प्रारंभिक परीक्षा
भारतीय नौसेना दिवस- 2023
- 06 Dec 2023
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री (PM) ने भारतीय नौसेना दिवस- 2023 पर औपनिवेशिक सैन्य विरासत को खत्म करने के लिये एक सरकारी निर्णय की घोषणा की, जिसमें बताया गया कि भारतीय नौसेना के भीतर पदनामों को भारतीय परंपराओं के अनुरूप करने के लिये नया रूप दिया जाएगा।
- प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज को भी श्रद्धांजलि अर्पित की तथा महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग के किले में 17वीं सदी के मराठा शासक की एक भव्य प्रतिमा का अनावरण किया।
नौसेना दिवस पर क्या घोषणाएँ की गईं?
- प्रतीकात्मक एपॉलेट्स तथा स्वदेशी समुद्री विरासत:
- प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि नौसेना अधिकारियों द्वारा पहने जाने वाले एपॉलेट्स ( कंधे पर रैंक को दर्शाने वाले अलंकरण प्रतीक/चिह्न) पर अब शिवाजी महाराज की सेना का प्रतीक अंकित होगा।
- उन्होंने ऐतिहासिक आँकड़ों से मिली प्रेरणा पर ज़ोर देते हुए नौसेना ध्वज को छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत से जोड़ा।
- शिवाजी महाराज की इस उद्घोषणा को दोहराते हुए कि ‘जिनका समुद्र पर नियंत्रण है, वे ही अंतिम शक्ति रखते हैं’, प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने एक शक्तिशाली नौसेना का मसौदा तैयार किया था।
- औपनिवेशिक मानसिकता से छुटकारा पाने के प्रधानमंत्री के आह्वान के अनुरूप नौसेना द्वारा नया ध्वज वर्ष 2022 में अपनाया गया, जो छत्रपति शिवाजी की गौरवशाली विरासत से प्रेरित है।
- नौसेना योद्धाओं और भारत के समुद्री इतिहास का सम्मान:
- प्रधानमंत्री ने कान्होजी आंग्रे, मायाजी नाइक भटकर और हिरोजी इंदुलकर जैसे योद्धाओं को श्रद्धांजलि दी।
- भारतीय नौसेना ने लोनावाला में अपने प्रशिक्षण प्रतिष्ठान का नाम INS शिवाजी रखा है और पश्चिमी नौसेना कमान, मुंबई के तट-आधारित रसद और प्रशासनिक केंद्र का नाम प्रसिद्ध मराठा नौसैनिक कमांडर कान्होजी आंग्रे (1669-1729) के नाम पर INS आंग्रे रखा है।
शिवाजी के मराठा साम्राज्य की नौसेना विरासतें क्या थीं?
- सिद्दियों के साथ संघर्ष से प्रेरित होकर और पुर्तगाली नौसैनिक ताकत को देखते हुए शिवाजी ने एक मज़बूत नौसेना और कुशल बंदरगाह प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विरोधियों से सुरक्षा के लिये रणनीतिक रूप से विजयदुर्ग और सिंधुदुर्ग जैसे तटीय किलों का निर्माण किया।
- शिवाजी के नेतृत्व में मराठा नौसेना और अधिक प्रभावशाली हुई एवं कोलाबा, सिंधुदुर्ग, विजयदुर्ग तथा रत्नागिरी में गढ़ स्थापित किये गए। 500 उत्कृष्ट जहाज़ों से समृद्ध मराठा नौसेना ने चार दशकों से अधिक समय तक पुर्तगाली एवं ब्रिटिश दोनों की शक्ति को सफलतापूर्वक विफल कर दिया। हालाँकि वर्ष 1680 में शिवाजी की मृत्यु के बाद मराठा नौसेना कमज़ोर हो गई, जिससे इसकी शक्ति और प्रभाव में कमी आई।
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