प्रारंभिक परीक्षा
हिंद महासागर में हाइड्रोथर्मल वेंट
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में भारत के डीप ओशन मिशन के अंतर्गत हिंद महासागर की सतह से 4,500 मीटर नीचे स्थित एक सक्रिय हाइड्रोथर्मल वेंट की इमेजिंग करके एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की गई।
- समुद्रयान मिशन और भविष्य के अन्वेषण प्रयासों का मार्ग प्रशस्त करते हुए यह उपलब्धि भारत के खनिज अन्वेषण और गहरे समुद्र में अनुसंधान को बढ़ावा देगी।
हाइड्रोथर्मल वेंट क्या हैं?
- परिभाषा: हाइड्रोथर्मल वेंट गर्म जल के जलमग्न चश्मे (स्प्रिंग) हैं जो विवर्तनिक प्लेटों के निकट पाए जाते हैं, जहाँ भू पर्पटी के नीचे से गर्म जल और खनिज धरती से बाहर निकलता है।
- हाइड्रोथर्मल वेंट्स की खोज पहली बार 1977 में इक्वाडोर के गैलापागोस द्वीप समूह के समीप की गई थी।
- निर्माण प्रक्रिया: महासागरीय जल का, ऐसी विवर्तनिक प्लेटों के समीप महासागरीय भूपर्पटी के विदर (विवर्तनिक प्लेटों के अलग होने से निर्मित दरारें) के माध्यम से नीचे की ओर स्रवण होता है जो या तो अलग हो रही होती हैं (कटक में विस्तरण) या एक दूसरे की दिशा में गति कर रही होती हैं (सबडक्शन क्षेत्र)।
- महासागर तल का ठंडा जल (लगभग 2°C) गर्म मैग्मा के संपर्क में आता है और इसका ताप बढ़कर 370°C तक हो जाता है।
- गर्म महासागरीय जल, जलतापीय तरल पदार्थ के रूप में सागर तल से पुनः बाहर निकलता है तथा छिद्रों का निर्माण करता है।
- महासागरीय जल का हाइड्रोथर्मल वेंट्स में तापमान 700°F से भी अधिक हो सकता है किंतु इसमें क्वथन (Boiling) नहीं होता क्योंकि गहराई पर उच्च दाब होता है।
- हाइड्रोथर्मल वेंट्स के प्रकार:
- ब्लैक स्मोकर्स: ये वेंट कण युक्त तरल पदार्थ उत्सर्जित करते हैं, मुख्य रूप से आयरन सल्फाइड, जिससे काले वर्ण का धुआँकश बनता है।
- व्हाइट स्मोकर्स: ये वेंट बेरियम, कैल्शियम और सिलिकॉन युक्त तरल पदार्थ उत्सर्जित करते हैं, जिससे सफेद वर्ण का धुआँकश बनता है।
- महत्त्व: हाइड्रोथर्मल वेंटिंग से प्राप्त निक्षेपों में ताँबा, जस्ता, सोना, चाँदी, प्लैटिनम, लोहा, कोबाल्ट, निकल और अन्य मूल्यवान खनिज और धातुएँ प्रचुर मात्रा में होती हैं।
- हाइड्रोथर्मल वेंट्स से ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होता हैं जिसमें रसायन संश्लेषी जीवों (वे जीव जो ऊर्जा के लिये सूर्य प्रकाश पर निर्भर न रहकर रसायनों पर निर्भर होते हैं) की संवृद्धि होती है।
- 30,000 वर्षों तक सक्रिय रहने वाले हाइड्रोथर्मल वेंट में दीर्घकालिक संसाधन उपयोग और अन्वेषण की संभावना होती है।
हाइड्रोथर्मल वेंट्स की भाँति अन्य जियोथर्मल संरचनाएँ
- गर्म जल के चश्मे: हाइड्रोथर्मल वेंट्स की तरह, भूमि पर गर्म जल के चश्मे ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ भूताप से गर्म हुआ भूजल सतह से बाहर निकलता है।
- ज्वालामुखीय क्षेत्रों में, जल मैग्मा से ऊष्मित शैल के संपर्क में आता है, जिससे अत्यधिक कोष्ण जल उत्पन्न होता है।
- गैर-ज्वालामुखीय क्षेत्रों में, गहराई बढ़ने के साथ शैलों का ताप भी बढ़ता है (भूतापीय ढाल)। जल का स्रवण उस गहराई तक होता है जहाँ यह गर्म शैलों के संपर्क में आता है और तत्पश्चात् सतह पर इसका परिसंचरण होता है और गर्म जल के चश्मे का निर्माण होता है।
