प्रारंभिक परीक्षा
नशे के लिये सर्प-विष का प्रयोग
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 तथा भारतीय दंड संहिता (भारतीय न्याय संहिता, 2023) के तहत एक रेव पार्टी में कथित तौर पर सर्प-विष उपलब्ध कराने के आरोप में पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है।
सर्प-विष एवं उसके उपयोग के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- वैश्विक स्तर पर लगभग 3400 सर्प प्रजातियों में से, भारत में सर्प की लगभग 300 प्रजातियाँ हैं जो पूरे देश में विभिन्न स्थानों में पाई जाती हैं।
- सर्पों के प्रकार: यह प्रजाति 4 परिवारों के अंतर्गत आती है- कोलुब्रिडे, एलापिडे, हाइड्रोफिडे एवं वाइपरिडे।
- विषैले सर्प: भारत में पाई जाने वाली 300 से अधिक प्रजातियों में से 60 अधिक विषैली, 40 कम विषैली और लगभग 180 विषैली नहीं है।
- सर्प-विष (अत्यधिक विषैला लार) विषैले सर्पों द्वारा स्राव के माध्यम से किया जाता है, जो विशेष ग्रंथियों में संश्लेषित और संग्रहित होता है।
- विष की विशेषता: सर्प-विष विशिष्ट रासायनिक एवं जैविक गतिविधियों के साथ कम आणविक द्रव्यमान वाले एंज़ाइमों, पेप्टाइड्स एवं प्रोटीन का एक जटिल मिश्रण है।
- सर्प-विष में कई न्यूरोटॉक्सिक, कार्डियोटॉक्सिक और साइटोटॉक्सिक, तंत्रिका वृद्धि कारक, लेक्टिन, डिसइंट्रिग्रिन, हेमोरेजिन तथा कई अन्य विभिन्न एंज़ाइम होते हैं।
- सर्प-विष का प्रयोग:
- कुछ विशेष सर्प प्रजातियों, जैसे- कोबरा, करैत और ब्लैक माम्बा का उपयोग औषधीय तथा बेहोशी के प्रयोजनों के लिये किया जाता है।
- औषधीय उपयोग:
- आयुर्वेद, होम्योपैथी और लोक चिकित्सा में विभिन्न पैथोफिजियोलॉजिकल स्थितियों के लिये सर्पविष के उपयोग का उल्लेख किया गया है।
- इसका उपयोग थ्रोम्बोसिस, गठिया, कैंसर और कई अन्य बीमारियों के इलाज़ के लिये भी किया जाता है।
- सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में से एक एंटीवेनम उत्पादन में सर्पविष का उपयोग है।
- मादक उपयोग:
- कम वैज्ञानिक अनुसंधान के बावजूद, सर्प-विष को प्रायः मादक औषधि/पदार्थ के रूप में उपयोग किया जाता है। इसकी तस्करी करोड़ों डॉलर का अवैध उद्योग है।
- कोबरा के विष में पाए जाने वाले न्यूरोटॉक्सिन के विभिन्न रूप, विशेष रूप से, निकोटिनिक एसिटाइलकोलाइन रिसेप्टर्स (nAChRs) पर बंध बनाते हैं जो मानव मस्तिष्क क्षेत्र में व्यापक रूप से वितरित होकर उत्साहपूर्ण अनुभव प्रदान करते हैं।
- लोग "मांसपेशिय पक्षाघात और एनाल्जेसिया" (चेतन रहते हुए भी दर्द महसूस करने की क्षमता का ह्रास) तथा उनींदापन का भी अनुभव करते हैं।
- विनियमन:
- अधिकांश मनो-सक्रिय 'दुरुपयोगी पदार्थों' का उपयोग और व्यापार नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम के तहत आता है, लेकिन सर्प-विष के तहत नहीं।
- NDPS अधिनियम, 1985 किसी व्यक्ति को किसी भी नशीली दवा या मनो-दैहिक पदार्थों के उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन, भंडारण और/या उपभोग करने पर प्रतिबंध लगाता है।
