अंतर्राष्ट्रीय संबंध
हाइब्रिड वारफेयर: अर्थ और उभरती चुनौती
- 14 Sep 2020
- 8 min read
प्रिलिम्स के लियेसूचना प्रौद्योगिकी संबंधी भारतीय कानून मेन्स के लियेआधुनिक युद्ध पद्धति के रूप में हाइब्रिड वारफेयर का अर्थ और इससे संबंधित चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
इंडियन एक्सप्रेस अखबार द्वारा की गई स्वतंत्र जाँच के अनुसार, चीन की एक टेक्नोलॉजी कंपनी द्वारा भारत के 10,000 से अधिक लोगों और संगठनों पर सक्रिय रूप से निगरानी की जा रही है।
प्रमुख बिंदु
- जाँच के मुताबिक, चीन के शेन्झेन (Shenzen) में स्थित झेनहुआ डेटा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड (Zhenhua Data Information Technology Co. Limited) द्वारा भारतीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और थल सेना, नौसेना तथा वायु सेना के अधिकारियों समेत कई अन्य प्रमुख लोगों और संस्थानों पर निगरानी रखी जा रही है, और इनके संबंध में सभी प्रकार का डेटा एकत्रित किया जा रहा है।
एकत्रित डेटा का स्वरूप
- चीन की कंपनी द्वारा राजनीति, सरकार, व्यवसाय, प्रौद्योगिकी, मीडिया और नागरिक समाज से संबंधित प्रतिष्ठित व्यक्तियों और संस्थानों को लक्षित किया जा रहा है।
- चीन की झेनहुआ कंपनी किसी एक व्यक्ति विशिष्ट के संबंध में सभी आवश्यक जानकारी एकत्रित करती है और उसे मिलकर एक ‘इनफार्मेशन लाइब्रेरी’ तैयार करती है, जिसमें न केवल समाचार पत्रों और सार्वजनिक मंचों पर उपलब्ध जानकारी होती है, बल्कि इसमें महत्त्वपूर्ण कागज़ात, पेटेंट, बोली दस्तावेज़ों आदि से उपलब्ध जानकारी भी शामिल होती है।
- यह कंपनी एक प्रकार से ‘रिलेशनल डेटाबेस’ बनाती है, जो व्यक्तियों, संस्थानों और सूचनाओं के बीच संबंध को रिकॉर्ड करता है।
- इस प्रकार की डेटा माइनिंग को आधुनिक ‘हाइब्रिड वारफेयर’ (Hybrid Warfare) के एक हिस्से के रूप में देखा जा सकता है।
क्या होती है ‘हाइब्रिड वारफेयर’?
- यद्यपि ‘हाइब्रिड वारफेयर’ युद्ध संघर्ष में एक उभरती हुई अवधारणा है, किंतु इसे अभी तक सही ढंग से परिभाषित नहीं किया जा सका है। सरलतम रूप में ‘हाइब्रिड वारफेयर’ को अपने शत्रु पर गैर-सैन्य तरीकों से वर्चस्व कायम करने की आधुनिक पद्धति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
- इस पद्धति का सामान्य उद्देश्य युद्ध संघर्ष में संलग्न हुए बिना किसी प्रतिद्वंद्वी के कार्यों को बाधित करना अथवा उसे अक्षम करना होता है।
- वर्ष 1999 की शुरुआत में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा एक प्रकाशन ‘अनरिस्ट्रिक्टेड वारफेयर’ में ‘हाइब्रिड वारफेयर’ की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी, जिसमें ‘हाइब्रिड वारफेयर’ को शत्रु पर जीत प्राप्त करने के लिये संघर्ष को सैन्य क्षेत्र से हटाकर राजनीतिक, आर्थिक और तकनीकी क्षेत्र तक ले जाने के रूप में परिभाषित किया गया था।
‘हाइब्रिड वारफेयर’ के उदाहरण
- लेबनान: हाइब्रिड युद्ध का उपयोग वर्ष 2006 में इज़राइल-लेबनान युद्ध में हिज़्बुल्लाह शिया समूह द्वारा किया गया था। इस दौरान उन्होंने गुरिल्ला युद्ध, प्रौद्योगिकी के अभिनव प्रयोग और प्रभावी सूचना अभियानों जैसी विभिन्न रणनीतिक विधियों का प्रयोग किया था।
- रूस: वर्ष 2014 में रूस द्वारा यूक्रेन के विरुद्ध क्रीमिया क्षेत्र के अधिग्रहण के लिये भी ‘हाइब्रिड वारफेयर’ पद्धति का प्रयोग किया गया था। इसमें दुष्प्रचार, आर्थिक जोड़-तोड़, आंतरिक विद्रोह और राजनयिक दबाव जैसी गतिविधियाँ शामिल थीं।
चीन की निगरानी और भारत के कानून
- भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी नियमों में कोई भी ऐसी जानकारी अथवा सूचना जिससे प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से किसी व्यक्ति की पहचान की जा सके उसे ‘व्यक्तिगत डेटा’ के रूप में परिभाषित किया गया है।
- हालाँकि, इसमें सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी को शामिल नहीं किया गया है।
- वहीं इस प्रकार के डेटा का प्रयोग प्रत्यक्ष विपणन (Direct Marketing) के लिये भी किया जा सकता है, उदाहरण के लिये कई कंपनियों द्वारा लक्षित विज्ञापनों के लिये जी-मेल अथवा फोन नंबर का प्रयोग किया जाता है।
- हालाँकि चीन की झेनहुआ डेटा कंपनी के संदर्भ में मामला काफी जटिल है, क्योंकि उसके द्वारा जो डेटा एकत्र किया जा रहा है, उसमें लोगों और संगठनों की सहमति शामिल नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, चीन की कंपनी द्वारा किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से एक व्यक्ति विशिष्ट से संबंधित सूचनाएँ जैसे वह किस स्थान पर गया और किन-किन लोगों से मिला आदि उसकी सहमति के बिना एकत्र करना और उसे किसी अन्य देश को देना पूर्णतः अवैध है।
- किंतु भारत के गोपनीयता संबंधी नियमों को किसी विदेश न्यायाधिकार में लागू करना लगभग असंभव है, क्योंकि सभी देशों के नियम अलग-अलग होते हैं।
इस निगरानी से संबंधित चिंताएँ
- वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत चीन-संबंधों में तनाव के बीच भारत ने देश की आंतरिक सुरक्षा का हवाला देते हुए चीन के 100 से अधिक एप्स को प्रतिबंधित कर दिया है, हालाँकि भारत सरकार के इस कदम से व्यक्तिगत डेटा एकत्र करने वाली चीन की झेनहुआ जैसी कंपनियों के संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- ध्यातव्य है कि रिपोर्ट के अनुसार, चीन की झेनहुआ डेटा कंपनी द्वारा केवल भारत का ही नहीं बल्कि विश्व के कई अन्य देशों का डेटा भी एकत्र किया जा रहा है। ऐसे में इस प्रकार का डेटा एकत्र करना भारत समेत संपूर्ण विश्व के देशों की आंतरिक सुरक्षा के लिये एक बड़ा खतरा बन सकता है आर यह संपूर्ण विश्व को ‘हाइब्रिड वारफेयर’ की ओर ले जा सकता है।