध्य प्रदेश: साँची स्तूप एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो अपने बौद्ध स्तूपों, मठों और स्तंभों के लिये जाना जाता है।

निष्कर्ष:

ओडिशा की समृद्ध बौद्ध विरासत, रत्नागिरी जैसे प्रमुख स्थलों द्वारा उजागर, और एशिया भर में बौद्ध धर्म के प्रसार में भारत की भूमिका इसके वैश्विक प्रभाव को दर्शाती है। नालंदा जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों और विविध बौद्ध परंपराओं के साथ, वैश्विक संस्कृति और धर्म में भारत का योगदान गहरा और स्थायी है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: एशिया में बौद्ध धर्म के प्रसार में भारतीय समुद्री व्यापार की भूमिका का आकलन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. स्थविरवादी महायान बौद्ध धर्म से संबद्ध हैं। 
  2.  लोकोत्तरवादी संप्रदाय बौद्ध धर्म के महासंघिक संप्रदाय की एक शाखा थी। 
  3.  महासंघिकों द्वारा बुद्ध के देवत्वारोपण ने महायान बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया।

 उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. बोधिसत्व, बौद्धमत के हीनयान संप्रदाय की केंद्रीय संकल्पना है।
  2.  बोधिसत्व अपने प्रबोध के मार्ग पर बढ़ता हुआ करूणामय है।
  3.  बोधिसत्व समस्त सचेतन प्राणियों को उनके प्रबोध के मार्ग पर चलने में सहायता करने के लिये स्वयं की निर्वाण प्राप्ति विलंबित करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)  


मेन्स

Q. पाल काल भारत में बौद्ध धर्म के इतिहास का सबसे महत्त्वपूर्ण चरण है। सूचीबद्ध कीजिये। (2020)

Q. प्रारंभिक बौद्ध स्तूप-कला, लोक वर्ण्य विषयों और कथानकों को चित्रित करते हुए बौद्ध आदर्शों की सफलतापूर्वक व्याख्या करती है। विशदीकरण कीजिये। (2016)