समुद्री उष्ण तरंगें और ट्वाइलाइट ज़ोन
स्रोत: इडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, एक अध्ययन में शोधकर्त्ताओं ने समुद्र में वृहत स्तर पर अप्रत्याशित ट्वाइलाइट ज़ोन (गोधूलि क्षेत्र) में समुद्री उष्ण तरंगों (MHW) और शीत लहरों का प्रेक्षण किया।
- शीत लहर असामान्य रूप से ठंडे मौसम की अवधि को संदर्भित करती है, जो प्रायः कई दिनों या उससे अधिक समय तक प्रवाहित होती है।
समुद्री उष्ण तरंगें (MHWs)
- MHW एक चरम मौसमी घटना है। यह तब होती है जब समुद्र के किसी विशेष क्षेत्र का सतही तापमान कम-से-कम पाँच दिनों के लिये औसत तापमान से 3 या 4 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाता है। MHW कई सप्ताह, महीनों या सालों तक प्रवाहित हो सकती है।
- ये घटनाएँ प्रवाल विरंजन, समुद्री घास के विनाश और समुद्री वनों की हानि से संबंधित हैं, जिससे मत्स्य पालन क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- समुद्री उष्ण तरंगों के सबसे आम कारणों में समुद्री धाराएँ शामिल हैं, जो गर्म पानी और वायु-समुद्री ताप प्रवाह वाले क्षेत्रों का निर्माण कर सकती हैं, या वायुमंडल से समुद्री सतह के माध्यम से तापमान में वृद्धि कर सकती हैं।
- हवाएँ समुद्री उष्ण तरंगें में उष्णता को बढ़ा या कम कर सकती हैं, तथा अल नीनो जैसे जलवायु कुछ क्षेत्रों में होने वाली घटनाओं की संभावना में विसंगति उत्पन्न कर सकती हैं।
MHW से संबंधित प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- गहरे समुद्र में होने वाली समुद्री उष्ण तरंगों (MHW) के बारे में कम जानकारी उपलब्ध है।
- गहन गहराई पर तापमान में होने वाले परिवर्तनों पर नज़र रखने के लिये लंबे समय तक डेटा संग्रह हेतु विश्व भर में समुद्र में विशेष रूप से उत्प्लव (Buoys) स्थापित किये गए।
- महत्त्वपूर्ण तापमान और लवणता डेटा एकत्र करने के लिये आर्गो फ्लोट्स नामक रोबोटिक उपकरण का उपयोग किया गया, जो 2,000 मीटर तक गोता लगा सकता है और पुनः सतह पर आ सकता है।
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र की सतह के तापमान पर प्रभाव पड़ रहा है, लेकिन गहरे समुद्र के पानी पर पड़ने वाले प्रभाव, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के अधिक गहन और कम ज्ञात प्रभावों को उजागर करते हैं।
- सतही-स्तर की समुद्री उष्ण तरंगों के विपरीत, वायुमंडलीय कारक गहरे समुद्र में तापमान परिवर्तन को प्रभावित नहीं करते हैं।
- इसके बजाय, भँवर धाराएँ, जो पानी की बड़ी, घूमते हुए लूप हैं, सैकड़ों किलोमीटर तक प्रवाहित हो सकती हैं तथा 1,000 मीटर से अधिक गहराई तक पहुँच सकती हैं, अधिक दूरी तक गर्म या ठंडे पानी के परिवहन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- समग्र महासागरीय तापमान वृद्धि के कारण भँवर धाराएँ अधिक प्रबल हो रही हैं, जिससे तापमान में अत्यधिक विसंगति देखने को मिलती है।
- जैवविविधता पर MHW का प्रभाव:
- ट्वाइलाइट ज़ोन में अत्यधिक तापमान परिवर्तन कई मत्स्य प्रजातियों और प्लवक की उपस्थिति के कारण चिंताजनक है, जो समुद्री खाद्य शृंखला के लिये महत्त्वपूर्ण हैं तथा छोटी मछलियों के लिये प्रमुख भोजन स्रोत के रूप में कार्य करते हैं।
- MHW पानी में ऑक्सीजन के स्तर को कम कर सकता है और पोषक तत्त्वों को समाप्त कर सकता है, जिससे समुद्री जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन खतरे में पड़ सकता है।
महासागर में ट्वाइलाइट ज़ोन
- ट्वाइलाइट ज़ोन (गोधूलि क्षेत्र), जिसे मेसोपेलाज़िक या डिस्फोटिक क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है, महासागर की एक परत है जो समुद्र की सतह से 200 से 1,000 मीटर नीचे तक फैली हुई है।
- यह एक विशाल पारिस्थितिकी तंत्र है जिसमें असाधारण जीव रहते हैं, जिनमें अंधेरे तथा सतह में रहने वाले जीव भी शामिल हैं।
- वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने और संग्रहीत करने की महासागर की क्षमता इस पर बहुत अधिक निर्भर करती है। दुनिया का सबसे बड़ा पशु प्रवास भी इसी क्षेत्र में है।
- ट्वाइलाइट ज़ोन में जीवों ने कई तरह से आपने आप को अनुकूलित किया है, जिसमें बायोल्यूमिनेसेंस (छलावरण के लिये उपयोग किया जाता है) और मुँह का बड़ा होना (अंधेरे में शिकार करने में मदद करते हैं) शामिल हैं।
भँवर धारा (Eddy Current)
- महासागर में भँवर धारा एक छोटी, गोलाकार जलधारा है जो मुख्य धारा से अलग होकर स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होती है।
- नदियों में नाव चलाने वालों को दिखने वाले छोटे-छोटे भँवरों की तरह, ये तब विकसित होते हैं जब किसी धारा के दो हिस्से आपस में टकराकर अलग हो जाते हैं।
- भँवर धाराएँ सैकड़ों किलोमीटर तथा 1,000 मीटर से अधिक गहराई तक प्रवाहित हो सकती हैं। इन्फ्रारेड सेंसर का उपयोग करके अंतरिक्ष से उनका पता लगाया जा सकता है।
- वे कई विकासों के लिये जिम्मेदार हैं।
- प्लवक और पोषक तत्त्वों से भरपूर पानी कोल्ड-कोर भँवरों द्वारा ले जाया जाता है।
- भँवर फाइटोप्लांकटन ब्लूम्स में तेज़ गति उत्पन्न कर सकते हैं।
- यह गर्म सतही जल को नीचे की ओर या ठंडे जल को ऊपर की ओर विस्थापित कर सकता है, जिससे तापमान में तीव्र विसंगति उत्पन्न हो सकती है।
- प्लवक और पोषक तत्त्वों से भरपूर पानी कोल्ड-कोर भँवरों द्वारा ले जाया जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न: महासागर औसत तापमान (Ocean Mean Temperature- OMT) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) |
वर्ष 2026 के राष्ट्रमंडल खेलों की सूची से कुछ खेलों को हटाना
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2026 में ग्लासगो में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों (CWG) से छह खेलों को हटा दिया गया है। यह वर्ष 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों के उन 12 खेलों में शामिल है जिनमें भारत ने पदक जीते थे।
- इनमें बैडमिंटन, क्रिकेट, हॉकी, स्क्वैश, टेबल टेनिस और कुश्ती शामिल हैं।
- भारत ने ग्लासगो खेलों से इन प्रमुख खेलों को बाहर रखे जाने का कड़ा विरोध किया है क्योंकि ये भारत के शीर्ष प्रदर्शन वाले खेल हैं।
राष्ट्रमंडल खेल 2026 से संबंधित हालिया घटनाक्रम क्या हैं?
