भूगोल
चक्रवात यास (Yaas)
- 31 May 2021
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प्रिलिम्स के लियेउष्णकटिबंधीय चक्रवात, चक्रवात ताउते, भारत मौसम विज्ञान विभाग, विश्व मौसम विज्ञान संगठन, प्रमुख चक्रवाती तूफान जैसे: हरिकेन, टाइफून ,विली-विलीज़ आदि और संबंधित देश। मेन्स के लियेउष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय चक्रवात में अंतर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवात बनने के प्रमुख कारण, चक्रवात का नामकरण, प्रभाव एवं क्षेत्र, कोरिओलिस बल की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चक्रवात यास (Yaas) ने ओडिशा में बालासोर के दक्षिण में दस्तक दी।
- इससे पूर्व ' चक्रवात ताउते’ (Tauktae) नामक एक अन्य चक्रवाती तूफान ने दो केंद्रशासित प्रदेशों (दमन एवं दीव तथा लक्षद्वीप) और भारतीय राज्यों केरल, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा तथा कर्नाटक को प्रभावित किया था।
प्रमुख बिंदु
परिचय:
- इस चक्रवात को यास नाम ओमान द्वारा दिया गया है, जो एक फारसी भाषा का शब्द है। अंग्रेज़ी में इसका अर्थ 'जैस्मीन' (Jasmin) होता है।
- सामान्यत: उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र (बंगाल की खाड़ी और अरब सागर) में उष्णकटिबंधीय चक्रवात पूर्व-मानसून (अप्रैल से जून माह) और मानसून पश्चात् (अक्तूबर से दिसंबर) की अवधि के दौरान विकसित होते हैं।
- मई-जून और अक्तूबर-नवंबर के माह गंभीर तीव्र चक्रवात उत्पन्न करने के लिये जाने जाते हैं जो भारतीय तटों को प्रभावित करते हैं।
वर्गीकरण:
- इसे अत्यधिक गंभीर चक्रवाती तूफान की श्रेणी में रखा गया है।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) चक्रवातों को उनके द्वारा उत्पन्न अधिकतम निरंतर सतही हवा की गति (Maximum Sustained Surface Wind Speed- MSW) के आधार पर वर्गीकृत करता है।
- चक्रवातों को गंभीर (48-63 समुद्री मील का MSW ), बहुत गंभीर (64-89 समुद्री मील का MSW), अत्यंत गंभीर (90-119 समुद्री मील का MSW) और सुपर साइक्लोनिक स्टॉर्म (120 समुद्री मील का MSW) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। एक नॉट (knot) 1.8 किमी. प्रति घंटे (किलोमीटर प्रति घंटा) के बराबर होता है।
प्रभावित क्षेत्र:
- इसने पश्चिम बंगाल और ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्रों को प्रभावित किया और पूर्वी तट पर विनाश के निशान छोड़ते हुए यह चक्रवाती तूफान कमज़ोर हो गया।
बंगाल की खाड़ी का गर्म होना:
- बंगाल की खाड़ी में जहाँ चक्रवात यास का निर्माण हुआ, वर्ष के इस समय में यह क्षेत्र सामान्य से कम-से-कम दो डिग्री अधिक गर्म है।
- इस साल बंगाल की खाड़ी का उत्तरी भाग असाधारण रूप से अधिक गर्म है और यहाँ का तापमान लगभग 32 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात:
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तीव्र गोलाकार तूफान है जो गर्म उष्णकटिबंधीय महासागरों में उत्पन्न होता है और कम वायुमंडलीय दबाव, तेज़ हवाएँ और भारी बारिश इसकी विशेषताएँ हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की विशिष्ट विशेषताओं में एक चक्रवातों की आंख (Eye) या केंद्र में साफ आसमान, गर्म तापमान और कम वायुमंडलीय दबाव का क्षेत्र होता है।
- इस प्रकार के तूफानों को उत्तरी अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत में हरिकेन (Hurricanes) तथा दक्षिण-पूर्व एशिया एवं चीन में टाइफून (Typhoons) कहा जाता है। दक्षिण-पश्चिम प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में इसे उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones) और उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में विली-विलीज़ ( Willy-Willies) कहा जाता है।