- उदाहरण: मणिकरण (हिमाचल प्रदेश), गौरीकुंड (उत्तराखंड)
- गीज़र: ये जियोथर्मल साधन हैं जिनसे भूमिगत तापन के कारण समय-समय पर जल और भाप बाहर निकलती है।
- ज्वालामुखीय क्षेत्रों में भूमिगत गुहिकाओं के भरण हेतु गीजर को व्यापक मात्रा में भूजल की आवश्यकता होती है। मैग्मा से ऊष्मित होकर जल भाप में बदल जाता है, जिससे गर्म जल और भाप का विस्फोट होता है।
- उदाहरण: येलोस्टोन नेशनल पार्क (अमेरिका)।
- फ्यूमरोल्स: ये भू पर्पटी के वे विवृत क्षेत्र हैं जिसमें से ज्वालामुखीय गैसें और भाप निकलती है।
- फ्यूमरोल्स तब उत्पन्न होते हैं जब मैग्मा जल स्तर से होकर गुज़रता है, जिससे जल गर्म हो जाता है और भाप ऊपर उठती है तथा हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) जैसी ज्वालामुखीय गैसें सतह पर आ जाती हैं।
- फ्यूमरोल विशेषता वाले क्षेत्रों को प्रायः "डाइंग वोल्केनो" कहते हैं, जहाँ भूमिगत मैग्मा पिंडित और शीतलित हो गया होता है।
- उदाहरण: बैरन द्वीप (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह)
- मडपॉट (Mudpots): ये बुलबुले युक्त पंक के तालाब हैं जो भूतापीय क्षेत्रों में बनते हैं।
- सीमित भूतापीय जल का पंक और चिकनी मृदा के साथ संयोजन होने पर इसका निर्माण होता है।
- उदाहरण: येलोस्टोन नेशनल पार्क (अमेरिका)
और पढ़ें: हिंद महासागर में अंतर्जलीय संरचनाएँ
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2013) 1- विद्युत-चुंबकीय विकिरण उपर्युक्त में से कौन-से पृथ्वी के पृष्ठ पर गतिक परिवर्तन लाने के लिये ज़िम्मेदार हैं? (a) केवल 1, 2, 3 और 4 उत्तर: (d) व्याख्या:
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रैपिड फायर
शेख हसीना के प्रत्यर्पण का आग्रह
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में भारत को बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण (Extradition) के संबंध में बांग्लादेश से एक नोट वर्बेल (अहस्ताक्षरित राजनयिक पत्राचार) प्राप्त हुआ।
- शेख हसीना पर छात्रों द्वारा किये गए विरोध प्रदर्शनों के दौरान सामूहिक हत्याओं का आरोप है, जिसके लिये बांग्लादेश की अंतरिम सरकार उन पर मुकदमा चलाना चाहती है।
- बांग्लादेश द्वारा शेख हसीना को भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि 2013, जिसे वर्ष 2016 में संशोधित किया गया था, के तहत वापस भेजने की मांग की जा सकती है।
- संधि के अपवाद:
- अनुच्छेद 6: यदि जिस अपराध के संदर्भ में अनुरोध किया गया है वह राजनीतिक प्रकृति का है तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है।
- अनुच्छेद 8: किसी व्यक्ति को प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता यदि उसके विरुद्ध “न्याय के हित में सद्भावपूर्वक” आरोप न लगाया गया हो।
- वर्ष 2016 का संशोधन: इसका उद्देश्य प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को सरल एवं त्वरित बनाना करना था
- अनुच्छेद 10 (3): इसने प्रत्यर्पण का अनुरोध करने वाले देश की ओर से साक्ष्य प्रस्तुत किये जाने की आवश्यकता को समाप्त कर दिया।
