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मिशन मौसम

  • 14 Sep 2024
  • 3 min read

स्रोत: IE

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्वानुमानों और तात्कालिक पूर्वानुमानों की सटीकता में सुधार लाने हेतु अगले दो वर्षों के लिये 2,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ 'मिशन मौसम' को मंज़ूरी दी है ताकि चरम मौसमी-घटनाओं तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अनुमान करने एवं उनसे निपटने की भारत की क्षमता को बढ़ाया जा सके।

  • फोकस क्षेत्र: इसमें सटीकता, मॉडलिंग, रडार, उपग्रह और सटीक कृषि पूर्वानुमान शामिल हैं।
    • इससे नागरिकों सहित हितधारकों को चरम मौसम की घटनाओं तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का बेहतर प्रबंधन करने में मदद मिलेगी तथा समुदाय की आघात सहनीयता बढ़ेगी।
  • मिशन के घटक: 
    • उन्नत सेंसरों के साथ नेक्स्ट जेनरेशन रडार और उपग्रह प्रणालियों की तैनाती
    • उन्नत पृथ्वी प्रणाली मॉडल का विकास 
    • रियल टाइम डेटा साझा करने के लिये GIS-आधारित स्वचालित निर्णय समर्थन प्रणाली
  • कार्यान्वयन और समर्थन: मिशन का कार्यान्वयन भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान तथा राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र द्वारा किया जाएगा – जो पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के तहत तीन प्रमुख संस्थान हैं। 
    • इस मिशन को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अन्य निकायों— भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र तथा राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा समर्थन दिया जाएगा।
  • क्षेत्रीय लाभ: इससे कृषि, आपदा प्रबंधन और रक्षा में निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली में सुधार होगा, साथ ही ऊर्जा व जल संसाधन प्रबंधन को बेहतर बनाया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त इससे सुरक्षित विमानन को बढ़ावा मिलेगा तथा संधारणीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

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