- इन तूफानों या चक्रवातों की गति उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत अर्थात् वामावर्त (Counter Clockwise) और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त (Clockwise) होती है।
- उष्णकटिबंधीय तूफानों के बनने और उनके तीव्र होने हेतु अनुकूल परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं:
- 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाली एक बड़ी समुद्री सतह।
- कोरिओलिस बल की उपस्थिति।
- ऊर्ध्वाधर/लंबवत हवा की गति में छोटे बदलाव।
- पहले से मौजूद कमज़ोर निम्न-दबाव क्षेत्र या निम्न-स्तर-चक्रवात परिसंचरण।
- समुद्र तल प्रणाली के ऊपर विचलन (Divergence)।
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नामकरण:
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक क्षेत्र के देश चक्रवातों को नाम देते हैं।
- उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के ऊपर बने उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को कवर करता है।
- इस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 13 सदस्य बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन हैं।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) विश्व के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों (Regional Specialised Meteorological Centres- RSMC) में से एक है, जिसे सलाह जारी करने और उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम रखने का अधिकार है।
- यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी है।
बंगाल की खाड़ी बनाम अरब सागर (चक्रवात)
बंगाल की खाड़ी :
- चूँँकि यह अवतल या उथला है, जहाँ तेज हवाएँ जल को आगे धकेलती हैं जिसके कारण यह तूफान के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
- बंगाल की खाड़ी का आकार एक गर्त (Trough) की भाँति है, जो तूफानों को मज़बूत करने के लिये इसे और अधिक अनुकूल बनाता है। समुद्रीय सतह का उच्च तापमान होने की वजह से खाड़ी में उत्पन्न होने वाले तूफानों की तीव्रता और अधिक बढ़ जाती है।
- बंगाल की खाड़ी में इसके चारो ओर धीमी ओर गर्म हवाओं सहित अधिक वर्षा होती है, जिसकी वजह से पूरे वर्ष अपेक्षाकृत अधिक तापमान बना रहता है। ब्रह्मपुत्र, गंगा जैसी वर्ष भर प्रवाहित होने वाली नदियों से ताज़े गर्म जल का निरंतर प्रवाह होता रहता है, जिसकी वजह से खाड़ी की निचली सतह के ठंडे पानी के साथ ऊपरी सतह के पानी का मिश्रण लगभग असंभव हो जाता है।
- प्रशांत महासागर और बंगाल की खाड़ी के बीच भू-भाग की कमी के कारण चक्रवाती हवाएँ तटीय क्षेत्रों तक सीधे, बिना किसी रुकावट के पहुँच जाती हैं और भारी वर्षा करती हैं।
- मानसून के बाद उत्तर-पश्चिमी भारत से खाड़ी की ओर हवाओं का प्रवाह रुक जाता है, जो कि बंगाल की खाड़ी में चक्रवात आने की संभावना का एक अन्य कारण भी है।
अरब सागर:
- अरब सागर काफी शांत रहता है क्योंकि इसके ऊपर चलने वाली तेज़ हवाएँ इस क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली ऊष्मा को नष्ट करने में मदद करती हैं।
- अरब सागर में लगातार ताज़े पानी का प्रवाह काफी कम होता है, जिससे सतही गर्म पानी और निचली सतह के ठंडे पानी को परस्पर मिश्रित होने में आसानी होती है, परिणामस्वरूप सतह का तापमान कम हो जाता है।
- अरब सागर को अपनी अवस्थिति का लाभ भी मिलता है, क्योंकि प्रशांत महासागर से आने वाली हवाएँ पश्चिमी घाट और हिमालय से टकराती हैं तथा इनकी तीव्रता कम हो जाती है एवं कभी-कभी ये हवाएँ अरब सागर तक पहुँच ही नहीं पाती हैं।