- सक्षम न्यायालय: प्रत्यर्पण के लिये सक्षम न्यायालय द्वारा जारी अरेस्ट वारंट ही पर्याप्त है। उल्लेखनीय है कि शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में कई अरेस्ट वारंट जारी किये गए हैं।
- इस संधि के तहत भारत को वर्ष 2015 में उल्फा नेता अनूप चेतिया को प्रत्यर्पित कराने का अवसर प्राप्त हुआ था।
और पढ़ें: प्रत्यर्पण
रैपिड फायर
कॉलेजियम द्वारा उच्च न्यायालय के उम्मीदवारों का मूल्यांकन
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद हेतु विचारार्थ उम्मीदवारों के साथ वार्ता की, सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम का यह कदम मानक स्क्रीनिंग प्रक्रिया से पृथक् था।
- मानक स्क्रीनिंग प्रक्रिया में न्यायिक कार्यों का मूल्यांकन, खुफिया विभाग (IB) से प्राप्त जानकारी, राज्यपाल के माध्यम से मुख्यमंत्री द्वारा व्यक्त विचार और न्याय विभाग की टिप्पणियाँ शामिल होती हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने यह कदम इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान धर्म पर विवादास्पद टिप्पणी के बाद उठाया, जिसकी व्यापक आलोचना की गई थी।
- यह आरोप लगाया गया कि उनकी टिप्पणियों ने वर्ष 1997 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपनाए गए न्यायिक जीवन के मूल्यों के पुनर्स्थापन (Restatement of Values of Judicial Life) का उल्लंघन किया है।
- यह न्यायिक आचार संहिता है जो स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका तथा निष्पक्ष न्याय प्रशासन के लिये मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है।
- इस कृत्य ने बंगलूरू प्रिंसिपल ऑफ ज्यूडीशियल कंडक्ट, 2002 का भी उल्लंघन किया, जो न्यायाधीशों हेतु नैतिक मानदंड निर्धारित करता है तथा उनके न्यायिक व्यवहार को नियंत्रित करता है।
- यह छह प्रमुख मूल्यों अर्थात् स्वतंत्रता (Independence), निष्पक्षता (Impartiality), सत्यनिष्ठ (Integrity), औचित्य (Propriety), समानता (Equality) तथा अभिक्षमता और कर्मठता (Competence and Diligence) को मान्यता देता है।
- यह आरोप लगाया गया कि उनकी टिप्पणियों ने वर्ष 1997 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपनाए गए न्यायिक जीवन के मूल्यों के पुनर्स्थापन (Restatement of Values of Judicial Life) का उल्लंघन किया है।
- संविधान के अनुच्छेद 217 में कहा गया है कि किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और राज्य के राज्यपाल के परामर्श से की जाएगी।
और पढ़ें: न्यायिक जीवन के मूल्यों का पुनर्स्थापन
रैपिड फायर
अमेरिका द्वारा क्षेत्रीय अधिग्रहण और ग्रीनलैंड में रुचि
स्रोत: डाउन टू अर्थ
अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में ग्रीनलैंड को खरीदने में रुचि व्यक्त की है, जो आर्कटिक जैसे रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में अमेरिका की मौजूदा महत्त्वाकाँक्षाओं को उजागर करता है।
- यह कदम अमेरिका द्वारा क्षेत्रीय अधिग्रहण के दीर्घकालिक इतिहास को दर्शाता है, जो वैश्विक शक्ति के रूप में उसके विकास की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
