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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 29 Jul, 2023
  • 22 min read
प्रारंभिक परीक्षा

तीव्र रेडियो विस्फोट

हाल ही में खगोलविदों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने अमेरिका में ग्रीन बैंक टेलीस्कोप और ऑस्ट्रेलिया में पार्क्स वेधशाला का उपयोग करके दोहराए जाने वाले तीव्र रेडियो विस्फोट (Fast Radio Bursts- FRB), FRB 20190520B का अध्ययन किया है। यह रिपोर्ट साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई थी।

तीव्र रेडियो विस्फोट: 

  • ये रेडियो प्रकाश (या रेडियो तरंगों) का रहस्यमय उत्सर्जन हैं जो ब्रह्मांड के सुदूर क्षेत्रों से आते हैं।
  • FRB सुदूर आकाशगंगाओं से पृथ्वी तक पहुँचते हैं और एक मिलीसेकंड में उतनी ही ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं जितनी सूरज कई सप्ताह में करता है।
  • ये प्रकृति में पाए जाने वाले सबसे चमकीले रेडियो विस्फोट हैं।
  • खगोल भौतिकीविद् बड़े रेडियो दूरबीनों का उपयोग करके केवल क्षण भर के लिये FRB को 'देख' पाने में सक्षम हैं लेकिन उनकी सटीक उत्पत्ति और कारण से अज्ञात हैं।
  • कुछ FRB घटनाएँ कभी-कभी होती हैं, जबकि अन्य पुनरावर्तक हैं जो रुक-रुक कर पृथ्वी से दिखाई देती हैं।

अध्ययन की मुख्य विशेषताएँ:

  • अत्यधिक परिवर्तनशील फैराडे घूर्णन माप:  
    •  खगोलविदों ने पाया कि दोहराए जाने वाले FRB 20190520B का फैराडे घूर्णन माप अत्यधिक परिवर्तनशील था, साथ ही यह दो बार उलटी दिशा में था।
      • यह माप FRB की चुंबकीय क्षेत्र शक्ति का सूचक है।
  • बाइनरी स्टार सिस्टम:  
    • FRB के चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति और उलटने की दिशा में भिन्नता ने शोधकर्ताओं को इस निष्कर्ष पर पहुँचाया कि FRB स्रोत संभवतः एक बाइनरी स्टार सिस्टम की परिक्रमा कर रहा है, जहाँ साथी तारा संभवतः एक विशाल तारा या ब्लैक होल है।
      • इससे यह संभावना बढ़ गई कि "सभी दोहराए जाने वाले FRB बाइनरी में हो सकते हैं।" हालाँकि इस परिकल्पना की पुष्टि के लिये आगे की निगरानी तथा अनुसंधान की आवश्यकता है।
  • अशांत चुंबकीय प्लाज़्मा वातावरण:  
    • FRB स्रोत के आसपास के चुंबकीय क्षेत्र एवं इलेक्ट्रॉन घनत्व में देखे गए परिवर्तन एक अशांत चुंबकीय प्लाज़्मा वातावरण की उपस्थिति का सुझाव देते हैं।
      • यह वातावरण संभवतः FRB संकेतों के व्यवहार को प्रभावित करता है। 
  • रेडियो टेलीस्कोप का महत्त्व:  
    • अध्ययन FRB और अन्य अंतरिक्षीय घटनाओं के अध्ययन में उन्नत रेडियो टेलीस्कोप के महत्त्व को रेखांकित करता है।
    • ये टेलीस्कोप, जैसे- वेरी लार्ज एरे (Very Large Array) तथा डीप सिनोप्टिक एरे-110 (Deep Synoptic Array-110), FRB के सटीक स्थानीयकरण को सक्षम बनाते हैं और उनके स्रोतों एवं विशेषताओं को समझने के लिये मूल्यवान डेटा प्रदान करते हैं।
  • ब्रह्मांडीय रहस्यों को उजागर करना:
    • अध्ययन ब्रह्मांडीय रहस्यों को उजागर करने तथा ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ को सुदृढ़ करने में रेडियो खगोल विज्ञान की भूमिका पर ज़ोर देता है।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

कण भौतिकी और विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण का मानक मॉडल

