भारतनेट परियोजना
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
भारतनेट परियोजना ग्रामीण भारत को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ने, समावेशी विकास को बढ़ावा देना तथा शहरी और ग्रामीण समुदायों के बीच विकास के अंतर को कम करना है।
भारतनेट क्या है?
- राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (NOFN): राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (NOFN) को वर्ष 2011 में लॉन्च किया गया था तथा बाद में वर्ष 2015 में संचार मंत्रालय के तहत इसका नाम बदलकर भारतनेट परियोजना कर दिया गया।
- इसका उद्देश्य देश भर में प्रत्येक ग्राम पंचायत (GP) को हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
- यह विश्व की सबसे बड़ी ग्रामीण दूरसंचार परियोजनाओं में से एक है, जो किफायती ब्रॉडबैंड पहुँच प्रदान करने तथा ग्रामीण भारत में ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा और ई-गवर्नेंस जैसी विभिन्न सेवाएँ शुरू करने में सक्षम बनाती है।
- इस परियोजना का प्रारंभिक लक्ष्य देश भर में लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ना है।
- कार्यान्वयन के चरण:
- चरण I: ऑप्टिकल फाइबर (OF) केबल और मौजूदा बुनियादी ढाँचे का उपयोग करके 1 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ा गया, जो वर्ष 2017 में पूरा हुआ।
- चरण II (वर्तमान में जारी): राज्य सरकारों और निजी संस्थाओं के सहयोग से ऑप्टिकल फाइबर, रेडियो और उपग्रह प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके 1.5 लाख ग्राम पंचायतों तक कवरेज का विस्तार किया जाएगा।
- चरण III (वर्तमान में जारी): 5G प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने, बैंडविड्थ बढ़ाने और अंतिम-मील कनेक्टिविटी को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- वर्ष 2023 में स्वीकृत संशोधित भारतनेट कार्यक्रम (ABP) इसी चरण का हिस्सा है।
- संशोधित भारतनेट कार्यक्रम: इसका उद्देश्य रिंग टोपोलॉजी (एक नेटवर्क डिज़ाइन जहाँ कनेक्टेड डिवाइस एक परिपत्र डेटा चैनल बनाते हैं) में 2.64 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी प्रदान करना और मांग पर गैर-ग्राम पंचायत गाँवों को ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
- इसमें ब्लॉक और GP पर राउटर के साथ इंटरनेट प्रोटोकॉल मल्टी-प्रोटोकॉल लेबल स्विचिंग नेटवर्क (नेटवर्कों के बीच डेटा को कुशलतापूर्वक रूट करने की एक विधि) और रिमोट फाइबर मॉनिटरिंग सिस्टम (दूर से OF कनेक्शन की स्थिति की निगरानी करने की एक प्रणाली) जैसी विशेषताएँ शामिल हैं।
- वित्तपोषण और कार्यान्वयन: भारतनेट को मुख्य रूप से डिजिटल भारत निधि (DBN) के माध्यम से वित्तपोषित किया जाता है, जो एक ऐसा कोष है जिसने यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड का स्थान लिया है।
- यह परियोजना विशेष प्रयोजन वाहन (SPV), भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) द्वारा क्रियान्वित की जा रही है, जिसे भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 के तहत निगमित किया गया है।
- ABP के अंतर्गत, भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) नेटवर्क के संचालन और रखरखाव के लिये परियोजना प्रबंधन एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
- वर्तमान स्थिति: वर्ष 2025 तक, भारतनेट परियोजना के अंतर्गत लगभग 2.18 लाख ग्राम पंचायतों को सेवा के लिये तैयार किया जा चुका है।
- ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) की कुल लंबाई 42 लाख किलोमीटर से अधिक हो गई है।
- इसके अतिरिक्त, 12 लाख से अधिक फाइबर-टू-द-होम (FTTH) कनेक्शन चालू किये गए हैं, और 1 लाख से अधिक वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित किये गए हैं।
- ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) की कुल लंबाई 42 लाख किलोमीटर से अधिक हो गई है।
ग्रामीण भारत में डिजिटल सशक्तीकरण को समर्थन देने वाली अन्य पहलें
- प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA): इसका उद्देश्य ग्रामीण परिवारों में डिजिटल साक्षरता सुनिश्चित करना है, मार्च 2024 तक 6.39 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
- राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन (NBM): डिजिटल बुनियादी ढाँचे में तेज़ी लाने के लिये शुरू किया गया, इसमें NBM 2.0 (जनवरी 2025 में लॉन्च) शामिल है।
- NBM के अंतर्गत प्रमुख पहलों में केंद्रीकृत मार्गाधिकार (RoW) पोर्टल गतिशक्ति संचार शामिल है।
- CSC ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड (CSC SPV): यह कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा स्थापित एक SPV है जो CSC के माध्यम से सेवा वितरण के लिये एक सहयोगी ढाँचा प्रदान करता है।
- सितंबर 2024 तक, इसके द्वारा ग्राम पंचायतों में 1.04 लाख वाई-फाई एक्सेस पॉइंट और 11.42 लाख FTTH कनेक्शन संस्थापित किये जा चुके थे, और भारतनेट के तहत ओवरहेड ऑप्टिकल फाइबर परिनियोजन का भी परीक्षण किया गया है।
- मोबाइल कनेक्टिविटी: 6.18 लाख गाँवों में 4G कवरेज के साथ दिसंबर 2024 तक लगभग 6.25 लाख गाँव मोबाइल युक्त थे। यह डिजिटल डिवाइड को कम करने में भारतनेट का पूरक है।
- भारत ने विश्व में 5G का सबसे तीव्र रोलआउट किया है, जिसके तहत 779 ज़िलों में 4 लाख से अधिक 5G बेस ट्रांसीवर स्टेशन (BTS) संस्थापित किये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2022)
उपर्युक्त में से कौन-से ओपन-सोर्स डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बनाए गए हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. "चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के प्रादुर्भाव ने ई-गवर्नेन्स को सरकार का अविभाज्य अंग बनाने में पहल की है।" विवेचन कीजिये। (2020) |
पोप फ्रांसिस का निधन
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
रोमन कैथोलिक चर्च के आध्यात्मिक धर्मगुरु पोप फ्रांसिस (जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो) का निधन हो गया है।
पोप:
- पोप रोम के बिशप और कैथोलिक चर्च के दृश्य प्रमुख हैं, जो ईसा मसीह को अपना अदृश्य प्रमुख मानते हैं। उन्हें सुप्रीम पोंटिफ (Supreme Pontiff) के रूप में भी जाना जाता है, और उनके कार्यालय को पापेसी कहा जाता है।
- वह वेटिकन सिटी में रहते हैं और कैथोलिकों पर उनका पूर्ण नियंत्रण है।
- उनका चुनाव कार्डिनल्स कॉलेज (वरिष्ठ अधिकारी) द्वारा एक कॉन्क्लेव (मतदान) के माध्यम से किया जाता है और कोई भी बपतिस्मा (Baptized) प्राप्त कैथोलिक व्यक्ति पोप बन सकता है, लेकिन कार्डिनल आमतौर पर अपने में से ही किसी एक को चुनते हैं।
वेटिकन सिटी:
- वेटिकन सिटी विश्व का सबसे छोटा संप्रभु राज्य है। यह देश रोम, इटली से घिरा हुआ है, तथा वर्ष 1929 में लैटर्न संधि पर हस्ताक्षर के साथ इटली से स्वतंत्र हो गया।
- इसका शासन पोप के हाथों में है, जो सरकार की सभी शाखाओं पर सर्वोच्च प्राधिकार रखते हैं। यह स्वतंत्र रूप से संचालित होता है, इसकी अपनी डाक प्रणाली, वित्तीय संरचना है और इसमें कोई आयकर नहीं है।
- वेटिकन संग्रहालय और सेंट पीटर्स बेसिलिका यहीं स्थित हैं। इसका राजस्व वैश्विक कैथोलिक दान, निवेश और प्रकाशनों की बिक्री से आता है।
विश्व के सबसे छोटे देश:
और पढ़ें: देवसहायम पिल्लई
जल जीवन मिशन का अपर्याप्त वित्तपोषण
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
जल शक्ति मंत्रालय ने जल जीवन मिशन (JJM) को पूरा करने के लिये अतिरिक्त 2.79 लाख करोड़ रुपए की मांग की।
- हालाँकि, वित्त मंत्रालय के अधीन व्यय वित्त समिति (EFC) ने केवल 1.51 लाख करोड़ रुपए की स्वीकृति दी, जिससे संभावित रूप से राज्यों को 1.25 लाख करोड़ रुपए का वहन करना पड़ सकता है।
- जल जीवन मिशन: वर्ष 2019 में लॉन्च किये गए इस मिशन का लक्ष्य दिसंबर 2024 तक सभी 16 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल का जल उपलब्ध कराना है। वर्तमान में, 75% का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है तथा लगभग 4 करोड़ घर अभी भी शेष हैं।
- पूर्ण कवरेज प्राप्त करने के लिये वर्तमान में इस मिशन को दिसंबर 2028 तक विस्तारित करने का प्रस्ताव किया गया है।
- केंद्र और राज्य के बीच निधि बँटवारे का अनुपात हिमालयी (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश) और पूर्वोत्तर राज्यों के लिये 90:10, संघ शासित प्रदेशों के लिये 100:0 तथा शेष राज्यों के लिये 50:50 है।
- वित्तपोषण संबंधी मुद्दे: जल शक्ति मंत्रालय ने बढ़ती इनपुट कीमतों के कारण बढ़ी हुई लागत का विवरण देते हुए शेष नल जल संस्थापनाओं को पूरा करने के लिये वर्ष 2024-2028 के लिये केंद्रीय हिस्से के रूप में 2.79 लाख करोड़ रुपए की मांग की।
- हालाँकि, EFC ने लागत में वृद्धि, राज्यों द्वारा संभावित अति-आकलन, तथा राजकोषीय विवेकशीलता पर चिंता का उद्धरण देते हुए केवल 1.51 लाख करोड़ रुपए का सुझाव दिया।
- परिणामस्वरूप, मिशन के लिये संशोधित कुल परिव्यय 9.10 लाख करोड़ रुपए से घटाकर 8.68 लाख करोड़ रुपए (2019-2028) कर दिया गया।
- निहितार्थ: राज्यों, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश, को वित्त पोषण की कमी की स्वयं से पूर्ती करनी पड़ सकती है।
और पढ़ें: जल जीवन मिशन
KVIC की रिकॉर्ड वृद्धि से ग्रामीण सशक्तीकरण को बढ़ावा
स्रोत: पी.आई.बी
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिये 1.7 लाख करोड़ रुपए से अधिक का अभूतपूर्व कारोबार दर्ज किया है।
- KVIC की उपलब्धियाँ: पिछले 11 वर्षों (2013-2025) में KVIC का उत्पादन 347% और बिक्री में 447% की वृद्धि हुई है। रोज़गार सृजन के क्षेत्र में 49.23% की वृद्धि हुई, जिससे 1.94 करोड़ व्यक्तियों को रोज़गार प्राप्त हुआ।
- खादी कपड़ों का उत्पादन 366% बढ़ा और बिक्री में 561% की वृद्धि हुई। खादी कारीगरों की मज़दूरी 11 वर्षों में 275% बढ़ी, जिसमें पिछले 3 वर्षों में 100% की वृद्धि दर्ज की गई है।
- KVIC के प्रशिक्षुओं में 57.45% तथा खादी कारीगरों में 80% महिलाएँ हैं।
- KVIC: यह KVIC अधिनियम, 1956 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है, जो सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
- यह ग्रामीण क्षेत्रों में खादी और ग्रामोद्योग की योजना, प्रचार और विकास के लिये ज़िम्मेदार है।
- KVIC कच्चा माल उपलब्ध और विपणन में सहायता करता है, अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देता है साथ ही उत्पाद की प्रामाणिकता सुनिश्चित करता है, तथा वित्तीय व तकनीकी सहायता प्रदान करता है। राज्य स्तरीय खादी बोर्ड स्थानीय स्तर पर KVIC योजनाओं को लागू करते हैं।
- KVIC से संबंधित प्रमुख योजनाएँ: प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के कारण 10 लाख से अधिक नए सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना हुई, जिससे 90 लाख व्यक्ति लाभान्वित हुए।
- ग्रामोद्योग विकास योजना के अंतर्गत ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने हेतु 2.87 लाख से अधिक मशीनें और टूलकिट वितरित किये गए हैं।
और पढ़ें: ग्रामोद्योग विकास योजना एवं ग्रामोद्योग
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी में वृद्धि
स्रोत: बिज़नेस लाइन
विश्व स्वर्ण परिषद के अनुसार, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में स्वर्ण की हिस्सेदारी वर्ष 2019 के 6.7% से लगभग दोगुनी होकर फरवरी 2025 तक 12% हो गई है।
- भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अप्रैल 2025 में बढ़कर 677.84 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिसका कारण FCA में 892 मिलियन अमेरिकी डॉलर की तथा स्वर्ण भंडार में 638 मिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि होना है, जबकि SDRs में 6 मिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई है।
विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिज़र्व):
- विदेशी मुद्रा: विदेशी मुद्रा भंडार का आशय किसी केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित रखी गई परिसंपत्तियों से हैं। इसमें बैंक नोट, जमाएँ, बॉण्ड, ट्रेज़री बिल तथा अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल हो सकती हैं, जो आमतौर पर अमेरिकी डॉलर में मूल्यवर्गित होती हैं।
- ये भुगतान संतुलन (BoP) का एक प्रमुख घटक है।
- भारतीय रिजर्व बैंक, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षक है तथा इसे भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों से यह अधिकार प्राप्त है।
- उद्देश्य: यह बाह्य भुगतान आवश्यकताओं को पूरा करने और राष्ट्रीय मुद्रा को स्थिर करने में सहायक है।
- ये भंडार वैश्विक वित्तीय असंतुलन के दौरान बफर के रूप में भी कार्य करता है जिससे मौद्रिक नीतियों में विश्वास सुनिश्चित होता है।
- भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के घटक:
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA): सबसे अधिक हिस्सेदारी
- स्वर्ण भंडार: दूसरी सबसे अधिक हिस्सेदारी
- विशेष आहरण अधिकार (SDR):
- यह एक मुद्रा नहीं है, बल्कि इसका मूल्य 5 प्रमुख मुद्राओं की एक टोकरी द्वारा निर्धारित होता है: अमेरिकी डॉलर, यूरो, चीन की रेनमिनबी, जापानी येन और ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग।
- IMF के पास आरक्षित स्थिति:
- यह मुद्रा के आवश्यक कोटे का एक हिस्सा है, जिसे प्रत्येक सदस्य देश को IMF को प्रदान करना होता है।
और पढ़ें: विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि