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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 29 Mar, 2023
  • 14 min read
प्रारंभिक परीक्षा

डेलाइट सेविंग टाइम

हाल ही में लेबनान सरकार ने डेलाइट सेविंग टाइम (DST) की शुरुआत में एक महीने की देरी की है। ग्रीनलैंड ने अब इस DST को हमेशा के लिये स्थापित कर लिया है।

  • लेबनान सामान्यतः अपनी घड़ियों को मार्च महीने के आखिरी रविवार को एक घंटा आगे कर देता था। हालाँकि इसके प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष घड़ियों को 21 अप्रैल को बिना कोई स्पष्टीकरण दिये समायोजित किया जाएगा।

डेलाइट सेविंग टाइम:

  • नॉर्वे आधारित समय और दिनांक (Norway-based Time and Date) के अनुसार, DST गर्मियों के दौरान घड़ियों को मानक समय से एक घंटे आगे एवं शरद ऋतु में पुनः सेट करने की प्रक्रिया है।
  • यह दिन के प्राकृतिक उजाले या अवधि का बेहतर उपयोग करने हेतु किया जाता है। भारत डेलाइट सेविंग टाइम का पालन नहीं करता है क्योंकि भूमध्य रेखा के पास स्थित देशों में मौसम के बीच दिन के घंटों में बदलाव का ज़्यादा अनुभव नहीं होता है।

DST का महत्त्व:

  • DST का मतलब है दिन की लंबी अवधि। इसके कारण व्यक्ति अपने दैनिक कार्यों को एक घंटे पहले पूरा कर लेंगे और दिन के अतिरिक्त घंटे के कारण ऊर्जा की खपत कम होगी।
  • अप्रैल 1916 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी और ऑस्ट्रिया ने कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था के उपयोग को कम करने हेतु DST की शुरुआत की। कई देशों ने धीरे-धीरे इस प्रक्रिया को अपना लिया।
    • यूरोपीय संघ में शामिल 28 सदस्य देशों में घड़ी को मार्च महीने के आखिरी रविवार को आगे बढ़ाया जाता है, जबकि अक्तूबर के आखिरी रविवार को पीछे किया जाता है।

DST के नुकसान:

  • US पॉपुलर साइंस पत्रिका के एक अध्ययन के अनुसार, संक्रमण के छह दिनों के लिये अमेरिका में एक घंटे की नींद में कमी घातक दुर्घटना दर को 5.4% से 7.6% तक बढ़ा देती है।
  • अन्य अध्ययनों में इस बदलाव के बाद कार्यस्थल पर दुर्घटनाओं की उच्च दर पाई गई, जिससे कार्य दिवस कम हो गए; शेयर बाज़ार के प्रदर्शन में मामूली गिरावट; सर्कैडियन रिदम के विघटन के परिणामस्वरूप स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हुईं।
    • सर्कैडियन रिदम 24 घंटे का चक्र है जो हमारे शरीर को बताता है कि कब सोना है, उठना है और खाना है—कई शारीरिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

सरकार द्वारा एशियाई शेरों के स्थानांतरण की पुनः जाँच

भारत सरकार एशियाई शेरों (पेंथेरा लियो पर्सिका) को गिर राष्ट्रीय उद्यान से कूनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित करने की योजना की फिर से जाँच कर रही है।

एशियाई शेरों के स्थानांतरण से संबंधित विकास:

  • वर्ष 2013 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकार को एशियाई शेरों को गुजरात से मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया था। हालाँकि यह कार्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
  • हालाँकि प्रोजेक्ट लायन के लिये केंद्र के 25 वर्ष के रोडमैप में गुजरात के बाहर किसी भी प्रकार के स्थानांतरण का कोई प्रावधान नहीं है।
    • इसके बजाय वर्ष 2047 तक पूरे सौराष्ट्र में सहायता प्राप्त प्राकृतिक विस्तारण मुख्य लक्ष्य है।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority- NTCA) ने हाल ही में बताया है कि पिछले 5 वर्षों में शेरों की आबादी में 29% की वृद्धि हुई है।
    • कूनो में हाल ही में चीतों को लाए जाने के बाद से NTCA गिर वन के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर शेरों के अस्तित्त्व को सुनिश्चित करने के तरीकों की तलाश कर रहा है।

एशियाई शेरों से संबंधित प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:
    • एशियाई शेर (जिसे फारसी शेर या भारतीय शेर के रूप में भी जाना जाता है) पैंथेरा लियो उप-प्रजाति का सदस्य है जो भारत तक ही सीमित है।
    • इससे पहले पश्चिम एशिया और मध्य-पूर्व में एशियाई शेर के आवास थे, लेकिन इन क्षेत्रों में अब ये विलुप्त हो गए हैं।
    • एशियाई शेर अफ्रीकी शेरों की तुलना में थोड़े छोटे होते हैं।
  • वितरण:
    • एशियाई शेरों को एक बार पूर्व में पश्चिम बंगाल राज्य एवं मध्य भारत में मध्य प्रदेश के रीवा में वितरित किया गया था।
    • वर्तमान में गिर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य एशियाई शेर का एकमात्र निवास स्थान है।
  • संरक्षण की स्थिति:

गिर राष्ट्रीय उद्यान:

  • गिर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य गुजरात के जूनागढ़ ज़िले में स्थित है।
    • इसे वर्ष 1965 में अभयारण्य और वर्ष 1975 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
  • भारत के अर्द्ध-शुष्क पश्चिमी भाग में गिर वन शुष्क पर्णपाती वन हैं।
  • गिर को अक्सर ‘मल्धारिस’ (Maldharis) के साथ जोड़ा जाता है जो शेरों के साथ सहजीवी संबंध होने से युगों तक जीवित रहे हैं।

कूनो राष्ट्रीय उद्यान:

  • कुनो राष्ट्रीय उद्यान भारत में मध्य प्रदेश राज्य के श्योपुर ज़िले में स्थित एक संरक्षित क्षेत्र है।
  • इसमें चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चिंकारा और मवेशियों की स्वस्थ आबादी पाई जाती है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. एशियाई शेर प्राकृतिक रूप से सिर्फ भारत में पाया जाता है।
  2. दो कूबड़ वाला ऊँट प्राकृतिक रूप से सिर्फ भारत में पाया जाता है।
  3. एक सींग वाला गैंडा प्राकृतिक रूप से सिर्फ भारत में पाया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 मार्च, 2023

स्माइल और श्रेष्ठ योजनाएँ

भारत में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय दो योजनाओं को लागू कर रहा है- लक्षित क्षेत्रों में माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों हेतु आवासीय शिक्षा योजना (The Scheme for Residential Education for Students in High Schools in Targeted Areas- SHRESHTA/श्रेष्ठ) और उपेक्षित व्यक्तियों हेतु आजीविका एवं उद्यम सहायता (Support for Marginalized Individuals for Livelihood and Enterprise- SMILE/स्माइल)। श्रेष्ठ अनुसूचित जाति के छात्रों से संबंधित शिक्षा परियोजनाओं हेतु गैर-सरकारी संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिसमें तीन प्रकार की परियोजनाएँ शामिल हैं, ये प्राथमिक तथा माध्यमिक दोनों विद्यार्थियों के लिये आवासीय विद्यालय, गैर-आवासीय विद्यालय एवं छात्रावास हैं। इस योजना को संशोधित किया गया है और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (National Testing Agency- NTA) द्वारा आयोजित एक राष्ट्रव्यापी प्रवेश परीक्षा के माध्यम से शीर्ष श्रेणी के आवासीय माध्यमिक स्कूलों में मेधावी अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों हेतु गुणवत्तापूर्ण आवासीय शिक्षा के लिये एक नया घटक, मोड- I जोड़ा गया है। दूसरी ओर स्माइल योजना आजीविका और उद्यम हेतु उपेक्षित व्यक्तियों का समर्थन करती है, लेकिन विशेष रूप से अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को शामिल नहीं करती है।
और पढ़ें… SHRESHTA, SMILE

साइबर अपराध के विरुद्ध पहल

भारत सरकार ने देश में साइबर अपराध और अन्य आपराधिक गतिविधियों से निपटने के लिये कई उपाय किये हैं। समन्वित एवं व्यापक तरीके से साइबर अपराधों से निपटने के लिये एक मंच प्रदान करने हेतु गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cyber Crime Coordination Centre- I4C) की स्थापना की गई है। I4C ने आपराधिक गतिविधियों में शामिल पाए गए 500 से अधिक इंटरनेट-आधारित एप्लीकेशन को ब्लॉक करने की सिफारिश की है। इसके अतिरिक्त विदेशी मूल के अपराधों का राष्ट्रीय डेटाबेस (National Database of Offends of Foreign Origin- NDOFO) लॉन्च किया गया है, जो भारत में अपराध में शामिल विदेशियों की एक रजिस्ट्री है और इसमें दोषी पाए गए एवं अभियुक्त विदेशी अपराधियों का विवरण है। यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस (National Database of Sexual Offenders- NDSO) एक अन्य पहल है, जिसमें बलात्कार, छेड़छाड़, पीछा करने और बाल शोषण जैसे यौन अपराधों में शामिल दोषियों से संबंधित सूचना व जानकारी एकत्रित होती है। NDSO के पास अब तक 13 लाख अपराधियों का रिकॉर्ड है। वित्तीय धोखाधड़ी से निपटने के लिये साइबर धोखाधड़ी हेल्पलाइन नंबर 1930 जारी किया गया है। यदि वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार व्यक्ति तुरंत टोल-फ्री नंबर पर शिकायत करता है, तो संबद्ध एजेंसियाँ अपराध में शामिल व्यक्तियों के सिम कार्ड और बैंक खाते को फ्रीज़ कर सकती हैं।
और पढ़ें… साइबर अपराध

जम्मू-कश्मीर में अनुकूल नीति

एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (Associated Chambers of Commerce and Industry- ASSOCHAM) के वार्षिक सत्र के दौरान भारत सरकार ने बेहतर कानून और व्यवस्था की स्थिति एवं नीतियों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर (J&K) में निवेश के लिये अनुकूल वातावरण बनाने के अपने प्रयासों पर प्रकाश डाला।
सरकार रसद लागत को सकल घरेलू उत्पाद के मौजूदा 13% से घटाकर 7.5% करने की दिशा में भी काम कर रही है, क्योंकि बुनियादी ढाँचे के विकास एवं रसद लागत में कमी के बिना विकास संभव नहीं है। इसे प्राप्त करने के लिये सरकार ने बुनियादी ढाँचे में ₹100 लाख करोड़ का निवेश करने की योजना बनाई है जिसमें रेलवे लाइनों के दोहरीकरण, समर्पित फ्रेट कॉरिडोर तथा 11 औद्योगिक कॉरिडोर जैसी मेगा परियोजनाएँ शामिल हैं।
और पढ़ें… जम्मू और कश्मीर

भारत एवं रोमानिया रक्षा सहयोग

रोमानिया के रक्षा नीति, योजना और अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग ने भारतीय अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठक की। बैठक में सैन्य सहयोग, सैन्य प्रशिक्षण एवं पाठ्यक्रम, रक्षा सह-विकास तथा सह-उत्पादन और क्षमता निर्माण सहित कई मुद्दों को शामिल किया गया। दोनों देशों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को बढ़ाते हुए रक्षा सहयोग को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किये। बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा की एवं सभी रक्षा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिये मिलकर कार्य करने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। यह बैठक रक्षा के क्षेत्र में भारत और रोमानिया के मध्य बढ़ती साझेदारी को दर्शाती है, क्योंकि दोनों देश अपनी क्षमताओं को मज़बूत करना चाहते हैं तथा क्षेत्र में स्थिरता एवं सुरक्षा को बढ़ावा देना चाहते हैं।


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