अमेरिका द्वारा क्षेत्रीय अधिग्रहण:
- लुइसियाना (1803): अमेरिका ने 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर में फ्राँस से 828,000 वर्ग मील भूमि का अधिग्रहण किया, जिससे उसका आकार दोगुना हो गया तथा मिसिसिपी नदी पर नियंत्रण प्राप्त हुआ।
- गैड्सडेन (1853): दक्षिणी अंतर-महाद्वीपीय रेलमार्ग की सुविधा हेतु एरिज़ोना तथा न्यू मैक्सिको में 30,000 वर्ग मील का क्षेत्र खरीदा गया।
- अलास्का (1867): अमेरिका ने रूस से 7.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर में लगभग 600,000 वर्ग मील ज़मीन खरीदी।
- शुरुआत में इसे कम तात्कालिक मूल्य वाले एक रणनीतिक अधिग्रहण के रूप में देखा गया, लेकिन वर्ष 1896 में क्लोंडाइक गोल्ड रश (क्लोंडाइक में सोने की खोज) के बाद इसे महत्त्व मिला और यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी प्रभुत्व की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण बन गया।
ग्रीनलैंड से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य:
- यह विश्व का सबसे बड़ा द्वीप है, उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित है तथा डेनमार्क का एक क्षेत्र है।
- ग्रीनलैंड में वॉटकिंस रेंज और स्टॉनिंग आल्प्स जैसी प्रमुख पर्वत शृंखलाएँ तथा बोर्ग्लम (Borglum) और मेजरक्वाक (Majorqaq) जैसी नदियाँ हैं।
- ग्रीनलैंड 1700 के दशक के उत्तरार्ध से ही एक खनन राष्ट्र रहा है, जहाँ कोयला तथा बाद में सोना, चाँदी, ताँबा, सीसा, जस्ता, ग्रेफाइट और संगमरमर का खनन किया गया।
और पढ़ें: विश्व का सबसे उत्तरी द्वीप
रैपिड फायर
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में 24 दिसंबर, 2024 को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया गया। इस वर्ष का थीम "आभासी सुनवाई और उपभोक्ता न्याय तक डिजिटल पहुँच" था।
- यह दिवस उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अधिनियमन के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 का स्थान लिया था।
शुरू की गई प्रमुख पहलें:
- जागो ग्राहक जागो ऐप और जागृति ऐप: इनका उद्देश्य उपभोक्ताओं को 'डार्क पैटर्न' सहित अनुचित व्यापार प्रथाओं की पहचान करने में सशक्त बनाना है।
- डार्क पैटर्न का तात्पर्य भ्रामक विधियों से है जिनका उपयोग वेबसाइट और ऐप द्वारा उपयोगकर्त्ताओं को अनपेक्षित कार्यों में शामिल करने के लिये किया जाता है। उदाहरण के लिये, हिडेन लागतें, हिडेन विज्ञापन आदि।
- राष्ट्रीय विधिक मापविज्ञान ई-मैप: इसका उद्देश्य उपभोक्ता अधिकारों और विधिक मापविज्ञान सेवाओं की सूचना तक पहुँच को सरल बनाना है।
- AI-सक्षम NCH 2.0: यह संशोधित राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) पोर्टल शिकायत के कुशल समाधान के लिये बहुभाषी समर्थन और AI चैटबॉट की सुविधा प्रदान करेगा।
- जैविक खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला: इसका उद्घाटन गुवाहाटी स्थित राष्ट्रीय परीक्षण गृह में किया गया तथा यह प्रयोगशाला जैविक खाद्य सुरक्षा और प्रामाणिकता सुनिश्चित करेगी।
- विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 15 मार्च को मनाया जाता है।
और पढ़ें: उपभोक्ता अधिकारों का संरक्षण