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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 25 May, 2024
  • 23 min read
प्रारंभिक परीक्षा

चक्रवात रेमल

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) ने चक्रवात रेमल नामक संभावित गंभीर चक्रवाती तूफान के लिये चेतावनी जारी की है, जो पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटों को प्रभावित कर सकता है।

चक्रवात रेमल के बारे में मुख्य जानकारियाँ क्या हैं?

  • नामकरण: उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की सूची में 'रेमल' नाम ओमान द्वारा दिया गया है। इस वर्ष 2024 प्री-मॉनसून सीज़न में इस क्षेत्र में आने वाला यह पहला चक्रवात होगा।
    • अरबी में 'रेमल' का मतलब 'रेत' होता है।
  • उद्गम स्थल: बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal- BoB)
  • गठन में योगदान करने वाले कारक: 
    • मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक डिप्रेशन (परिचालित हवाओं और वायुमंडलीय अस्थिरता की विशेषता वाला कम दबाव का क्षेत्र) बन गया है, जो चक्रवात रेमल की उत्पत्ति के रूप में कार्य कर रहा है।
    • बंगाल की खाड़ी में जल का तापमान औसत से अधिक (2-3 डिग्री सेल्सियस) गर्म होता है। यह गर्म जल चक्रवातों के बनने और तीव्र होने के लिये आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।
    • मैडेन जूलियन ऑसिलेशन (MJO) हवाओं और गर्म समुद्री जल के साथ पूर्व की ओर बढ़ने वाले बादल, वर्तमान में बंगाल की खाड़ी के दक्षिण की ओर बढ़ रहे हैं। ये हवाएँ अपने घूर्णन प्रभाव के कारण चक्रवातों को आरंभ करने में प्रभावी भूमिका निभाती हैं।
  • संभावित प्रभाव: यदि उच्च ज्वार के दौरान तूफान भारतीय तट पर पहुँचता है तो यह सुंदरबन क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है, जिससे संवेदनशील पर्यावरण को हानि हो सकती है।
    • उत्तरी बंगाल की खाड़ी का उथला बाथिमेट्री और कीप के आकार का भूगोल 
    • (Funnel-Shaped Geography) चक्रवात की तीव्रता को बढ़ा सकता है क्योंकि जैसे ही यह तट के पास पहुँचता है, जिससे तूफान और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
  • पिछले चक्रवात: यह चक्रवात पिछले वर्षों में आए विनाशकारी तूफानों के समान है, जिन्होंने यास (वर्ष 2021), अम्फान (वर्ष 2020), चक्रवात फानी (वर्ष 2019), और आइला (वर्ष 2009) सहित पश्चिम बंगाल तथा सुंदरबन को अत्यधिक नुकसान पहुँचाया है।
    • राज्य के आपदा प्रबंधन अधिकारी एवं स्थानीय समुदाय चक्रवात रेमल के संभावित प्रभाव के लिये बेहतर प्रबंधन करने और उसके प्रभाव को न्यूनतम करने के लिये पिछले अनुभवों से सीख ले रहे हैं।

नोट:

  • बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal- BoB) में अरब सागर की तुलना में लगभग 4:1 के अनुपात से अधिक चक्रवात आते हैं। हालाँकि, वर्ष 2022 के एक अध्ययन में पाया गया कि वर्ष 2001-2019 तक अरब सागर में चक्रवातों की आवृत्ति 52% बढ़ गई है, जबकि बंगाल की खाड़ी की आवृत्ति थोड़ी कम हुई है।
  • बंगाल की खाड़ी की गहराई अरब सागर की तुलना में अपेक्षाकृत कम है। बंगाल की खाड़ी के विस्तृत सतही क्षेत्र के कारण इसका तीव्र ऊष्मण होता है जिससे उच्च वाष्पीकरण होता है। इससे संबद्ध क्षेत्र में उच्च दाब की स्थिति बनती है जो अस्थिरता को उत्पन्न करती है। ये सभी कारक चक्रवात निर्माण के लिये उपयुक्त होते हैं।
  • अरब सागर उच्च लवणता, कम समुद्री सतह के तापमान और हानिकारक पवन प्रणालियों के कारण सामान्यतः चक्रवातों की संख्या में कमी आई है।
    • हालाँकि, समुद्र एवं वायुमंडल के गर्म होने के पैटर्न में बदलाव के कारण अरब सागर में अधिक बार और गंभीर उष्णकटिबंधीय चक्रवात आ रहे हैं।
    • हिंद महासागर द्विध्रुव (Indian Ocean Dipole- IOD) का सकारात्मक चरण और मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन अरब सागर में चक्रवातों की तीव्रता एवं उच्च आवृत्ति में योगदान दे रहे हैं।

