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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 15 May, 2024
  • 33 min read
प्रारंभिक परीक्षा

हिम तेंदुआ

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा जम्मू-कश्मीर के चिनाब घाटी क्षेत्र के किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान (जो उच्च अक्षांश या हाई एल्टीट्यूड पर स्थित है) में हिम तेंदुओं से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण खोज की गई थी।

  • यह खोज भारत में हिम तेंदुए के संरक्षण हेतु महत्त्वपूर्ण है, जो इस शीर्ष शिकारी की कम ज्ञात आबादी को उजागर करती है।

क्यों महत्त्वपूर्ण है हिम तेंदुओं की उपस्थिति?

  • खोज का महत्त्व:
    • हिम तेंदुओं को एक शीर्ष शिकारी और उच्च पर्वतीय एशिया की प्रमुख प्रजाति के रूप में रेखांकित किया गया है।
    • वैश्विक हिम तेंदुए के 2% आवास स्थान के रूप में भारत की भूमिका इनके संरक्षण प्रयासों के महत्त्व पर ज़ोर देती है।
      • भारत में हिम तेंदुए की संख्या और बहुतायत के संबंध में कम ही जानकारी है।
    • भारत 718 हिम तेंदुओं का आवास स्थान है, जिनमें से अधिकांश ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जो कानूनी संरक्षण के अंतर्गत नहीं आते हैं।
      • पश्चिमी हिमालय में जनसंख्या सर्वेक्षण लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड तक सीमित कर दिया गया है।
  • निष्कर्ष:
    • हिम तेंदुए 3,004 से 3,878 मीटर तक की ऊँचाई पर पाए जाते हैं।
      • जहाँ अधिकतर वृक्षरेखा के ऊपर एक शुष्क अल्पाइन क्षेत्र होता है, जिसमें खड़ी चढ़ाई वाला तथा ऊबड़-खाबड़ भूभाग होता है, जिसके दोनों ओर ऊँची-ऊँची पहाड़ियों पर जूनिपर, घास तथा घुमावदार पहाड़ियों पर फलीदार पौधे होते हैंI 
    • कुछ जलग्रहण क्षेत्रों में विशेष रूप से पशुधन चराई से मानवजनित दबाव देखा गया, जिससे प्राकृतिक वास और शिकार की उपलब्धता पर संकट उत्पन्न हो गया।
      • इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष हो सकता है और हिम तेंदुए तथा उसके शिकार को उप-इष्टतम क्षेत्रों में ले जाया जा सकता है, जिससे उन्हें अन्य जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।

Snow Leopard

हिम तेंदुए की विशेषताएँ क्या हैं?

  • कुछ प्रमुख तथ्य: 
    • शारीरिक विशेषताएँ 
      • ऊँचाई: 55-65 सेमी (22-26 इंच)
      • लंबाई: 90-115 सेमी (36-44 इंच)
    • इसके बड़े पंजे प्राकृतिक बर्फ में जूतों की तरह काम करते हैं जो तेंदुए को बर्फ में धँसने से रोकते हैं। 
    • इसके गोल, छोटे कान ऊर्जा के ह्रास को कम करते हैं और चौड़ी, छोटी नासिका गुहा (nasal cavity) तेंदुए के फेफड़ों तक पहुँचने से पहले वायु को गर्म करती है।
    •  तेंदुए के अग्र अंग छोटे व मज़बूत तथा पश्च अंग लंबे होते हैं जो उसको एक बार में 30 फीट (10 मीटर) तक छलांग लगाने में सक्षम बनाते हैं।
    • इसकी अतिरिक्त लंबी पूँछ उनका शारीरिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती है और शरीर के चारों ओर लपेटे जाने पर अतिरिक्त ऊष्मा प्रदान करती है।
    • अन्य बड़ी बिल्लियों के विपरीत, हिम तेंदुए अपने गले की संरचना के कारण दहाड़ नहीं सकते हैं और इसके बजाय वे एक गैर-आक्रामक फुफकारने की ध्वनि निकालते हैं जिसे 'चफ' कहा जाता है।
    • हालाँकि इन्हें ‘हिम तेंदुआ' कहा जाता है, किंतु इसके गुण बड़ी बिल्ली तेंदुए की अपेक्षा बाघ से अधिक समानता रखते हैं।

किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान:

              जानकारी 

                विवरण

              अवस्थिति 

              किश्तवाड़ ज़िला, जम्मू और कश्मीर

                क्षेत्र

डोडा और रामबन के साथ चिनाब घाटी क्षेत्र का निर्माण

प्राकृतिक वास  

          हिम तेंदुए के संभावित निवास स्थान।

            जुड़ाव

यह हिमाचल प्रदेश के लघु हिमालय, लद्दाख के ट्रांस-हिमालय (ज़ास्कर के माध्यम से) तथा जम्मू और कश्मीर के वृहत हिमालय को आपस में जोड़ता है।

              महत्त्व 

हिमालयी और ट्रांस-हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुए की आबादी को वैश्विक हिम तेंदुए रेंज से जोड़ने वाले गलियारे के रूप में कार्य करता है, जिससे स्वस्थ आबादी के लिये जीन प्रवाह में सक्षम होता है। 

उच्च्वाच सीमा

ऊबड़-खाबड़ इलाके और चरम मौसम के कारण 4,300 मीटर से ऊपर संरक्षित क्षेत्र दुर्गम हैं।

अन्य जीव-जंतु

साइबेरियाई आइबेक्स, हिमालयी कस्तूरी मृग और भेड़ियों का आवास।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा नेशनल पार्क पूर्णतया शीतोष्ण अल्पाइन कटिबंध में स्थित है? (2019)

(a) मानस नेशनल पार्क
(b) नामदफा नेशनल पार्क
(c) नेओरा घाटी नेशनल पार्क
(d) फूलों की घाटी नेशनल पार्क

उत्तर: (d)


प्रारंभिक परीक्षा

भारत में ऑरोरा बोरियालिस

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ऑरोरा जो आमतौर पर उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव जैसे उच्च-अक्षांश क्षेत्रों में दिखाई देते हैं, विश्व भर में देखे गए, जिनमें वे क्षेत्र भी शामिल हैं जहाँ वे असामान्य होते हैं।

Aurora

ऑरोरा घटना क्या है?

  • परिचय:
    • ऑरोरा चमकदार और रंगीन प्रकाश है जो अंतरिक्ष में आवेशित सौर हवाओं एवं पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर के बीच सक्रिय संपर्क के कारण बनता है
    • वे तब घटित होते हैं जब सौर घटनाएँ आवेशित कणों को अंतरिक्ष में लेकर जाती हैं, जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में फँस जाते हैं और वायुमंडलीय परमाणुओं के साथ संपर्क करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अंततः भू-चुंबकीय तूफान के साथ ऑरोरा का निर्माण होता है।
      • सूर्य से लगातार बदलती प्राप्त ऊर्जा, पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल से अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ, तथा पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष में ग्रह एवं कणों की गति सभी मिलकर अलग-अलग ध्रुवीय गति के साथ इसके निर्माण  के लिये कार्य करते हैं।
    • उत्तरी गोलार्द्ध में इस घटना को उत्तरी प्रकाश (ऑरोरा बोरियालिस) कहा जाता है, जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में इसे दक्षिणी प्रकाश (ऑरोरा ऑस्ट्रेलिस) कहा जाता है।
  • संरचना एवं रंग:
    • ऑरोरा ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के गैसों और कणों से मिलकर बनती है।
    • इन कणों के वायुमंडल से टकराने से प्रकाश के रूप में ऊर्जा उत्सर्जित होती है।
    • ऑरोरा में दिखाई देने वाले रंग गैस के प्रकार और टकराव की ऊँचाई पर निर्भर करते हैं।
  • प्रभाव:
    • वे पृथ्वी पर ब्लैक-आउट(अँधेरा) कर सकते हैं, अंतरिक्ष में उपग्रहों को नष्ट कर सकते हैं तथा अंतरिक्ष यात्रियों के जीवन को खतरे में डाल सकते हैं, साथ ही पूरे सौर मंडल में अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित कर सकते हैं।

