सामाजिक न्याय
SHG के माध्यम से महिला-सशक्तीकरण पर SBI का अध्ययन
- 18 Mar 2024
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:लखपति दीदी, स्वयं सहायता समूह, नाबार्ड, SHG-बैंक लिंकेज कार्यक्रम, डे- NRLM मेन्स के लिये:महिलाओं को सशक्त बनाने में SHG की भूमिका, SHG से संबंधित पहल |
स्रोत: स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने पर SBI का अध्ययन
चर्चा में क्यों?
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने हाल ही में भारत में स्वयं सहायता समूहों की उभरती गतिशीलता पर प्रकाश डालते हुए एक शोध अध्ययन का अनावरण किया।
- यह अध्ययन SHG, उनके सदस्यों और 'लखपति दीदी' के नाम से जाने जाने वाले उभरते समूह के बीच ऋण उपयोग एवं डिजिटल व्यवहार के पैटर्न पर प्रकाश डालता है।
अध्ययन के मुख्य तथ्य क्या हैं?
- SHG और लखपति दीदी का उदय:
- भारत में स्वयं सहायता समूह, जिनकी संख्या लगभग 8.5 मिलियन है और जिनमें लगभग 92.1 मिलियन सदस्य हैं, एक परिवर्तनकारी क्रांति का नेतृत्व कर रहे हैं।
- इस गति का एक उल्लेखनीय परिणाम लखपति दीदियों का बढ़ता अनुपात है।
- लखपति दीदी एक सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य SHG में महिलाओं को स्थायी आजीविका प्रथाओं के माध्यम से प्रति वर्ष कम-से-कम 1,00,000 रुपए कमाने के लिये सशक्त बनाना है।
- यह कार्यक्रम वर्ष 2023 में 2 करोड़ महिलाओं के प्रारंभिक लक्ष्य के साथ शुरू किया गया था, लेकिन सत्र 2024-25 में लक्ष्य को बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया गया है।
- यह गति सकल मूल्य वर्द्धन और आर्थिक उत्पादन में महिलाओं के बढ़ते योगदान को रेखांकित करता है।
- औपचारिकीकरण पहल के माध्यम से, औपचारिक क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी स्पष्ट है, जैसा कि बढ़ती महिला श्रम बल भागीदारी दर में परिलक्षित होता है।
- इस गति का एक उल्लेखनीय परिणाम लखपति दीदियों का बढ़ता अनुपात है।
- भारत में स्वयं सहायता समूह, जिनकी संख्या लगभग 8.5 मिलियन है और जिनमें लगभग 92.1 मिलियन सदस्य हैं, एक परिवर्तनकारी क्रांति का नेतृत्व कर रहे हैं।
- बैंक लिंकेज और क्रेडिट पहुँच:
- SHG बैंक लिंकेज प्रोग्राम, एक गेम-चेंजर के रूप में स्थापित हुआ है, जिसमें लगभग 97.5% SHG के अब बैंक खाते हैं।
- यह मज़बूत बैंकिंग संबंध समय पर ऋण पहुँच को सक्षम बनाता है, जो आर्थिक मूल्यवर्द्धन के लिये महत्त्वपूर्ण है। कम ब्याज दरों पर इष्टतम फंड के साथ, SHG बाधाओं पर नियंत्रण कर अपनी पूरी मार्केटिंग क्षमता का उपयोग करते हैं।
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का SHG पोर्टफोलियो अब लगभग 2 ट्रिलियन रुपए है।
- SHG बैंक लिंकेज प्रोग्राम, एक गेम-चेंजर के रूप में स्थापित हुआ है, जिसमें लगभग 97.5% SHG के अब बैंक खाते हैं।
- क्रेडिट उपयोग और पुनर्भुगतान:
- वित्त वर्ष 2019 की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में SHG को स्वीकृत औसत सीमा 2.2 गुना बढ़ा दी गई है।
- क्रेडिट पुनर्भुगतान में काफी सुधार हुआ है, वित्त वर्ष 2019 की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में औसत पुनर्भुगतान 3.9 गुना बढ़ गया है, जो विवेकपूर्ण और समय पर पुनर्भुगतान को दर्शाता है।
- डिजिटल समावेशन:
- बैंक मित्र और डिजिटल दीदी अभूतपूर्व पैमाने पर वित्तीयकरण को सक्षम कर रहे हैं।
- सरस मेला जैसी पहल सराहनीय हैं, लेकिन इन्हें ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शामिल करके इसे और बढ़ाया जा सकता है।
- सभी क्षेत्रों में आधार सक्षम भुगतान प्रणाली के माध्यम से व्यय FY23 से FY24 में कम-से-कम 3 गुना बढ़ गया।
- आय वृद्धि:
- FY19-FY24 के दौरान महिला SHG सदस्यों की आय तीन गुना हो गई है, शहरी सदस्यों की आय में 4.6 गुना वृद्धि देखी गई है।
- FY24 बनाम FY19 में लगभग 65% ग्रामीण SHG सदस्यों की सापेक्ष आय में वृद्धि हुई है।
- राज्यवार प्रगति:
- जबकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना SHG में अग्रणी हैं, तमिलनाडु, उत्तराखंड, केरल, पंजाब तथा गुजरात जैसे अन्य राज्यों ने भी महिला SHG आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
- FY27 तक भारत के प्रत्येक राज्य में लखपति दीदीयों की संख्या में वृद्धि होकर इनकी संख्या लाखों में होने की उम्मीद है।
- जबकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना SHG में अग्रणी हैं, तमिलनाडु, उत्तराखंड, केरल, पंजाब तथा गुजरात जैसे अन्य राज्यों ने भी महिला SHG आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
स्वयं सहायता समूह (SHG)
- स्वयं सहायता समूह (SHG) समान सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों के अनौपचारिक संघ हैं जिनका लक्ष्य निर्धनता, अशिक्षा और कौशल की कमी जैसे सामान्य मुद्दों का सामूहिक रूप से समाधान करना है।
- ये समूह हाशिये पर जीवन यापन करने वाले समुदायों के भीतर स्व-रोज़गार और निर्धनता उन्मूलन को बढ़ावा देते हुए स्व-शासन तथा सहकर्मी समर्थन को प्रोत्साहन देते हैं।
- भारत में SHG मॉडल प्रोफेसर यूनुस के ग्रामीण बैंक मॉडल से प्रेरित होकर वर्ष 1984 में प्रस्तुत किया गया था।
- केरल में कुदुंबश्री, महाराष्ट्र में महिला आर्थिक विकास महामंडल और लूम्स ऑफ लद्दाख सफल SHG के कुछ उदाहरण हैं।
SHG-बैंक लिंकेज प्रोग्राम (SHG-BLP)
- वर्ष 1989 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा शुरू किया गया SHG-BLP, वर्ष 1992 तक एक एक्शन रिसर्च से एक पायलट प्रोजेक्ट में बदल गया।
- भारतीय रिज़र्व बैंक और नाबार्ड के समर्थन से SHG, बैंकों तथा गैर सरकारी संगठनों के बीच इस सहयोगात्मक प्रयास का उद्देश्य वंचित गरीब परिवारों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करना है।
- समय के साथ यह विश्व की सबसे बड़ी माइक्रोफाइनेंस परियोजना बन गई है जो लगभग 16.19 करोड़ परिवारों, मुख्य रूप से महिला समूहों लाभान्वित कर समग्र देश में महिलाओं को सशक्त बनाता है।
- नाबार्ड के प्रयासों में नीति समर्थन, प्रशिक्षण कार्यक्रम और सभी हितधारकों के लिये क्षमता निर्माण शामिल हैं जो इस बचत-आधारित माइक्रोफाइनेंस मॉडल की सफलता में योगदान दे रहे हैं।
SHG के सम्मुख क्या चुनौतियाँ हैं?
- सीमित संसाधन:
- SHG साधारणतः सीमित वित्तीय संसाधनों के साथ कार्य करते हैं, जिससे परिचालन क्षमता में वृद्धि करने हेतु आवश्यक बुनियादी ढाँचे, विपणन और वितरण चैनलों में निवेश करना मुश्किल हो जाता है।
- गुणवत्ता नियंत्रण और मानकीकरण:
- विशेषकर सीमित संसाधनों और तकनीकी विशेषज्ञता के साथ छोटे पैमाने पर कार्य करते हुए उत्पादों अथवा सेवाओं की गुणवत्ता में निरंतरता तथा मानकीकरण सुनिश्चित करना SHG के लिये एक चुनौती हो सकती है।
- प्रौद्योगिकी तक पहुँच:
- डिजिटल प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स समाधान और स्वचालित उत्पादन प्रक्रियाओं जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकियों तक सीमित पहुँच, SHG की कुशलतापूर्वक स्केल करने तथा व्यापक बाज़ारों तक पहुँच की क्षमता में बाधा डाल सकती है।
- बाज़ार तक सीमित पहुँच:
- बाज़ार की जानकारी के अभाव, सीमित वितरण चैनल और स्थापित व्यवसायों से प्रतिस्पर्द्धा जैसे कारकों के कारण SHG अमूमन अपने स्थानीय समुदायों के अतिरिक्त व्यापक बाज़ार तक पहुँच प्राप्त करने में संघर्ष करते हैं।
- सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएँ:
- कुछ समुदायों में SHG को सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे- लैंगिक भेदभाव, परिवार के सदस्यों से समर्थन की कमी अथवा परिवर्तन का प्रतिरोध जो उनके विकास और स्वीकृति में बाधा बन सकता है।
SHG से संबंधित पहल क्या हैं?
- दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन: इसे ग्रामीण गरीब महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (SHG ) में संगठित करने के लिये मिशन मोड में लागू किया गया है।
- इसका उद्देश्य SHG की आय में वृद्धि और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने हेतु उन्हें सहायता प्रदान करना है।
- स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम और महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना इसकी उप-योजनाएँ हैं।
- SVEP का लक्ष्य गैर-कृषि क्षेत्रों में ग्रामीण स्तर पर उद्यम स्थापित करने में SHG सदस्यों की सहायता करना है।
- MKSP देशभर में लगभग 1.77 करोड़ महिला किसानों को कवर करते हुए कृषि में महिलाओं को सशक्त बनाता है।
- सूक्ष्म उद्यम विकास कार्यक्रम (MEDPs):
- नाबार्ड, वर्ष 2006 से परिपक्व SHG के लिये आवश्यकता-आधारित कौशल विकास कार्यक्रमों (MEDP) का समर्थन कर रहा है जिनके पास पहले से ही बैंकों से वित्त तक पहुँच है।
- MEDP एक ऑन-लोकेशन कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम है जो कौशल की कमी को पूरा करने अथवा SHG सदस्यों द्वारा पहले से अपनाई गई उत्पादन गतिविधियों के अनुकूलन को सुविधाजनक बनाने का प्रयास करता है।
- नाबार्ड, वर्ष 2006 से परिपक्व SHG के लिये आवश्यकता-आधारित कौशल विकास कार्यक्रमों (MEDP) का समर्थन कर रहा है जिनके पास पहले से ही बैंकों से वित्त तक पहुँच है।
- भारत के पिछड़े और वामपंथी उग्रवाद ज़िलों में महिला स्वयं सहायता समूहों (WSHGs) को बढ़ावा देने की योजना:
- इस योजना का लक्ष्य एंकर एजेंसियों की सहायता से स्थायी WSHG स्थापित करना, बैंकों के साथ क्रेडिट लिंकेज की सुविधा प्रदान करना, आजीविका के लिये सहायता प्रदान करने के साथ ऋण भुगतान सुनिश्चित करना भी है।
आगे की राह
- दूरदराज़ के क्षेत्रों और वंचित समुदायों तक एसएचजी-बीएलपी की पहुँच का विस्तार करना।
- क्रेडिट आवेदन प्रक्रियाओं को सरल बनाने के साथ ही SHG की विभिन्न आवश्यकताओं के अनुरूप वित्त प्रदान करना।
- SHG तथा बड़े निगमों, खुदरा शृंखलाओं एवं ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के बीच बाज़ार संपर्क को सुविधाजनक बनाना।
- प्रदर्शनियों, व्यापार मेलों एवं ऑनलाइन बाज़ारों में भागीदारी के माध्यम से SHG उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग को बढ़ावा देना।
- SHG गतिविधियों का समर्थन करने के लिये भंडारण सुविधाओं, परिवहन नेटवर्क एवं सामान्य उत्पादन केंद्रों जैसे बुनियादी ढाँचे के विकास में निवेश करना।
- स्वयं सहायता समूहों के समग्र विकास के लिये संसाधनों, विशेषज्ञता तथा नेटवर्क का लाभ उठाने हेतु सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ग्रामीण क्षेत्रीय निर्धनों के आजीविका विकल्पों को सुधारने का किस प्रकार प्रयास करता है? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. "वर्तमान समय में स्वयं सहायता समूहों का उद्भव राज्य के विकासात्मक गतिविधियों से धीमे परंतु निरंतर पीछे हटने का संकेत है"। विकासात्मक गतिविधियों में स्वयं सहायता समूहों की भूमिका का एवं भारत सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने के लिये किये गए उपायों का परीक्षण कीजिये। (2017) प्रश्न. आत्मनिर्भर समूह (एस.एच.जी.) बैंक अनुबंधन कार्यक्रम (एस.बी.एल.पी.), जो कि भारत का स्वयं का नवाचार है, निर्धनता न्यूनीकरण और महिला सशक्तीकरण कार्यक्रमों में एक सर्वाधिक प्रभावी कार्यक्रम साबित हुआ है। सविस्तार स्पष्ट कीजिये। (2015) |