भारतीय अर्थव्यवस्था
MSME अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव
- 01 Jul 2024
- 22 min read
प्रिलिम्स के लिये:सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, अंतर्राष्ट्रीय MSME दिवस, उद्यम पोर्टल मेन्स के लिये:भारत के आर्थिक विकास में MSME क्षेत्र का महत्त्व, MSME में डिजिटलीकरण एवं प्रौद्योगिकी अपनाने की भूमिका, ग्रामीण विकास में MSME की भूमिका |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय MSME दिवस (27 जून), 2024 के अवसर पर, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) ने 'उद्यमी भारत-MSME दिवस' कार्यक्रम का आयोजन किया और साथ ही विलंबित भुगतानों के लिये विवाद समाधान में सुधार के साथ ही MSME क्षेत्र की बदलती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये MSME विकास अधिनियम, 2006 में संशोधन का प्रस्ताव भी रखा।
- इस कार्यक्रम में केंद्रीय MSME मंत्री द्वारा कई पहलों का शुभारंभ किया गया, जिनमें समाधान पोर्टल का प्रस्तावित उन्नयन, MSME विकास अधिनियम, 2006 में प्रस्तावित संशोधन, टीम पहल (Team Initiative) और यशस्विनी अभियान शामिल हैं।
MSME के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSMEs) ऐसे व्यवसाय हैं जो वस्तुओं एवं पण्यों (कमोडिटी) का उत्पादन, प्रसंस्करण और संरक्षण करते हैं।
- वर्गीकरण:
- भारत में MSME विनियमन:
- लघु उद्योग मंत्रालय तथा कृषि एवं ग्रामीण उद्योग मंत्रालय को वर्ष 2007 में विलय कर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय बनाया गया।
- यह मंत्रालय MSME को समर्थन देने तथा उनके विकास में सहायता के लिये नीतियाँ विकसित करता है और साथ ही कार्यक्रमों को भी सुगम बनाने के साथ कार्यान्वयन की निगरानी भी सुनिश्चित करता है।
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 MSME को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों पर ध्यान देता है, MSME के लिये एक राष्ट्रीय बोर्ड की स्थापना करता है तथा साथ ही यह "उद्यम" की अवधारणा को परिभाषित करता है एवं MSME की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के लिये केंद्र सरकार को सशक्त बनाता है।
- लघु उद्योग मंत्रालय तथा कृषि एवं ग्रामीण उद्योग मंत्रालय को वर्ष 2007 में विलय कर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय बनाया गया।
- MSME क्षेत्र का महत्त्व:
- वैश्विक स्तर पर:
- संयुक्त राष्ट्र के आँकड़ों के अनुसार, MSME का योगदान वैश्विक व्यवसायों में 90%, नौकरियों में 60% से 70% से अधिक तथा वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में आधा हिस्सा है।
- भारत के स्तर पर:
- GDP में योगदान और रोज़गार सृजन: MSMEs वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 30% का योगदान देते हैं, जो आर्थिक विकास को गति देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- उद्यम पंजीकरण प्रणाली से प्राप्त जानकारी के आधार पर MSME मंत्रालय के पास 200 मिलियन से अधिक पंजीकृत नौकरियाँ तथा 46 मिलियन से अधिक MSME हैं (जो चीन के 140 मिलियन के बाद दूसरे स्थान पर है)।
- निर्यात संवर्द्धन: वर्तमान में MSME भारत के कुल निर्यात में लगभग 45% का योगदान करते हैं।
- भारतीय हस्तशिल्प क्षेत्र, (जिसमें लघु उद्योगों और कारीगरों का प्रभुत्व है) देश के निर्यात के लिये अत्यधिक लाभदायक है और साथ ही इसका विश्वव्यापी बाज़ार है।
- विनिर्माण उत्पादन में योगदान: MSME देश के विनिर्माण उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं, विशेष रूप से खाद्य प्रसंस्करण, इंजीनियरिंग एवं रसायन जैसे क्षेत्रों में।
- ग्रामीण औद्योगीकरण एवं समावेशी विकास: MSME ग्रामीण औद्योगीकरण को आगे बढ़ाने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- लघु-स्तरीय इकाइयों से युक्त खादी तथा ग्रामोद्योग क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने में सहायक रहा है।
