आंतरिक सुरक्षा
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ : भूमिका एवं उत्तरदायित्व
- 09 Jan 2020
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हाल ही में केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्रालय में पाँचवें विभाग के रूप में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief of Defence Staff- CDS) एवं सैन्य मामलों के विभाग के निर्माण को मंजूरी दी तथा जनरल बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किये गए। CDS एक चार-स्टार जनरल/अधिकारी होगा जो सभी तीनों सैन्य सेवाओं (थल सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना) के मामलों में रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करेगा।
पृष्ठभूमि
- इसके निर्माण की सिफारिश वर्ष 2001 में मंत्रियों के एक समूह (Group of Ministers GoM) द्वारा की गई थी जिसे कारगिल समीक्षा समिति (1999) की रिपोर्ट का अध्ययन करने का काम सौंपा गया था।
- उपरोक्त मंत्रियों के समूह की सिफारिशों के बाद CDS के पद के निर्माण हेतु सरकार ने वर्ष 2002 में एकीकृत रक्षा स्टाफ बनाया जिसे अंततः CDS के सचिवालय के रूप में काम करना था।
- वर्ष 2012 में CDS पर आशंकाओं को खत्म करने के लिये नरेश चंद्र समिति ने स्टाफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति की सिफारिश की।
CDS से संबंधित प्रावधान:
- CDS का वेतन और अतिरिक्त सुविधाएँ अन्य सेना प्रमुखों के बराबर होंगी।
- किसी सेना प्रमुख को CDS बनाए जाने पर आयु सीमा का नियम बाधा न बने इसलिये CDS अधिकतम 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकेंगे। वर्तमान में सेना प्रमुख अधिकतम 62 वर्ष या तीन वर्ष के कार्यकाल (दोनों में से जो पहले हो) तक अपने पद पर रह सकते हैं।
- केंद्र सरकार ने आयु की ऊपरी सीमा के निर्धारण के लिये सेना के नियम 1954; नौसेना (अनुशासन और विविध प्रावधान) विनियम, 1965; नौसेना समारोह, सेवा की शर्तें और विविध विनियम, 1963 तथा वायु सेना विनियम, 1964 में संशोधन किया है।
- CDS सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी सरकारी पद को धारण करने का पात्र नहीं होगा, साथ ही उसे सेवानिवृत्ति के 5 वर्षों बाद तक बिना पूर्व स्वीकृति के किसी भी निजी रोज़गार की अनुमति भी नहीं होगी।
- CDS रक्षा मंत्रालय के तहत नवगठित सैन्य मामलों के विभाग (Department of Military Affairs- DMA) के सचिव के रूप में कार्य करेगा। रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत चार विभाग पहले से ही कार्यरत हैं- रक्षा विभाग, रक्षा उत्पादन विभाग, भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग और DRDO।
CDS के कार्य:
- CDS सेना के तीनों अंगों के मामले में रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करेगा, लेकिन इसके साथ ही तीनों सेनाओं के अध्यक्ष रक्षा मंत्री को अपनी सेनाओं के संबंध में परामर्श देते रहेंगे।
- CDS रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता वाली रक्षा नियोजन समिति का सदस्य होगातथा परमाणु कमान प्राधिकरण के सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करेंगे।
- CDS एकीकृत क्षमता विकास योजना के पश्चात् आगे के कदम के रूप में पंचवर्षीय ‘ रक्षा से जुड़ी पूंजीगत अधिग्रहण योजना’ और दो वर्षीय सतत् वार्षिक अधिग्रहण योजनाओं को कार्यान्वित करेंगा।