नोट: STEVE एक ऑरोरा जैसी घटना है जो चलती हरी "पिकेट-फेंस" संरचना के साथ एक विशिष्ट, बैंगनी रंग के चाप के रूप में दिखाई देती है। इसे सामान्य उत्तरी और दक्षिणी रोशनी की तुलना में निचले अक्षांशों से देखा जा सकता है।

भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storm):

  • भू-चुंबकीय तूफान का निर्माण करने वाली सौर पवनें [मुख्य रूप से मैग्नेटोस्फीयर में दक्षिण दिशा में प्रवाहित होने वाली सौर पवनें (पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा के विपरीत)] उच्च गति से काफी लंबी अवधि (कई घंटों तक) तक प्रवाहित होती हैं।
  • हर कुछ दशकों में एक बार तीव्र भू-चुंबकीय तूफान आना दुर्लभ है।
    • पिछली बार सूर्य द्वारा इस प्रकार आवेशित कण समान ऊर्जा और तीव्रता के साथ 2003 में पृथ्वी के संपर्क में आये थे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र हर कुछ सौ हज़ार सालों में उत्क्रमित हुआ है।
  2. पृथ्वी जब 4000 मिलियन वर्षों से भी अधिक पहले बनी, तो ऑक्सीजन 54% थी और कार्बन डाइऑक्साइड नहीं थी।
  3. जब जीवित जीव पैदा हुए, उन्होंने पृथ्वी के आरंभिक वायुमण्डल को बदल दिया।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a)    केवल 1   
(b)    केवल 2 और 3
(c)    केवल 1 और 3   
(d)    1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न. अंतरिक्ष में कई सौ कि० मी०/से० की गति से यात्रा कर रहे विद्युत्-आवेशी कण यदि पृथ्वी के धरातल पर पहुँच जाएँ, तो जीव-जंतुओं को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं। ये कण किस कारण से पृथ्वी के धरातल पर नहीं पहुँच पाते? (2012)

(a) पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति उन्हें ध्रुवों की ओर मोड़ देती है,
(b) पृथ्वी के इर्द-गिर्द की ओज़ोन परत उन्हें बाह्य अंतरिक्ष में परावर्तित कर देती है,
(c) वायुमण्डल की ऊपरी पर्तों में उपस्थित आर्द्रता उन्हें पृथ्वी के धरातल पर नहीं पहुँचने देती
(d) उपर्युक्त कथनों (a), (b) और (c) में से कोई भी सही नहीं हैं।

उत्तर: (a)


प्रारंभिक परीक्षा

भारत में झींगा पालन

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने अमेरिका स्थित मानवाधिकार समूह द्वारा भारत में झींगा फार्मों पर लगाए गए आरोपों का खंडन किया है। भारत ने कहा कि भारत का संपूर्ण झींगा निर्यात समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (MPEDA) द्वारा प्रमाणित है जिससे किसी प्रकार की चिंताओं की कोई गुंज़ाइश नहीं है।

भारत में झींगा पालन की स्थिति:

  • परिचय: झींगा क्रस्टेशियन (शेलफिश का एक रूप) है, जिसका शरीर अर्द्ध पारदर्शी होने के साथ चपटा होता है तथा उदर लचीला होने के साथ इसके पश्च भाग से संलग्न होता है।
    • उनके करीबी वंशज में केकड़े, क्रेफिश और झींगा मछली शामिल हैं। ये सभी महासागरों में उथले और गहरे जल में तथा मीठे जल की झीलों एवं झरनों में पाए जाते हैं।
  • झींगा पालन: झींगा पालन का आशय मानव उपभोग के लिये तालाबों या टैंकों जैसे नियंत्रित क्षेत्रों में झींगा पालन करना है।
    • इनके लिये 25-30°C (77-86°F) के मध्य उष्म तापमान वाला गर्म जल अनुकूल होता है।
    • इनके लिये चिकनी-दोमट या बलुई-मिट्टी अनुकूल होती है तथा 6.5 से 8.5 के बीच pH वाली कुछ क्षारीय मृदा इष्टतम होती है।
    • झींगा पालन के लिये मृदा में कम से कम 5% कैल्शियम कार्बोनेट होना बेहतर होता है।
  • भारत में झींगा पालन की स्थिति:
    • झींगा निर्यातक के रूप में भारत: भारत विश्व के सबसे बड़े झींगा निर्यातकों में से एक है।
      • वर्ष 2022-23 में भारत का समुद्री खाद्य निर्यात 8.09 बिलियन अमेरिकी डॉलर या ₹64,000 करोड़ था और इन निर्यातों में झींगा का योगदान 5.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
      • अमेरिकी बाज़ार में समुद्री खाद्य निर्यात के लिये वर्ष 2022-23 में भारत की हिस्सेदारी 40% थी, जो थाईलैंड, चीन, वियतनाम और इक्वाडोर जैसे प्रतिद्वंद्वियों से काफी अधिक थी।
    • झींगा उत्पादक राज्य: आंध्र प्रदेश भारत का सबसे बड़ा झींगा उत्पादक राज्य है, जो भारत के झींगा उत्पादन का 70% है।
      • पश्चिम बंगाल में सुंदरबन तथा गुजरात में कच्छ के प्रमुख उत्पादक के साथ पश्चिम बंगाल और गुजरात झींगा पालन में अन्य प्रमुख राज्य हैं।
    • विनियमन:
      • सभी झींगा इकाइयाँ समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (MPEDA) तथा भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण(FSSAI) के साथ पंजीकृत हैं।
      • वे अमेरिकी संघीय विनियम संहिता के अनुसार, HACCP (संकट विश्लेषण और गंभीर नियंत्रण बिंदु) आधारित खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली का पालन करते हैं।
      • वर्ष 2002 से जलीय कृषि में औषधीय किंतु हानिकारक पदार्थों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
      • इसके अलावा, राष्ट्रीय अवशेष नियंत्रण योजना, ELISA स्क्रीनिंग लैब, इन-हाउस लैब और पूर्व-निर्यात जाँच जैसे राष्ट्रीय नियम एवं निगरानी उपाय लागू हैं।

समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण(MPEDA) क्या है?

  • परिचय: यह भारत में समुद्री खाद्य उद्योग के समग्र विकास और इसकी निर्यात क्षमता की प्राप्ति के लिये एक नोडल एजेंसी है।
    • इसकी स्थापना 1972 में समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण अधिनियम (MPEDA), 1972 के तहत की गई थी।
    • यह केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
  • उद्देश्य: यह भारत में समुद्री खाद्य उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात के विकास की परिकल्पना करता है।
    • भारत सरकार MPEDA की सिफारिशों के आधार पर मछली पकड़ने वाले जहाज़ो, भंडारण परिसरों, प्रसंस्करण संयंत्रों और परिवहन के लिये नए मानकों की सिफारिश करती है।
  • कार्यप्रणाली: MPEDA निर्यातकों को नामांकित करता है, गुणवत्ता मानक निर्धारित करता है, निर्यात को बढ़ावा देने के लिये आयातकों के साथ संपर्क करता है तथा उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिये प्रासंगिक हितधारकों के लिये प्रशिक्षण, जागरूकता अभियान जैसे क्षमता निर्माण कार्यक्रम (Capacity-building programmes) आयोजित करता है।
  • मुख्यालय: कोच्चि, केरल

समुद्री खाद्य निर्यात से संबंधित सरकारी पहल क्या हैं?

  • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana- PMMSY): इस प्रमुख योजना के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण झींगा उत्पादन, प्रजातियों के विविधीकरण, निर्यात-उन्मुख प्रजातियों को बढ़ावा देने, ब्रांडिंग, मानकों और प्रमाणन, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण, मत्स्य पालन प्रबंधन और नियामक ढाँचे के निर्माण में सहायता प्रदान करने के लिये इसे 2020 में लॉन्च किया गया था।

  • मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष: वर्ष 2018 में शुरू किया गया, FIDF समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन दोनों में बुनियादी ढाँचे के साथ-साथ आधुनिकीकरण की अवश्यकताओं को पूरा करने हेतु ऋण प्रदान करता है।
  • किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) मत्स्य पालन योजना: यह मत्स्य पालन करने वाले किसानों को उनकी कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिये पर्याप्त और समय पर ऋण सहायता प्रदान करती है।
    • नए कार्डधारक ब्याज छूट के साथ 2 लाख रुपए तक का ऋण प्राप्त कर सकते हैं। 
    • वर्तमान KCC धारक 3 लाख रुपए की बढ़ी हुई ऋण सीमा का लाभ उठा सकते हैं।
    • KCC ऋण के लिये ऋण दर 7% है, जिसमें भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 2% ब्याज छूट भी शामिल है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत किसानों को निम्नलिखित में से किस उद्देश्य के लिये अल्पकालिक ऋण सुविधा प्रदान की जाती है? (2020)

  1. कृषि संपत्तियों के रखरखाव के लिये कार्यशील पूंजी 
  2. कंबाइन हार्वेस्टर, ट्रैक्टर और मिनी ट्रक की खरीद 
  3. खेतिहर परिवारों की उपभोग आवश्यकताएँ
  4. फसल के बाद का खर्च 
  5. पारिवारिक आवास का निर्माण एवं ग्राम कोल्ड स्टोरेज सुविधा की स्थापना

निम्नलिखित कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिये:

(a) केवल 1, 2 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. ‘नीली क्रांति’ को परिभाषित करते हुए भारत में मत्स्य पालन की समस्याओं और रणनीतियों को समझाइये। (2018)


प्रारंभिक परीक्षा

रेशम कपास पर संकट

स्रोत: द हिंदू

राजस्थान में आदिवासी धार्मिक परंपराओं, विशेषकर होलिका-दहन अनुष्ठानों में अत्यधिक उपयोग के कारण रेशम कपास के पेड़ (बॉम्बैक्स सीबा एल/Bombax ceiba L.) खतरे में हैं।

  • इसे सेमल या भारतीय कपोक वृक्ष या संस्कृत में शाल्मली भी कहा जाता है।
    • आदिवासी लोग होलिका में इस वृक्ष को जलाने के कार्य को एक पुण्य अनुष्ठान के रूप में देखते हैं।
    • वर्ष 2009 में उदयपुर ज़िले में होली के दौरान लगभग 1,500-2,000 पेड़ों काटकर आग लगा दी गई।
  • यह वृक्ष मुख्य रूप से नम पर्णपाती और अर्द्ध-सदाबहार जंगलों में मैदानी इलाकों में भी पाया जाता है।
    • भारत में वृक्षों की यह प्रजाति आमतौर पर अंडमान और निकोबार द्वीप, असम, बिहार, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश में मिलती है।
  • यह पेड़ उच्च औषधीय महत्त्व का है; इसकी जड़ों और फूलों का उपयोग इनके उत्तेजक, कसैले एवं हेमोस्टैटिक गुणों के लिये किया जाता है। इसका उपयोग कामोत्तेजक, दस्त को रोकने, दिल को मज़बूत करने, सूजन को कम करने, पेचिश का इलाज करने तथा बुखार दूर करने के लिये किया जाता है।
    • इसमें जीवाणुरोधी और एंटीवायरल गुण भी होते हैं, यह दर्द से राहत देता है, लीवर की रक्षा करता है, एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है तथा रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है।
    • इसका उपयोग कृषि वानिकी में पशुओं के चारे के लिये भी किया जाता है। जहाज़ निर्माण के लिये इसकी लकड़ी मज़बूत, लचीली और टिकाऊ होती है।
  • राजस्थान की कथोड़ी जनजाति ढोलक और तंबूरा जैसे संगीत वाद्ययंत्रों के लिये इस लकड़ी का उपयोग करती है तथा भील समुदाय द्वारा इसका उपयोग रसोई के चम्मच बनाने के लिये किया जाता है।

