गिनी कृमि रोग
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक हालिया अध्ययन ने वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य में एक अविश्वसनीय उपलब्धि पर प्रकाश डाला है: गिनी कृमि रोग का शीघ्र उन्मूलन।
- इस परजीवी रोग के कुछ मामले अभी भी शेष हैं जिसने 1980 के दशक में लाखों लोगों को पीड़ित किया था, जो इसके उन्मूलन में मानव दृढ़ता एवं समन्वित प्रयासों की सफलता का संकेत प्रदान करता है।
गिनी कृमि रोग के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- गिनी कृमि रोग अथवा ड्रैकुनकुलियासिस, गिनी कृमि (ड्रेकुनकुलस मेडिनेंसिस) के कारण होता है, एक परजीवी नेमाटोड एक दुर्बल करने वाला परजीवी रोग है जो संक्रमित व्यक्तियों को हफ्तों या महीनों के लिये निष्क्रिय कर देता है।
- यह मुख्य रूप से ग्रामीण, वंचित एवं पृथक समुदायों के लोगों को प्रभावित करता है जो पीने के लिये स्थिर सतही जल स्रोतों पर निर्भर हैं।
- 1980 के दशक के मध्य में दुनिया भर के 20 देशों में, मुख्य रूप से अफ्रीका तथा एशिया में ड्रैकुनकुलियासिस के अनुमानित 3.5 मिलियन मामले सामने आए।
- संचरण, लक्षण एवं प्रभाव:
- यह परजीवी तब फैलता है जब लोग परजीवी-संक्रमित जल पिस्सू से दूषित रुका हुआ पानी पीते हैं।
- जैसे-जैसे कृमि विकसित होता है, यह स्थिति कष्टदायी त्वचा घावों के साथ ही हफ्तों तक गंभीर पीड़ा, सूजन एवं द्वितीयक संक्रमण का कारण बनती है।
- 90% से अधिक संक्रमण टांगों एवं पैरों में होते हैं, जिससे व्यक्तियों की गतिशीलता तथा दैनिक कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है।
- रोकथाम:
- गिनी कृमि रोग के उपचार के लिये कोई टीका या दवा नहीं है, लेकिन इसके रोकथाम रणनीतियाँ सफल रही हैं।
- रणनीतियों में गहन निगरानी, उपचार एवं घाव की देखभाल के माध्यम से कृमि से संचरण को रोकना, पीने से पहले पानी को साफ करना, लार्विसाइड का उपयोग के साथ-साथ स्वास्थ्य शिक्षा शामिल है।
- गिनी कृमि रोग के उपचार के लिये कोई टीका या दवा नहीं है, लेकिन इसके रोकथाम रणनीतियाँ सफल रही हैं।
- उन्मूलन की राह:
- गिनी कृमि रोग को उन्मूलन करने के प्रयास 1980 के दशक में शुरू हुए, जिसमें WHO जैसे संगठनों का महत्त्वपूर्ण योगदान था।
- कम-से-कम लगातार तीन वर्षों तक शून्य मामलों की रिपोर्ट करने के बाद देशों को ड्रैकुनकुलियासिस संचरण से मुक्त प्रामाणित किया जाता है।
- वर्ष1995 के बाद से, WHO द्वारा 199 देशों, क्षेत्रों एवं स्थानों को ड्रैकुनकुलियासिस संचरण से मुक्त प्रामाणित किया है।
- गिनी कृमि रोग को उन्मूलन करने के प्रयास 1980 के दशक में शुरू हुए, जिसमें WHO जैसे संगठनों का महत्त्वपूर्ण योगदान था।
- भारत की सफलता:
- भारत द्वारा जल सुरक्षा हस्तक्षेप तथा सामुदायिक शिक्षा सहित कठोर सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों के माध्यम से वर्ष 1990 के दशक के अंत में गिनी कृमि रोग का उन्मूलन किया।
- अनुवीक्षण और चुनौतियाँ:
- बीमारी के पुनः संचरण की रोकथाम और प्रत्येक मामले को संज्ञान में लाने के लिये सक्रिय अनुवीक्षण की आवश्यकता है।
- चाड और मध्य अफ्रीकी गणराज्य जैसे क्षेत्रों में चुनौतियाँ बनी हुई हैं जिससे नागरिक अशांति तथा निर्धनता उन्मूलन प्रयासों में बाधा उत्पन्न होती है।
- चुनौतियों में विशेष रूप से दूरवर्ती क्षेत्रों में अंतिम शेष मामलों की पहचान कर उन्हें नियंत्रित करना तथा जानवरों, विशेष रूप से कुत्तों में इसके संक्रमण की रोकथाम करना शामिल है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित रोगों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त रोगों में से कौन-सा/सी रोग का भारत में उन्मूलन किया गया है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) व्याख्या:
मेन्स:Q. कोविड-19 महामारी के दौरान वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू.एच.ओ.)की भूमिका का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2020) |
सर्प विष को निष्क्रिय करने वाली एंटीबॉडी
स्रोत: द हिंदू
बंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के शोधकर्त्ताओं ने एक सिंथेटिक मानव एंटीबॉडी बनाई है जो कोबरा, किंग कोबरा, करैत और ब्लैक माम्बा जैसे एलापिडे साँपों द्वारा स्रावित/उत्पादित शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन को बेअसर करने में सक्षम है।
- एलापिड्स, विषैले साँपों का एक विविध परिवार है, इसके सामने के दाँत नुकीले होते हैं जो ज़हर फैलाते हैं और इसमें विश्व स्तर पर विभिन्न आवासों में 300 प्रजातियाँ शामिल हैं।
नई विष-निष्क्रिय एंटीबॉडी क्या है?
