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जैव विविधता और पर्यावरण

किंग कोबरा एवं तिलारी रिज़र्व

  • 06 Jul 2021
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

तिलारी संरक्षण रिज़र्व, संरक्षण रिज़र्व, IUCN रेड लिस्ट

मेन्स के लिये:

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत भारत में जीव जंतुओं का संरक्षण 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग ज़िले के तिलारी संरक्षण रिज़र्व (Tillari Conservation Reserve) में एक किंग कोबरा (Ophiophagus Hannah) देखा गया। 

  • उल्लेखनीय है कि जुलाई 2020 में महाराष्ट्र सरकार ने सिंधुदुर्ग ज़िले में स्थित डोडामर्ग वन क्षेत्र के लगभग 29.53 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को 'तिलारी संरक्षण रिज़र्व' (Tillari Conservation Reserve) घोषित किया था।

प्रमुख बिंदु: 

किंग कोबरा के बारे में:

King-Kobra

  • वे पृथ्वी पर सबसे ज़हरीले साँपों में से एक हैं और सभी ज़हरीले साँपों में सबसे लंबे हैं।
  • ज़हरीले साँपों  में उनका ज़हर सबसे अधिक घातक नहीं है, लेकिन एक बार काटते समय वे इतनी मात्रा में (एक तरल औंस के दो-दसवें हिस्से तक) न्यूरोटॉक्सिन मुक्त कर सकते हैं जो 20 लोगों या यहाँ तक ​​कि एक हाथी को मारने के लिये पर्याप्त होता है।
    • ये विश्व में एकमात्र ऐसे साँप हैं जो अपने अंडों को रखने के लिये घोंसले का निर्माण करते हैं, जिनकी वे तब तक रक्षा करते हैं जब तक कि साँप के  बच्चे अंडों से बाहर नहीं निकल आते हैं।
  • आवास:
    • ये मुख्य रूप से भारत, दक्षिणी चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया के वर्षा वनों तथा मैदानी  क्षेत्रों में निवास करते  हैं।
    • ये विभिन्न प्रकार के आवासों में निवास करते हैं जिनमें जंगल, बांँस की झाड़ियाँ, मैंग्रोव दलदल, अधिक  ऊंँचाई वाले घास के मैदान और नदियाँ शामिल हैं।
  • खतरा:
    • विभिन्न प्रकार की मानवीय गतिविधियांँ इनके अस्तित्व के लिये खतरनाक साबित हो सकती हैं जैसे:
      • वनों की कटाई।
      • पालतू जानवरों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार।  
      • मनुष्यों द्वारा उत्पीड़न।
      • केंचुल (साँप के शरीर पर पाई जाने वाली एक महीन झिल्ली), भोजन और औषधीय प्रयोजनों हेतु उपयोग किया जाना।
  • संरक्षण स्थित:

तिलारी संरक्षण रिज़र्व:

Ratnagiri

  • तिलारी महाराष्ट्र राज्य का सातवाँ वन्यजीव गलियारा है जिसे 'संरक्षण रिज़र्व' के रूप में घोषित किया गया है।
    • तिलारी पश्चिमी घाट में स्थित एक रिज़र्व है।
  • अपने वन क्षेत्र में नौ गाँवों को कवर करने वाले इस रिज़र्व को मुख्यतः एक गलियारे के रूप में जाना जाता है और साथ ही यह तीन राज्यों यथा- गोवा, कर्नाटक और महाराष्ट्र के मध्य विचरण करने वाले बाघों और हाथियों की आबादी के लिये निवास स्थान के रूप में भी कार्य करता है।
  • यह गोवा के महादेई अभयारण्य को कर्नाटक के भीमगढ़ से जोड़ता है।
  • यहाँ अर्द्ध-सदाबहार वन, उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वन और कई विशिष्ट वृक्ष, तितलियाँ व फूल पाए जाते हैं।

भारत में संरक्षण रिज़र्व

  • संरक्षण रिज़र्व या सामुदायिक रिज़र्व देश के उन संरक्षित क्षेत्रों को संदर्भित करते हैं, जो आमतौर पर स्थापित राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और आरक्षित तथा संरक्षित वनों के मध्य बफर ज़ोन के रूप में या कनेक्टर्स के रूप में कार्य करते हैं।
  • प्रायः ऐसे क्षेत्रों को संरक्षण क्षेत्रों के रूप में नामित किया जाता है जो निर्जन (Uninhabited) होते हैं और पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में हैं, किंतु यदि ऐसे क्षेत्रों में भूमि का हिस्सा निजी स्वामित्व में है तो उसे समुदायों और सामुदायिक क्षेत्रों द्वारा निर्वाह के लिये उपयोग किया जाता है।
  • संरक्षित क्षेत्र की इन श्रेणियों को पहली बार वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2002 (वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में संशोधन) के माध्यम से पेश किया गया था।
  • इन श्रेणियों को भूमि और भूमि के उपयोग के निजी स्वामित्व के कारण मौजूदा और प्रस्तावित संरक्षित क्षेत्रों में कम सुरक्षा के कारण जोड़ा गया था।
  • राष्ट्रीय वन्यजीव डेटाबेस (दिसंबर 2020) के मुताबिक, भारत में वर्तमान में 97 संरक्षण रिज़र्व हैं, ये 44483 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करते हैं, जो कि देश के भौगोलिक क्षेत्र का 0.14% है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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