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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 17 Dec, 2021
  • 26 min read
प्रारंभिक परीक्षा

जल नवाचार चुनौती

हाल ही में नवाचारों के माध्यम से वैश्विक जल संकट को दूर करने के लिये जल नवाचार चुनौतियों के दूसरे संस्करण की घोषणा की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • जल नवाचार चुनौती
    • इसकी घोषणा ‘अटल इनोवेशन मिशन’, ‘नीति आयोग’ और डेनमार्क के रॉयल दूतावास द्वारा भारत में वर्ष 2020 में ‘भारत-डेनिश द्विपक्षीय हरित रणनीतिक साझेदारी’ के हिस्से के रूप में की गई थी।
      • प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से उद्यमिता संचालित प्रौद्योगिकी, ‘ग्रीन ट्रांजीशन’ और ‘हरित सामरिक भागीदारी’ की एक महत्त्वपूर्ण प्रेरक शक्ति है।
      • ‘जल नवाचार चुनौती’ इस अवधारणा को बढ़ावा देगी और इसे ज़मीनी स्तर पर लागू भी करेगी।
    • यह सहयोग भारत में और वैश्विक स्तर पर स्थायी जल आपूर्ति में सुधार के लिये समाधान प्रदान करेगा।
      • इस चुनौती के विजेता ‘अंतर्राष्ट्रीय जल काॅन्ग्रेस-2022’ में भी भारत का प्रतिनिधित्त्व करेंगे।
  • उद्देश्य
    • इस पहल का उद्देश्य कॉर्पोरेट और सार्वजनिक भागीदारों के सहयोग से प्रस्तावित चुनौतियों को हल करने के लिये जल क्षेत्र में नवीन तथा अगली पीढ़ी के समाधानों की पहचान करना है।
      • यह पहल देश भर के अग्रणी विश्वविद्यालयों और नवाचार केंद्रों से युवा प्रतिभाओं को अपने कौशल का निर्माण करने तथा अपने तकनीकी विषयों एवं नवाचार क्षमता को लागू करने हेतु संलग्न करेगी।
  • आवश्यकता
    • भारत के लिये यह महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि भारत वर्तमान में बड़े पैमाने पर जल चुनौतियों का सामना कर रहा है, जो हाल के वर्षों में सबसे ज़रूरी नीतिगत मुद्दों में से एक बन गया है।
    • प्रमुख समस्या भूमिगत जल स्तर में गिरावट, असुरक्षित पेयजल, अपर्याप्त सीवरेज़ सिस्टम के कारण जल की कमी, पानी तक पहुँच और भारत की प्रमुख नदियों को प्रदूषित करने वाले अनुपचारित अपशिष्ट जल से संबंधित है।

हरित रणनीतिक साझेदारी

Denmark

  • सितंबर 2020 में, भारत और डेनमार्क दोनों देश के प्रधानमंत्रियों की अध्यक्षता में दूरगामी लक्ष्यों वाली ‘हरित रणनीतिक साझेदारी’ (Green Strategic Partnership) के रूप में एक नए युग की शुरुआत की है।
  • भारत और डेनमार्क दोनों के पास जलवायु एजेंडे के भीतर महत्त्वपूर्ण  लक्ष्य हैं तथा दोनों देश दिन-प्रतिदिन अधिक टिकाऊ प्रथाओं को शामिल कर रहे हैं।
  • हरित रणनीतिक साझेदारी एक संपूर्ण ढांँचा प्रदान करती है क्योंकि यह इस बात पर ज़ोर देती है कि किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ग्रीन ट्रांसमिशन (Green Transition) को तीव्र करने और वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने में मदद कर सकता है।
  • यह साझेदारी आर्थिक संबंधों के विस्तार, हरित विकास और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों के सहयोग पर केंद्रित है।
    • हरित विकास शब्द उस आर्थिक विकास को वर्णित करने के लिये प्रयोग किया जाता है जो प्राकृतिक संसाधनों का स्थायी तरीके से उपयोग करता है।
  • विशिष्ट प्रौद्योगिकियों और विशेषज्ञता वाली डेनमार्क कंपनियों ने पराली जलाने की समस्या से निपटने के प्रमुख क्षेत्र सहित अपने वायु प्रदूषण नियंत्रण लक्ष्यों को पूरा करने में भारत की मदद करने की पेशकश की है।
  • साझेदारी के तहत अन्य प्रमुख बिंदुओं में कोविड -19 महामारी से निपटना, जल का दक्षतापूर्ण उपयोग और इसके  दुरूपयोग को रोकने हेतु सहयोग शामिल है।
  • बड़ी संख्या में डेनमार्क फर्मों वाले क्षेत्रों में भारत-डेनमार्क ऊर्जा पार्कों का निर्माण और भारतीय जनशक्ति को प्रशिक्षित करने के लिये एक भारत-डेनमार्क कौशल संस्थान का प्रस्ताव किया गया है।
  • हरित रणनीतिक साझेदारी हेतु यह सहयोग मौजूदा संयुक्त आयोग और मौजूदा संयुक्त कार्य समूहों पर आधारित है।