Cyclone

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) अक्षांशों में दक्षिणी अटलांटिक और दक्षिण-पूर्वी प्रशांत क्षेत्रों में चक्रवात उत्पन्न नहीं होता। इसका क्या कारण है? (2015)

(a) समुद्री पृष्ठों के ताप निम्न होते हैं
(b) अंतःउष्णकटिबंधीय अभिसारी क्षेत्र (इंटर-ट्रॉपिकल कन्वर्जेंस ज़ोन) बिरले ही होता है,
(c) कोरिऑलिस बल अत्यंत दुर्बल होता है
(d) उन क्षेत्रों में भूमि मौज़ूद नहीं होती

उत्तर: (b)

  • दक्षिण अटलांटिक और दक्षिण-पूर्वी प्रशांत महासागर में चक्रवातों की कमी का सबसे प्रमुख कारण इस क्षेत्र में अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) की दुर्लभ घटना है।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति तब तक मुश्किल या लगभग असंभव हो जाती है, जब तक कि ITCZ द्वारा सिनॉप्टिक वोर्टिसिटी (यह क्षोभमंडल में एक दक्षिणावर्त या वामावर्त चक्रण है) और अभिसरण (यानी बड़े पैमाने पर चक्रण एवं तडित झंझा गतिविधि) उत्पन्न नहीं हो जाती है।

अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।


प्रारंभिक परीक्षा

भारतीय नौसेना ने किया औपनिवेशिक विरासत का त्याग

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

हाल ही में भारतीय नौसेना ने पारंपरिक नौसैनिक प्रतीकों का नाम परिवर्तित करके ध्वज पेश किये हैं, यह उनके द्वारा ब्रिटिश औपनिवेशिक विरासत को समाप्त करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम हैं।

  • यह परिवर्तन राष्ट्रीय विरासत और आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिये अपनी नौसैनिक पहचान को पुनः परिभाषित करने हेतु भारत के प्रयासों को रेखांकित करता है।

नामकरण में हालिया परिवर्तन क्या हैं?

  • नया नामकरण: स्वदेशीकरण और राष्ट्रीय गौरव को प्रतिबिंबित करने के लिये, भारतीय नौसेना ने 'जैक' का नाम बदलकर 'राष्ट्रीय ध्वज' और 'जैकस्टाफ' का नाम बदलकर 'राष्ट्रीय ध्वज स्टाफ' कर दिया है। 
  • पुराने नियम और उनकी उत्पत्ति: 'जैक' और 'जैकस्टाफ' शब्द ब्रिटिश नौसैनिक इतिहास में गहनता से निहित हैं और ब्रिटिश नौसैनिक प्रथाओं के अवशेष के रूप में भारत समेत विश्व भर की नौसेनाओं द्वारा अपनाए गए हैं।
    • 'जैक' आमतौर पर एक ध्वज को संदर्भित करता है, जबकि 'जैकस्टाफ' एक छोटा स्तंभ है जिससे झंडे को फहराया जाता है, जो जहाज़ के एक वितान (Bow Of a Ship)पर स्थित होता है। 
  • नियामक ढाँचा और वैधानिक संशोधन: नामकरण में परिवर्तन को नौसेना अधिनियम 1957 द्वारा परिभाषित शक्तियों का लाभ उठाते हुए "नौसेना के विनियम (औपचारिक, शर्तें और सेवा एवं विविध विनियमन) 1963" में संशोधन के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया था।

सशस्त्र बलों में अन्य प्रतीकात्मक परिवर्तन:

  • नौसेना के ध्वज में परिवर्तन: सितंबर 2022 में भारतीय नौसेना ने ब्रिटिश-प्रेरित (British-Inspired) जॉर्ज क्रॉस को हटाकर एक नवीन नौसैनिक ध्वज अपनाया, जिसमें जुड़वाँ सुनहरा बॉर्डर वाला एक नीला अष्टकोण, राष्ट्रीय प्रतीक और आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' शामिल है।
    • यह ध्वज शिवाजी महाराज की मुहर से प्रेरित है, जो सभी आठ दिशाओं (चार कार्डिनल और चार इंटरकार्डिनल) में नौसेना की पहुँच का प्रतीक है।

Naval_Ensign

  • नौसेना अधिकारियों के एपॉलेट (Epaulette) में बदलावः भारतीय नौसेना ने छत्रपति शिवाजी महाराज की मुहर से प्रेरित नवीन वरिष्ठ अधिकारियों के एपॉलेट का भी अनावरण किया है, जो औपनिवेशिक विरासत से एक विराम और भारतीय समुद्री विरासत के उत्सव का प्रतीक है, जिसमें नौसेना प्रमुख, वाइस एडमिरल तथा रियर एडमिरल के लिये विगत डिज़ाइन से आलावा भी पाँच अन्य संशोधन किये गए हैं।

new epaulette

  • मेस में नया ड्रेस कोड: भारतीय नौसेना ने नौसेना की मेस में कुर्ता-पायजामा की शुरुआत करके अपनी विरासत को अपनाया है, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी पारंपरिक पोशाक पहनने वाले पहले लोग हैं। 
  • भारतीय सेना में बदलाव: भारतीय सेना ने कार्यक्रमों, सेवानिवृत्ति समारोहों में घोड़ा-बग्घी और रात्रिभोज में पाइप बैंड जैसी पारंपरिक प्रथाओं को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना शुरू कर दिया है।
  • महत्त्व:
    • नौसैनिक प्रतीकों का नाम परिवर्तित करना तथा उनको पुनः डिज़ाइन करना औपनिवेशिक संबंधों से दूरी और भारतीय संप्रभुता एवं समुद्री विरासत को पुनः स्थापित करने, दोनों का संकेत देता है। 
    • ये उपक्रम  आज़ादी के 100वें वर्ष तक देश के विकास के लिये भारत के प्रधानमंत्री की "पंच प्राण" प्रतिज्ञा के अनुरूप हैं।

राष्ट्रीय ध्वज:

  • भारतीय राष्ट्र तिरंगे के डिज़ाइन का श्रेय काफी हद तक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) को दिया जाता है।
  • भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज संभवतः 7 अगस्त, 1906 को कोलकाता में पारसी बागान स्क्वायर (ग्रीन पार्क) में फहराया गया था।
  • राष्ट्रीय ध्वज आयताकार आकार में होना चाहिये जिसकी लंबाई व चौड़ाई क्रमश: 3:2 के अनुपात में होनी चाहिये।
  • अनुच्छेद 51 A (a) के अनुसार, भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे तथा उसके आदर्शों, संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे।
  • एक व्यक्ति जो राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत वर्णित निम्नलिखित अपराधों के लिये दोषी पाया जाता है, उसे 6 वर्ष तक के लिये संसद एवं राज्य विधानमंडल के चुनावों में लड़ने के लिये अयोग्य घोषित किया जाता है। इन अपराधों में शामिल है-
    • राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करना।
    • भारत के संविधान का अपमान करना।
    • राष्ट्रगान गाने से रोकना या मना करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत की ध्वज-संहिता, 2002 के अनुसार, भारत के राष्ट्रीय ध्वज के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2023)

कथन-I: भारत के राष्ट्रीय ध्वज का एक मानक आमाप 600 मि.मी. × 400 मि.मी. है।

कथन-II: ध्वज की लंबाई से ऊँचाई (चौड़ाई) का अनुपात  3 : 2 होगा।

उपर्युक्त कथनों के बारे में, निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है?

(a) कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या है
(b) कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-II कथन-I की सही व्याख्या नहीं है।
(c) कथन-I सही है लेकिन कथन-II सही नहीं है 
(d) कथन-I सही नहीं है लेकिन कथन-II सही है

उत्तर: (d)


प्रश्न. सीमा प्रबंधन विभाग निम्नलिखित में से किस केंद्रीय मंत्रालय का एक विभाग है? (2008)

(a) रक्षा मंत्रालय
(b) गृह मंत्रालय
(c) नौवहन, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय
(d) पर्यावरण और वन मंत्रालय

उत्तर: (b)


रैपिड फायर

संयुक्त संसदीय समिति (JPC)

स्रोत: द हिंदू 

भारत के मुख्य विपक्षी दल ने कुछ ऐसे दावों की जाँच के लिये एक संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee - JPC) के गठन का आह्वान किया है जिनके आधार पर अडानी समूह ने उच्च गुणवत्ता बताते हुए तमिलनाडु में एक सरकारी कंपनी को निम्न श्रेणी का कोयला बेचा है।  

  • JPC एक तदर्थ समिति है, जो किसी विशिष्ट विषय या विधेयक की गहन जाँच करने के लिये संसद द्वारा स्थापित की जाती है।
    • इसमें दोनों सदनों के साथ-साथ सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के सदस्य शामिल होते हैं तथा इसकी अध्यक्षता लोकसभा के एक सदस्य (लोकसभा अध्यक्ष द्वारा नियुक्त) द्वारा की जाती है।
    • संसद JPC की संरचना निर्धारित करती है और सदस्यों की संख्या पर कोई सीमा निर्धारित नहीं है।
      • समिति को कार्यकाल या कार्य पूरा करने के बाद भंग कर दिया जाता है।
    • समिति की सिफारिशें सलाहकारी होती हैं और सरकार के लिये उनका पालन करना अनिवार्य नहीं है।
      • हालाँकि, प्रवर समितियों और JPC के सुझाव, जिसमें सत्तारूढ़ दल के सांसदों तथा प्रमुखों का बहुमत होता है, मुख्य तौर पर स्वीकार किये जाते हैं।
  • JPC के पास विशेषज्ञों, सार्वजनिक निकायों, संघों, व्यक्तियों या इच्छुक दलों से उनके अनुरोधों के जवाब में साक्ष्य एकत्रित करने का अधिकार है।
  • ऐसे कुछ मामले जिनमें JPC का गठन किया गया उनमें शामिल हैं:

और पढ़ें: संसदीय समितियाँ, संसद की प्रवर समिति


रैपिड फायर

फिलिस्तीन को मान्यता देंगे आयरलैंड, नॉर्वे और स्पेन

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में आयरलैंड, नॉर्वे और स्पेन ने घोषणा की है कि वे 28 मई, 2024 को औपचारिक रूप से फिलिस्तीन को मान्यता प्रदान करेंगे।

  • प्रतिउत्तर में इज़रायल द्वारा प्रतिक्रिया एवं असंतोष व्यक्त करने पर आयरलैंड, नॉर्वे और स्पेन ने अपने राजदूतों को तत्काल स्वदेश लौटने का आदेश दिया।
  • इसके अतिरिक्त, हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में संयुक्त राष्ट्र के 193 में से 143 सदस्य देशों ने फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता प्रदान करने के पक्ष में मतदान किया।
    • भारत ने लगातार टू-स्टेट सॉल्यूशन का समर्थन किया है और इसके साथ ही भारत वर्ष 1988 में फिलिस्तीन राज्य को स्वीकार करने वाले सर्वप्रथम गैर-अरब देशों में से एक था।
      • भारत ने फिलिस्तीन मुक्ति संगठन को भी मान्यता प्रदान की गई है।

और पढ़ें… इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष


रैपिड फायर

ब्रेन ईटिंग अमीबा

स्रोत: इंडियन एक्स्प्रेस

नेगलेरिया फाउलेरी अमीबा, जिसे प्राय: "ब्रेन ईटिंग अमीबा" के नाम से जाता है, के कारण होने वाले प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (Primary Amoebic Meningoencephaliti - PAM) के कारण हाल ही में केरल में एक 5 वर्षीय लड़की की मृत्यु ने इस विनाशकारी की दुर्लभ लेकिन घातक संक्रमण प्रकृति को उजागर किया है।

  • नेगलेरिया फाउलेरी एक स्वतंत्र रूप से रहने वाला अमीबा है, जो विश्व में अधिक तापमान वाले स्वच्छ जल और मृदा में पनपता है।
    • अमीबा आमतौर पर तैराकी जैसी गतिविधियों के दौरान नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और फिर मस्तिष्क में चला जाता है, जहाँ यह मस्तिष्क के ऊतकों को नष्ट कर देता है एवं सूजन का प्रमुख कारण बनता है।
  • लक्षण: प्रारंभिक लक्षणों में सिरदर्द, ज्वर, मतली और उल्टी आना शामिल हैं, इसके बाद गर्दन में अकड़न, भ्रम, दौरे, मतिभ्रम एवं अंततः कोमा भी शामिल है।
  • मृत्युदर: PAM से ग्रसित अधिकांश लोगों की लक्षणों की शुरुआत के 1 से 18 दिनों के भीतर ही मृत्यु हो जाती है और यह बीमारी आमतौर पर कोमा में परिवर्तित हो जाती है, साथ ही इस स्थिति में 5 दिनों के भीतर मृत्यु हो जाती है।
  • उपचार संबंधी चुनौतियाँ: वर्तमान में PAM के लिये कोई प्रभावी उपचार नहीं है, चिकित्सक संक्रमण को प्रबंधित करने के लिये एम्फोटेरिसिन बी, एज़िथ्रोमाइसिन, फ्लुकोनाज़ोल के साथ अन्य दवाओं के संयोजन का प्रयोग उपचार के लिये करते हैं।

और पढ़ें… नेगलेरिया फाउलेरी: ब्रेन ईटिंग अमीबा


रैपिड फायर

विस्फोटक पदार्थ अधिनियम एवं पेरॉक्साइड रसायन

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

हाल ही में महाराष्ट्र के ठाणे में स्थित एक फैक्ट्री में हुए रासायनिक विस्फोट में 11 लोगों की मृत्यु हो गई। इस घटना का कारण बने प्रतिक्रियाशील पेरॉक्साइड रसायनों के कारण अभियुक्तों पर मुकदमा चलाने के लिये विस्फोटक अधिनियम, 1884 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 का प्रयोग किया गया है

  • भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा अधिनियमित, 1884 का विस्फोटक अधिनियम, विस्फोटकों के निर्माण, भंडारण, उपयोग, बिक्री, आयात एवं निर्यात को नियंत्रित करता है। यह दुर्घटनाओं को रोकने के लिये विस्फोटकों के रखरखाव, परिवहन तथा भंडारण के लिये सुरक्षा मानकों को निर्धारित करता है।
  • विस्फोटक पदार्थ अधिनियम,1908 में विस्फोटक पदार्थों के साथ-साथ विशेष श्रेणी के विस्फोटक पदार्थों को परिभाषित करने वाले प्रावधान शामिल हैं, जिनमें RDX जैसे यौगिक शामिल हैं। इस अधिनियम में जीवन अथवा संपत्ति को खतरे में डालने वाले विस्फोटकों से संबंधित सज़ा का प्रावधान किया गया है, साथ ही दुर्भावनापूर्ण इरादे से विस्फोट करने के प्रयासों या विस्फोटकों को रखने के लिये सज़ा का प्रावधान भी किया गया है।
  • पेरॉक्साइड रसायन, ऐसे कार्बनिक यौगिक होते हैं जिनमें एक पेरॉक्साइड कार्यात्मक समूह होता है, जो एक साथ जुड़े दो ऑक्सीजन परमाणुओं की विशेषता प्रदर्शित करता है।
    • पेरॉक्साइड की सामान्य संरचना को R−O−O−R के रूप में दर्शाया जा सकता है, जहाँ 'R' कोई भी तत्त्व हो सकता है। दो ऑक्सीजन परमाणुओं (O−O) के बीच संबंध को पेरॉक्साइड समूह या पेरॉक्सी समूह के रूप में जाना जाता है।
      • उदाहरण: हाइड्रोजन  पेरॉक्साइड, बेंज़ोयल  पेरॉक्साइड।
    • पेरॉक्साइड में कमज़ोर बंधन होता है, जिससे वे अधिक प्रतिक्रियाशील हो जाते हैं और अन्य रसायनों को उनकी संरचना में परिवर्तन करने में सहायता मिलती होती है।
    • पेरॉक्साइड खतरनाक हो सकते हैं तथा गर्मी अथवा घर्षण के संपर्क में आने पर इनमें विस्फोट हो सकता है।

और पढ़ें… फॉरएवर केमिकल्स


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