कुछ भौतिक विज्ञानी इलेक्ट्रॉन द्विध्रुव आघूर्ण को ध्यान में रखते हुए कण भौतिकी के मानक मॉडल नामक सिद्धांत में खामियाँ खोजने के लिये प्रयोग कर रहे हैं।

कण भौतिकी का मानक मॉडल:

  • परिचय:  
    • कण भौतिकी का मानक मॉडल एक सैद्धांतिक ढाँचा है जो मूलभूत कणों तथा उनकी अंतःक्रियाओं का वर्णन करता है।
    • इसमें प्रकृति की चार मूलभूत शक्तियों में से तीन को शामिल किया गया है: विद्युत चुंबकत्व, दुर्बल परमाणु बल और प्रबल परमाणु बल, जबकि गुरुत्वाकर्षण इस मॉडल में शामिल नहीं है।
  • अवयव: 
    • प्राथमिक कण: मॉडल कणों को दो मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत करता है: फर्मिऑन और बोसॉन।
    • फर्मिऑन: ये वे कण हैं जो पदार्थ बनाते हैं। इन्हें आगे दो समूहों में विभाजित किया गया है:
      • क्वार्क: अन्य कणों के अलावा प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के निर्माण खंड।
      • लेप्टॉन: इसमें इलेक्ट्रॉन जैसे कण शामिल होते हैं।
    • बोसॉन: ये कण फर्मिऑन के बीच मूलभूत बलों की मध्यस्थता के लिये ज़िम्मेदार हैं। इसमें फोटॉन, W और Z बोसॉन, ग्लूऑन, हिग्स बोसॉन शामिल हैं।
  • सीमाएँ:  
    • इसमें डार्क मैटर और डार्क एनर्जी को शामिल नहीं किया गया है जो ब्रह्मांड के महत्त्वपूर्ण घटक हैं।
      • यह नहीं पता कि हिग्स बोसोन इतना भारी क्यों है या गुरुत्वाकर्षण अन्य मूलभूत बलों की तुलना में इतना कमज़ोर क्यों है।
    • यह गुरुत्वाकर्षण का कोई क्वांटम सिद्धांत भी प्रदान नहीं करता है जो ब्लैक होल और बिग बैंग जैसी घटनाओं को समझने के लिये आवश्यक है।

मानक मॉडल के परीक्षण में इलेक्ट्रॉन की महत्त्वपूर्ण भूमिका:

  • इलेक्ट्रॉन प्रकृति में सबसे सरल और सबसे सटीक रूप से मापा जाने वाला कणों में से एक है। इसमें एक नकारात्मक विद्युत आवेश, एक स्पिन (आंतरिक कोणीय गति का एक रूप) और एक द्रव्यमान है, लेकिन कोई अन्य ज्ञात गुण नहीं है।
    • मानक मॉडल के अनुसार, इलेक्ट्रॉन का आकार गोलाकार होना चाहिये जिसका अर्थ है कि सकारात्मक और नकारात्मक चार्ज इसके केंद्र के चारों ओर समान रूप से वितरित होते हैं।
  • इसका तात्पर्य यह है कि इसमें कोई विद्युत द्विध्रुव क्षण (EDM) नहीं है। यह इस बात का माप है कि इसका आवेश इसके स्पिन अक्ष के साथ किस प्रकार अलग होते हैं।
  • इसलिये इलेक्ट्रॉन के EDM को मापना मानक मॉडल की वैधता का परीक्षण करने तथा इसके परे नई भौतिकी की जाँच करने का एक संवेदनशील तरीका है।

विद्युत द्वि-ध्रुव आघूर्ण: 

  • भौतिकी में एक अवधारणा है जो किसी वस्तु के भीतर धनात्मक और ऋणात्मक आवेशों को अलग करके एक द्वि-ध्रुव का निर्माण करती है। यह एक सदिश राशि है जो इस आवेश पृथक्करण की शक्ति और दिशा को मापती है। 
    • द्वि-ध्रुव की शक्ति इस बात पर निर्भर करती है कि आवेश कितने बड़े हैं, साथ ही वे एक-दूसरे से कितनी दूर हैं।
  • विद्युत द्वि-ध्रुव अणुओं, परमाणुओं और यहाँ तक कि पदार्थ बनाने वाले छोटे कणों के व्यवहार को समझने में प्रासंगिक हैं।
    • वैज्ञानिक महत्त्वपूर्ण प्रश्नों का पता लगाने के लिये विद्युत द्विध्रुव क्षणों का अध्ययन करते हैं, जैसे- ब्रह्मांड में एंटीमैटर की तुलना में अधिक पदार्थ क्यों है, इसके साथ ही हमारी वर्तमान समझ से परे नई भौतिकी की खोज करना है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में 'इवेंट होराइज़न', 'सिंग्युलैरिटी', 'स्ट्रिंग थ्योरी' और 'स्टैंडर्ड मॉडल' जैसे शब्द, किस संदर्भ में आते हैं? (2017) 

