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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत और फ्रांँस

  • 24 Aug 2019
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?

भारत के प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी फ्रांँस के दौरे पर हैं। दोनों देशों ने आतंकवाद की निंदा के साथ ही अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया पर भी चर्चा की। भारत और फ्रांँस के बीच आतंकवाद पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, राफेल विमान, भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिये चिकित्सा प्रशिक्षण सहायता, साइबर सुरक्षा और अफगानिस्तान सहित कई मुद्दों पर सहमति व्यक्त की गई।

समझौते के प्रमुख बिंदु:

आतंकवाद:

  • फ्रांँस ने आतंकवाद पर वैश्विक सम्मेलन आयोजित करने के भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया साथ ही दोनों देशों ने मेलबर्न में आतंकवाद के वित्तपोषण पर "नो मनी फॉर टेरर" के आयोजन हेतु संयुक्त राष्ट्र के देशों से समर्थन करने को भी कहा।
  • भारत और फ्रांँस ने दोनों देशों की नोडल एजेंसियों और जांँच एजेंसियों के बीच उत्कृष्ट सहयोग को आगे बढ़ाने के साथ ही परिचालन सहयोग बढ़ाने और कट्टरपंथ की ऑनलाइन घटनाओं से निपटने के लिये प्रयासों हेतु सहमति व्यक्त की। वर्ष 2018 में ही दोनों पक्ष ऑनलाइन कट्टरता पर सहयोग करने के लिये सहमत हुए थे।
  • भारत और फ्रांँस ने क्राइस्टचर्च कॉल टू एक्शन (Christchurch Call to Action) के कार्यान्वयन की पुष्टि की है।

क्राइस्टचर्च कॉल टू एक्शन (Christchurch Call to Action):

  • इस समझौते के तहत फ्राँस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जैकिंडा अर्डर्न द्वारा वैश्विक दस्तावेज़ पर पेरिस में हस्ताक्षर किये गए।
  • इस समझौते का उद्देश्य सोशल मीडिया पर चरमपंथी और हिंसक सामग्रियों को हटाना है।
  • इस सम्मलेन में ब्रिटेन, फ्राँस, कनाडा,आयरलैंड, सेनेगल, इंडोनेशिया,जोर्डन एवं यूरोपियन यूनियन के नेताओं के साथ ही बड़ी तकनीकी कंपनियाँ जैसे- ट्विटर . गूगल, माइक्रोसॉफ्ट आदि शामिल हुए थे। \
  • भारत की तरफ से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology) ने इसमें भाग लिया था।
  • इस दस्तावेज़ का मुख्य उद्देश्य क्राइस्टचर्च में हमलों के बाद सरकारों और ऑनलाइन सेवा प्रदाताओं की सामूहिक एवं स्वैच्छिक प्रतिबद्धताओं पर बल देते हुए इंटरनेट पर आतंकवादी और हिंसक चरमपंथी सामग्री के प्रसार को रोकना है।
  • भारत और फ्रांँस ने आतंकवाद के सभी रूपों, अभिव्यक्तियों और "सीमा पार से आतंकवाद" की निंदा की। दोनों देशों ने वर्ष 2018 की तरह ही सभी देशों से आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों और बुनियादी ढांँचे को खत्म करने, आतंकवादी नेटवर्क और उनके वित्तपोषण चैनलों को बाधित करने की सिफारिश भी की।
  • अलकायदा, ISIS, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयब्बा जैसे आतंकवादी संगठनों के सीमा पार प्रसार को रोकने हेतु दोनों देशों ने मिलकर काम करने का आह्वान किया है।
  • उपरोक्त आंतकवादी संगठनों के सहयोगियों द्वारा प्रभावित दक्षिण एशिया और साहिल क्षेत्र में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात कही गई।

रक्षा:

  • भारत और फ्रांँस के बीच राफेल लड़ाकू विमान के समझौते तहत सितंबर में भारत को राफेल लड़ाकू विमान मिलने की संभावना है।
  • भारत और फ्रांँस ने रक्षा क्षेत्र में दोनों के बीच संबंधों पर संतोष व्यक्त किया, साथ ही मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों में परस्पर सहयोग की भी बात कही।

परमाणु:

  • भारत में फ्रांँस के सहयोग से जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
  • दोनों देशों ने इस संयंत्र की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। महाराष्ट्र के जैतापुर में छह परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के निर्माण के लिये दोनों देशों के बीच वर्ष 2018 में औद्योगिक मार्ग वायदा समझौता (Industrial Way Forward Agreement) हुआ था।

अंतरिक्ष:

  • फ्रांँस के राष्ट्रपति मैक्रोन के वर्ष 2018 के भारत के दौरे के दौरान अंतरिक्ष सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों जैसे ग्रहों की खोज और मानव अंतरिक्ष यान संबंधी समझौता किया गया था।
  • फ्रांँस ने भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के चिकित्सा प्रशिक्षण सहायता हेतु सहमति व्यक्त की है जो वर्ष 2022 में भारत के मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन का हिस्सा होगा ।
  • भारत और फ्रांँस ने संयुक्त समुद्री डोमेन जागरूकता मिशन की प्राप्ति के लिये एक रूपरेखा की स्थापना हेतु कार्यान्वयन व्यवस्था पर हस्ताक्षर किये। यह हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की आक्रामक नीति पर नज़र रखेगा।

साइबर:

  • वर्ष 2018 के समझौते में साइबर क्षेत्र का कोई उल्लेख नहीं था लेकिन इस दौरे में दोनों देशों ने साइबर सुरक्षा और डिजिटल प्रौद्योगिकी रोडमैप पर द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार की बात कही।
  • दोनों देशों ने विशेष रूप से उच्च क्षमता की कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में आपसी सहयोग की संभावना पर बल दिया।

समुद्री समझौता:

  • भारत और फ्रांँस ने विशेष रूप से हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में नेविगेशन की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिये एक साझा प्रतिबद्धता व्यक्त की।
  • भारत और फ्रांँस द्वारा वर्ष 2018 में मैक्रॉन की यात्रा के दौरान अपनाए गए संयुक्त रणनीतिक विज़न के बाद हिंद महासागर क्षेत्र में भारत-फ्रांँस के बीच सहयोग में वृद्धि हुई है।
  • भारत और फ्रांँस ने गुरुग्राम में सूचना संलयन केंद्र - हिंद महासागर क्षेत्र ( Information Fusion Centre – Indian Ocean Region- IFC-IOR) में व्हाइट शिपिंग समझौते के कार्यान्वयन के लिये एक फ्रांँसीसी संपर्क अधिकारी की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की है।

आर्थिक पक्ष:

  • भारत और फ्रांँस ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने तथा आर्थिक संचालकों के लाभ के लिये बाजार पहुँच जैसे मुद्दों के समाधान को गति देने हेतु एक उपयुक्त रूपरेखा तय की।
  • फ्रांँस और भारतीय कंपनियों के लिये व्यापार और निवेश "चिंता के मुद्दों" को सुलझाने हेतु संयुक्त रूप से काम करने का निर्णय लिया गया है।
  • भारत और फ्रांँस ने संयुक्त रूप से सहमति व्यक्त की कि वे उच्च-स्तरीय आर्थिक और वित्तीय वार्ता को फिर से सक्रिय करेंगे।

अफगानिस्तान:

  • वर्ष 2018 के समझौते में अफगानिस्तान शांति पर कोई बातचीत नहीं की गई थी लेकिन इस बार के समझौते के तहत दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिये सक्रिय रूप से सहयोग करने का फैसला किया है, जिसमें क्षेत्रीय संकट भी शामिल हैं।
  • दोनों देशों ने अफगानिस्तान में एक समावेशी शांति और सुलह प्रक्रिया का समर्थन किया, जिसका नेतृत्व, स्वामित्व और नियंत्रण अफगानिस्तान द्वारा किया जाए।
  • अफगानिस्तान में संवैधानिक व्यवस्था, मानवाधिकार, विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण और एक स्थायी राजनीतिक समाधान की बात कही गई।
  • राष्ट्रपति के चुनाव को समय पर आयोजित करने का आह्वान किया गया, साथ ही आतंकवादी हिंसा की समाप्ति, अफगानिस्तान में स्थायी शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिये आतंकवादी संगठनो की समाप्ति की बात कही गई।

जम्मू-कश्मीर और अनुच्छेद 370:

  • भारत और फ्रांँस के बीच जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निलंबित करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के सरकार के कदम पर चर्चा की गई।
  • फ्रांँस ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि फ्रांँस ऐसी ही नीतियों का समर्थन करेगा जो इस क्षेत्र को स्थिरता प्रदान करे, साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि इस क्षेत्र में किसी को भी हिंसा की अनुमति नहीं मिलनी चाहिये।
  • फ्रांँस ने कहा कि यह भारत का एक संप्रभु मुद्दा है। कश्मीर के मुद्दे को भारत और पाकिस्तान के बीच ही सुलझाया जाना चाहिये, साथ ही इसमें किसी अन्य पक्ष को शामिल नहीं किया जाना चाहिये।
  • भारत और फ्रांँस के संबंध सर्वकालिक एवं सदाबहार रहे हैं, दोनों देशों के बीच संबंध के क्षेत्र में पर्याप्त विविधता और गहराई है। पहले के मधुर सामरिक संबंधों के साथ ही वर्तमान में भी दोनों देश जलवायु परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के मुद्दे पर एक-दूसरे को समर्थन प्रदान कर रहे हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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