भारतीय अर्थव्यवस्था
कोल इंडिया लिमिटेड का 50वाँ स्थापना दिवस
- 05 Nov 2024
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प्रिलिम्स के लिये:कोल इंडिया लिमिटेड (CIL), महारत्न, कोयला और लिग्नाइट अन्वेषण पर रणनीति रिपोर्ट, माइन क्लोज़र पोर्टल, रानीगंज कोलफील्ड, दामोदर नदी, राष्ट्रीय कोयला विकास निगम (NCDC), नॉन-कोकिंग कोल, ज़िला खनिज निधि, राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR), अम्लीय वर्षा, स्मॉग, नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता। मेन्स के लिये:भारतीय अर्थव्यवस्था में कोयला क्षेत्र का महत्त्व, संबंधित चुनौतियाँ और आगे का रास्ता। |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने अपना 50वाँ स्थापना दिवस मनाया, जिसकी स्थापना राष्ट्रीयकृत कोकिंग कोल (1971) और नॉन-कोकिंग खानों (1973) की शीर्ष होल्डिंग कंपनी के रूप में हुई थी।
- CIL कोयला मंत्रालय के अधीन कार्य करता है, जिसका मुख्यालय कोलकाता में है।
कोल इंडिया लिमिटेड के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?
- परिचय: CIL भारत में एक सरकारी स्वामित्व वाली कोयला खनन कंपनी है, जो देश में कोयला संसाधनों के उत्पादन और प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1975 में की गई थी, जो विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक खनन कंपनी है।
- संगठनात्मक संरचना: CIL को 'महारत्न' सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ECL), भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) जैसी 8 सहायक कंपनियों के माध्यम से कार्य करती है।
- महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (MCL) CIL की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक सहायक कंपनी है।
- सामरिक महत्त्व: भारत की स्थापित विद्युत क्षमता का आधे से अधिक हिस्सा कोयला आधारित है, जिसमें CIL देश के कुल कोयला उत्पादन का लगभग 78% आपूर्ति करता है।
- भारत की प्राथमिक वाणिज्यिक ऊर्जा आवश्यकताओं में भी कोयले का योगदान 40% है।
- खनन क्षमता: आठ भारतीय राज्यों में CIL 84 खनन क्षेत्रों में कार्य करती है तथा कुल 313 सक्रिय खदानों का प्रबंधन करती है।
- हालिया घटनाक्रम: CIL ने हाल ही में कोयला और लिग्नाइट अन्वेषण पर रणनीति रिपोर्ट के साथ-साथ माइन क्लोज़र पोर्टल (Mine Closure Portal)की शुरुआत की है।
- इसने निगाही परियोजना ( Nigahi project) (सिंगरौली, मध्य प्रदेश) में 50 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र के विकास की भी घोषणा की, जो कोयला और लिग्नाइट अन्वेषण के लिये रूपरेखा तैयार करता है।
नोट: एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (PSU) "महारत्न" का दर्जा दिये जाने हेतु विचार किये जाने के पात्र हैं। यही उसे "नवरत्न" का दर्जा प्राप्त है , वह भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध है, न्यूनतम शेयरधारिता मानदंडों का अनुपालन करती है, तथा उसका औसत वार्षिक कारोबार 25,000 करोड़ रुपए से अधिक है , पिछले तीन वर्षों में उसकी कुल संपत्ति 15,000 करोड़ रुपए से अधिक है, और शुद्ध लाभ 5,000 करोड़ रुपए से अधिक है, साथ ही उसकी वैश्विक उपस्थिति भी महत्त्वपूर्ण है।
भारत में कोयला क्षेत्र से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- स्वतंत्रता पूर्व: भारत में कोयला खनन की शुरुआत वर्ष 1774 में दामोदर नदी के किनारे रानीगंज कोयला क्षेत्र में मेसर्स सुमनेर और हीटली द्वारा की गई थी।
- वर्ष 1853 में भाप इंजनों के प्रयोग से मांग में काफी वृद्धि हुई।
- स्वतंत्रता के बाद: वर्ष 1956 में स्थापित राष्ट्रीय कोयला विकास निगम (NCDC) ने कोयला उद्योग के व्यवस्थित और वैज्ञानिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण: राष्ट्रीयकरण की प्रक्रिया दो चरणों में शुरू हुई:
