रैपिड फायर
आयुध वस्त्र का पहला रक्षा निर्यात
स्रोत: द हिंदू
रक्षा मंत्रालय के अधीन आयुध वस्त्र निर्माणी (Ordnance Clothing Factory- OCF), अवाडी ने सूरीनाम गणराज्य को भारत का पहला रक्षा क्षेत्र का ऑर्डर निर्यात किया।
- OCF एक "फ्यूचर सोल्जर सिस्टम" विकसित कर रहा है जिसमें सैनिकों की गतिशीलता बढ़ाने के लिये हल्के, डिजिटल रूप से मुद्रित, जीवाणुरोधी छद्मावरण वर्दी और बैलिस्टिक हेलमेट (0.9 किलोग्राम) शामिल हैं।
- OCF अवाडी में बुलेट-प्रतिरोधी जैकेट, बैलिस्टिक हेलमेट, वेस्ट और बम-रोधी कंबलों का विनिर्माण होता है।
- भारत का रक्षा निर्यात वर्ष 2023-24 में बढ़कर 21,000 करोड़ रुपए से अधिक रहा, जो वर्ष 2014 में 2,000 करोड़ रुपए था तथा वर्ष 2029 तक इसे 50,000 करोड़ रुपए किया जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- सूरीनाम: यह दक्षिण अमेरिका के उत्तरपूर्वी तट पर स्थित है और इसकी सीमा गुयाना, फ्रेंच गुयाना और ब्राज़ील से लगती है।
- औपनिवेशिक काल के दौरान, भारतीयों को चीनी बागानों में काम करने के लिये अनुबंधित श्रमिकों के रूप में के जाया गया था।
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रैपिड फायर
महात्मा गांधी की पुण्यतिथि
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारत में प्रतिवर्ष 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के स्मरण में शहीद दिवस मनाया जाता है।
- 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला हाउस में शाम की प्रार्थना के दौरान नाथूराम गोडसे ने गांधी की हत्या कर दी थी।
- शहीद दिवस श्रद्धांजलि: इस दौरान लोग प्रार्थना सभाओं के लिये राजघाट (दिल्ली में महात्मा गांधी की समाधि स्थल) पर एकत्रित होते हैं।
- नोट: भारत के तीन असाधारण क्रांतिकारियों- भगत सिंह, शिवराम राजगुरु, सुखदेव थापर के बलिदान को याद करने के लिये 23 मार्च को शहीदी दिवस भी मनाया जाता है।
और पढ़ें: महात्मा गांधी
रैपिड फायर
पोस्ट-क्वांटम एन्क्रिप्शन क्रिप्टोग्राफी
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) कंपनियाँ पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC) के कार्यान्वयन के माध्यम से क्वांटम कंप्यूटिंग द्वारा उत्पन्न संभावित खतरों के अनुकूल बन रही हैं।
- क्वांटम कंप्यूटिंग अत्यंत तीव्र गति से गणना करने की अपनी क्षमता के कारण वर्तमान एन्क्रिप्शन विधियों के लिये कई खतरे उत्पन्न करती है।
- असममित एन्क्रिप्शन का सरलीकरण: क्वांटम कंप्यूटर जटिल गणितीय समस्याओं जैसे बड़ी संख्याओं का गुणनखंडन और असतत लघुगणक को हल कर सकते हैं।
- इससे रिवेस्ट-शमीर-एडलमैन (RSA) और एलिप्टिक कर्व क्रिप्टोग्राफी (ECC) जैसी एन्क्रिप्शन विधियों पर असर पड़ सकता है , जिनका व्यापक रूप से सुरक्षित संचार के लिये उपयोग किया जाता है।
- स्टोर नाउ, डिक्रिप्ट लेटर (SNDL) अटैक: साइबर अपराधी एन्क्रिप्टेड डेटा को तुरंत संग्रहीत कर सकते हैं और बाद में जब क्वांटम कंप्यूटर पर्याप्त शक्तिशाली हो जाते हैं, तो उसे डिक्रिप्ट कर सकते हैं, जिससे संवेदनशील जानकारी खतरे में पड़ सकती है।
- उद्योग-व्यापी डेटा सुरक्षा जोखिम: यदि क्वांटम कंप्यूटर एन्क्रिप्शन मानकों का उल्लंघन करते हैं, तो वित्त, स्वास्थ्य सेवा और सरकारी संचार जैसे क्षेत्रों को डेटा उल्लंघन और वित्तीय नुकसान का खतरा हो सकता है।
- असममित एन्क्रिप्शन का सरलीकरण: क्वांटम कंप्यूटर जटिल गणितीय समस्याओं जैसे बड़ी संख्याओं का गुणनखंडन और असतत लघुगणक को हल कर सकते हैं।
पोस्ट-क्वांटम एन्क्रिप्शन/क्रिप्टोग्राफी (PQC):
- PQC उन क्रिप्टोग्राफिक विधियों को संदर्भित करता है जो क्वांटम कंप्यूटरों द्वारा आसानी से हल किये जा सकने वाले गणितीय समस्याओं पर निर्भर नहीं होते हैं।
- इसे क्वांटम-रेजिस्टेंस, क्वांटम-सेफ या क्वांटम-प्रूफ क्रिप्टोग्राफी के रूप में भी जाना जाता है।
- इन विधियों को क्लासिकल और क्वांटम कंप्यूटिंग सिस्टम दोनों के हमलों के खिलाफ सुरक्षित रहने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- VPN तकनीक डेटा को एन्क्रिप्ट करती है और उपयोगकर्त्ता के IP एड्रेस को गुप्त रखती है, ताकि डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा के लिये उपकरणों के बीच सुरक्षित संचार सुनिश्चित किया जा सके।
और पढ़ें: पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी, वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क।
प्रारंभिक परीक्षा
निकोबारी जनजाति
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
निकोबार द्वीप समूह में निकोबारी प्रवास के कालक्रम को एक अध्ययन द्वारा अद्यतन किया गया है, जो यूरोपीय जर्नल ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स में प्रकाशित हुआ है।
निकोबारी जनजाति पर अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- संशोधित प्रवास समयरेखा: पिछले अध्ययनों से अनुमान लगाया गया था कि निकोबारी लोगों के ऑस्ट्रोएशियाटिक पूर्वज 11,000 साल पहले निकोबार द्वीप समूह में आये थे ।
- उन्नत डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) विश्लेषण का उपयोग करते हुए नवीनतम अध्ययन द्वारा इस अनुमान को संशोधित कर लगभग 5,000 वर्ष पूर्व कर दिया गया।
- आनुवंशिक संबंध: अध्ययन में पाया गया कि निकोबारी लोग हतिन माल समुदाय (लाओस-थाईलैंड क्षेत्र के मूल निवासी जातीय समूह) के साथ पैतृक संबंध साझा करते हैं।
- इससे यह पुष्टि होती है कि उनके पूर्वज दक्षिण एशिया की बजाय दक्षिण-पूर्व एशिया से आये थे।
- आनुवंशिक पहचान का संरक्षण: अपने भौगोलिक अलगाव के कारण, निकोबारी लोगों ने न्यूनतम बाहरी प्रभाव के साथ अपनी आनुवंशिक पहचान बनाए रखी है।
- इससे शोधकर्त्ताओं को उनके पूर्वजों का अधिक सटीक रूप से पता लगाने में मदद मिली है।
- भाषाई निरंतरता: दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ अपने आनुवंशिक संबंधों के बावजूद, निकोबारी लोगों ने अपनी ऑस्ट्रोएशियाटिक भाषाई जड़ों (ख्मुइक शाखा) को बनाए रखा है, जो उन्हें अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई आबादी से जोड़ता है।
निकोबारी जनजाति के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?
- भूगोल: निकोबारी लोग बंगाल की खाड़ी में निकोबार द्वीप समूह में रहते हैं, जो भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह केंद्रशासित प्रदेश का हिस्सा है।
- निकोबार द्वीप समूह में 19 द्वीप शामिल हैं, जिनमें प्रमुख द्वीप कार निकोबार, कामोर्टा, नानकोरी और ग्रेट निकोबार हैं, जिनमें पहाड़ी और समतल दोनों क्षेत्र शामिल हैं।
- ग्रेट निकोबार निकोबार द्वीपसमूहों में सबसे दक्षिणी तथा सबसे बड़ा द्वीप समूह है।
- जातीय समूह: निकोबारी लोग मंगोलॉयड जातीय समूह से संबंधित हैं तथा उनकी जनसंख्या 27,000 से अधिक है।
- हालाँकि वे जनजातियों में विभाजित नहीं हैं, फिर भी उन्हें छह प्रादेशिक समूहों में वर्गीकृत किया गया है: कार निकोबार, चौरा, टेरेसा विद बोम्पोका (Teressa with Bompoka), केंद्रीय समूह, दक्षिणी समूह और शोम्पेन (ग्रेट निकोबार की अंतर्देशीय जनजाति)।
- सामाजिक संरचना: पितृसत्तात्मक संयुक्त परिवार प्रणाली जिसे तुहेट (Tuhet) के नाम से जाना जाता है।
- तुहेट (Tuhet) लोगों के पास भूमि, नारियल के पेड़ और सूअर व्यक्तिगत रूप से नहीं बल्कि सामूहिक रूप से होते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किनमें प्रवाल भित्तियाँ पाई जाती हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (a) प्रश्न. द्वीपों के निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म 'दस डिग्री चैनल' द्वारा एक-दूसरे से अलग किया जाता है? (2014) (a) अंडमान और निकोबार उत्तर: (a) प्रश्न . निम्नलिखित में से किस स्थान पर शोम्पेन जनजाति पाई जाती है? (2009) (a) नीलगिरि पहाड़ियाँ उत्तर: (b) |
प्रारंभिक परीक्षा
पौधों पर कोल डस्ट का प्रभाव
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय और NIT राउरकेला (अक्टूबर 2024) द्वारा किये गए एक अध्ययन में पाया गया है कि कोयला खनन से निकलने वाली धूल पौधों के रंध्रों को अवरुद्ध करके और कार्बन अवशोषण को कम करके पौधों एवं वनस्पति को नुकसान पहुँचाती है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है।
- इस धूल से खदान से 30 किमी तक की वनस्पति पर प्रभाव पड़ता है तथा इसका सर्वाधिक संकेंद्रण परिवहन मार्गों पर होता है।
कोयला खनन की धूल पादपों को किस प्रकार प्रभाव करती है?