- परिचय:
- राष्ट्रमंडल खेलों का 23वाँ संस्करण 23 जुलाई से 2 अगस्त 2026 तक स्कॉटलैंड में आयोजित किया जाएगा, जो वर्ष 2014 के खेलों के 12 साल बाद इस शहर में इनके आयोजन की वापसी का प्रतीक होंगे।
- हटाए जाने वाले खेल:
- हॉकी:
- हॉकी वर्ष 1998 से राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्सा है, जिसमें भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में दूसरी सर्वश्रेष्ठ टीम के रूप में स्थान प्राप्त किया था और इसने छह पदक हासिल किये थे: पुरुष और महिला टीमों के लिये एक स्वर्ण, चार रजत तथा एक कांस्य।
- वर्ष 2022 में बर्मिंघम में भारतीय पुरुष टीम दूसरे स्थान पर रही, जबकि महिला टीम ने कांस्य पदक हासिल किया।
- कुश्ती:
- भारत ने कुश्ती में ऐतिहासिक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है तथा इसमें अब तक 114 पदक जीते हैं जिनमें 49 स्वर्ण, 39 रजत और 26 कांस्य पदक शामिल हैं।
- बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने कुश्ती में छह स्वर्ण सहित 12 पदक जीते।
- बैडमिंटन:
- भारत ने बर्मिंघम खेलों में बैडमिंटन में छह पदक जीते, जिनमें तीन स्वर्ण पदक शामिल हैं
- टेबल टेनिस:
- वर्ष 2002 में राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल टेबल टेनिस खेल के प्रत्येक संस्करण में भारत ने कुल 20 पदक जीते हैं।
- स्क्वैश और क्रिकेट:
- इन्हें वर्ष 1998 में कुआलालंपुर (मलेशिया) में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल किया गया।
- हॉकी:
- खेलों को हटाए जाने का कारण:
- सीमित बजट के कारण वर्ष 2026 के राष्ट्रमंडल खेलों से कुछ खेलों को बाहर रखा गया है।
- विक्टोरिया (ऑस्ट्रेलिया) ने उच्च लागत के कारण मेजबान देश से अपना नाम वापस ले लिया है तथा ग्लासगो (जो अब कम बजट में मेजबानी कर रहा है) ने खेलों को 4 श्रेणियों तक सीमित करने का फैसला किया है।
राष्ट्रमंडल खेलों से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?
- यह राष्ट्रमंडल देशों के एथलीटों द्वारा आयोजित होने वाला एक चतुर्भुजीय अंतर्राष्ट्रीय बहु-खेल आयोजन है।
- इसका प्रबंधन राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (CGF) द्वारा किया जाता है।
- यह राष्ट्रमंडल खेलों और राष्ट्रमंडल युवा खेलों के निर्देशन एवं नियंत्रण के लिए ज़िम्मेदार संगठन है।
- यह एक ऐसा संगठन है जिसका मुख्यालय और निगमन ब्रिटेन में है लेकिन यह 72 सदस्य देशों एवं क्षेत्रों में कार्य करता है।
- प्रथम राष्ट्रमंडल खेल अगस्त 1930 में हैमिल्टन, ओंटारियो, कनाडा में आयोजित हुए थे।
राष्ट्रमंडल
- राष्ट्रमंडल 56 देशों का एक समूह है, जिसमें अधिकांश पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश शामिल हैं।
- इसकी स्थापना वर्ष 1949 में लंदन घोषणापत्र द्वारा की गई थी।
- राष्ट्रमंडल के सदस्य मुख्य रूप से अफ्रीका, अमेरिका, एशिया और प्रशांत क्षेत्र (जिनमें से कई उभरती अर्थव्यवस्थाएँ हैं) से हैं लेकिन इस समूह के तीन यूरोपीय सदस्य साइप्रस, माल्टा और यूके हैं।
- राष्ट्रमंडल में शामिल विकसित राष्ट्र ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूज़ीलैंड हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |
RCS-UDAN के अंतर्गत नए हवाई अड्डे
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने रीवा (मध्य प्रदेश), अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) और सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में क्षेत्रीय संपर्क योजना (RCS-UDAN) के तहत तीन हवाई अड्डों का उद्घाटन किया।
- इन हवाई अड्डों का उद्देश्य हवाई यात्रा की सुगमता को बढ़ाना है और जल्द ही यहाँ से उड़ानें शुरू होने से वंचित क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे में सुधार लाने के मिशन को आगे बढ़ाया जा सकेगा।
क्षेत्रीय संपर्क योजना (RCS-UDAN) क्या है?
- उड़े देश का आम नागरिक (UDAN) योजना: उड़े देश का आम नागरिक (UDAN) योजना को वर्ष 2016 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत एक क्षेत्रीय संपर्क योजना (RCS) के रूप में शुरू किया गया था।
- यह योजना दूरदराज़ के क्षेत्रों को जोड़ने के साथ पर्यटन एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर केंद्रित है तथा इसके तहत सात वर्षों में 144 लाख से अधिक यात्रियों को यात्रा की सुविधा प्रदान की गई है।
- अंतिम मील कनेक्टिविटी पर आधारित यह योजना बेहतर हवाई यात्रा की सुविधा प्रदान करती है।
- पहली RCS-UDAN (शिमला से दिल्ली) का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2017 में किया गया था।
- यह योजना दूरदराज़ के क्षेत्रों को जोड़ने के साथ पर्यटन एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर केंद्रित है तथा इसके तहत सात वर्षों में 144 लाख से अधिक यात्रियों को यात्रा की सुविधा प्रदान की गई है।
- उड़ान के संस्करण:
- उड़ान 1.0: इसके तहत 70 हवाई अड्डों (36 नए परिचालन) को जोड़ने के क्रम में 128 उड़ान मार्ग स्वीकृत किये गए।
- उड़ान 2.0: इसमें पहली बार हेलीपैड को शामिल किया गया।
- उड़ान 3.0: इसमें पर्यटन मार्गों और सीप्लेन कनेक्टिविटी को शामिल किया गया, जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र पर विशेष जोर दिया गया।
- उड़ान 4.0: पूर्वोत्तर, पहाड़ी राज्यों और द्वीपों में कनेक्टिविटी सुधारने पर ध्यान केंद्रित किया गया। हेलीकॉप्टर और सीप्लेन परिचालन को भी जोड़ा गया।
- उड़ान 5.0: श्रेणी-2 और श्रेणी-3 विमानों को प्राथमिकता दी गई।
- उड़ान 5.1: वित्तपोषण बढ़ाकर, हवाई किराये की सीमा कम करके तथा एक गंतव्य को प्राथमिकता वाला क्षेत्र बनाकर हेलीकॉप्टर मार्गों को बढ़ावा दिया जाना।
- उड़ान 5.2: छोटे विमानों के साथ अंतिम मील तक कनेक्टिविटी को बढ़ाया जाना, जिससे दूरदराज़ के क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।
- उड़ान 5.3 और 5.4: पहले से बंद मार्गों को शुरू करना तथा पॉइंट-टू-पॉइंट हवाई संपर्क को बढ़ावा देना।
विमानन क्षेत्र के लिये अन्य प्रमुख पहल
- राष्ट्रीय नागरिक विमानन नीति (NCAP): NCAP का उद्देश्य उड़ान को किफायती और सुलभ बनाना, नागरिक विमानन विकास को बढ़ावा देना, पर्यटन और रोज़गार को बढ़ावा देना, वित्तीय सहायता एवं बुनियादी ढाँचे के माध्यम से क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाना तथा विनियमन और ई-गवर्नेंस के माध्यम से व्यापार को सुलभ बनाना है।
- ओपन स्काई समझौता: यह दो देशों के बीच द्विपक्षीय समझौता है, जिसके तहत एयरलाइनों को अंतर्राष्ट्रीय यात्री एवं कार्गो सेवाएँ प्रदान करने से संबंधित समन्वय शामिल है।
- निर्बाध यात्रा के लिये डिजी यात्रा: यह डिजिटल प्लेटफॉर्म हवाई यात्रियों के लिये संपर्क रहित अनुभव प्रदान करता है, जिसमें चेहरे की पहचान और कागज रहित चेक-इन जैसी सुविधाएँ शामिल हैं।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सQ1. 'राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष' के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) |
हाइब्रिड एंड नॉन-काइनेटिक वारफेयर
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee on Defence- PSCoD) ने हाइब्रिड वारफेयर के लिये भारतीय सशस्त्र बलों की तैयारियों पर जोर दिया है।