- सर्प और उनके विष से जुड़े मामले वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के दायरे में आते हैं।
- IPC की धारा 120A (आपराधिक षडयंत्र) में मनोरंजन (Recreational) के लिये सर्प-विष से संबंधित अपराध भी शामिल हैं।
- अधिकांश मनो-सक्रिय 'दुरुपयोगी पदार्थों' का उपयोग और व्यापार नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम के तहत आता है, लेकिन सर्प-विष के तहत नहीं।
नोट:
- नशीले पदार्थ केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर कार्य करते हैं और व्यक्ति की मनोदशा, धारणा तथा चेतना को बदल देते हैं।
- साइकोएक्टिव पदार्थ की प्रकृति के आधार पर, वे या तो मामूली प्रकार के मनोवैज्ञानिक प्रभाव उत्पन्न करते हैं, जैसे- उत्साह, चिंता, पृथक्करण, भावनात्मक कुंदता आदि या अधिक असामान्य प्रभाव, जैसे- मतिभ्रम, सिनेस्थेसिया, परिवर्तित स्थान-समय सातत्य और रहस्यमय अनुभव।
- सबसे अधिक उपयोग किये जाने वाले हेलुसीनोजेन में मशरूम, कैनबिस, मेस्केलिन, लिसेर्जिक एसिड डायथाइलैमाइड (LSD), डाइमिथाइलट्रिप्टामाइन (DMT) और मेथिलीनडाइऑक्सीमेथामफेटामाइन (MDMA) शामिल हैं।
- आमतौर पर उपयोग किये जाने वाले जीव-जंतु में से कुछ हैं- क्लाउनफिश और रैबिटफिश जैसी हेलुसीनोजेनिक मछलियाँ, टोड जैसे उभयचर, लाल हार्वेस्टर चींटियाँ जैसी चींटियाँ, इंडियन वॉल लिज़र्ड जैसे सरीसृप और जिराफ के यकृत तथा अस्थि मज्जा।
और पढ़ें: सर्पदंश विष
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (d) प्रश्न. किंग कोबरा एकमात्र ऐसा सर्प है जो अपना घोंसला स्वयं बनाता है। यह अपना घोंसला क्यों बनाता है? (2010) (a) यह सर्प खाता है और घोंसला अन्य सर्पों को आकर्षित करने में मदद करता है। उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित में से किस सर्प का आहार मुख्यतः अन्य सर्प होते हैं? (2008) (a) करैत उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. क्या एंटीबायोटिकों का अति-उपयोग और डॉक्टरी नुस्खे के बिना मुक्त उपलब्धता, भारत में औषधि-प्रतिरोधी रोगों के अंशदाता हो सकते हैं? अनुवीक्षण और नियंत्रण की क्या क्रियाविधियाँ उपलब्ध हैं? इस संबंध में विभिन्न मुद्दों पर समालोचनात्मक चर्चा कीजिये। (2014) |
प्रारंभिक परीक्षा
आपराधिक मामला प्रबंधन प्रणाली और संकलन एप
स्रोत: पी.आई.बी.
आतंकवाद और संगठित अपराध से निपटने में भारत की क्षमता बढ़ाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में, गृह मंत्रालय ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण द्वारा विकसित एक डिजिटल आपराधिक मामला प्रबंधन प्रणाली (CCMS) का उद्घाटन किया।
- CCMS के साथ-साथ, एक मोबाइल एप 'संकलन (Sankalan)' भी लॉन्च किया गया, जो राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा नए आपराधिक कानूनों का एक संग्रह है।
आपराधिक मामला प्रबंधन प्रणाली (CCMS) क्या है?
- CCMS एक अभिनव डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो आपराधिक मामलों, विशेष रूप से आतंकवाद और संगठित अपराध से संबंधित मामलों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित तथा बेहतर करता है।
- CCMS सॉफ्टवेयर का उद्देश्य पूरे भारत में आपराधिक जाँच/अन्वेषण को मानकीकृत करना और आतंक से संबंधित डेटा संकलित करना है।
- CCMS एक उपयोगकर्त्ता-अनुकूल और अनुकूलन योग्य ब्राउजर-आधारित सॉफ्टवेयर के रूप में कार्य करता है जिसे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय की सुविधा, जाँच की दक्षता में सुधार तथा न्याय वितरण को बढ़ाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- यह प्रणाली जाँच के दौरान उत्पन्न डेटा के एकीकरण, संगठन और डिजिटलीकरण को सक्षम बनाती है, जो जाँचकर्त्ताओं, अभियोजकों तथा आपराधिक न्याय प्रक्रिया में शामिल अन्य हितधारकों के लिये एक व्यापक उपकरण प्रदान करती है।
- CCMS केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के बीच मज़बूत सहयोग को बढ़ावा देता है, जिससे निर्बाध सूचना साझा करने की सुविधा मिलती है।
संकल्पन एप
- संकल्पन एप (Sankalan App) को पुराने और नए आपराधिक कानूनों के बीच एक सेतु के रूप में नए आपराधिक कानूनों के माध्यम से नेविगेट करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- यह एप सभी हितधारकों के लिये एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगा। एप ऑफलाइन मोड में भी काम करेगा और दूर-दराज़ के इलाकों में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की गई है ताकि सभी हितधारकों को चौबीसों घंटे वांछित जानकारी मिल सके।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) क्या है?
- परिचय:
- NIA भारत सरकार की एक संघीय एजेंसी है जो आतंकवाद, उग्रवाद और अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों से संबंधित अपराधों की जाँच एवं मुकदमा चलाने हेतु उत्तरदायी है।
- मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण अधिनियम, 2008 के तहत इसकी स्थापना वर्ष 2009 में की गई थी, यह गृह मंत्रालय के तहत संचालित होती है।
- NIA (संशोधन) अधिनियम, 2019 NIA को अंतर्राष्ट्रीय संधियों और कानूनों का अनुपालन करते हुए भारत के बाहर किये गए अपराधों की जाँच करने की अनुमति देता है।
- संशोधन के साथ NIA वर्तमान में विभिन्न अधिनियमों के तहत मानव तस्करी, साइबर-आतंकवाद जैसे अन्य अपराधों की जाँच कर सकती है।
- वर्तमान में NIA भारत में केंद्रीय आतंकवाद-रोध कानून प्रवर्तन अभिकरण के रूप में कार्य कर रही है।
- मुख्यालय: दिल्ली।
- कार्य:
- आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित आसूचना का संग्रह, विश्लेषण तथा प्रसार करना।
- आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों में भारत एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय करना।
- कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अन्य हितधारकों के लिये क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत सरकार ने हाल ही में गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 और NIA अधिनियम में संशोधन करके आतंकवाद विरोधी कानूनों को मज़बूत किया है। मानवाधिकार संगठनों द्वारा UAPA के विरोध के दायरे और कारणों पर चर्चा करते हुए मौजूदा सुरक्षा माहौल के संदर्भ में इन परिवर्तनों का विश्लेषण कीजिये। (2019) |
चर्चित स्थान
सबरूम
स्रोत: इंडियन एक्स्प्रेस
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वस्तुतः त्रिपुरा में कई विकासात्मक परियोजनाओं का शुभारंभ किया, जिसमें सबरूम में राज्य की दूसरी एकीकृत चेक पोस्ट (ICP), (जिसे लैंड पोर्ट भी कहा जाता है) का उद्घाटन शामिल है, जो बांग्लादेश की सीमा से लगा त्रिपुरा का सबसे दक्षिणी छोर है।
परिचय:
- सबरूम त्रिपुरा में दक्षिण त्रिपुरा ज़िले में स्थित है। यह फेनी नदी के तट पर स्थित है, जो भारत और बांग्लादेश को विभाजित करती है।
- यह फेनी नदी पर मैत्री पुल के माध्यम से बांग्लादेश के चटगाँव बंदरगाह से जुड़ा हुआ है।
- इससे भारत और बांग्लादेश के बीच यात्रियों एवं सामान के परिवहन में वृद्धि होगी।
रैपिड फायर
स्वदेशी 1500 HP टैंक इंजन का परीक्षण-फायरिंग
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में रक्षा सचिव ने मैसूर परिसर में BEML लिमिटेड (पूर्व में भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड) इंजन डिवीज़न में मुख्य युद्धक टैंकों के लिये देश के पहले स्वदेशी निर्मित 1500 हॉर्स पावर (HP) इंजन के प्रथम टेस्ट फायरिंग की अध्यक्षता की।
- 1500 HP इंजन सैन्य प्रणोदन प्रणालियों में एक नये बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें उच्च शक्ति के समक्ष-भार का अनुपात, ऊँचाई वाले स्थानों, शून्य से नीचे तापमान और रेगिस्तानों सहित कठिन परिस्थितियों में संचालन क्षमता जैसी कई अत्याधुनिक विशेषताएँ शामिल हैं।
- आधुनिक तकनीक से सुसज्जित यह इंजन पूरी दुनिया में उपलब्ध सबसे आधुनिक इंजनों की बराबरी वाला है।
- भारत के पास कई मुख्य युद्धक टैंक (MBT) हैं, जिनमें T-90M भीष्म, अर्जुन MBT और K-9 वज्र शामिल हैं।
- BEML लिमिटेड, रक्षा मंत्रालय के तहत एक 'अनुसूची 'A' कंपनी है, जो महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है और भारत के रक्षा, रेल, विद्युत, खनन एवं बुनियादी ढाँचे जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सेवा प्रदान करती है।
और पढ़ें: अर्जुन MBT MK-1A
रैपिड फायर
IceCube: पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव से न्यूट्रिनों की खोज
स्रोत: द हिंदू
पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव पर IceCube न्यूट्रिनों वेधशाला ने न्यूट्रिनों नामक अवपरमाणुक (परमाणु के घटक) कणों का पता लगाया।
- न्यूट्रिनों विद्युत रूप से तटस्थ होते हैं, यहाँ तक कि सबसे मज़बूत चुंबकीय क्षेत्र से भी प्रभावित नहीं होते हैं और शायद ही कभी पदार्थ के साथ अंत:क्रिया करते हैं, जिससे उन्हें "घोस्ट पार्टिकल" उपनाम मिलता है। जैसे ही न्यूट्रिनों अंतरिक्ष में यात्रा करते हैं, वे पदार्थ- तारों, ग्रहों और उस पदार्थ से, लोगों के बीच बिना किसी बाधा के गुज़रते हैं।
- न्यूट्रिनों एक फर्मियन (आधा स्पिन वाला एक प्राथमिक कण) है जो केवल कमज़ोर अंतःक्रिया और गुरुत्वाकर्षण के माध्यम से परस्पर क्रिया करता है।
- वे परमाणु प्रक्रियाओं में निर्मित होते हैं और तब भी निर्मित होते हैं जब प्रोटॉन (उपधातु कण) तथा (परमाणु) नाभिक बहुत उच्च ऊर्जा पर परस्पर क्रिया करते हैं।
- खगोल विज्ञान में न्यूट्रिनों जैसे कणों का उपयोग करने की क्षमता ब्रह्मांड की अधिक मज़बूत जाँच को सक्षम बनाती है।
- भारत स्थित न्यूट्रिनों वेधशाला: INO परियोजना का उद्देश्य न्यूट्रिनों पर बुनियादी अनुसंधान करने के लिये चट्टान से ढकी एक विश्व स्तरीय भूमिगत प्रयोगशाला का निर्माण करना है।
- ब्रह्मांडीय पृष्ठभूमि विकिरण से न्यूट्रिनों डिटेक्टर को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के लिये वेधशाला भूमिगत स्थित होगी।
और पढ़ें- पिलर्स ऑफ क्रिएशन, जेम्स वेब टेलीस्कोप, भारतीय न्यूट्रिनो वेधशाला