- परिचय:
- कार्यप्रणाली:
- विभिन्न एलापिड प्रजातियों के बीच इस विष में भिन्नता के बावजूद, टीम का एंटीबॉडी एलापिड विष में पाए जाने वाले थ्री-फिंगर टॉक्सिंस (3FTx) के मूल में एक संरक्षित क्षेत्र को लक्षित करता है।
- जीवों के मॉडल का उपयोग करते हुए शोधकर्त्ताओं ने ताइवानी बैंडेड क्रेट, मोनोकल्ड कोबरा एवं ब्लैक माम्बा के विषाक्त पदार्थों के विरुद्ध अपने सिंथेटिक एंटीबॉडी का परीक्षण किया। उन्होंने पाया कि एंटीबॉडी मानक एंटीवेनम की तुलना में लगभग 15 गुना अधिक शक्तिशाली थी, यहाँ तक कि यह ज़हर इंजेक्शन में हुई देरी के बाद भी दिया गया था।
- पारंपरिक एंटीबॉडी अपनी संरचना में एक समान नहीं होते हैं, क्योंकि वे विभिन्न प्रकार के अणुओं का मिश्रण होते हैं जिनमें एंटीजन के विभिन्न एपिटोप्स के साथ अलग-अलग संबंध एवं विशिष्टता होती है जो उनके उत्पादन को उत्प्रेरित करती है।
- आवश्यकता:
- सर्पदंश के कारण प्रतिवर्ष हज़ारों मौतें होती हैं, विशेषकर भारत तथा उप-सहारा अफ्रीका में।
- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में वर्ष 2000 से 2019 के बीच लगभग 1.2 मिलियन (12 लाख) सर्पदंश से मौतें हुई हैं, अर्थात् वार्षिक रूप से औसतन 58,000 मौतें।
- वैश्विक स्तर पर सर्पदंश से होने वाली मौतों में से लगभग 50% मौतें भारत में होती हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सर्पदंश को उच्च प्राथमिकता वाली उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग के रूप में वर्गीकृत किया है।
- सर्पदंश के कारण प्रतिवर्ष हज़ारों मौतें होती हैं, विशेषकर भारत तथा उप-सहारा अफ्रीका में।
- अनुप्रयोग:
- शोधकर्त्ताओं का सुझाव है कि यह प्रगति हमें एक सार्वभौमिक एंटीबॉडी समाधान के करीब लाती है जो विभिन्न साँपों के ज़हर से व्यापक सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है।
साँप के काटने से बचाव के लिये अन्य पहल:
- WHO रोडमैप लॉन्च होने से पूर्व ही ICMR के शोधकर्त्ताओं द्वारा वर्ष 2013 से सामुदायिक जागरूकता और स्वास्थ्य प्रणाली क्षमता निर्माण शुरू किया गया था।
- WHO की सर्पदंश विष निवारण रणनीति तथा आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये संयुक्त राष्ट्र के सेंदाई फ्रेमवर्क के अनुरूप, भारत ने इस मुद्दे से निपटने के लिये वर्ष 2015 में एक राष्ट्रीय कार्य योजना की पुष्टि की।
- दक्षिण-पूर्व एशिया में सर्पदंश से निपटने के लिये वर्ष 2022-2030 क्षेत्रीय कार्य योजना का शुभारंभ किया गया जिसका लक्ष्य वैश्विक रणनीति के अनुरूप वर्ष 2030 तक सर्पदंश से संबंधित मौतों और दिव्यांग्ताओं में कमी लाना, स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ करने में सदस्य राज्यों, WHO, दानदाताओं तथा भागीदारों का मार्गदर्शन करना एवं विभिन्न रणनीतियों व प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के माध्यम से मानव-पशु-पारिस्थितिकी तंत्र के संबंध में कार्यों में तेज़ी लाना है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (d) Q. किंग कोबरा एकमात्र ऐसा सर्प है जो अपना घोंसला स्वयं बनाता है। यह अपना घोंसला क्यों बनाता है? (2010) (a) यह सर्प खाता है और घोंसला अन्य सर्पों को आकर्षित करने में मदद करता है उत्तर: (c) Q. निम्नलिखित में से किस सर्प का आहार मुख्यतः अन्य सर्प होते हैं? (2008) (a) करैत उत्तर: (d) |
सुदर्शन सेतु
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा सुदर्शन सेतु (जिसे ओखा-बेयट द्वारका सिग्नेचर ब्रिज भी कहा जाता है) का उद्घाटन किया, जो ओखा मुख्य भूमि और गुजरात में बेयट द्वारका द्वीप को जोड़ने वाला, भारत का सबसे लंबा केबल-आधारित पुल है।
- यह पुल तकनीकी रूप से एक समुद्री लिंक है, जो गुजरात के लिये पहला पुल है, जिसकी कुल लंबाई 4,772 मीटर है, जिसमें 900 मीटर लंबा केबल-आधारित पुल है।
- इसमें फुटपाथ के ऊपरी हिस्से पर सौर पैनल भी लगाए गए हैं, जिससे एक मेगावाट बिजली उत्पन्न होती है।
- केंद्र सरकार ने इस परियोजना के रणनीतिक महत्त्व को रेखांकित करते हुए इसे वित्तपोषित किया।
- बेट द्वारका, केंद्रशासित प्रदेश दीव के बाद गुजरात तट पर दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है।
- सौराष्ट्र के समुद्री तट के साथ चलने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) 51 के एक हिस्से के रूप में निर्मित पुल, गुजरात सड़क और भवन विभाग के NH डिविज़न द्वारा बनाया गया था।
- अटल सेतु भारत का सबसे लंबा पुल है और साथ ही यह देश का सबसे लंबा समुद्री पुल भी है।
और पढ़ें… अटल सेतु न्हावा शेवा सी लिंक
ग्रे-जोन युद्ध
स्रोत: द हिंदू
रायसीना संवाद- वर्ष 2024 में, भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ सहित सैन्य नेताओं ने दक्षिण चीन सागर और भारत की उत्तरी सीमाओं पर कार्रवाई के कारण ग्रे-ज़ोन युद्ध के तीव्र/प्रबल होने पर चर्चा की।
- ग्रे-ज़ोन युद्ध संघर्ष के एक ऐसे रूप को संदर्भित करता है जिसमें ऐसी कार्रवाइयाँ हैं जो पारंपरिक युद्ध की सीमा से नीचे आती हैं, लेकिन इसका उद्देश्य अस्पष्टता, अस्वीकार्यता और दबाव के माध्यम से रणनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करना है।
- ग्रे-ज़ोन युद्ध में, विरोधी प्रत्यक्ष युद्ध में शामिल हुए बिना अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये साइबर हमले, आर्थिक ज़बरदस्ती और छद्म संघर्ष जैसी रणनीति अपनाते हैं।
- यह शांति और संघर्ष के बीच की सीमाओं को धुंधला कर देता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा तथा स्थिरता के लिये बहुत बड़ी चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
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अट्टुकल पोंगल
स्रोत: द हिंदू
इस वर्ष अट्टुकल पोंगल में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई जो भारत के विभिन्न हिस्सों से अनुष्ठानिक प्रसाद सर्पित करने के लिये एकत्र हुए थे।
- यह केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित अट्टुकल भगवती मंदिर में मनाया जाने वाला मलयालम त्योहार है जो 10 दिनों तक जारी रहता है।
- इस मंदिर में केरल स्थापत्य शैली और तमिल स्थापत्य शैली की छटा प्रदर्शित होती है।
- इसे महिलाओं के सबरीमाला (अनुष्ठान केवल महिलाएँ ही कर सकती हैं) के रूप में जाना जाता है और महिलाओं ने एक ही दिन में सबसे बड़े धार्मिक कार्यक्रम के लिये गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह बनाई थी।
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संत गुरु रविदास
स्रोत: पी. आई. बी.
प्रधानमंत्री ने संत गुरु रविदास की प्रतिमा का अनावरण किया और उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
- गुरु रविदास जयंती माघ माह की पूर्णिमा तिथि यानी 24 फरवरी, 2024 को मनाई जाती है।
- संत गुरु रविदास, जिनका जन्म 1377 ई. में सीर गोवर्धनपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था, एक संत, दार्शनिक, कवि और समाज सुधारक के रूप में पूजनीय हैं।
- रैदास, रोहिदास और रूहीदास जैसे विभिन्न नामों से जाने जाने वाले, वह पारंपरिक रूप से चमड़े के काम से जुड़े समुदाय (मोची परिवार) से थे।
- गुरु रविदास ने भक्ति आंदोलन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, ईश्वर के प्रति समर्पण और आध्यात्मिक समानता को बढ़ावा दिया।
- गुरु रविदास की शिक्षाओं में मानवाधिकार, समानता और आध्यात्मिक ज्ञान पर ज़ोर दिया गया।
- उनकी कुछ रचनाएँ पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब जी में शामिल हैं, जो उनके साहित्यिक और दार्शनिक महत्त्व को बढ़ाती हैं।
और पढ़ें: गुरु रविदास जयंती