- कार्बन अवशोषण की क्षमता पर प्रभाव: जिन पौधों की पत्तियों पर खनन की धूल होती है, वे धूल रहित पौधों की तुलना में प्रति वर्ग मीटर 2-3 ग्राम कम कार्बन अवशोषित करते हैं, जिससे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के उच्च स्तर में उनकी भूमिका बढ़ सकती है, जिससे समय के साथ ग्लोबल वार्मिंग बढ़ सकती है।
- पादपों के स्वास्थ्य पर प्रभाव: पत्तियों पर धूल का जमाव रंध्रों को अवरुद्ध करता है, जिससे प्रकाश संश्लेषण और जल वाष्प उत्सर्जन प्रभावित होता है।
- वाष्पोत्सर्जन में इस कमी से पादप का अतितापन हो सकता है, जिससे विकास अवरुद्ध हो सकता है, पौधे मर सकते हैं और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो सकता है।
- श्वसन संबंधी जोखिम: विवृत खान का खनन करने से गंभीर वायु प्रदूषण होता है, क्योंकि विस्फोट, ड्रिलिंग और परिवहन से निकलने वाली धूल का परिक्षेपण होता है, जिससे श्वसन संबंधी गंभीर जोखिम उत्पन्न होते हैं।
मनुष्यों पर कोयले की धूल का प्रभाव
- श्वसन विकार: न्यूमोकोनियोसिस (ब्लैक लंग डिज़ीज़), जिसके कारण फेफड़ों में घाव हो जाता है और साँस लेने में कठिनाई होती है।
- इससे COPD (क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, वातस्फीति (Emphysema)), फेफड़ों के कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है।
- हृदय संबंधी रोग: कोयले की धूल सूजन और उच्च रक्तचाप पैदा करके हृदय रोग, स्ट्रोक और धमनी अवरोध का खतरा बढ़ाती है।
- तंत्रिका संबंधी एवं स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव: कोयले की धूल में मौजूद भारी धातुएँ तंत्रिका विषाक्तता, त्वचा और आँखों में जलन, प्रजनन संबंधी समस्याएँ पैदा कर सकती हैं, जिससे संज्ञानात्मक कार्य और समग्र स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
कोयला
- परिचय:
- कोयला एक अवसादी चट्टान है जिसका रंग काला या भूरा-काला होता है।
- यह एक जीवाश्म ईंधन है जो लाखों वर्ष पूर्व मौजूद पौधों के अवशेषों से निर्मित हुआ है।
- प्रकार:
- उत्पादन:
- रैंकिंग के अनुसार कोयला उत्पादक देश (वर्ष 2022): चीन, भारत, इंडोनेशिया, अमेरिका और रूस।
- अमेरिका में विश्व का सबसे बड़ा प्रमाणित कोयला भंडार है।
- भारत में: प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड हैं, जिसमे मध्य प्रदेश का कुछ हिस्सा भी शामिल हैं, तथा भारत में घरेलू कच्चे कोयले के प्रेषण में इनका योगदान 75% है।
- रैंकिंग के अनुसार कोयला उत्पादक देश (वर्ष 2022): चीन, भारत, इंडोनेशिया, अमेरिका और रूस।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. भारत में इस्पात उत्पादन उद्योग को निम्नलिखित में से किसके आयात की अपेक्षा होती है? (2015) (a) शोरा उत्तर: (c) प्रश्न: कोयले के बृहत् सुरक्षित भण्डार होते हुए भी भारत क्यों मिलियन टन कोयले का आयात करता है? (2012)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |