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जैव विविधता और पर्यावरण

क्लाउड सीडिंग

  • 01 Sep 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

क्लाउड सीडिंग और उसके प्रकार, कृत्रिम वर्षा, वर्षण, संघनन।

मेन्स के लिये:

क्लाउड सीडिंग का अनुप्रयोग और चिंताएँ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जो पृथ्वी पर सबसे गर्म और सबसे शुष्क क्षेत्रों में से एक में स्थित है, क्लाउड सीडिंग और वर्षण को बढ़ाने के प्रयास का नेतृत्व कर रहा है, जहाँ प्रतिवर्ष औसतन 100 मिलीमीटर से कम वर्षा होती है।

  • संयुक्त अरब अमीरात ने एक नई तकनीक के अंतर्गत संघनन प्रक्रिया को प्रोत्साहित और तेज़ करने के लिये बादलों में नमक के नैनोकणों तथा जल को आकर्षित करने वाले ‘साल्ट फ्लेयर्स' को संयुक्त किया है। उम्मीद है कि यह तकनीक वर्षा के रूप में गिरने के लिये पर्याप्त बूँदों का उत्पादन करेगी।

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क्लाउड सीडिंग:

  • परिचय:
    • क्लाउड सीडिंग, सूखी बर्फ या सामान्यतः सिल्वर आयोडाइड एरोसोल के बादलों के ऊपरी हिस्से में छिड़काव की प्रक्रिया है ताकि वर्षण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करके वर्षा कराई जा सके।
    • क्लाउड सीडिंग में छोटे कणों को विमानों का उपयोग कर बादलों के बहाव के साथ फैला दिया जाता है। छोटे-छोटे कण हवा से नमी सोखते हैं और संघनन से उसका द्रव्यमान बढ़ जाता है। इससे जल की भारी बूँदें बनकर वर्षा करती हैं।
    • क्लाउड सीडिंग से वर्षा दर प्रतिवर्ष लगभग 10% से 30% तक बढ़ जाती है और क्लाउड सीडिंग के संचालन में विलवणीकरण प्रक्रिया की तुलना में बहुत कम लागत आती है।
  • क्लाउड सीडिंग के तरीके:
    • हाइग्रोस्कोपिक क्लाउड सीडिंग:
      • बादलों के निचले हिस्से में ज्वालाओं या विस्फोटकों के माध्यम से नमक को फैलाया जाता है, और जैसे ही यह पानी के संपर्क में आता है नमक कणों का आकार बढ़ने लगता है।
    • स्टेटिक क्लाउड सीडिंग:
      • इसमें सिल्वर आयोडाइड जैसे रसायन को बादलों में फैलाया जाता है। सिल्वर आयोडाइड एक क्रिस्टल का उत्पादन करता है जिसके चारों ओर नमी संघनित हो जाती है।
      • वातावरण में उपस्थित जलवाष्प को संघनित करने में सिल्वर आयोडाइड अधिक प्रभावी है।
    • डायनेमिक क्लाउड सीडिंग:
      • इसका उद्देश्य ऊर्ध्वाधर वायु राशियों को बढ़ावा देना है जो बादलों से गुजरने हेतु अधिक जल को प्रोत्साहित करता है, जिससे वर्षा की मात्रा बढ़ जाती है।
      • प्रक्रिया को स्थिर ,क्लाउड सीडिंग, की तुलना में अधिक जटिल माना जाता है क्योंकि यह अनुकूल घटनाओं के अनुक्रम पर निर्भर करता है।
  • क्लाउड सीडिंग के अनुप्रयोग:
    • कृषि:
      • इसके द्वारा सूखाग्रस्त क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा के माध्यम से राहत प्रदान की जाती है।
        • उदाहरण के लिये, वर्ष 2017 में कर्नाटक में 'वर्षाधारी परियोजना' के अंतर्गत कृत्रिम वर्षा कराई गई थी।
    • विद्युत उत्पादन:
      • क्लाउड सीडिंग के अनुप्रयोग द्वारा तस्मानिया (ऑस्ट्रेलिया) में पिछले 40 वर्षों के दौरान जल विद्युत उत्पादन में वृद्धि देखी गई है।
    • जल प्रदूषण नियंत्रण:
      • क्लाउड सीडिंग गर्मियों के दौरान नदियों के न्यूनतम प्रवाह को बनाए रखने में मदद कर सकती है और नगर पालिकाओं तथा उद्योगों से उपचारित अपशिष्ट जल के निर्वहन के प्रभाव को भी कम कर सकती है।
    • कोहरा का प्रसार, ओला वर्षण और चक्रवात की स्थिति में परिवर्तन:
      • सर्दियों के दौरान क्लाउड सीडिंग का उपयोग पर्वतों पर बर्फ की परत का क्षेत्रफल बढ़ाया जाता है, ताकि वसंत के मौसम में बर्फ के पिघलने के दौरान अतिरिक्त अपवाह प्राप्त हो सके।
      • कोहरा के प्रसार, ओला वर्षण और चक्रवात की स्थिति में परिवर्तन के उद्देश्य से क्लाउड सीडिंग के माध्यम से मौसम में परिवर्तन के लिये वर्ष 1962 में अमेरिका में "प्रोजेक्ट स्काई वाटर" का परिचालन किया गया था।
    • वायु प्रदूषण में कमी:
      • वर्षा के माध्यम से ज़हरीले वायु प्रदूषकों को कम करने के लिये ‘क्लाउड सीडिंग’ का संभावित रूप से उपयोग किया जा सकता है।
      • उदाहरण: हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अन्य शोधकर्त्ताओं के साथ दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिये क्लाउड सीडिंग के उपयोग पर विचार किया।
    • पर्यटन:
      • क्लाउड सीडिंग द्वारा शुष्क क्षेत्रों को अनुकूलित कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है।

क्लाउड सीडिंग में विद्यमान चुनौतियाँ:

  • संभावित दुष्प्रभाव:
    • क्लाउड सीडिंग में इस्तेमाल होने वाले रसायन पौधों, जानवरों और लोगों या पर्यावरण के लिये संभावित रूप से हानिकारक हो सकते हैं।
  • असामान्य मौसम प्रतिरूप:
    • यह अंततः ग्रह पर जलवायु प्रतिरूप में बदलाव ला सकता है। वर्षा को प्रोत्साहित करने के लिये वातावरण में रसायनों को छिड़कने की कृत्रिम प्रक्रिया के कारण सामान्य रूप से वर्षा वाले प्राप्त स्थानों पर सूखे जैसी घटनाओं को बढ़ावा दे सकता है।
  • तकनीकी रूप से महँगा:
    • इसमें रसायनों को आकाश में छिड़कने और उन्हें फ्लेयर शॉट्स या हवाई जहाज़ द्वारा हवा में छोड़ने जैसी प्रक्रियाएँ शामिल हैं, जिसमें भारी लागत और लॉजिस्टिक शामिल है।
  •  प्रदूषण:
    • कृत्रिम वर्षा के दौरान सिल्वर आयोडाइड, शुष्क बर्फ या लवण जैसे सीडिंग तत्त्व भी धरातल पर आएंगे। क्लाउड-सीडिंग परियोजनाओं के आस-पास के स्थानों में खोजे गए अवशिष्ट चाँदी को विषाक्त माना जाता है। शुष्क बर्फ के लिये यह ग्रीनहाउस गैस का एक स्रोत भी हो सकता है जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देता है, क्योंकि यह मूल रूप से कार्बन डाइऑक्साइड होता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न: निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कुछ वैज्ञानिक पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक तथा समतापमंडल में सल्पेट वायुविलय अंत:क्षेपण के उपयोग का सुझाव देते हैं? (2019)

(a) कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा करवाने के लिये
(b) उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बारंबारता और तीव्रता को कम करने के लिये
(c) पृथ्वी पर सौर पवनों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिये
(d) भूमंडलीय तापन को कम करने के लिये

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक एक प्रकार की तकनीक है जिसमें उच्च ऊँचाई के पक्षाभ बादलों को पतला करना शामिल है। पक्षाभ बादल अंतरिक्ष में सौर विकिरण को पूर्णतः प्रतिबिंबित नहीं करते हैं, लेकिन ये उच्च ऊँचाई और निम्न तापमान पर बनते हैं, इसलिये ये बादल दीर्घ विकिरण को अवशोषित करते हैं और ग्रीनहाउस गैसों के समान जलवायु प्रभाव डालते हैं। पतले पक्षाभ बादलों के नाभिक (जैसे धूल) को उन क्षेत्रों में अंत:क्षेपण करके प्राप्त किया जाएगा जहाँ पक्षाभ बादल है
  • ये बर्फ के क्रिस्टल को बड़ा बनाते हैं और पक्षाभ बादल को पतला करते हैं। बादलों को पतला करने से अधिक गर्मी अंतरिक्ष में चली जाएगी और इस तरह पृथ्वी का वातावरण ठंडा हो जाएगा।
  • समतापमंडल वायुविलय अंत:क्षेपण (Stratospheric Aerosol Injection-SAI) ऐसी तकनीक है, जिसमें बड़ी मात्रा में अकार्बनिक कणों (जैसे, सल्फर डाइऑक्साइड) का समतापमंडल में छिड़काव करना शामिल है, जो आने वाले विकिरण के लिये परावर्तक बाधा के रूप में कार्य करता है और इस प्रकार ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद करता है।

अतः विकल्प (d) सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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