- हाइब्रिड वारफेयर से तात्पर्य पारंपरिक सैन्य रणनीति (काइनेटिक वारफेयर) और आधुनिक रणनीतियों जैसे साइबर युद्ध, सूचना हेरफेर, आर्थिक व्यवधान और मनोवैज्ञानिक संचालन (नॉन-काइनेटिक वारफेयर) के संयोजन से है।
- नॉन-काइनेटिक विधियाँ पारंपरिक युद्ध की तुलना में अधिक घातक हो सकती हैं, जैसे लेबनान में पेजर विस्फोट।
- नॉन-काइनेटिक वारफेयर/गैर-गतिज युद्ध में ड्रोन को भौतिक रूप से मार गिराने (काइनेटिक वारफेयर) के बजाय ड्रोन संचालन को बाधित करने के लिये जैमिंग, लेजर या विद्युत चुंबकीय तरंगों का उपयोग करना शामिल है।
- तीनों सेनाओं का "भविष्य का युद्ध" पाठ्यक्रम मेजर जनरल से लेकर मेजर (और उनके समकक्ष) अधिकारियों को काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक दोनों प्रकार की आधुनिक युद्ध तकनीकों में प्रशिक्षित करने के लिये तैयार किया गया है ।
- इसका आयोजन हाल ही में एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय (Headquarters Integrated Defence Staff) द्वारा किया गया था ।
- भारतीय सेना 2024 को प्रौद्योगिकी अवशोषण वर्ष के रूप में मना रही है, जिसमें मौजूदा विरासत प्रणालियों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, हाइपरसोनिक हथियार, जैव प्रौद्योगिकी और क्वांटम प्रौद्योगिकी जैसी विघटनकारी प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ।
- PSCoD एक विभाग-संबंधित स्थायी समिति (Departmentally-Related Standing Committees- DRSC) है और लोकसभा के अधीन कार्य करती है ।
- समिति में 31 सदस्य हैं, जिनमें से 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से हैं। लोकसभा के सदस्यों को अध्यक्ष द्वारा और राज्यसभा के सदस्यों को सभापति द्वारा नामित किया जाता है ।
और पढ़ें: भारतीय सेना में तकनीकी
गैलेथिया खाड़ी
स्रोत: बिज़नेसलाइन
बंगाल की खाड़ी में ग्रेट निकोबार द्वीप के पास स्थित गैलेथिया खाड़ी में मेगा इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट (ICTP) को आधिकारिक तौर पर भारत के 13वें प्रमुख बंदरगाह के रूप में नामित किया गया है। कोरोमंडल तट (चेन्नई) पर स्थित कामराज बंदरगाह देश का 12वाँ प्रमुख (वृहद्) बंदरगाह है।
ICTP:
- रणनीतिक स्थान: ICTP पूर्व-पश्चिम अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और शिपिंग मार्ग के साथ-साथ सिंगापुर, क्लैंग और कोलंबो जैसे प्रमुख ट्रांसशिपमेंट केंद्रों के नजदीक है। यह स्थान वैश्विक व्यापार नेटवर्क में इसके महत्त्व को बढ़ाता है।
- वैश्विक समुद्री व्यापार में 35% की भागीदारी वाले प्रमुख शिपिंग मार्ग के रूप में मलक्का जलडमरूमध्य से सिर्फ 40 समुद्री मील की दूरी पर स्थित इस बंदरगाह द्वारा भारत के पूर्वी तट, बांग्लादेश और म्यांमार के संदर्भ में प्रमुख ट्रांसशिपमेंट केंद्र के रूप में उभरने की मज़बूत क्षमता है।
- आर्थिक लाभ: वर्तमान में भारत का लगभग 75% ट्रांसशिप्ड कार्गो विदेशी बंदरगाहों पर निर्भर है। ICTP का उद्देश्य इस निर्भरता को कम करना है।
- इससे भारतीय बंदरगाहों को ट्रांसशिपमेंट शुल्क में प्रतिवर्ष अनुमानतः 200-220 मिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत हो सकती है।
ग्रेट निकोबार द्वीप:
- यह निकोबार द्वीपसमूह का सबसे दक्षिणी और सबसे बड़ा द्वीप है। अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में 836 द्वीप शामिल हैं, जो दो समूहों में विभाजित हैं: उत्तरी अंडमान द्वीपसमूह और दक्षिणी निकोबार द्वीपसमूह, जो 10 डिग्री चैनल द्वारा विभाजित हैं।
और पढ़ें: ग्रेट निकोबार द्वीप में अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट
नसीम अल बहर
स्रोत: पी.आई.बी
भारत-ओमान द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास नसीम-अल-बहर अक्टूबर 2024 में गोवा में आयोजित किया गया। इसमें आईएनएस त्रिकंद और डोर्नियर समुद्री गश्ती विमान ने ओमान पोत अल सीब की रॉयल नेवी के साथ भाग लिया।
- नसीम अल बहर: पहला अभ्यास वर्ष 1993 में आयोजित किया गया था। यह दो चरणों में आयोजित किया जाता है।
- हार्बर चरण: इसमें व्यावसायिक बातचीत (जिसमें विशेषज्ञता का आदान-प्रदान और योजना बैठकें होती हैं) के साथ खेल एवं सामाजिक कार्यक्रम शामिल होते हैं।
- समुद्री चरण: इसमें सतह पर स्थित लक्ष्यों पर बंदूक से फायरिंग, निकट दूरी पर विमान भेदी फायरिंग तथा समुद्री दृष्टिकोण पर पुनःपूर्ति (RASAPS) शामिल हैं।
- भारत और ओमान के बीच अन्य अभ्यास:
- सैन्य अभ्यास: अल नजाह
- वायु सेना अभ्यास: अभ्यास ईस्टर्न ब्रिज VI।
- भारत और ओमान:
- वर्ष 2022 में ओमान के कच्चे तेल के निर्यात के संदर्भ में भारत, चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार रहा।
- वर्ष 2022 में भारत ओमान के गैर-तेल निर्यात के संदर्भ में संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और सऊदी अरब के बाद चौथा सबसे बड़ा बाज़ार रहा और यह संयुक्त अरब अमीरात के बाद इसके आयात का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत रहा।
- वर्तमान में भारत और ओमान व्यापार समझौते के संबंध में प्रयासरत हैं।
और पढ़ें: भारत-ओमान द्विपक्षीय बैठक
कालाज़ार का उन्मूलन
स्रोत: द हिंदू
भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) प्रमाणन मानदंडों को पूरा करते हुए, लोक स्वास्थ्य समस्या के रूप में कालाज़ार के उन्मूलन के काफी करीब है।
- कालाज़ार को समाप्त करने के क्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्रमाणन प्राप्त करने के लिये, किसी देश को लगातार तीन वर्षों तक उप-ज़िला स्तर पर प्रति 10,000 जनसंख्या पर एक से भी कम मामले का स्तर बनाए रखना होता है।
- किसी देश को यह प्रदर्शित करना होता है कि स्थानीय संचरण एक निश्चित अवधि के लिये रुक गया है तथा रोग के पुनः उभरने को रोकने की प्रणाली मौजूद है।
- भारत ने लगातार दो वर्षों तक यह उपलब्धि हासिल की है तथा प्रमाणन के लिये अर्हता प्राप्त करने हेतु उसे एक और वर्ष तक इस स्तर को बनाए रखना होगा।
- इसके साथ ही भारत, बांग्लादेश के बाद कालाज़ार को खत्म करने वाला विश्व का दूसरा देश बन सकता है।
- भारत में मलेरिया के बाद कालाज़ार दूसरा सबसे घातक परजीवी रोग है।
- कालाज़ार (विसरल लीशमैनियासिस या काला बुखार) एक प्रोटोजोआ परजीवी (लीशमैनिया डोनोवानी) के कारण होता है जो संक्रमित मादा सैंडफ्लाई के काटने से फैलता है।
- यदि इसका उपचार न किया जाए तो 95% से अधिक मामलों में यह घातक हो सकता है।
- भारत ने वर्ष 2020 तक कालाज़ार को खत्म करने का लक्ष्य रखा जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग रोडमैप के तहत वर्ष 2030 तक इसके वैश्विक उन्मूलन का लक्ष्य रखा है।