प्रारंभिक परीक्षा
गुजरात में मिला विशाल साँप का जीवाश्म
स्रोत: डाउन टू अर्थ
हाल ही में भारत में जीवाश्म वैज्ञानिकों (Palaeontologists) ने एक विशाल साँप के जीवाश्म अवशेषों की खोज की है जो लगभग 47 मिलियन वर्ष पहले गुजरात के दलदलों में पाए जाते थे।
- शोधकर्त्ताओं ने जानकारी दी कि वासुकी इंडिकस (Vasuki indicus) ने सबसे बड़े ज्ञात परभक्षी, कुख्यात टिटानोबोआ (Titanoboa) का मुकाबला किया।
वासुकी इंडिकस के बारे में मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- परिचय:
- वासुकी इंडिकस: नई पहचानी गई प्रजाति, वासुकी इंडिकस, अब विलुप्त हो चुके मादस्तोईदे (Madtsoiidae) साँप परिवार से संबंधित है।
- यह एक गोंडवानन स्थलीय (Gondwanan terrestrial) साँप है, जो ऊपरी क्रेटेशियस (100.5 से 66 mya (मिलियन वर्ष पूर्व)) से लेकर लेट प्लीस्टोसीन युग (0.126 से 0.012 mya) तक फैले गर्म मध्य इओसीन काल के दौरान पाया जाता था।
- अनुमानित आकार: जीवाश्म अवशेष से इसकी लंबाई 10.9 से 15.2 मीटर के बीच होने का अनुमान है, जो कि सबसे बड़े आधुनिक साँपों से भी अधिक है।
- यह खोज शरीर के बड़े आकार के विकास पर प्रकाश डालती है, जो संभवतः उस युग के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उच्च तापमान से प्रभावित था।
- गर्म मध्य इओसीन जलवायु ने संभवतः प्राचीन साँपों के शरीर के बड़े आकार के विकास में भूमिका निभाई।
- वासुकी इंडिकस का इस अवधि के दौरान उष्णकटिबंधीय परिस्थितियों के अनुकूल विकास हुआ।
- जीवविज्ञान संबंधी निहितार्थ: इस विशाल इओसीन साँप की उपस्थिति का मादस्तोईदे जैविकी पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव है।
- यह इस बात को लेकर अंतर्दृष्टि प्रदान करता है कि उस समय के दौरान जीवों का भौगोलिक वितरण किस प्रकार का था और उनके विकास के कारक क्या रहे।
- वासुकी इंडिकस का नाम पौराणिक नाग के नाम पर रखा गया:
- इस प्रजाति का नाम हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान शिव से जुड़े नाग वासुकी के नाम पर रखा गया है।
- इस खोज का सांस्कृतिक महत्त्व है।
- वासुकी इंडिकस: नई पहचानी गई प्रजाति, वासुकी इंडिकस, अब विलुप्त हो चुके मादस्तोईदे (Madtsoiidae) साँप परिवार से संबंधित है।
- अन्य बड़े साँप:
- टिटानोबोआ (Titanoboa Cerrejonensis):
- टिटानोबोआ एक विलुप्त साँप है जो पैलियोसीन युग (66 से 56 mya) के दौरान पाया जाता था, जिसे साँपों के उपसमूह का सबसे बड़ा ज्ञात सदस्य माना जाता है।
- उत्खनित कशेरुकाओं (रीढ़ की हड्डी के अलग-अलग हिस्सों) से बने शरीर के आकार के एक्सट्रपलेशन (Extrapolations) से जीवाश्म विज्ञानियों ने अनुमान लगाया है कि औसत वयस्क टिटानोबोआ के शरीर की लंबाई लगभग 13 मीटर और औसत वजन लगभग 1.25 टन था।
- एनाकोंडा (genus Eunectes):
- बोइडे (Boidae) परिवार में वर्गीकृत एनाकोंडा, उष्णकटिबंधीय दक्षिण अमेरिका में पाए जाने वाले बड़े, पानी में रहने वाले साँप हैं, जिनकी तीन से पाँच प्रजातियाँ होती हैं।
- ग्रीन एनाकोंडा दुनिया के सबसे बड़े साँपों में से हैं, जो 9 मीटर तक लंबे और 250 किलोग्राम तक वजनी होते हैं।
- टिटानोबोआ (Titanoboa Cerrejonensis):
साँपों के मैडसोइइडे परिवार के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- साँपों का मैडसोइइडे परिवार, जो अब विलुप्त हो चुका है, एक समय गोंडवाना की प्राचीन भूमि पर विचरण करता था।
- उनका जीवाश्म रिकॉर्ड प्रारंभिक सेनोमेनियन युग (ऊपरी क्रेटेशियस के दौरान) से लेकर प्लीस्टोसिन युग के अंत तक फैला हुआ है।
- इन आकर्षक साँपों ने दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी यूरोप सहित विश्व भर के विभिन्न क्षेत्रों में अपने निशान छोड़े।
- पीढ़ी (Genera) और विविधता:
- वासुकी: यह अपनी लंबाई के लिये जाना जाता है, जो कम-से-कम 11-12 मीटर (लगभग 36-39 फीट) तक होती है।
- वोनांबी और युरलुंगगुर (Wonambi and Yurlunggur): ये ऑस्ट्रेलियाई साँप भी मैडसोइइडे परिवार से संबंधित हैं।
- ये प्राचीन साँप संभवतः अपने शिकार को फँसाकर आधुनिक बोआ और अज़गर की तरह शिकार करते थे।
- विकासवादी महत्त्व:
- प्लीस्टोसिन तक मैडसोइइडे ऑस्ट्रेलिया में बने रहे, लेकिन इओसीन युग के दौरान उनका अस्तित्त्व कम देखा गया।
- जबकि कुछ प्रजातियाँ ओलिगोसीन के दौरान दक्षिण अमेरिका और भारत में जीवित रहीं लेकिन उनकी समग्र उपस्थिति कम हो गई।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही है? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (d) प्रश्न 2. किंग कोबरा एकमात्र ऐसा साँप है, जो अपना घोंसला खुद बनाता है। यह अपना घोंसला क्यों बनाता है? (2010) (a) यह साँपों का सेवन करता है क्योंकि घोंसला अन्य साँपों को आकर्षित करने में मदद करता है। उत्तर: (c) प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन-सा साँप आहार में अन्य साँपों का सेवन करता है? (2008) (a) करैत उत्तर: (d) |
प्रारंभिक परीक्षा
रोगी सुरक्षा अधिकार घोषणापत्र
स्रोत: डब्ल्यू.एच.ओ.
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मरीज़ों की सुरक्षा पर आयोजित वैश्विक मंत्रिस्तरीय शिखर सम्मेलन में पहला रोगी सुरक्षा अधिकार घोषणापत्र का विमोचन किया।
- सुरक्षा के संदर्भ में मरीज़ों के अधिकारों को रेखांकित करने वाला यह पहला घोषणापत्र है।
- इससे मरीज़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक कानून, नीतियाँ और दिशा-निर्देश तैयार करने में सरकारों व अस्पतालों दोनों को मदद मिलेगी।
रोगी सुरक्षा अधिकार घोषणापत्र की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- इस घोषणापत्र में स्वास्थ्य देखभाल के संदर्भ में रोगियों के मूल अधिकारों को रेखांकित किया गया है और इसका उद्देश्य सरकारों तथा अन्य हितधारकों की सहायता करना एवं रोगियों की समस्याओं पर विशेष ध्यान देना तथा बेहतर स्वास्थ्य देखभाल के उनके अधिकार का संरक्षण सुनिश्चित करना है।
- इस घोषणापत्र में जोखिमों को कम करने और अनजाने में होने वाले नुकसान को रोकने के लिये 10 रोगी सुरक्षा अधिकारों को शामिल किया गया है, इसमें निम्नलिखित शामिल हैं
- समय पर प्रभावी और उचित देखभाल
- सुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल प्रक्रियाएँ और प्रथाएँ
- योग्य और सक्षम स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता
- सुरक्षित चिकित्सा उत्पाद और उनका सुरक्षित एवं तर्कसंगत उपयोग
- सुरक्षित एवं संरक्षित स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएँ
- गरिमा, सम्मान, गैर-भेदभाव, गोपनीयता
- सूचना, शिक्षा और निर्णय लेने में समर्थन, मेडिकल रिकॉर्ड तक पहुँच
- सुनवाई और निष्पक्ष समाधान की सुविधा
- रोगी और परिवार की सहभागिता
रोगी सुरक्षा क्या है?
- परिचय:
- रोगी सुरक्षा में स्वास्थ्य देखभाल प्रावधान के दौरान अप्रत्याशित क्षति को रोकने के प्रयास शामिल होते हैं, जो वैश्विक स्वास्थ्य सेवा का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है।
- रोगी को क्षति पहुँचाने वाले कारक:
- क्षति के ज्ञात स्रोत: दवा संबंधी त्रुटियाँ, सर्जिकल त्रुटियाँ, स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े संक्रमण, सेप्सिस, नैदानिक त्रुटियाँ और रोगी, रोगी को क्षति पहुँचाने के लगातार कारण हैं।
- विभिन्न कारक: प्रणाली और संगठनात्मक विफलताओं, तकनीकी सीमाओं, मानवीय कारकों और रोगी से संबंधित परिस्थितियों से रोगी को क्षति पहुँचती है, जो रोगी सुरक्षा की बहुआयामी प्रकृति को दर्शाता है।
रोगी सुरक्षा चार्टर की क्या आवश्यकता है?
- रोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना:
- आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 10 में से 1 रोगी को स्वास्थ्य देखभाल प्रक्रियाओं के दौरान क्षति का सामना करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप असुरक्षित देखभाल के कारण वार्षिक तौर पर 3 मिलियन से अधिक मौतें होती हैं।
- OECD के अनुसार, रोगी सुरक्षा में निवेश करने से स्वास्थ्य परिणामों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, रोगी क्षति से संबंधित लागत कम हो जाती है, सिस्टम दक्षता में सुधार होता है और समुदायों को आश्वस्त करने एवं स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में उनका विश्वास बहाल करने में सहायता मिलती है।
- परिहार्य क्षति को रोकना:
- रोगियों को होने वाली ज़्यादातर क्षतियों से उन्हें बचाया जा सकता है, जो क्षति को कम करने में रोगियों, परिवारों और देखभाल करने वालों की भागीदारी की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
- रोगियों को क्षति अक्सर अलग-अलग घटनाओं से नहीं, बल्कि खराब स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के कारण होती है।
- वैश्विक रोगी सुरक्षा कार्य योजना 2021-2030 का कार्यान्वयन:
- WHO के सदस्य देशों के वर्ष 2023 के सर्वेक्षण में वैश्विक रोगी सुरक्षा कार्य योजना 2021-2030 को लागू करने में कई कमियों का पता चला, जिसमें रोगी की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया और कार्यान्वयन में आय-आधारित असमानताओं को संबोधित किया गया।
- सर्वेक्षण के अंतरिम परिणामों से पता चला कि केवल 13% प्रतिक्रिया देने वाले देशों (Responding Countries) में उनके अधिकांश अस्पतालों में गवर्निंग बोर्ड या समकक्ष तंत्र में एक रोगी प्रतिनिधि (Patient Representative) है।
- SDG का लक्ष्य:
- रोगी सुरक्षा वैश्विक स्तर पर एक महत्त्वपूर्ण प्राथमिकता है, जो सतत् विकास लक्ष्य (SDG)-3: "उत्तम स्वास्थ्य और खुशहाली" की प्राप्ति के लिये आवश्यक है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. कोविड-19 महामारी के दौरान वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की भूमिका का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2020) |
प्रारंभिक परीक्षा
कश्मीर का जादुई कालीन
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
श्रीनगर में प्रसिद्ध हजरतबल दरगाह, कश्मीर में बुने गए अब तक के सबसे बड़े कालीन की धुलाई और कतरन के दुर्लभ दृश्य स्थानीय लोगों को आकर्षित कर रहे हैं।
कश्मीर का जादुई कालीन क्या है?
- परिचय:
- काशान शैली में बना कश्मीर का जादुई कालीन एक जटिल चमत्कार है, इस कालीन की लंबाई 72 फीट, चौड़ाई 40 फीट है और वजन 1,685 किलोग्राम है तथा इसमें तीन करोड़ से अधिक गाँठें हैं।
- कारीगरों को अपनी प्राचीन कला की ओर लौटने और वर्ष 2014 में बाढ़, वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का निरसन तथा कोविड-19 महामारी जैसी कई बाधाओं के साथ इसे बुनने में आठ वर्ष लग गए।
- इस विशाल कालीन को खोलने के लिये कम-से-कम 30 लोगों की आवश्यकता होती है।
- 30-35 पेशेवर वॉशरों की एक समर्पित टीम दैनिक आधार पर इसकी देखभाल करती है।
- इससे मध्य-पूर्व में एक महल को सुशोभित किये जाने की संभावना है।
- कश्मीरी कारीगर पहली बार अपने पुराने ईरानी प्रतिद्वंद्वी के विरुद्ध प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं, जिन्होंने 60,468 वर्ग फुट में एक फुटबॉल मैदान के आकार का कालीन तैयार किया है।
- काशान शैली:
- इस कालीन में काशान शैली का अनुसरण किया गया है, जो ईरानी शहर काशान से लिया गया एक ऐतिहासिक डिज़ाइन है।
- फारस (आधुनिक ईरान) के ऐतिहासिक शहर काशान की सिरेमिक कला की काशान शैली ने सदियों से कला प्रेमियों को आकर्षित किया है।
- अपने उत्कृष्ट निष्पादन और जटिल पैटर्न के लिये जाना जाने वाला, काशान वेयर परंपरा, नवीनता और कलात्मक उत्कृष्टता के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण का प्रतिनिधित्व करता है।
- ऐतिहासिक संदर्भ:
- ज़ैन-उल-आबिदीन की विरासत: कालीन शिल्प की शुरुआत 15वीं शताब्दी में तब हुई, जब बादशाह ज़ैन-उल-आबिदीन ने फारस और मध्य एशिया के कारीगरों को कश्मीर में बसने के लिये आमंत्रित किया था।
- शॉल से कालीन तक: प्रारंभ में उत्तम पश्मीना शॉल की बुनाई पर अधिक ध्यान दिया गया। हालाँकि यूरोप में जेकक्वार्ड करघे (Jacquard Looms) के कारण मांग में गिरावट होने लगी, जिसके परिणामस्वरूप कारीगरों ने अपने कौशल को कालीन बुनाई में हस्तांतरित कर दिया।
- ब्रिटिश मान्यता: वर्ष 1851 की ग्रेट लंदन प्रदर्शनी में प्रदर्शित होने के बाद कश्मीरी कालीनों को वैश्विक प्रशंसा मिली।
- पुरस्कार और विशिष्टता: ये कालीन 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में शिकागो, पेरिस और लंदन में आयोजित प्रदर्शनियों में अपनी चमक बिखेरते रहे।
- बुनाई के रहस्य: सीक्रेट ब्लूप्रिंट, जिसे तालीम (Talim) के नाम से जाना जाता है, प्राचीन तकनीकों को संरक्षित करते हुए पीढ़ी-दर-पीढ़ी कारीगरों का मार्गदर्शन करता है।
कश्मीर के कालीन बुनकरों को सशक्त बनाने हेतु सरकारी पहलें:
- PMKVY 3.0 के तहत नमदा शिल्प का पुनरुद्धार:
- उद्देश्य: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने कश्मीर के पारंपरिक नमदा शिल्प को पुनर्जीवित करने के लिये प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के तहत एक विशेष पायलट परियोजना शुरू की।
- नमदा शिल्प: नमदा सामान्य बुनाई प्रक्रिया के बजाय फेल्टिंग (Felting) तकनीक का उपयोग करके भेड़ के ऊन से निर्मित एक अनोखा गलीचा (Rug) है।
- कारीगरों और बुनकरों के लिये पूर्व शिक्षा की मान्यता (RPL):
- PMKVY का RPL घटक कारीगरों और बुनकरों के कौशल को संवर्द्धित करने पर केंद्रित है।
- इस पहल का लक्ष्य जम्मू-कश्मीर में 10,900 कारीगरों और बुनकरों को कुशल बनाना है।
- RPL मूल्यांकन और प्रमाणन के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि करते हुए यह परियोजना कश्मीर में वर्षों से चली आ रही बुनाई की परंपरा की निरंतरता सुनिश्चित करती है।
- कश्मीरी कालीनों के लिये भौगोलिक संकेतक (GI) टैग:
- भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री: जम्मू-कश्मीर सरकार ने प्रसिद्ध कश्मीरी कालीन के लिये एक भौगोलिक संकेत (GI) रजिस्ट्री की शुरू की है।
- क्यूआर कोड: प्रत्येक GI-टैग वाले कालीन अब एक क्यूआर(QR) कोड के साथ आता है, जो कारीगरों और प्रयोग की गई सामग्रियों का विवरण प्रदान करता है।
- निर्यात: GI-टैग वाले कालीन की पहली खेप का निर्यात जर्मनी को किया गया, जो इस शिल्प को जीवित रखने और इसका प्रचार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किसको/किनको 'भौगोलिक सूचना (जिओग्राफिकल इंडिकेशन)' की स्थिति प्रदान की गई है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2009) परंपरा राज्य
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) |
रैपिड फायर
तेलंगाना में खोजे गए पुरातात्विक स्थल
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में प्रोफेसर के.पी. राव के नेतृत्व में पुरातत्त्वविदों की एक टीम द्वारा तेलंगाना में तीन नए पुरातात्त्विक स्थलों की खोज की गई।
- एक अद्वितीय लौह युग का महापाषाण स्थल जिसमें 200 से अधिक स्मारक हैं, इसमें एक नए प्रकार का महापाषाण स्मारक है जिसे 'डोल्मेनॉइड सिस्ट्स' के नाम से जाना जाता है, भारत में अन्यत्र नहीं पाया जाता है।
- यह तेलंगाना के बंडाला गाँव के पास ओरागुट्टा नामक स्थान पर पाया गया था।
- इन "डोल्मेनॉइड सिस्ट्स" में कैपस्टोन होते हैं जो सामान्य वर्गाकार या आयताकार रूपों के विपरीत स्मारक के आकार को निर्धारित करते हैं।
- अनुमान है कि ये स्मारक लगभग 1,000 ईसा पूर्व के हैं।
- यह सुझाव दिया गया कि ये भारत में देखे जाने वाले अधिक सामान्य वर्ग/आयताकार मेगालिथ का एक पुराना रूप हो सकता है और यूरोपीय पैसेज चैंबर्स के समान हो सकता है।
- टीम ने दमराटोगु गाँव में दो नए रॉक कला स्थलों की भी खोज की।
- इसमें "देवरलबंद मुला" साइट शामिल है, जिसमें मनुष्यों या हथियारों/घरेलू जानवरों के बिना जानवरों का चित्रण मिलता है।
- इससे पता चलता है कि ये चित्रकलाएँ मध्यपाषाण युग (8000-3000 ईसा पूर्व) की हो सकती हैं।
और पढ़ें: मध्यपाषाण युग, महापाषाण स्थल
रैपिड फायर
जियोफेंसिंग
स्रोत: द हिंदू
सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए भारत के बाहर के देशों की भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की वेबसाइट तक पहुँच पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, अर्थात् उन्हें ब्लॉक कर दिया गया है।
- जियोफेंस्ड साइट्स में ECI का होम पेज, मतदाता पंजीकरण पोर्टल और सूचना का अधिकार पोर्टल शामिल हैं।
- लेकिन परिणाम (result) पोर्टल, जो ECI द्वारा प्रशासित सभी सर्वेक्षणों के परिणामों की रिपोर्ट करता है, सुलभ रहता है।
जियोफेंसिंग:
- जियोफेंसिंग का अर्थ है "अस्पष्टता द्वारा सुरक्षा" उपाय, जो वेबसाइट चलाने वालों की पहुँच से बाहर रहकर विदेश से होने वाले साइबर हमलों से प्रत्यक्ष रूप से बचने की अनुमति देता है।
- जियोफेंसिंग सर्च इंजन को खोजे गए पृष्ठों को अनुक्रमित करने और उन्हें परिणामों में बदलने में कम प्रभावी बनाती है।
- दूसरी ओर सदभावपूर्वक (Good-Faith) सुरक्षा शोधकर्त्ताओं को विदेशों से साइट्स की जाँच करते समय कमियों को चिह्नित करने से भी रोकता है।
और पढ़ें: जियोफेंसिंग सिस्टम
रैपिड फायर
ट्रांसओशनिक अभियानों पर महिला नौसेना अधिकारी
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारतीय नौसेना का नौकायान पोत INSV तारिणी दो महिला नौसेना कमांडरों के नेतृत्व में लगभग दो माह के ऐतिहासिक अंतर-महासागरीय मिशन (Transoceanic Expedition) के बाद गोवा में बंदरगाह पर वापस आ गया है।
- यात्रा में मॉरीशस के अधिकारियों के साथ संवाद और मॉरीशस तटरक्षक बल के साथ एक प्रशिक्षण उड़ान शामिल थी, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध मज़बूत हुए।
- यह उपलब्धि लैंगिक समानता और समुद्री भूमिकाओं में महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रति भारतीय नौसेना के समर्पण का प्रतीक है।
- इसके बाद अधिकारी अब अपने अगले साहसिक कार्य की तैयारी कर रहे हैं- सागर परिक्रमा-IV नामक एक वैश्विक नौपरिसंचलन अभियान (Circumnavigation Expedition), जो INSV तारिणी पर सितंबर 2024 के लिये निर्धारित है।
INSV तारिणी:
- INSV म्हेदी (Mhedi) के बाद यह भारतीय नौसेना की दूसरी सेलबोट है।
- यह वर्ष 2017 में 'नाविका सागर परिक्रमा' नामक ऐतिहासिक अभियान में एक महिला अधिकारी दल के साथ वैश्विक नौपरिसंचलन करने के लिये जाना जाता है।
और पढ़ें: सागर परिक्रमा-IV
रैपिड फायर
भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलें सौंपी
स्रोत: बिज़नेस टुडे
हाल ही में भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलें सौंपी हैं। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता पर बढ़ती वैश्विक चिंताओं की पृष्ठभूमि में भारत, फिलीपींस के साथ रक्षा संबंधों को और विस्तारित करने पर विचार कर रहा है।
ब्रह्मोस मिसाइल:
- ब्रह्मोस मिसाइल जिसकी रेंज 290 किमी. है, भारत-रूस का एक संयुक्त उद्यम है और यह मैक 2.8 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना) की शीर्ष गति के साथ दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइल है।
- ब्रह्मोस का नाम ब्रह्मपुत्र (भारत) और मोस्कवा (रूस) नदियों के नाम पर रखा गया है।
- यह दो चरणों वाली मिसाइल (पहले चरण में ठोस प्रणोदक इंजन और दूसरे चरण में तरल रैमजेट) है।
- यह एक मल्टीप्लेटफॉर्म मिसाइल है यानी इसे ज़मीन, हवा और समुद्र से लॉन्च किया जा सकता है तथा सटीकता के साथ बहु-क्षमता वाली मिसाइल है जो मौसम की स्थिति के बावजूद दिन और रात दोनों समय काम करती है।
- यह "फायर एंड फॉरगेट्स" सिद्धांत पर काम करती है यानी लॉन्च के बाद इसे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं है।
- वियतनाम, संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया ब्रह्मोस मिसाइल के अन्य संभावित ग्राहकों में से हैं।
और पढ़ें: ब्रह्मोस मिसाइल, दक्षिण चीन सागर