और पढ़ें: आदिवासी आजीविका की स्थिति (SAL) रिपोर्ट, 2022


रैपिड फायर

यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर

स्रोत: पी.आई.बी

हाल ही में रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन को 'यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर' में शामिल किया गया है।

  • आचार्य आनंदवर्धन, पं. विष्णु शर्मा और गोस्वामी तुलसीदास ने क्रमशः ‘सहृदयालोक-लोकन’, ‘पंचतंत्र’ तथा रामचरितमानस’ की रचना की।
  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (Indira Gandhi National Centre for the Arts- IGNCA) ने मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (MOWCAP) की 10वीं बैठक के दौरान इस ऐतिहासिक उपलब्धि को प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • यह पहली बार है जब IGNCA ने वर्ष 2008 में अपनी स्थापना के बाद से रीजनल रजिस्टर में अपना नामांकन दर्ज़ किया है।
  • मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड (MoW) कार्यक्रम महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ी विरासत के संरक्षण हेतु वर्ष 1992 में UNESCO द्वारा शुरू की गई एक वैश्विक पहल है।
  • एशिया प्रशांत क्षेत्र में मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (MOWCAP) नामक एक विशिष्ट शाखा की स्थापना वर्ष 1998 में की गई थी।
    • MOWCAP में 43 देश शामिल हैं, जो UNESCO के पाँच क्षेत्रीय कार्यक्रमों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं। 

और पढ़े: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र और संग्रहालय


रैपिड फायर

फिलिस्तीन की संयुक्त राष्ट्र में शामिल होने के संबंध में UNGA प्रस्ताव

स्रोत: द हिंदू 

संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly- UNGA) ने फिलिस्तीन को नए "अधिकार और विशेषाधिकार" देने वाले प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया तथा सुरक्षा परिषद (Security Council) से संयुक्त राष्ट्र का 194वाँ सदस्य बनने के उसके अनुरोध पर पुनर्विचार करने का आह्वान किया।

  • प्रस्ताव "निर्धारित" करता है कि फिलिस्तीन राज्य सदस्यता के लिये योग्य है और सुरक्षा परिषद को उसके अनुरोध पर "अनुकूल रूप से" पुनर्विचार करने की सिफारिश करता है।
    • प्रस्ताव फिलिस्तीन को सभी मुद्दों पर प्रस्तावित एजेंडा मदों (items) पर बोलने और संयुक्त राष्ट्र एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने का अधिकार देता है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से कहता है कि फिलिस्तीन को महासभा में वोट देने का अधिकार नहीं है।
  • भारत ने फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता की सिफारिश करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया।
    • अमेरिका के विरोध के बावज़ूद, प्रस्ताव के पक्ष में 143 वोट मिले, जो संयुक्त राष्ट्र के भीतर फिलिस्तीन की स्थिति के उन्नयन के लिये वैश्विक दबाव का संकेत है।
  • फिलिस्तीनी ने पहली बार 2011 में संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिये आवेदन दिया था, जो सुरक्षा परिषद में आवश्यक समर्थन प्राप्त करने में विफल रहा।
    • इसके बाद, महासभा ने 2012 में फिलिस्तीन की स्थिति को एक गैर-सदस्य पर्यवेक्षक राज्य में अपग्रेड कर दिया, जिससे अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भागीदारी की अनुमति मिल गई।
    • संयुक्त राष्ट्र में पूर्ण फिलिस्तीनी सदस्यता के लिये नए सिरे से दबाव तब आया है जब गाज़ा में युद्ध ने 75 साल से अधिक पुराने इज़रायली-फिलिस्तीनी संघर्ष पुनः उजागर कर दिया है।

और पढ़ें: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार


रैपिड फायर

IIBX में पहला TCM सदस्य बना SBI

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने घोषणा की है कि वह इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (IIBX) में ट्रेडिंग कम क्लियरिंग (TCM) सदस्य बनने वाला पहला बैंक बन गया है।

  • यह SBI की IFSC बैंकिंग इकाई (IBU) को IIBX प्लेटफॉर्म पर व्यापार करने में सक्षम बनाता है क्योंकि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने IBU को बुलियन एक्सचेंज के माध्यम से सोने के आयात के लिये विशेष श्रेणी के ग्राहकों (SCC) के रूप में IIBX में व्यापारिक सदस्यों और समाशोधन सदस्यों के रूप में कार्य करने की अनुमति दी है।
    • इस कदम से IIBX में सोने और चाँदी की ट्रेडिंग मात्रा बढ़ने के साथ ही भारत के बुलियन मार्केट में पारदर्शिता एवं दक्षता आने की संभावना है।
  • अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (International Financial Services Centers Authority- IFSCA) द्वारा विनियमित IIBX गिफ्ट-सिटी IFSC में स्थापित भारत का पहला बुलियन एक्सचेंज है।
    • बुलियन मार्केट वह होता है जहाँ व्यापारी सोने और चाँदी जैसी कीमती धातुओं का लेन-देन करते हैं, जिसमें क्रेताओं तथा विक्रेताओं के बीच एवं वायदा बाज़ार (नीलामी बाज़ार) में प्रत्यक्ष तौर पर आदान-प्रदान होता है।
      • चाँदी और सोने के बहुमुखी उपयोग, विशेष रूप से औद्योगिक अनुप्रयोगों में उनकी कीमतों को प्रभावित करते हैं। इसे मुद्रास्फीति के विरुद्ध एक सुरक्षित विकल्प तथा निवेश के लिये उपयुक्त माना जाता हैI 
  • TCM वह सदस्य है जो अपने स्वयं के खाते पर तथा अपने ग्राहकों की ओर से व्यापार कर सकता है, साथ ही स्वयं व अन्य व्यापारिक सदस्यों द्वारा निष्पादित ट्रेडों को समाशोधित करके उनका निपटान भी सकता है, जो अपनी समाशोधन सेवाओं का उपयोग करने का विकल्प चुनते हैं।

और पढ़ें: गिफ्ट-सिटी और बुलियन एक्सचेंज


रैपिड फायर

संयुक्त राष्ट्र निकाय ने NHRC की मान्यता का स्थगन

स्रोत: द हिंदू

जिनेवा में स्थित और संयुक्त राष्ट्र (UN) से संबद्ध ग्लोबल अलायंस ऑफ नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूशंस (GANHRI) ने लगातार दूसरे वर्ष भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की मान्यता को स्थगित कर दिया है।

  • यह निर्णय मानवाधिकार परिषद और कुछ UNGA निकायों में भारत के मतदान अधिकारों को प्रभावित कर सकता है।
  • GANHRI उन संस्थानों को A-स्टेटस देता है जो मानवाधिकारों की रक्षा में स्वतंत्रता और प्रभावशीलता के कुछ मानदंडों को पूरा करते हैं।
    • वर्ष 1999 में NHRI के लिये मान्यता प्रक्रिया की शुरुआत के बाद से NHRC को A-स्टेटस से मान्यता प्राप्त है, जिसे उसने वर्ष 2006, 2011 और 2017 में स्थगन के बाद भी बरकरार रखा।
      • हालाँकि, वर्ष 2023 और 2024 में भारत के NHRC को लगातार दो वर्षों के लिये A-स्टेटस निलंबित कर दिया गया था।
  • GANHRI की नवीनतम रिपोर्ट अभी भी प्रतीक्षित है। हालाँकि, इसकी पिछली रिपोर्ट (वर्ष 2023 की रिपोर्ट) में स्थगन की सिफारिश के लिये कई कारण बताए गए थे। इनमें शामिल हैं:
    • संरचना: NHRC में सदस्यों की नियुक्ति में पारदर्शिता का अभाव,
    • मानवाधिकार जाँच की निगरानी के लिये पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति
    • सदस्य पैनल में लिंग और अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व का अभाव
    • NHRC "सरकारी हस्तक्षेप से स्वतंत्र रूप से काम करने में सक्षम" होने के लिये आवश्यक स्थितियाँ बनाने में भी विफल रहा है।

और पढ़ें: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)


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