- नवाचार एवं उद्यमिता: चूंकि छोटे उद्यमों को आमतौर पर बदलती बाज़ार स्थितियों के साथ समायोजन करना तथा नई वस्तुओं अथवा सेवाओं को लॉन्च करना आसान लगता है, इसलिये MSME क्षेत्र नवाचार एवंर उद्यमशीलता को बढ़ावा देता है।
- GDP में योगदान और रोज़गार सृजन: MSMEs वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 30% का योगदान देते हैं, जो आर्थिक विकास को गति देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- वैश्विक स्तर पर:
अंतर्राष्ट्रीय MSME दिवस 2024
- यह दिवस MSME के महत्त्व एवं अर्थव्यवस्था में उनके योगदान को मान्यता देने के लिये प्रतिवर्ष 27 जून को मनाया जाता है।
- MSME दिवस 2024 की थीम:
- इस वर्ष की थीम: ‘विभिन्न संकटों के समय में सतत् विकास में तेज़ी लाने और गरीबी उन्मूलन के लिये सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम आकार के उद्यमों (MSME) की शक्ति एवं लचीलेपन का लाभ उठाना’ (‘leveraging the power and resilience of Micro-, Small and Medium-sized Enterprises (MSMEs) to accelerate sustainable development and eradicate poverty in times of multiple crises)
- इतिहास एवं महत्त्व:
- अप्रैल 2017 में, संयुक्त राष्ट्र ने 27 जून को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम दिवस के रूप में घोषित किया।
- इस दिवस का उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में MSME की पूर्ण क्षमता का उपयोग करने के लिये राष्ट्रीय क्षमताओं में वृद्धि करना है।
MSME विकास अधिनियम, 2006 में प्रस्तावित प्रमुख संशोधन क्या हैं?
- MSME विकास अधिनियम, 2006: यह देश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के संवर्द्धन एवं विकास हेतु एक रूपरेखा प्रदान करता है।
- उद्देश्य:
- MSMEs के संवर्द्धन और विकास को सुगम बनाना।
- MSMEs की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना।
- MSMEs को ऋण, विपणन सहायता एवं अन्य सहायक सेवाओं तक आसान पहुँच प्रदान करना।
- MSMEs क्षेत्र में उद्यमिता और कौशल विकास को बढ़ावा देना।
- उद्देश्य:
- प्रस्तावित प्रमुख संशोधन:
- भुगतान तीव्र बनाना: MSMEs के लिये समाधान पोर्टल को शिकायत ट्रैकर से अपग्रेड करके पूर्ण विकसित ऑनलाइन विवाद समाधान प्लेटफॉर्म के रूप में बदलने का प्रस्ताव है।
- इससे MSMEs को ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने, प्रतिक्रया प्राप्त करने तथा मध्यस्थता में भाग लेने का अधिकार मिलने से भुगतान में तीव्रता आएगी।
- MSME के प्रतिनिधित्व को मज़बूत बनाना: MSME से संबंधित राष्ट्रीय बोर्ड में सभी राज्य सचिवों के रूप में प्रतिनिधि शामिल होंगे, जिससे बेहतर नीति-निर्माण को बढ़ावा मिलने के साथ MSME से संबंधित चुनौतियों का समाधान हो सकेगा।
- पूर्व के अधिनियम का आधुनिकीकरण: वर्ष 2006 के MSMEs अधिनियम को लगातार विलंबित भुगतान एवं MSMEs क्षेत्र में उभरती नवीन आवश्यकताओं एवं समकालीन मुद्दों को हल करने के क्रम में अद्यतन करने की आवश्यकता है। संबंधित संशोधनों का उद्देश्य इस क्षेत्र के विकास के लिये अधिक उत्तरदायी कानूनी ढाँचे का विकास करना है।
- भुगतान तीव्र बनाना: MSMEs के लिये समाधान पोर्टल को शिकायत ट्रैकर से अपग्रेड करके पूर्ण विकसित ऑनलाइन विवाद समाधान प्लेटफॉर्म के रूप में बदलने का प्रस्ताव है।
MSME मंत्रालय द्वारा घोषित प्रमुख पहल:
- MSME व्यापार सक्षमता एवं विपणन (TEAM) पहल: इसका उद्देश्य ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) पर 5 लाख सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को शामिल करना है।
- इसके तहत सरकार द्वारा ऑनबोर्डिंग, कैटलॉगिंग, खाता प्रबंधन, लॉजिस्टिक्स, पैकेजिंग सामग्री एवं डिज़ाइन हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना शामिल है।
- इसमें आधे लाभार्थी महिलाओं के स्वामित्व वाले उद्यम होंगे।
- यशस्विनी अभियान: यह महिलाओं के स्वामित्व वाले अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों को औपचारिक रूप देने एवं महिला स्वामित्व वाले उद्यमों के संदर्भ में क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, सहायता एवं सलाह प्रदान करने के क्रम में जन जागरूकता अभियानों की एक शृंखला है।