- सर्वप्रथम वर्ष 1971-72 में कोकिंग कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण किया गया था।
- वर्ष 1973 में गैर-कोकिंग कोयला खदानें स्थापित की गईं।
- वर्तमान उत्पादन: भारत ने वर्ष 2023-24 में 997.83 मिलियन टन (MT) कोयला का उत्पादन किया। CIL का उत्पादन 10.04% की वृद्धि के साथ 773.81 MT तक पहुँच गया।
- TISCO, IISCO, DVC और अन्य द्वारा भी छोटी मात्रा में कोयले का उत्पादन किया जाता है।
- कोयला आयात: वर्ष 2022-23 में कोयले का कुल आयात 237.668 मीट्रिक टन तथा वर्ष 2021-22 में 208.627 मीट्रिक टन था, इस प्रकार वर्ष 2021-22 की तुलना में यह 13.92% की वृद्धि को दर्शाता है।
- कोयला मुख्य रूप से इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, रूस, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, सिंगापुर और मोज़ाम्बिक से आयात किया जाता था।
- इस्पात, विद्युत्, सीमेंट और कोयला व्यापारी अपनी आपूर्ति आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये नॉन-कोकिंग कोयले का आयात करते हैं।
कोयले का वर्गीकरण
- एन्थ्रेसाइट: उच्चतम गुणवत्ता वाला कोयला, 80-95% कार्बन, उच्च कैलोरी मान, नीली लौ के साथ ज्वलित है, जम्मू और कश्मीर में यह अल्प मात्रा में पाया जाता है।
- बिटुमिनस: 60-80% कार्बन, उच्च कैलोरी मान, निम्न नमी; झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में पाया जाता है।
- लिग्नाइट: 40-55% कार्बन, भूरा रंग, उच्च आर्द्रता, अधिक धुआँ उत्पन्न करता है; राजस्थान, असम (लखीमपुर) और तमिलनाडु में भंडार है।
- पीट: कार्बनिक पदार्थ (लकड़ी) से कोयले में परिवर्तन के पहले चरण में प्राप्त होता है, <40% कार्बन, निम्न कैलोरी मान।
कोयला क्षेत्र का आर्थिक महत्त्व क्या है?
- ऊर्जा आधार: कोयला ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है, जो मुख्य रूप से ताप विद्युत संयंत्रों को ईंधन प्रदान करता है और भारत की प्राथमिक ऊर्जा आवश्यकताओं में से आधे से अधिक को पूरा करता है।
- अनुमान है कि वर्ष 2030 तक कोयले की मांग बढ़कर 1,462 मिलियन टन (MT) और वर्ष 2047 तक 1,755 मीट्रिक टन हो जाएगी, जो विद्युत उत्पादन के लिये इसके महत्त्व को दर्शाती है।
- रेलवे माल ढुलाई: भारत में रेलवे माल ढुलाई में कोयला सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता है, जो कुल माल ढुलाई आय का लगभग 49% है।
- राजस्व सृजन: कोयला क्षेत्र विभिन्न करों, रॉयल्टी और वस्तु एवं सेवा कर (GST) के माध्यम से केंद्र तथा राज्य सरकारों को प्रत्येक वर्ष 70,000 करोड़ रुपए से अधिक का योगदान देता है।
- ज़िला खनिज निधि और राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट से एकत्र धनराशि, विशेष रूप से कोयला उत्पादक क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक तथा बुनियादी अवसरंचना परियोजनाओं को सहायता प्रदान करती है।
- रोज़गार के अवसर: कोयला क्षेत्र रोज़गार का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है, जो कोल इंडिया लिमिटेड और इसकी सहायक कंपनियों में 2 लाख से अधिक व्यक्तियों के साथ-साथ हज़ारों संविदा श्रमिकों को रोज़गार प्रदान करता है।
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR): कोयला क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम विशेष रूप से कोल इंडिया लिमिटेड कोयला उत्पादक क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, जल आपूर्ति और कौशल विकास में निवेश करते हैं, जो सामुदायिक कल्याण के प्रति क्षेत्र की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत के कोयला क्षेत्र में चुनौतियाँ क्या हैं?