(a) ब्रह्मांड का प्रेक्षण और बोध
(b) सूर्य और चंद्र ग्रहणों का अध्ययन
(c) पृथ्वी की कक्षा में उपग्रहों का स्थापन
(d) पृथ्वी पर जीवित जीवों की उत्पत्ति और क्रमविकास

उत्तर: (a)

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

विश्व हेपेटाइटिस दिवस

प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है, यह वायरल हेपेटाइटिस के वैश्विक बोझ के विषय में जागरूकता बढ़ाने और वास्तविक परिवर्तन लाने के लिये एकीकृत विषय/थीम पर विश्व को एकीकृत करती है।

प्रमुख बिंदु:

  • वर्ष 2023 की थीम: एक जिंदगी, एक यकृत (One life, one liver)।
  • महत्त्व: 
    • यह दिन जागरूकता कार्य के माध्यम से समुदायों, लोगों और राजनेताओं को हेपेटाइटिस के कई प्रकारों के साथ-साथ इसके निवारण हेतु निवारक रणनीतियों, परीक्षण और उपचार विकल्पों के बारे में बहुत कुछ जानने-समझने में मदद करता है।
    • यह हेपेटाइटिस से संबंधित बीमारियों और मौतों की बढ़ती संख्या के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता है।

हेपेटाइटिस: 