- इसमें MSME मंत्रालय द्वारा अन्य केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों तथा महिला उद्योग संघों के सहयोग से अभियान आयोजित करना शामिल है।
- सरकार की MSME पहल के 6 स्तंभ:
- मज़बूत आधार तैयार करना: यह स्तंभ व्यवसायों को औपचारिक बनाने तथा ऋण तक आसान पहुँच सुनिश्चित करने पर केंद्रित है, जो MSME की संवृद्धि एवं स्थिरता के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- बाज़ार पहुँच का विस्तार: सरकार का लक्ष्य MSME की घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच बढ़ाने के साथ उन्हें ई-कॉमर्स अपनाने को प्रोत्साहित करना है।
- तकनीकी परिवर्तन: यह स्तंभ MSME क्षेत्र में उत्पादकता तथा दक्षता को बढ़ावा देने के क्रम में आधुनिक तकनीक का लाभ उठाने पर बल देता है।
- कार्यबल को कुशल बनाना: कौशल स्तर को बढ़ाना तथा सेवा क्षेत्र में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना, जो MSME के लिये उभरते बाज़ार के साथ तालमेल बनाए रखने हेतु महत्त्वपूर्ण है।
- परंपरागत के साथ वैश्विक मानदंडों को अपनाना: सरकार खादी एवं ग्रामोद्योग जैसे पारंपरिक उद्योगों की वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाने हेतु कदम उठाएगी।
- उद्यमियों को सशक्त बनाना: यह स्तंभ MSME क्षेत्र में समावेशी विकास को बढ़ावा देते हुए महिलाओं एवं कारीगरों के बीच उद्यम निर्माण को बढ़ावा देने को प्राथमिकता देने पर केंद्रित है।
MSME से संबंधित सरकारी पहल:
- MSME के प्रदर्शन को बेहतर और तेज़ करने यानी RAMP (Rising and Accelerating MSME Performance) योजना
- सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिये क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड (CGTMSE)
- इंटरेस्ट सब्सिडी पात्रता सर्टिफिकेट (ISEC)
- नवाचार, ग्रामीण उद्योग और उद्यमिता को बढ़ावा देने हेतु योजना (ASPIRE)
- प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिये क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी (CLCSS)
- ज़ीरो डिफेक्ट एवं ज़ीरो इफेक्ट (ZED)
- चैंपियंस पोर्टल
MSMEs के समक्ष चुनौतियाँ:
- वित्त और ऋण तक सीमित पहुँच: MSME को अक्सर औपचारिक वित्तपोषण एवं ऋण सुविधाएँ प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी संवृद्धि और विस्तार में बाधा आती है।
- केवल 16% MSME की ही औपचारिक ऋण तक पहुँच है, जिसके कारण कई MSME ऋण हेतु अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर हैं।
- तकनीकी अभाव: तकनीकी प्रगति और डिजिटल बुनियादी ढाँचे के सीमित होने से इनकी नवाचार तथा प्रभावी रूप से प्रतिस्पर्द्धा करने की क्षमता सीमित होती है।
- अनुसंधान एवं विकास सुविधाओं तक सीमित पहुँच तथा उद्योग 4.0 तकनीकों को अपनाने में चुनौतियों से इनकी प्रतिस्पर्द्धात्मकता सीमित हो जाती है।
- बाज़ार पहुँच और प्रतिस्पर्द्धा: MSME को सीमित बाज़ार पहुँच के साथ बड़े पैमाने के उद्यमों से प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ता है, जिससे इनकी लाभप्रदता में कमी आती है।
- कुशल श्रम की कमी: कुशल श्रम प्राप्त करना तथा प्रतिभा का प्रबंधन करना, इनके समक्ष एक प्रमुख मुद्दा है, जिससे इनके संचालन की गुणवत्ता तथा दक्षता प्रभावित होती है।
- एसोचैम की एक रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत में 23 मिलियन श्रमिकों का कौशल अंतराल है, जिससे एमएसएमई के लिये योग्य कर्मचारी ढूँढना मुश्किल हो रहा है, जिसका उत्पादकता और नवाचार पर प्रभाव पड़ रहा है।
- आर्थिक भेद्यता: MSME विशेष रूप से आर्थिक मंदी और बाज़ार में उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील हैं, जो उनकी स्थिरता तथा विकास की संभावनाओं को काफी प्रभावित कर सकता है।
- कोविड-19 महामारी के दौरान, भारत में लगभग 21% MSME आर्थिक प्रभाव के कारण स्थायी रूप से बंद हो गए, जिससे वे आर्थिक मंदी के प्रति अधिक संवेदनशील हो गए।