- पर्यावरणीय चुनौतियाँ:
- वायु प्रदूषण: कोयले के जलने से सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, पार्टिकुलेट मैटर आदि का उत्सर्जन होता है, जिसके परिणामस्वरूप अम्लीय वर्षा, धुआँ, धुंध तथा श्वसन संबंधी बीमारियाँ होती हैं।
- जल की खराब गुणवत्ता: आस-पास के जल निकायों में घुले हुए ठोस पदार्थों का उच्च स्तर पाया जाता है। भूजल का अत्यधिक पंपिंग जल की कमी की समस्या को और बढ़ा देता है।
- भूमि क्षरण: खुले में खनन के लिये भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता होती है, जिससे निर्वनीकरण होता है और जैवविविधता का नुकसान होता है।
- उत्पादन की उच्च लागत: रिपोर्ट बताती है कि उत्पादन की औसत लागत लगभग 1,500 रुपए प्रति टन है, जो अन्य कोयला उत्पादक देशों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक है।
- कोयले की गुणवत्ता: भारत में उत्पादित कोयले का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा निम्न गुणवत्ता का है, जो दक्षता को प्रभावित करता है।
- CIL के अनुसार घरेलू कोयले का 30-40% गैर-कोककारी (कोकिंग) कोयले के रूप में वर्गीकृत है, जो विद्युत उत्पादन के लिये कम कुशल है।
- नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश: भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाना है। कोयला क्षेत्र का प्रभुत्व इस लक्ष्य के लिये चुनौती बन रहा है।
- कोयले में निवेश, नवीकरणीय प्रौद्योगिकियों के विकास में निवेश के साथ प्रतिस्पर्द्धा करता है।
- एकाधिकारवादी बाज़ार संरचना: CIL के प्रभुत्व वाले कोयला उद्योग की राष्ट्रीयकृत संरचना ने एकाधिकारवादी प्रथाओं के विषय में चिंताएँ उत्पन्न की हैं, जिसमें एकतरफा आपूर्ति समझौते भी शामिल हैं, जिनसे उपभोक्ताओं को नुकसान होता है।
भारत के कोयला क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान कैसे करें?
- पर्यावरणीय चुनौतियों को कम करना: स्क्रबर, फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन और इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रीसिपिटेटर (ESP) की स्थापना से सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड तथा पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।
- खनन कार्यों से प्रभावित जल निकायों की गुणवत्ता में सुधार के लिये जल पुनर्चक्रण, वर्षा जल संचयन और अन्य उपाय अपनाना।
- प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना: प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करने और उपभोक्ता विकल्प को बढ़ाने के लिये निजी अभिकर्त्ताओं को कोयला खनन तथा वितरण में अधिक स्वतंत्रतापूर्वक भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिये।
- निवेश विविधीकरण: कोयले से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में संक्रमण के लिये एक स्पष्ट रोडमैप बनाना ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोयला क्षेत्र के प्रभुत्व के कारण नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश स्थिर न हो। उदाहरण के लिये हरित पहल।
- लागत प्रबंधन पहल: तकनीकी प्रगति, बेहतर खनन तकनीकों और बेहतर संसाधन प्रबंधन के माध्यम से कोयला उत्पादन की लागत को कम करने के उपायों का पता लगाना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत में कोयला क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये और इन मुद्दों के समाधान के लिये व्यापक उपाय सुझाएँ। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्र. भारत में इस्पात उत्पादन उद्योग को निम्नलिखित में से किसके आयात की अपेक्षा होती है? (2015) (a) शोरा उत्तर: (c) प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारतीय कोयले का/के अभिलक्षण है/हैं? (2013)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये। (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) मेन्स:Q. गोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग अपने सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में बहुत कम प्रतिशत का योगदान देते हैं। विवेचना कीजिये। (2021) Q. "प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद, कोयला खनन विकास के लिये अभी भी अपरिहार्य है।" विवेचना कीजिये।(2017) |