पार्किंसन रोग
स्रोत: TH
चर्चा में क्यों?
एक हालिया अध्ययन ने इस ‘गट-फर्स्ट हाइपोथिसिस/आंत-प्रथम परिकल्पना को बदल दिया है कि पार्किंसंस रोग वास्तव में आंत और मस्तिष्क में विकसित होता है।
- यह शोध महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह इस न्यूरोडीज़ेनेरेटिव विकार के निदान, विकास और उपचार की समझ को बदल सकता है।
अनुसंधान के मुख्य बिंदु क्या हैं?
- "गट-फर्स्ट हाइपोथिसिस" से पता चलता है कि पार्किंसंस रोग आंत में विकसित हो सकता है, जिसका रोग के विकास और उपचारात्मक रणनीतियों को समझने पर प्रभाव पड़ता है।
- आंत माइक्रोबायोम मुह से लेकर कोलन तक फैला हुआ है। यह सूक्ष्मजीवों- बैक्टीरिया, वायरस, कवक और बहुत कुछ - और उनकी सामूहिक आनुवंशिक सामग्री का नेटवर्क है जो आंत के मार्ग के भीतर रहता है।
- मुंह से लेकर कोलन तक, आंत के माइक्रोबायोम मौजूद होते हैं। पाचन तंत्र में सूक्ष्मजीवों का एक विशाल नेटवर्क होता है, जिसमें बैक्टीरिया, वायरस, कवक के साथ-साथ उनकी सामूहिक आनुवंशिक पदार्थ शामिल हैं।
- शोध में कब्ज जैसे जठरांत्र संबंधी लक्षणों को पार्किंसंस रोग के प्रारंभिक लक्षण के रूप में पहचाना गया है, जिससे संभावित रूप से निदान और उपचार के तरीकों में बदलाव आ सकता है।
- पार्किंसंस रोग से जुड़े असामान्य प्रोटीन अग्ग्रेगेट्स (लेवी बॉडीज़) आंत और मस्तिष्क दोनों में पाए जाते हैं, जो रोग के विकास में जटिल अंतर्संबंध को प्रदर्शित करते हैं।
- लेवी बॉडीज़ मुख्य रूप से अल्फा-सिनुक्लिन नामक प्रोटीन से बनी होती हैं, जो असामान्य रूप से मुड़ कर एक साथ चिपक जाती है, जिससे मस्तिष्क में डोपामाइन उत्पादक न्यूरॉन्स नष्ट हो जाते हैं।
पार्किंसंस रोग क्या है?
- पार्किंसंस रोग (PD) एक प्रगतिशील न्यूरोडीज़ेनेरेटिव विकार है जिसके लक्षणों में कंपन, संवर्द्धित मांसपेशी टोन (कड़ापन या कठोरता), ब्रैडीकिनेसिया (धीमी गति) और आसन अस्थिरता शामिल है तथा नॉन-मोटर लक्षणों में संज्ञानात्मक समस्याएँ, मानसिक स्वास्थ्य विकार, नींद की गड़बड़ी, दर्द और संवेदी समस्याएँ शामिल हैं।
- ब्रैडीकिनेसिया का अर्थ है गति और चाल में धीमापन (या लगातार होने वाली हिचकिचाहट/रुकावटें)।
- कारण: पार्किंसंस रोग का सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से ज्ञात नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि इसमें आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों का संयोजन शामिल है।
- इसकी मुख्य विशेषता मस्तिष्क में डोपामाइन उत्पादक न्यूरॉन्स की क्षति है, जिसके परिणामस्वरूप मोटर और नॉन-मोटर लक्षण उत्पन्न होते हैं।
- व्यापकता: पिछले 25 वर्षों में पार्किंसंस रोग का वैश्विक प्रसार दोगुना हो गया है। वर्ष 2019 में वैश्विक अनुमानों के अनुसार पार्किंसंस रोग से ग्रस्त व्यक्तियों की संख्या 8.5 मिलियन से अधिक है।
- प्रत्येक वर्ष 13 अप्रैल को विश्व पार्किंसंस दिवस मनाया जाता है।
- उपचार: पार्किंसन रोग का कोई इलाज़ नहीं है, लेकिन दवाइयों, सर्जरी और पुनर्वास सहित उपचारों से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है।
- लेवोडोपा/कार्बिडोपा, सामान्य रूप से उपयोग की जाने वाली एक संयोजित दवा है जो मस्तिष्क में डोपामाइन की मात्रा बढ़ाती है।
न्यूरोडीज़ेनेरेटिव विकार क्या हैं?
- परिचय:
- न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग ऐसी स्थितियाँ हैं जो धीरे-धीरे तंत्रिका तंत्र के कुछ हिस्सों, विशेष रूप से मस्तिष्क के कुछ हिस्सों को नुकसान पहुँचाती है और उन्हें नष्ट कर देती हैं।
- प्रकार:
- डिमेंशिया (मनोभ्रंश)-प्रकार की बीमारियाँ: ये मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों को प्रगतिशील क्षति पहुँचाती हैं, जिससे आपके मस्तिष्क के कई क्षेत्रों के न्यूरॉन्स मर जाते हैं। उदाहरण के लिये अल्जाइमर रोग, फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया, क्रॉनिक ट्रॉमैटिक एन्सेफैलोपैथी (CTE), लेवी बॉडी डिमेंशिया।
- पार्किंसनिज़्म-प्रकार के रोग: यह समन्वय और मांसपेशी नियंत्रण के लिये ज़िम्मेदार विशिष्ट मस्तिष्क न्यूरॉन्स को क्षति पहुँचने के कारण होता है, जिसमें पार्किंसन रोग और इसी प्रकार की अन्य स्थितियाँ शामिल हैं।
- मोटर न्यूरॉन रोग: ये तब होते हैं जब गति को नियंत्रित करने वाले न्यूरॉन मर जाते हैं। उदाहरणों में एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस शामिल है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रारंभिक:प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:(2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न: निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक, मानव शरीर में B कोशिकाओं और T कोशिकाओं की भूमिका का सर्वोत्तम वर्णन है? (2022) (a) वे शरीर को पर्यावरणीय प्रत्यूर्जकों (एलर्जनों) से संरक्षित करती हैं। उत्तर: (d) |
अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस 2024
स्रोत: DTE
चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस प्रत्येक वर्ष 23 अक्तूबर, 2024 को मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस
- इसकी स्थापना वर्ष 2013 में किर्गिज़स्तान में बिश्केक घोषणा को अपनाने के बाद हुई, जिसमें हिम तेंदुआ आबादी वाले 12 देशों ने उनके संरक्षण प्रयासों में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की थी।
- हिम तेंदुओं की मेजबानी करने वाले देश: अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत , कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, मंगोलिया, नेपाल, पाकिस्तान, रूस, ताज़िकिस्तान और उज़्बेकिस्तान।
हिम तेंदुओं से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- के बारे में: हिम तेंदुए (Panthera uncia) मध्यम आकार की बिल्लियाँ मानी जाती हैं, जो अपनी मायावी प्रकृति और कठोर, उच्च तुंगता वाले वातावरण में विकसित होने की क्षमता के लिये जानी जाती हैं।
- वास स्थान: ये मध्य और दक्षिण एशिया के पहाड़ों के स्थानिक हैं तथा आमतौर पर हिमालय सहित अन्य पर्वत श्रृंखलाओं में 9,800 और 17,000 फीट की ऊ ऊँचाई पर पाए जाते हैं।
- अनुमानतः वन क्षेत्रों में इनकी आबादी 3,500 से 7,000 के बीच है।
- अनुकूलन: इनकी मायावी प्रकृति और परिवेश में घुल-मिल जाने की क्षमता के कारण इन्हें "पहाड़ों का भूत" (ghosts of the mountains) कहा जाता है।
- इनकी त्वचा पर मोटे, भूरे-सफेद फर/रोएँ होते हैं जो बर्फ तथा चट्टानों में इन्हें छद्म आवरण प्रदान करते हैं।
- व्यवहार: हिम तेंदुए दहाड़ते नहीं हैं। वे गुर्राहट, फुफकार, म्यायूँ और एक अनोखी आवाज़ जिसे "चफ़" कहते हैं, के ज़रिये संवाद करते हैं।
- यह जानवर सुबह और शाम के समय सबसे अधिक सक्रिय रहता है।
- बिल्लियों की अधिकांश प्रजातियों की तरह, हिम तेंदुए भी एकांतवासी होते हैं।
- प्रजनन: ये आमतौर पर जनवरी और मार्च के बीच प्रजनन करते हैं, यह वह समय होता है जब नर तथा मादा दोनों अपने क्षेत्रों को चिह्नित करते हैं तथा अपने यात्रा मार्गों के प्रमुख स्थानों पर खरोंच, मल, मूत्र और सुगंध जैसे संकेत छोड़ते हैं।
- पारिस्थितिक महत्त्व: ये शीर्ष शिकारियों और संकेतक प्रजातियों के रूप में कार्य करते हैं, क्योंकि उनकी उपस्थिति उनके उच्च तुंगता वाले पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य को दर्शाती है।
- उनके शिकार से गिद्धों और भेड़ियों जैसे मृतोपजीवी जीवों को भोजन मिलता है, जिससे अन्य प्रजातियों को पोषण मिलता है।
भारत में हिम तेंदुओं की आबादी
- भारत में हिम तेंदुए की आबादी का आकलन (SPAI) कार्यक्रम के अनुसार, भारत में हिम तेंदुओं की आबादी 718 है।
- विभिन्न राज्यों में अनुमानित जनसंख्या इस प्रकार है: लद्दाख (477), उत्तराखंड (124), हिमाचल प्रदेश (51), अरुणाचल प्रदेश (36), सिक्किम (21) तथा जम्मू और कश्मीर (9)।
- भारत सरकार ने हिम तेंदुए को उच्च हिमालयी क्षेत्रों के लिये एक प्रमुख प्रजाति (Flagship Species) के रूप में चिह्नित किया है।
- लद्दाख स्थित हेमिस राष्ट्रीय उद्यान को विश्व की हिम तेंदुओं की राजधानी (Snow Leopard capital) कहा जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2012)
उपर्युक्त में से कौन-से भारत में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं? (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (b) |
बाइनरी ब्राउन ड्वार्फ्स
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में, शोधकर्त्ताओं ने पता लगाया है कि वर्ष 1995 में पाया गया ब्राउन ड्वार्फ्स (भूरा बौना तारा) ग्लिसे 229B, वास्तव में दो (बाइनरी) ब्राउन ड्वार्फ्स (ग्लिसे 229Ba और 229Bb) हैं, जो एक छोटे तारे की परिक्रमा करते हुए एक दूसरे की परिक्रमा करते हैं।
- यह दुर्लभ बाइनरी ब्राउन ड्वार्फ्स तारा 19 प्रकाश वर्ष (1 प्रकाश वर्ष = 9.5 ट्रिलियन किमी) दूर लेपस तारामंडल में स्थित है ।
- यह बाइनरी ब्राउन ड्वार्फ्स एक सामान्य लाल बौने/ड्वार्फ्स तारे की परिक्रमा करता है जिसका द्रव्यमान हमारे सूर्य के लगभग 6/10 भाग के बराबर है।
- लाल बौना सबसे छोटा, सबसे ठंडा तारा है, जो आकाशगंगा में 60-70% तारों का निर्माण करता है। इसका लाल रंग कम तापमान को दर्शाता है।
- भूरे बौने (ब्राउन ड्वार्फ्स) के बारे में: ब्राउन ड्वार्फ्स ग्रहों और तारों के बीच स्थित एक पिंड हैं, जिनमे नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया हेतु पर्याप्त द्रव्यमान नहीं होता हैं लेकिन इसका द्रव्यमान बृहस्पति जैसे सबसे बड़े ग्रहों से अधिक होता है।
- वे ड्यूटेरियम (हाइड्रोजन का एक भारी रूप) को जलाने में सक्षम हैं, लेकिन तारों की तरह नियमित हाइड्रोजन संलयन को बनाए रखने के लिये उनमें द्रव्यमान का अभाव है ।
और पढ़ें: ब्राउन ड्वार्फ (भूरे बौने) आकाशगंगाओं में तारों का निर्माण
मालाबार अभ्यास 2024
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में सैन्य अभ्यास ‘मालाबार 2024’ का समुद्री चरण विशाखापत्तनम में संपन्न हुआ।
‘मालाबार 2024’ अभ्यास की प्रमुख घटनाएँ:
- प्रतिभागी और प्रमुख अभ्यास: इस संस्करण में युद्धपोतों की उनके अभिन्न हेलीकॉप्टर, लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान और पनडुब्बी ने सतह, उप-सतह और वायु युद्ध के क्षेत्र में जटिल और उन्नत अभ्यासों में हिस्सा लिया।
मालाबार अभ्यास के बारे में:
- वर्ष 1992 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास के रूप में शुरू किये गए इस बहुपक्षीय युद्धाभ्यास का वर्ष 2007 में विस्तार कर इसमें जापान और ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल कर लिया गया।
- क्वाड और मालाबार अभ्यास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के अपने साझा उद्देश्य के माध्यम से निकटता से जुड़े हुए हैं।
- क्वाड: 'चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता' (QSD) के रूप में जाना जाने वाला क्वाड एक अनौपचारिक रणनीतिक मंच है जिसमें चार देश अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं।
- इस समूह की पहली बैठक वर्ष 2007 में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी।
- क्वाड नेताओं ने समुद्री क्षेत्र में जागरूकता के लिये भारत-प्रशांत भागीदारी (MAITRI) के माध्यम से उपलब्ध कराए गए उपकरणों का अधिकतम उपयोग करने के लिये भारत-प्रशांत क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिये क्षेत्रीय समुद्री पहल (मैत्री) का शुभारंभ किया।
- अन्य सैन्य अभ्यास:
- ला पेरोस: भारत, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्राँस, जापान और यूनाइटेड किंगडम।
- SALVEX: भारत और अमेरिका
- सी ड्रैगन: भारत, अमेरिका, जापान, कनाडा और दक्षिण कोरिया
- वीर गार्जियन: भारत और जापान के बीच हवाई अभ्यास
- अभ्यास काकाडू: मालाबार देशों के बीच द्वि-वार्षिक अभ्यास (ऑस्ट्रेलियाई नौसेना द्वारा आयोजित)।
मिशन मौसम के तहत क्लाउड चैंबर
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारत मिशन मौसम के एक भाग के रूप में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (India Meteorological Department), पुणे में एक क्लाउड चैंबर स्थापित करने की योजना बना रहा है।
- इससे बादलों के निर्माण और प्रकृति का विस्तृत अध्ययन संभव हो सकेगा, जो विशेष रूप से भारतीय मानसून की स्थितियों के लिये प्रासंगिक होगा।
- क्लाउड चैंबर एक बंद बेलनाकार ड्रम है जिसमें जल वाष्प और एरोसोल को इंजेक्ट किया जाता है।
- नियंत्रित आर्द्रता और तापमान के अंतर्गत यह कक्ष वैज्ञानिकों को क्लाउड सीडिंग का अध्ययन करने की अनुमति प्रदान करता है जो बादल की बूंदों और बर्फ कणों में योगदान करते हैं।
- भारत के क्लाउड चैंबर में संवहन गुण व्याप्त होंगे, जिससे भारतीय मौसम प्रणालियों को सामान्य रूप से प्रभावित करने वाली स्थितियों के तहत क्लाउड भौतिकी की बेहतर समझ प्राप्त होगी।
- भारत को, विशेष रूप से क्लाउड एरोसोल इंटरेक्शन एंड पार्टिसिपेशन एनहांसमेंट एक्सपेरिमेंट (CAIPEEX ) के माध्यम से क्लाउड सीडिंग का पूर्व अनुभव प्राप्त है।
- CAIPEEX ने दर्शाया है कि कुछ स्थानों पर वर्षा में औसतन 46% (±13%) तक की वृद्धि हो सकती है, तथा वृष्टिछाया क्षेत्र में 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में लगभग 18% (±2.6%) की वृद्धि हो सकती है।
- मिशन मौसम का उद्देश्य भारत में मौसम पूर्वानुमान को बेहतर बनाना और विशिष्ट मौसम संबंधी घटनाओं का प्रबंधन करना है, जैसे वर्षा, ओलावृष्टि, कोहरा और बिजली गिरना आदि को बढ़ाना या कम करना।
अधिक पढ़ें: क्लाउड सीडिंग
कर राजस्व संग्रह संबंधी रुझान
स्रोत: IE
हाल ही में वित्त मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा जारी आँकड़ों से वित्त वर्ष 2023-24 के लिये कर राजस्व संग्रह संबंधी रुझान प्राप्त हुए हैं।
- वित्त वर्ष 2023-24 में प्रत्यक्ष कर बढ़कर कुल राजस्व का 56.72% हो गया, जो 14 वर्षों में सर्वाधिक है, जबकि अप्रत्यक्ष कर घटकर 43.28% के स्तर पर पहुँच गया।
- प्रत्यक्ष कर सीधे करदाता पर लगाया जाता है और जिस व्यक्ति (न्यायिक या प्राकृतिक) पर यह लगाया जाता है, उसके द्वारा सरकार को सीधे भुगतान किया जाता है।
- अप्रत्यक्ष कर वह कर है जो किसी मध्यस्थ (जैसे कि स्टोर) द्वारा उस व्यक्ति से वसूला जाता है जो अंततः इसका भुगतान करता है (अर्थात् ग्राहक)। करदाता इस कर को दूसरों पर आरोपित कर सकता है।
- व्यक्तिगत आयकर (PIT) ( 10.45 लाख करोड़ रुपए) संग्रह निगम/कॉर्पोरेट कर (9.11 लाख करोड़ रुपए) से अधिक रहा।
- प्रत्यक्ष कर-जीडीपी अनुपात 20 वर्षों के उच्चतम स्तर 6.64% पर पहुँच गया।
- वर्ष 2023-24 में कर उछाल (Tax buoyancy) बढ़कर 2.12 हो गया।
- 2 से अधिक कर उछाल का अर्थ है कि कर राजस्व नाममात्र/नॉमिनल GDP की तुलना में दोगुने से अधिक तेज़ी से बढ़ा है, जो मज़बूत कर संग्रह वृद्धि को दर्शाता है।
- शीर्ष 3 प्रत्यक्ष कर संग्रहकर्त्ता राज्य: महाराष्ट्र (39%), कर्नाटक (12%) और दिल्ली (10.4%)।