- कच्चे माल की कमी: MSME को कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और थोक खरीद के लिये सीमित वित्तीय क्षमता से जूझना पड़ रहा है।
- यह विशेष रूप से छोटे वस्त्र इकाइयों के लिये चुनौतीपूर्ण है, जिन्हें अक्सर कपास की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनके लाभ मार्जिन और प्रतिस्पर्द्धात्मकता पर असर पड़ता है।
- वर्तमान मुकदमा प्रणाली की समस्याएँ: महँगी कानूनी प्रक्रिया के कारण छोटे व्यवसायों के लिये न्याय प्राप्त करना कठिन हो जाता है।
- वर्तमान प्रणाली विवादों को निपटाने में बहुत अधिक समय लेती है, जिससे छोटे व्यवसायों की वित्तीय कठिनाइयाँ और बढ़ जाती हैं।
- समाधान पोर्टल केवल विश्लेषण के लिये जानकारी प्रदान करता है तथा विवादों को सीधे सुलझाने में मदद नहीं करता है।
आगे की राह
- वित्तीय सशक्तीकरण और पहुँच: लक्षित योजनाओं, संपार्श्विक छूट और उद्यम पूंजी, देवदूत निवेशकों तथा पीयर-टू-पीयर ऋण प्लेटफॉर्मों जैसे वैकल्पिक वित्तपोषण विकल्पों को बढ़ावा देने के माध्यम से औपचारिक ऋण तक पहुँच में वृद्धि करना।
- डिजिटल परिवर्तन और बाज़ार विस्तार: डिजिटल साक्षरता तथा तकनीकी कौशल प्रदान करना, ई-कॉमर्स एकीकरण को सुविधाजनक बनाना, डिजिटल बुनियादी ढाँचे में निवेश को सब्सिडी देना तथा उप-ठेके के लिये बड़े उद्यमों के साथ संबंध स्थापित करना।
- विनियामक सुधार और कौशल: विनियमों को सरल बनाना, एकल खिड़की मंज़ूरी प्रणाली को लागू करना, विनियामक प्रभाव आकलन करना, उद्योग की ज़रूरतों के अनुरूप लक्षित कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करना तथा सभी स्तरों पर उद्यमिता शिक्षा को बढ़ावा देना।
- सफल उद्यमियों को प्रेरक MSME मालिकों से जोड़ने के लिये मेंटरशिप कार्यक्रम स्थापित करना।
- बुनियादी ढाँचा, जोखिम प्रबंधन और नीति जागरूकता: MSME के विकास के लिये विश्वसनीय बिजली, परिवहन तथा संचार बुनियादी ढाँचे के विकास में निवेश करना।
बीमा योजनाओं जैसी जोखिम प्रबंधन रणनीतियाँ विकसित करना तथा लचीलेपन में सुधार के लिये उत्पाद/बाज़ार विविधीकरण को प्रोत्साहित करना।
वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता और गुणवत्ता वृद्धि: गुणवत्ता प्रबंधन प्रणालियों को अपनाने को बढ़ावा देना और निर्यातोन्मुख MSME क्लस्टर विकसित करना वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता तथा गुणवत्ता को बढ़ा सकता है।
उदाहरण के लिये शून्य दोष शून्य प्रभाव प्रमाणन योजना ने एमएसएमई को गुणवत्ता सुधारने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मदद की है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत में MSME के सामने आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये और इन चुनौतियों से निपटने में सरकार की पहल का मूल्यांकन कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न.1 विनिर्माण क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिये भारत सरकार ने कौन-सी नई नीतिगत पहल की है/हैं? (2012)
नीचे दिये गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न2. सरकार के समावेशित वृद्धि लक्ष्य को आगे ले जाने में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कार्य सहायक साबित हो सकता/सकते है/हैं? (2011)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न 3. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न1. “ सुधारोत्तर अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) की समग्र संवृद्धि में औद्योगिक संवृद्धि दर पिछड़ती गई है।” कारण बताइये। औद्योगिक नीति में हाल ही में किये गए परिवर्तन औद्योगिक संवृद्धि दर को बढ़ाने में कहाँ तक सक्षम हैं? (2017) प्रश्न. 2 सामान्यतः देश कृषि से उद्योग और बाद में सेवाओं को अंतरित होते हैं, पर भारत सीधे कृषि से सेवाओं को अंतरित हो गया है। देश में उद्योग के मुकाबले सेवाओं की विशाल संवृद्धि के क्या कारण हैं? क्या भारत सशक्त औद्योगिक आधार के बिना एक विकसित देश बन सकता है? (2014) |