शासन व्यवस्था
BBBP और सुकन्या समृद्धि योजना की 10वीं वर्षगाँठ
- 23 Jan 2025
- 17 min read
प्रिलिम्स के लिये:बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, मिशन वात्सल्य, मिशन शक्ति, आँगनवाड़ी केंद्र (AWC), 15 वाँ वित्त आयोग (2021-2026), नारी अदालत, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY), सकल नामांकन अनुपात (GER), एकीकृत बाल संरक्षण योजना (ICPS), मातृ एवं शिशु मृत्यु दर, टीकाकरण, जननी सुरक्षा योजना (JSY), नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS), राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (2019-21), AISHE 2021-2022। मेन्स के लिये:बाल लिंगानुपात (CSR), जन्म के समय लिंगानुपात (SRB) और महिला सशक्तिकरण में सुधार लाने में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना और सुकन्या समृद्धि योजना की भूमिका। |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
22 जनवरी 2025 को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना और सुकन्या समृद्धि योजना के शुभारंभ का 10वाँ वर्ष मनाया गया।
- 22 जनवरी से 8 मार्च ( अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ) तक समारोह आयोजित करने की योजना बनाई गई है और इसमें मिशन वात्सल्य और मिशन शक्ति पोर्टल का शुभारंभ भी शामिल है।
- BBBP योजना 22 जनवरी 2015 को पानीपत, हरियाणा में शुरू की गई थी और SSY को BBBP योजना के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था।
BBBP क्या है?
- परिचय: BBBP एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे घटते बाल लिंगानुपात (CSR) को संबोधित करने, लैंगिक-पक्षपातपूर्ण लैंगिक-चयनात्मक उन्मूलन को रोकने और बालिकाओं के अस्तित्व, संरक्षण और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये शुरू किया गया है।
- मुख्य उद्देश्य:
- जन्म के समय लिंगानुपात (SRB) में प्रतिवर्ष दो अंकों का सुधार करना।
- 95% या उससे अधिक की सतत् संस्थागत प्रसव दर हासिल करना।
- प्रथम तिमाही में प्रसवपूर्व देखभाल पंजीकरण और माध्यमिक शिक्षा नामांकन का प्रतिशत प्रतिवर्ष 1% बढ़ाया जाएगा।
- माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्तर पर लड़कियों की स्कूल छोड़ने की दर में कमी लाना।
- सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (MHM) के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
- लक्ष्य समूह:
- प्राथमिक समूह: युवा दंपत्ति, भावी माता-पिता, किशोर, परिवार और समुदाय।
- द्वितीयक समूह: स्कूल, आँगनवाड़ी केंद्र (AWC), चिकित्सा पेशेवर, स्थानीय सरकारी निकाय, गैर सरकारी संगठन, मीडिया और धार्मिक नेता।
- मिशन शक्ति के साथ एकीकरण: BBBP योजना को अब 15 वें वित्त आयोग (2021-2026) के दौरान कार्यान्वयन के लिये महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के कार्यक्रम मिशन शक्ति के साथ एकीकृत किया गया है। मिशन शक्ति में दो उप-योजनाएँ शामिल हैं:
- संबल (सुरक्षा और संरक्षण): वन स्टॉप सेंटर (OSC), महिला हेल्पलाइन (181), BBBP का राष्ट्रव्यापी विस्तार और शिकायत निवारण के लिये नारी अदालत जैसी पहलों के माध्यम से महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- सामर्थ्य (सशक्तिकरण): शक्ति सदनों (राहत और पुनर्वास गृह), सखी निवास (कामकाजी महिलाओं के लिये सुरक्षित आवास) और पालना ( क्रेच सुविधाएँ) के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना।
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) अब दूसरी संतान, यदि वह लड़की हो, के लिये सहायता प्रदान करती है, जिससे मातृ स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।
- संकल्प: HEW (महिला सशक्तिकरण केंद्र) महिलाओं के लिये केंद्रीय और राज्य योजनाओं तक पहुँच के लिये ज़िला स्तरीय एकल खिड़की तंत्र के रूप में कार्य करता है।
- वित्तपोषण: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं (BBBP) एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जो मिशन शक्ति की संबल उप-योजना के तहत देश के सभी ज़िलों में केंद्र सरकार द्वारा 100% वित्तपोषित है।
- ज़िला स्तर पर वित्तीय सहायता SRB के अनुसार वितरित की जाती है, जिसमें 40 लाख रुपए (SRB≤918), 30 लाख रुपए (SRB 919-952) तथा 20 लाख रुपए (SRB>952) आवंटित किये जाते हैं।
- प्रमुख हस्तक्षेप: यशस्विनी बाइक अभियान जैसे ज़मीनी स्तर के अभियान, जो महिला सशक्तीकरण का प्रतीक थे, तथा कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव, जिसके तहत स्कूल न जाने वाली 100,000 से अधिक लड़कियों को पुनः नामांकित किया गया।
- कार्यबल भागीदारी और कौशल को बढ़ावा देने वाले सम्मेलन और कार्यक्रम, जैसे " बेटियाँ बनें कुशल।"
- 10 वर्षों में उपलब्धियाँ:
- SRB: राष्ट्रीय SRB वित्त वर्ष 2014-15 में 918 से बढ़कर 2023-24 में 930 हो गया।
- शिक्षा: माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात (GER) वर्ष 2014-15 में 75.51% से बढ़कर 2023-24 में 78% हो गया।
- संस्थागत प्रसव: संस्थागत प्रसव वर्ष 2014-15 में 61% से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 97.3% हो जाएगा।
- जागरूकता अभियान: 'सेल्फी विद डॉटर्स' और 'बेटी जन्मोत्सव' जैसे राष्ट्रव्यापी अभियानों के माध्यम से बालिकाओं के महत्त्व को दर्शाया गया।
- आर्थिक सशक्तीकरण: कौशल विकास मंत्रालय के साथ सहयोग से लड़कियों और महिलाओं के लिये कौशल विकास और आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा मिला।
मिशन वात्सल्य:
- मिशन वात्सल्: इसका उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप बाल संरक्षण और विकास करना है।
- यह बाल अधिकारों और जागरूकता के समर्थन पर ज़ोर देता है, साथ ही किशोर न्याय प्रणाली को मज़बूत बनाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि "कोई भी बच्चा पीछे न छूटे।"
- इसे शुरू में एकीकृत बाल संरक्षण योजना (ICPS) के नाम से जाना जाता था।
- उप-योजना: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत तीन योजनाएँ क्रियान्वित की जा रही हैं:
- देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों तथा कानून से संघर्षरत बच्चों के लिये किशोर न्याय कार्यक्रम।
- सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिये एकीकृत कार्यक्रम.
- बच्चों के लिये गृह (शिशु गृह) सहायता योजना।
- ICPS के अंतर्गत समेकन (2009-2010): उपरोक्त तीन योजनाओं को ICPS में विलय कर दिया गया तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा उनका प्रबंधन किया गया।
- वर्ष 2017 में, ICPS का नाम बदलकर बाल संरक्षण सेवा (CPS) योजना कर दिया गया।
- CPS को वर्ष 2021-22 से मिशन वात्सल्य में एकीकृत कर दिया गया।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY)
- PMMVY: PMMVY महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक मातृत्व लाभ योजना है, जिसका उद्देश्य गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- मुख्य उद्देश्य:
- वेतन हानि की भरपाई: महिलाओं को वेतन हानि के लिये आंशिक मुआवजा प्रदान करना ताकि वे गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद पर्याप्त आराम कर सकें।
- स्वास्थ्य और पोषण सुनिश्चित करना: माँ और बच्चे दोनों के लिये सुरक्षित प्रसव और अच्छे पोषण को बढ़ावा देना।
- मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना : संस्थागत प्रसव एवं प्रसवोत्तर देखभाल को प्रोत्साहित करना।
- मुख्य विशेषताएँ: तीन किस्तों में 5,000 रुपए का प्रत्यक्ष लाभ प्रदान किया जाता है।
- संस्थागत प्रसव के लिये जननी सुरक्षा योजना (JSY) के अंतर्गत अतिरिक्त 1,000 रुपए प्रदान किये जाते हैं, जिससे कुल लाभ प्रति लाभार्थी 6,000 रुपए हो जाता है।
- पात्रता मानदंड: यह योजना उन गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिये है जो पहली बार बच्चे को जन्म दे रही हैं तथा जिनकी आयु 19 वर्ष या उससे अधिक है।
- इसमें नियमित सरकारी नौकरियों में कार्यरत या अन्य कानूनों के तहत समान लाभ प्राप्त करने वाली महिलाओं को शामिल नहीं किया गया है।
सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) क्या है?