प्रारंभिक परीक्षा

विहंगम

हाल ही में महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (MCL) में रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (RPAS) के साथ एकीकृत 'विहंगम (VIHANGAM)' नामक एक इंटरनेट-आधारित प्लेटफॉर्म का उद्घाटन किया गया है।

महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड

  • यह भारत की प्रमुख कोयला उत्पादक कंपनियों तथा कोल इंडिया लिमिटेड की आठ सहायक कंपनियों में से एक है।
  • MCL वर्ष 1999 में स्थापित पर्यावरण के अनुकूल भूतल खनन तकनीक पेश करने वाली पहली कोयला कंपनी थी।

प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:
    • इस प्रणाली में एक ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन (GCS), एक RPAS, 40 Mbps की इंटरनेट लीज़ लाइन और विहंगम पोर्टल शामिल हैं।
    • यह प्रणाली खनन गतिविधियों के हवाई वीडियो को खानों से इंटरनेट प्लेटफॉर्म तक वास्तविक समय में प्रसारित करने में सक्षम बनाती है, जिसे केवल आईडी और पासवर्ड रखने वाले अधिकृत कर्मियों द्वारा ही विहंगम पोर्टल के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।
  • रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (RPAS):
    • RPAS मानवरहित विमान प्रणाली (UAS) का एक सब-सेट है।
    • मानव रहित विमान के तीन सब-सेट हैं- रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट, ऑटोनॉमस एयरक्राफ्ट और मॉडल एयरक्राफ्ट।
      • ड्रोन मानव रहित विमान (Unmanned Aircraft) के लिये एक आम शब्दावली है।
    • ड्रोन को उनके वज़न (मौजूदा नियम) के आधार पर पाँच श्रेणियों में बाँटा गया है-
      • नैनो-  250 ग्राम से कम
      • माइक्रो- 250 ग्राम से 2 किग्रा. तक
      • स्माल- 2 किग्रा. से 25 किग्रा. तक
      • मीडियम- 25 किग्रा. से 150 किग्रा. तक
      • लार्ज- 150 किग्रा. से अधिक
    • रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट में रिमोट पायलट स्टेशन, आवश्यक कमांड और कंट्रोल लिंक तथा टाइप डिज़ाइन में निर्दिष्ट अन्य घटक होते हैं।
  • UAVs का उपयोग करने वाली अन्य पहलें: 

प्रारंभिक परीक्षा

महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़: SC

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 से प्रतिबंधित महाराष्ट्र को पारंपरिक बैलगाड़ी दौड़ के  आयोजन को अनुमति दी है।

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960

  • इस अधिनियम का विधायी उद्देश्य ‘अनावश्यक सज़ा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति’ को रोकना है।
  • भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (Animal Welfare Board of India- AWBI) की स्थापना वर्ष 1962 में अधिनियम की धारा 4 के तहत की गई थी।
  • इस अधिनियम में अनावश्यक क्रूरता और जानवरों का उत्पीड़न करने पर सज़ा का प्रावधान है। यह अधिनियम जानवरों और जानवरों के विभिन्न प्रकारों को परिभाषित करता है।

प्रमुख बिंदु

  • पृष्ठभूमि:
    • वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने देश भर में 'जल्लीकट्टू', बैल दौड़ और बैलगाड़ी दौड़ जैसे पारंपरिक खेलों पर प्रतिबंध लगा दिया, यह देखते हुए कि वे खतरनाक थे और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के प्रावधानों का उल्लंघन करते थे।
    • इसके बाद कर्नाटक और तमिलनाडु ने परंपरा को विनियमित तरीके से जारी रखने के लिये कानून में संशोधन किया था, जो वर्ष 2018 से सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती और लंबित हैं।
    • फरवरी 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने 'जल्लीकट्टू' से संबंधित याचिकाओं को पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया था, जो यह तय करेगी कि क्या बैलों को वश में करने का खेल सांस्कृतिक अधिकारों के तहत आता है या जानवरों के साथ क्रूरता को बनाए रखता है।
  • न्यायालय की राय:
    • न्यायालय ने पाया कि राज्य में इसे अस्वीकार करने का कोई कारण नहीं था जब देश भर में अन्य जगहों पर इसी तरह के खेल चल रहे थे।
    • यदि यह एक पारंपरिक खेल है और महाराष्ट्र को छोड़कर पूरे देश में चल रहा है, तो यह सामान्य ज्ञान के अनुकूल नहीं है।
  • बैलगाड़ी दौड़:
    • एक पारंपरिक खेल आयोजन के अलावा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी बैलगाड़ी दौड़ से जुड़ी है।
      • हज़ारों खाद्य स्टाल विक्रेता दौड़ के माध्यम से अपनी आजीविका कमाते हैं।

Cart-Race

भारत में अन्य पशु खेल

जल्लीकट्टू

  • जल्लीकट्टू जिसे ‘एरुथाज़ुवुथल' (Eruthazhuvuthal) के नाम से भी जाना जाता है तमिलनाडु का एक  पारंपरिक खेल है, जो फसलों की कटाई के अवसर पर पोंगल के समय आयोजित किया जाता है| जिसमे बैलों से इंसानों की लड़ाई कराई जाती है।

कंबाला

  • कंबाला कीचड़ और मिटटी से भरे धान के खेतों में एक पारंपरिक भैंस दौड़ है जिसका आयोजन आम तौर पर नवंबर से मार्च माह तक तटीय कर्नाटक (उडुपी और दक्षिण कन्नड़) में होता है।

कॉक-फाइट 

  • कॉक-फाइट या मुर्गों की लड़ाई केवल भारत में ही प्रचलित नहीं है। यह एक ऐसा खेल है जो दुनियाभर में मौजूद है। भारत में मुर्गों की लड़ाई सिर्फ खेल नहीं है बल्कि जुए से संबंधित है।

ऊंँट दौड़

  • यह दौड़ ऊंँटों से संबंधित है, जिसमें लोग सवारी करते हैं और दौड़ में भाग लेते हैं।
  • यह राजस्थान में कई मेलों और त्योहारों जैसे पुष्कर मेला, बीकानेर ऊंँट महोत्सव आदि का भी हिस्सा है।

डॉग फाइट 

  • डॉग फाइटिंग (Dog fighting) एक प्रकार का ब्लड स्पोर्ट (Blood Sport) है जिसमें दर्शकों के मनोरंजन के लिये दो गेम डॉग एक दूसरे के खिलाफ रिंग या गड्ढे में होते हैं।
  • भले ही यह जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम के तहत अवैध है और पिछले वर्ष इसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था, इन झगड़ों को गुप्त और अवैध रूप से आयोजित किया जाता है।

बुलबुल फाइट

  • यह असम राज्य में गुवाहाटी के पास हाजो में हयग्रीव माधव मंदिर में बिहू (फसल उत्सव) के दौरान आयोजित किया जाता है।
  • अक्सर बुलबुलों को आक्रामक बनाने के लिये उन्हें नशीला पदार्थ खिला दिया जाता है।

घुड़दौड़

  • यह प्राचीन काल से ग्रीस, बेबीलोन, सीरिया और मिस्र और भारत में 200 से अधिक वर्षों से प्रचलित एक प्रदर्शन खेल है, जिसमें जॉकी दूरी पर घोड़ों की सवारी करते हैं।
  • वर्ष 1996 में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि घुड़दौड़ पर दाँव लगाना कौशल का खेल है न कि भाग्य का और इस प्रकार से यह अवैध जुए में शामिल नहीं है। अत: घुड़दौड़ देश में कानूनी है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 


प्रारंभिक परीक्षा

जैतापुर परमाणु रिएक्टर: महाराष्ट्र

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के जैतापुर में छह परमाणु ऊर्जा रिएक्टर स्थापित करने के लिये सैद्धांतिक (प्रथम चरण) मंज़ूरी दे दी है।

  • जैतापुर परियोजना भारत और फ्राँस के बीच रणनीतिक साझेदारी का एक प्रमुख घटक है।

परमाणु ऊर्जा

  • परिचय:
    • "स्थायी आधार पर देश की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की विशाल क्षमता" होने के अलावा परमाणु ऊर्जा स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल है।
    • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों ने अब तक लगभग 755 बिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया है, जिससे लगभग 650 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन की बचत हुई है।
  • नेट ज़ीरो लक्ष्य प्राप्त करने में योगदान:
    • परमाणु ऊर्जा सहित विभिन्न स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के संयोजन के माध्यम से नेट ज़ीरो लक्ष्यों को पूरा करने की उम्मीद है।
    • परियोजनाओं के पूरा होने पर 6,780 मेगावाट की वर्तमान परमाणु ऊर्जा क्षमता को वर्ष 2031 तक बढ़ाकर 22,480 मेगावाट करने की उम्मीद है।

प्रमुख बिंदु:

  • जैतापुर परमाणु रिएक्टर:
    • जैतापुर दुनिया का सबसे शक्तिशाली परमाणु ऊर्जा संयंत्र होगा। जो 9.6 गीगावॉट की स्थापित क्षमता वाले छह अत्याधुनिक विकासवादी पावर रिएक्टर होने के साथ निम्न कार्बन बिजली का उत्पादन करेंगे।
      • छह परमाणु ऊर्जा रिएक्टर, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 1,650 मेगावाट होगी, को फ्राँस के तकनीकी सहयोग से स्थापित किया जाएगा।
    • यह परियोजना भारत और फ्रांस के बीच कम कार्बन भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता की मज़बूत साझेदारी को मूर्त रूप देगी और हज़ारों स्थानीय नौकरियों के साथ महाराष्ट्र को सीधे लाभ पहुँचाएगी।
  • भारत में परमाणु ऊर्जा की स्थिति:
    • भारत बिजली उत्पादन के उद्देश्य से परमाणु ऊर्जा के दोहन की संभावना का पता लगाने के लिये सचेत रूप से आगे बढ़ा है।
    • इस दिशा में 1950 के दशक में होमी भाभा द्वारा त्रिस्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम तैयार किया गया था।
    • परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 को दो प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्त्वों यूरेनियम और थोरियम के उपयोग के निर्धारित उद्देश्यों के साथ तैयार तथा कार्यान्वित किया गया था।
    • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से उत्पादन बढ़ाने के लिये किये गए अन्य उपाय:
      • 10 स्वदेशी 700 मेगावाट ‘भारी जल दाबित रिएक्टरों’ (PHWR) के लिये प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति।
        • ‘भारी जल दाबित रिएक्टर’ एक परमाणु ऊर्जा रिएक्टर है, जो आमतौर पर अपने ईंधन के रूप में प्राकृतिक यूरेनियम का उपयोग करता है। यह अपने शीतलक और मंदक के रूप में भारी जल (ड्यूटेरियम ऑक्साइड- D2O) का उपयोग करता है।
        • वर्तमान में भारत में 6780 इलेक्ट्रिक मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ 22 परमाणु ऊर्जा रिएक्टर संचालित हैं।
          • इसमें से 18 रिएक्टरों में ‘भारी जल दाबित रिएक्टर’ (PHWRs) और चार ‘हल्के जलयुक्त रिएक्टर’ (LWRs) हैं।
      • परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1962 में भी संशोधन किया गया है, ताकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के संयुक्त उपक्रमों को परमाणु ऊर्जा परियोजनाएँ स्थापित करने में सक्षम बनाया जा सके।

वर्तमान में संचालित परमाणु ऊर्जा संयंत्र

निर्माणाधीन परमाणु ऊर्जा संयंत्र

नियोजित परमाणु ऊर्जा संयंत्र

  • रावतभाटा (राजस्थान)
  • तारापुर (महाराष्ट्र)
  • कुडनकुलम् (तमिलनाडु)
  • काकरापार (गुजरात)
  • कलपक्कम् (तमिलनाडु)
  • नरोरा (उत्तर प्रदेश)
  • कैगा (कर्नाटक)
  • काकरापार 3 और 4 (गुजरात)
  • रावतभाटा (राजस्थान)
  • कुडनकुलम् 3 और 4 (तमिलनाडु)
  • कलपक्कम् PFBR (तमिलनाडु)
  • जैतापुर (महाराष्ट्र)
  • कोव्वाडा (आंध्र प्रदेश)
  • मीठी विरदी (गुजरात)
  • हरिपुर (पश्चिम बंगाल)
  • गोरखपुर (हरियाणा)
  • भीमपुर (मध्य प्रदेश)
  • माही बांसवाड़ा (राजस्थान)
  • कैगा (कर्नाटक)
  • चुटका (मध्य प्रदेश)
  • तारापुर (महाराष्ट्र)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 दिसंबर, 2021

रक्षा संपदा महानिदेशालय

रक्षा मंत्री द्वारा 16 दिसंबर, 2021 को नई दिल्ली में ‘रक्षा संपदा महानिदेशालय’ के 96वें स्थापना दिवस के अवसर पर उत्कृष्टता के लिये ‘रक्षा मंत्री पुरस्कार-2021’ प्रदान किये गए। इस पुरस्कार के तहत प्राप्तकर्त्ताओं को सार्वजनिक सेवा और भूमि प्रबंधन के साथ स्वच्छता तथा स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और डिजिटल उपलब्धियों के लिये सम्मानित किया गया। रक्षा संपदा महानिदेशालय (DGDE) ‘भारतीय रक्षा संपदा सेवा’ का मुख्यालय है। रक्षा संपदा महानिदेशालय, रक्षा मंत्रालय और सेवा मुख्यालय यानी सेना, नौसेना, वायु सेना और रक्षा मंत्रालय के तहत अन्य संगठनों को सभी छावनियों के मामलों पर सलाहकारी इनपुट प्रदान करता है। सैन्य उद्देश्यों के लिये भूमि अधिग्रहण, विस्थापित व्यक्तियों का पुनर्वास, भूमि एवं भवनों को किराए पर लेना और अधिग्रहण करना ‘रक्षा संपदा महानिदेशालय’ की कुछ प्रमुख जिम्मेदारियाँ हैं। वर्तमान में देश में कुल 62 छावनी बोर्ड हैं। ये स्थानीय निकाय हैं, जो नागरिक प्रशासन प्रदान करने और सामाजिक कल्याण, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता, सुरक्षा, जल आपूर्ति, स्वच्छता, शहरी नवीनीकरण और शिक्षा की केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू करने हेतु उत्तरदायी हैं।

पार्कर सोलर प्रोब

अपने प्रक्षेपण के तीन वर्ष बाद ‘पार्कर सोलर प्रोब’ ने अंततः सूर्य को ‘स्पर्श’ कर लिया है। हाल ही में नासा ने  घोषणा की कि यह मिशन सूर्य के ऊपरी वायुमंडल- जिसे कोरोना के रूप में जाना जाता है, में पहुँचने वाला अब तक का पहला ज्ञात अंतरिक्ष यान बन गया है, जहाँ इसने कणों एवं चुंबकीय क्षेत्रों का नमूना एकत्र किया है। सूर्य के वर्णमंडल के वाह्य भाग को किरीट/कोरोना (Corona) कहते हैं। सूर्य का कोरोना बाहरी अंतरिक्ष में लाखों किलोमीटर तक फैला है और इसे सूर्य ग्रहण के दौरान आसानी से देखा जाता है। ‘पार्कर सोलर प्रोब’ को फ्लोरिडा स्थित नासा के केप केनेडी स्पेस सेंटर- काम्प्लेक्स37 (Complex37) से डेल्टा-4 रॉकेट द्वारा वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था। नासा ने पार्कर सोलर प्रोब का नाम प्रख्यात खगोल भौतिकीविद् यूज़ीन पार्कर के सम्मान में रखा है। यूज़ीन पार्कर ने ही सबसे पहले वर्ष 1958 में अंतरिक्ष के सौर तूफानों के बारे में भी बताया था। पार्कर सोलर प्रोब की लंबाई 1 मीटर, ऊँचाई 2.5 मीटर तथा चौड़ाई 3 मीटर है। इस मिशन का उद्देश्य सौर पवन के स्रोतों और चुंबकीय क्षेत्र की बनावट तथा उनके डायनामिक्स की जाँच करना है। यह मिशन सूर्य की सतह से इसके कोरोना के ज़्यादा तापमान होने के कारणों का भी अध्यययन करेगा।  

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ

भारत के पहले ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (CDS) जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद आगामी कुछ समय के लिये सरकार द्वारा अस्थायी रूप से पुरानी व्यवस्था को पुनः लागू कर दिया गया है और तीनों सेनाओं के बीच समन्वय स्थापित करने हेतु तीनों सेना प्रमुखों में से सबसे वरिष्ठ सेना प्रमुख को ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी’ के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है। पुरानी व्यवस्था के तहत सबसे वरिष्ठ होने के नाते भारतीय सेना प्रमुख जनरल ‘एम.एम. नरवणे’ ने ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी’ के अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद की घोषणा 15 अगस्‍त, 2019 को की गई थी। इनका प्रमुख कार्य भारत की जल, थल एवं वायु सेना के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाना व आपस में उनके संपर्क को स्थापित करना होता है। ज्ञात हो कि ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ सैन्य मामलों के विभाग (DMA) का भी प्रमुख होता है।


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