  • परिचय: 
    • हेपेटाइटिस शब्द यकृत की किसी भी सूजन को संदर्भित करता है- किसी भी कारण से यकृत कोशिकाओं की जलन या सूजन।
    • यह तीक्ष्ण हो सकती है (यकृत की सूजन जो बीमारी के साथ सामने आती है- पीलिया, बुखार, उल्टी) या दीर्घकालिक (यकृत की सूजन जो छह महीने से अधिक समय तक रहती है, लेकिन अनिवार्य रूप से कोई लक्षण नहीं देखे जाते हैं)। 
  • कारण: 
    • आमतौर पर यह वायरस के एक समूह के कारण होता है जिसे "हेपेटोट्रोपिक" (यकृत निर्देशित) वायरस के रूप में जाना जाता है, जिसमें A, B, C, D और E शामिल हैं।
    • अन्य वायरस भी इसका कारण बन सकते हैं, जैसे वेरीसेल्ला वायरस जो चिकन पॉक्स का कारण बनता है।
    • SARS-CoV-2, कोविड-19 का कारण बनने वाला वायरस लीवर को भी हानि पहुँचा सकता है 
    • नशीली दवाओं या अल्कोहल का उपयोग करना, लीवर में बहुत अधिक वसा होना (फैटी लीवर हेपेटाइटिस) या एक ऑटोइम्यून स्थिति होना जहाँ शरीर एंटीबॉडी का उत्पादन करता है जो लीवर पर हमला करता है (ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस) जैसे कुछ अन्य संभावित कारण हैं।
  • हेपेटाइटिस के प्रकार: 
    • हेपेटाइटिस A वायरस (HAV): यह लीवर की सूजन है जो सामान्य से गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है।
      • यह दूषित भोजन तथा जल के सेवन अथवा किसी संक्रामक व्यक्ति (यौन व्यवहार) के सीधे संपर्क के माध्यम से फैलता है।
      • लगभग सभी लोग आजीवन प्रतिरक्षा के साथ हेपेटाइटिस-A से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं (HAV वाले कुछ लोगों की फुलमिनेंट हेपेटाइटिस से मृत्यु हो सकती है)।
      • हेपेटाइटिस A की रोकथाम के लिये एक सुरक्षित और प्रभावी टीका भी उपलब्ध है।
    • हेपेटाइटिस B वायरस (HBV): यह एक वायरल संक्रमण है जो लीवर को प्रभावित करता है और तीव्र एवं दीर्घकालिक दोनों प्रकार के संक्रमण का कारण बन सकता है।
      • यह आमतौर पर जन्म के दौरान माँ से बच्चे में, बचपन में, संक्रमित साथी के साथ यौन संबंध बनाने, असुरक्षित इंजेक्शन के दौरान फैलता है।
      • हेपेटाइटिस B को टीकों से रोका जा सकता है।
    • हेपेटाइटिस C वायरस (HCV): यह वायरस तीव्र और दीर्घकालिक दोनों तरह के हेपेटाइटिस का कारण बन सकता है, जिसकी गंभीरता हल्की बीमारी से लेकर गंभीर, आजीवन बीमारी, जिसमें लिवर सिरोसिस और कैंसर शामिल है, तक हो सकती है।
      • यह एक रक्तजनित वायरस है और अधिकांश संक्रमण असुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल, रक्त आधान, इंजेक्शन नशीली दवाओं के उपयोग के माध्यम से होता है।
      • डायरेक्ट-एक्टिंग एंटीवायरल दवाएँ (DAA) हेपेटाइटिस सी संक्रमण वाले 95% से अधिक लोगों को ठीक कर सकती हैं, लेकिन निदान और उपचार तक पहुँच कम है।
      • वर्तमान में हेपेटाइटिस C के खिलाफ कोई प्रभावी टीका नहीं है।
    • हेपेटाइटिस D वायरस (HDV): यह एक ऐसा वायरस है जिसकी प्रतिकृति बनाने के लिये हेपेटाइटिस B वायरस (HBV) की आवश्यकता होती है। यह विश्व स्तर पर लगभग 5% व्यक्तियों को प्रभावित करता है जिन्हें HBV का पुराना संक्रमण है।
      • हेपेटाइटिस B और D व्यक्तियों को एक साथ (सह-संक्रमण) या एक के बाद एक (सुपर-संक्रमण) संक्रमित कर सकते हैं। यह स्थानीय लोगों, डायलिसिस रोगियों तथा दवा उपयोगकर्ताओं में अधिक आम है। दोनों वायरस का होना यकृत के लिये बहुत जोखिमपूर्ण है और इससे कैंसर या मृत्यु हो सकती है।
      •  हेपेटाइटिस D संक्रमण को हेपेटाइटिस B टीकाकरण द्वारा रोका जा सकता है, हालाँकि इसके उपचार की सफलता दर कम है।
    • हेपेटाइटिस E वायरस (HEV): यह HEV के संक्रमण के कारण होने वाला यकृत का सूजन (Inflammation) है। इसका संक्रमण विश्व भर में देखा जा सकता है, हालाँकि पूर्वी और दक्षिण एशिया में इसका प्रभाव अधिक है।
      • इस वायरस का संचरण मल मार्ग विशेषकर दूषित जल के माध्यम से होता है।
      • हेपेटाइटिस E वायरस संक्रमण को रोकने के लिये एक टीका विकसित किया गया है तथा चीन में इसे लाइसेंस प्राप्त है लेकिन अभी तक यह कहीं और उपलब्ध नहीं है।

हेपेटाइटिस से निपटने हेतु सरकारी पहल: 

  • राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम:
    • कार्यक्रम का लक्ष्य वर्ष 2030 तक देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में वायरल हेपेटाइटिस को समाप्त करना है।  
  • भारत का सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP): 
    • हेपेटाइटिस B को भारत के UIP के तहत शामिल किया गया है जो हेमोफिलस इन्फ्लुएंज़ा टाइप b (Hib), खसरा, रूबेला, जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) और रोटावायरस डायरिया के कारण होने वाली ग्यारह वैक्सीन-निवारक बीमारियों यानी तपेदिक, डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, पोलियो, निमोनिया और मेनिनज़ाइटिस के खिलाफ मुफ्त टीकाकरण प्रदान करता है। 

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 जुलाई, 2023

स्क्रब टाइफस

केरल के अलाप्पुझा में स्क्रब टाइफस के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है

  • परिचय: स्क्रब टाइफस, जिसे बुश टाइफस भी कहा जाता है, ओरिएंटिया त्सूत्सूगामुशी (Orientia Tsutsugamushi) बैक्टीरिया के कारण होता है। 
  • संक्रमण: यह संक्रमित चीगर्स (लारवल माइट्स) के काटने से व्यक्तियों में फैलता है। 
  • मनुष्यों को यह रोग अधिकतर चूहों, खरगोशों और गिलहरियों जैसे जानवरों के शरीर पर मौजूद चीगर्स के काटने से होता है। 
  • प्रभावित क्षेत्र: दक्षिण-पूर्व एशिया, इंडोनेशिया, चीन, जापान, भारत और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण क्षेत्र। 
  • उपचार: एंटीबायोटिक्स के अतिरिक्त कोई टीका उपलब्ध नहीं है।

और पढ़ें: स्क्रब टाइफस  

हाइग्रोइलेक्ट्रिसिटी 

मसाचूसेट्स विश्वविद्यालय (University of Massachusetts- UMass) एमहर्स्ट की टीम ने एक पेपर प्रकाशित किया जिसमें घोषणा की गई है कि उन्होंने वायु में नमी से एक छोटा लेकिन निरंतर विद्युत प्रवाह सफलतापूर्वक उत्पन्न किया है जिसे हाइग्रोइलेक्ट्रिसिटी कहा जाता है।

महत्त्व:

  • हाइग्रोइलेक्ट्रिसिटी में नवीकरणीय तथा टिकाऊ ऊर्जा स्रोत होने की क्षमता है क्योंकि यह वायुमंडलीय नमी की निरंतर उपलब्धता पर निर्भर करता है।
  • पारंपरिक विद्युत उत्पादन के तरीकों के विपरीत, जो सीमित संसाधनों पर निर्भर हो सकते हैं, हाइग्रोइलेक्ट्रिसिटी परिवेशीय पर्यावरणीय परिस्थितियों से ऊर्जा का एक सुसंगत स्रोत प्रदान कर सकती है।

और पढ़ें…द बिग पिक्चर: भारत की नवीकरणीय ऊर्जा योजना

सिल्वोपाश्चर प्रणाली 

सिल्वोपाश्चर एक प्राचीन और सिद्ध प्रणाली है जो एक ही भूमि पर वृक्षों, चारे और पशुधन को सामंजस्यपूर्ण रूप से एकीकृत करती है।

सिल्वोपाश्चर प्रणाली के लाभ: 

  • सिल्वोपाश्चर में वृक्ष शक्तिशाली प्राकृतिक कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते हैं, जो उत्पादकता से समझौता किये बिना वृक्ष रहित चरागाहों की तुलना में पाँच से दस गुना अधिक कार्बन ग्रहण करते हैं।
  • ये स्थानीय जलवायु परिस्थितियों को भी नियंत्रित करते हैं, अत्यधिक तापमान और वायु का प्रतिरोध करते हैं, पशुधन के रहने के लिये अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं।
  • सिल्वोपाश्चर वृक्ष पोषक तत्त्वों के चक्रण में सहायता करते हैं, मिट्टी की स्थिरता और गुणवत्ता को बढ़ाते हैं तथा अपनी व्यापक जड़ प्रणालियों के माध्यम से कटाव का मुकाबला करते हैं।
  • सिल्वोपाश्चर एक स्थायी भूमि-उपयोग अभ्यास है जो लंबी अवधि में भूमि के स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार कर सकता है

हर्बिग-हारो 46/47

नासा ने हाल ही में जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) से एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन छवि जारी की, जिसमें दो सक्रिय रूप से बनते हुए तारे दिखाई दे रहे हैं जिन्हें हर्बिग-हारो 46/47 के नाम से जाना जाता है।  

  • ये युवा तारे गैस और धूल से घिरे नारंगी-सफेद बूँद के भीतर छिपे हुए हैं, जो उनके विकास के प्रारंभिक चरण का संकेत देते हैं।
    • वे समय के साथ तारों के बड़े पैमाने पर संचय के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करेंगे।
  • नारंगी लोब्स को आकार देने के लिये सितारों ने हज़ारों वर्षों में किस तरह से गैस का उपभोग किया तथा उसे निष्कासित किया, यह समझना उनके अवलोकन से आसान हो गया है।

JWST (जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप):  

और पढ़ें… जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST), अंतरिक्ष में वस्तुएँ


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