- परिचय: इसे BBBP योजना के एक हिस्से के रूप में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य शिक्षा और सशक्तीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए बैंक खाते खोलकर बालिकाओं के भविष्य के लिये वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना था।
- खाता पात्रता: कोई भी निवासी भारतीय बालिका इस कार्यक्रम में भाग ले सकती है, तथा जन्म से लेकर 10 वर्ष की आयु तक खाता खोला जा सकता है।
- एक अभिभावक प्रति बच्चे एक खाता खोल सकता है, तथा जुड़वाँ या तीन बच्चों को छोड़कर प्रति परिवार अधिकतम दो खाते खोले जा सकते हैं।
- जमा और अंशदान: न्यूनतम प्रारंभिक जमा राशि 250 रुपए है तथा वार्षिक जमा सीमा 1,50,000 रुपए है।
- इसमें 15 वर्ष तक जमा किया जा सकता है तथा कन्या के अठारह वर्ष की होने तक अभिभावक खाते का प्रबंधन करेंगे।
- खाता परिपक्वता: सुकन्या समृद्धि खाता, खाता खोलने की तिथि से 21 वर्ष बाद परिपक्व होता है। यदि खाताधारक परिपक्वता से पहले विवाह करना चाहता है तो समय से पहले खाते का समापन किये जाने की अनुमति है।
- आहरण: अठारह वर्ष की आयु पूरी करने या दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात्, खाताधारक शिक्षा के लिये पिछले वित्तीय वर्ष की शेष राशि का 50% का आहरण कर सकता है।
- खाते का समय-पूर्व समापन: खाताधारक की मृत्यु या गंभीर बीमारी या अभिभावक की मृत्यु जैसे अनुकंपा कारणों के मामले में, खाते को समयपूर्व बंद किया जा सकता है।
- हालाँकि, खाता खोलने के पहले पाँच वर्षों के भीतर इसे समय से पहले बंद करने की अनुमति नहीं है।
- 10 वर्षों में उपलब्धियाँ: नवंबर 2024 तक, 4.1 करोड़ से अधिक सुकन्या समृद्धि खाते खोले गए हैं, जिससे वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा मिलेगा और लड़कियों की शिक्षा और सशक्तीकरण के लिये दीर्घकालिक बचत को प्रोत्साहन मिलेगा।
भारत में लैंगिक संकेतकों में प्रगति से संबंधित प्रमुख आँकड़े क्या हैं?
- जन्म के समय लिंगानुपात: प्रतिदर्श पंजीकरण प्रणाली (SRS) के अनुसार, वर्ष 2014 से 2016 की अवधि में जन्म के समय लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 898 महिला था जो वर्ष 2018-2020 में बढ़कर 907 हो गया।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (2019-21) में जन्म के समय लिंगानुपात में 919 (2015-16) से 929 (2019-21) की वृद्धि दर्ज की गई।
- शैक्षिक लैंगिक अंतराल: वर्ष 2015-16 में, उच्च शिक्षा में महिलाओं का सकल नामांकन अनुपात (GER) 23.5% था, जो पुरुषों की तुलना में 1.9 प्रतिशत कम था। हालाँकि, AISHE 2021-2022 के अनुसार वर्तमान में महिलाओं का GER पुरुषों की अपेक्षा 0.2 प्रतिशत अधिक है।
- माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा स्तर पर, वर्ष 2015-16 के बाद से महिला नामांकन पुरुष नामांकन से अधिक अथवा एकसमान हो गया।
- मातृ एवं शिशु मृत्यु दर: मातृ मृत्यु दर घटकर प्रति लाख जीवित जन्मों पर 97 हो गई, जबकि शिशु मृत्यु दर घटकर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 28 हो गई।
- संस्थागत प्रसव: देश भर में संस्थागत प्रसव लगभग शत प्रतिशत हो चुका है।
निष्कर्ष
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना और सुकन्या समृद्धि योजना ने भारत में महिलाओं का सशक्तीकरण करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लिंगानुपात, शिक्षा, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य और कन्याओं के लिये वित्तीय सुरक्षा में सुधार के साथ, इन पहलों ने वैश्विक महिला-नेतृत्व वाले विकास लक्ष्यों के साथ तालमेल स्थापित करते हुए एक अधिक समावेशी और समतापूर्ण समाज के निर्माण में योगदान दिया है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत के जेंडर-संबंधी संकेतकों पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना और सुकन्या समृद्धि योजना के प्रभाव की विवेचना कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. वह सुविधा/सुविधाएँ क्या हैं जो लाभार्थियों को शाखारहित क्षेत्रों में बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट (बैंक साथी) की सेवाओं से मिल सकती हैं? (2014)
नीचे दिए गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. भारत में सभी राष्ट्रीयकृत वाणिज्यिक बैंकों में बचत खातों पर ब्याज दर किसके द्वारा निर्धारित की जाती है (2010) (a) केंद्रीय वित्त मंत्रालय उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न.भारत में महिलाओं के समक्ष समय और स्थान संबंधित निरंतर चुनौतियाँ क्या-क्या हैं? (2019) प्रश्न. भारत में महिला सशक्तीकरण के लिये जेंडर बजटिंग अनिवार्य है। भारतीय प्रसंग में जेंडर बजटिंग की क्या आवश्यकताएँ एवं स्थिति हैं? (2016) |