- अपव्यय में कमी करके सशस्त्र बलों की लड़ाकू क्षमता बढ़ाने के लिये तीनों सेवाओं के कामकाज में सुधारों को लागू करेगा।
CDS के नेतृत्व में DMA निम्नलिखित कार्यों का नेतृत्व करेगा:
- संघ की सशस्त्र सेना अर्थात थल सेना, नौसेना और वायु सेना।
- रक्षा मंत्रालय के समन्वित मुख्यालय जिनमें थल सेना, नौसेना, वायु सेना के मुख्यालय शामिल हैं।
- चालू नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार पूंजीगत प्राप्तियों को छोड़कर सेवाओं के लिये विशिष्ट खरीद।
- एकीकृत संयुक्त योजनाओं और आवश्यकताओं के माध्यम से सैन्य सेवाओं की खरीद, प्रशिक्षण तथा स्टॉफ की नियुक्ति की प्रक्रिया हेतु समन्वय।
- सेनाओं द्वारा स्वदेश निर्मित उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देना।
आवश्यकता:
- कारगिल युद्ध के समय भारतीय सेनाओं के मध्य एकीकरण की समस्या सामने आई थी हालाँकिभारत वह युद्ध जीत गया। इस युद्ध की समीक्षा समिति ने भी एकीकरण की समस्या को रेखांकित किया था।
- तीनों सेनाओं के मध्य इस प्रकार का समन्वय वर्तमान समय के अनुकूल गतिशील सुरक्षा तथा प्रॉक्सी वार जैसी स्थितियों के मद्देनज़र महत्त्वपूर्ण है।
- वर्तमान में विभिन्न देशों के साथ भारत के सैन्य समझौते, सैन्य अभ्यास हो रहे हैं। इसे देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय सेनाओं के साथ बेहतर समन्वय से संबंधित निर्णय लेने में तीव्रता आएगी। भारत की भौगोलिक स्थिति अत्यधिक विविधता, वाली है इसके अतिरिक्त नए प्रकार के युद्धों जैसे- साइबर युद्ध आदि की स्थिति में भी सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित हो सकेगा।
- उच्च रक्षा प्रबंधन में सुधार से सशस्त्र बल समन्वित रक्षा सिद्धांतों एवं प्रक्रियाओं को लागू करने में समर्थ हो जाएंगे।
- इसके साथ ही यह तीनों सेवाओं के बीच एक साझा रणनीति के साथ एकीकृत सैन्य अभियान के संचालन को बढ़ावा देने में काफी मददगार साबित होगा।
- प्रशिक्षण, लॉजिस्टिक्स एवं परिचालनों के साथ-साथ खरीद को प्राथमिकता देने में संयुक्त रणनीति अपनाने के लिये समन्वित प्रयास करने से देश लाभान्वित होगा। CDS ’समान दर्जे वाले लोगों में प्रथम’ एकल सलाहकार के रूप में कार्य करेगा तथा अपने कार्यों एवं लिये गए निर्णयों के प्रति ज़िम्मेदार होगा। संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिये पुनर्निर्मित सैन्य आदेश अनावश्यक दोहराव एवं व्यर्थ व्यय से बचाव करेंगे।
चुनौतियाँ:
- राष्ट्र की रक्षा के लिये अधिदेश अभी भी रक्षा विभाग के पास है लेकिन पूंजी अधिग्रहण को छोड़कर खरीद प्रक्रिया CDS के पास है। इससे विरोधाभास उत्पन्न हो रहा है क्योंकि एक ओर CDS से तीनों सेवाओं के मध्य खर्च की प्राथमिकता निर्धारित करने की अपेक्षा की जाती है लेकिन किन मदों पर खर्च किया जाना है यह अभी भी रक्षा सचिवालय में निहित है।
- CDS के पास सैन्य नियोजन (सैन्य क्षमताओं के निर्माण और रखरखाव से जुड़ी योजना) का अधिकार है। अत: CDS की प्रारंभिक चुनौती होगी युद्धकला में मानव का कम-से-कम एवं तकनीक का अधिक से अधिक प्रयोग करना।
- भारत को अपनी सीमाओं पर अक्सर विवादों का सामना करना पड़ता है। इसे समझते हुए अपनी रणनीतियाँ तय करना भी CDS के सामने प्रमुख चुनौतियों में से एक होगी।
अभ्यास प्रश्न : चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति की प्रासंगिकता पर चर्चा करें।