रैपिड फायर
बच्चों में गंभीर कुपोषण
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में किये गए अध्ययन के अनुसार भारत में 'ज़ीरो-फूड चिल्ड्रेन' की व्यापकता 19.3% है जो बच्चों की भोजन तक पहुँच में अत्यधिक कमी को दर्शाता है।
- ज़ीरो-फूड चिल्ड्रेन का तात्पर्य छह माह से 23 माह की आयु के उन शिशुओं से है जिन्हें 24 घंटे की अवधि तक किसी भी प्रकार का भोजन प्राप्त नहीं होता है।
- इस अध्ययन के अनुसार ज़ीरो-फूड चिल्ड्रेन के संबंध में भारत का स्थान तीसरा है और पहला तथा दूसरा स्थान क्रमशः गिनी (21.8%) एवं माली (20.5%) का है।
- 'ज़ीरो-फूड चिल्ड्रेन' के उच्च प्रतिशत के साथ उत्तर प्रदेश इस संकट के संबंध में एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है।
- ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 के अनुसार भारत में चाइल्ड वेस्टिंग दर 18.7% है जो कि विश्व में सर्वाधिक दर है।
- इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के अनुसार, भारत में पाँच वर्ष से कम आयु के 35.5% बच्चे स्टंटिंग के शिकार हैं।
और पढ़ें…भारत में कुपोषण
रैपिड फायर
Nvidia की B200 ब्लैकवेल चिप
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
एनवीडिया (Nvidia) ने अपनी नवीनतम कृत्रिम बुद्धिमत्ता चिप, B200 'ब्लैकवेल' का अनावरण किया है, जो अपनी उन्नत कंप्यूटेशनल शक्ति और अनुकूलित प्रदर्शन के साथ AI बाज़ार में क्रांति लाने को तैयार है।
- AI मॉडल के प्रशिक्षण के लिये B200 ब्लैकवेल चिप एनवीडिया की मौजूदा H100 'हॉपर' चिप से दोगुनी शक्तिशाली है।
- ब्लैकवेल GPU में 208 बिलियन ट्रांजिस्टर हैं, यह हॉपर चिप की तुलना में 30 गुना तेज़ी से कुछ कंप्यूटेशनल कार्य कर सकता है, जिससे AI विकास में त्वरित प्रगति हो सकती है।
- Google, Amazon, Microsoft और OpenAI जैसे प्रमुख तकनीकी अग्रणियों द्वारा अपनी क्लाउड-कंप्यूटिंग सेवाओं एवं AI उत्पादों के लिये नई चिप अपनाने की उम्मीद है।
और पढ़ें: भारत की सेमीकंडक्टर डिज़ाइन योजना का नया रूप, कैराली AI चिप
रैपिड फायर
JLOTS परियोजना
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
अमेरिका ने ज्वाइंट लॉजिस्टिक्स ओवर-द-शोर प्रोजेक्ट (JLOTS) के माध्यम से समुद्र में फ्लोटिंग डॉक से गाज़ा को सहायता पहुँचाने की योजना बनाई है। इसका लक्ष्य गाज़ा को प्रतिदिन 20 लाख तक की खाद्यान सहायता पहुँचाना है।
- JLOTS क्षमताओं का उपयोग समुद्र के द्वारा कार्गो परिवहन हेतु किया जाता है जब एक या अधिक बंदरगाह संचालित नहीं किये जा सकते हैं अथवा लोडिंग या अनलोडिंग के लिये उपलब्ध नहीं हैं।
- कुल मिलाकर, JLOTS प्रभावी आपदा प्रतिक्रिया तथा मानवीय सहायता वितरण की सुविधा हेतु बुनियादी ढाँचे, रसद, सुरक्षा के साथ-साथ पर्यावरणीय विचारों को एकीकृत करता है।
- इस परियोजना में दो मुख्य घटक शामिल होंगे, एक फ्लोटिंग डॉक एवं एक कॉजवे वाला लंबा घाट।
- फ्लोटिंग डॉक का निर्माण रोल-ऑन, रोल-ऑफ जहाज़ द्वारा साइट पर पहुँचाये गए स्टील घटकों का उपयोग करके किया जाएगा, यह एक प्रकार का कार्गो जहाज़ है जो भारी सामान को लोड करने एवं अनलोड करने हेतु एक महत्त्वपूर्ण प्लेटफॉर्म है।
- यह तट के किनारे से जुड़ेगा, जबकि डॉक को एक किलोमीटर दूर तक स्थापित किया जा सकता है। यह सेटअप सुनिश्चित करता है,कि सहायता ले जाने वाले जहाज़ किनारे के पास उथले जल में फँसने के जोखिम से बच सके।
और पढ़ें…इज़राइल-हमास संघर्ष और इसका वैश्विक प्रभाव, इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष