भारतीय राजनीति
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद
- 14 Jul 2023
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद मेन्स के लिये:राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission- NHRC) की भूमिका और कार्य, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बालासोर ट्रेन हादसे को लेकर ओडिशा सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट की मांग की है।
- इसके साथ ही भारत ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पेश एक मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें पवित्र कुरान के अपमान के कृत्य की निंदा की गई।
- 'भेदभाव, शत्रुता या हिंसा को बढ़ावा देने वाली धार्मिक घृणा का मुकाबला” शीर्षक वाले मसौदा प्रस्ताव को बांग्लादेश, चीन, क्यूबा, मलेशिया, पाकिस्तान, कतर, यूक्रेन और संयुक्त अरब अमीरात सहित कई देशों से समर्थन प्राप्त हुआ है। यह प्रस्ताव धार्मिक घृणा के कृत्यों की निंदा पर बल देता है और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अनुसार, इस संदर्भ में जवाबदेही का आह्वान करता है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग:
- परिचय:
- यह व्यक्तियों के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान से संबंधित अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- भारतीय संविधान द्वारा गारंटीकृत अधिकार और भारतीय न्यायालयों द्वारा लागू किये जाने योग्य अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध।
- यह व्यक्तियों के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान से संबंधित अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- स्थापना:
- मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम (PHRA), 1993 के तहत 12 अक्तूबर, 1993 को स्थापित किया गया।
- मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2006 और मानवाधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019 द्वारा संशोधित किया गया।
- पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप स्थापित, मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा के लिये अपनाया गया।
- संघटन:
- आयोग में एक अध्यक्ष, पाँच पूर्णकालिक सदस्य और सात मानद सदस्य होते हैं।
- अध्यक्ष भारत का पूर्व मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश होता है।
- नियुक्ति और कार्यकाल:
- छह सदस्यीय समिति की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति की जाती है।
- समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा का उपाध्यक्ष, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता और केंद्रीय गृह मंत्री शामिल हैं।
- अध्यक्ष और सदस्य तीन वर्ष की अवधि के लिये या 70 वर्ष की आयु तक पद पर बने रहते हैं।
- छह सदस्यीय समिति की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति की जाती है।
- भूमिका और कार्य:
- न्यायिक कार्यवाही के साथ सिविल न्यायालय की शक्तियाँ रखता है।
- मानवाधिकार उल्लंघनों की जाँच हेतु केंद्र या राज्य सरकार के अधिकारियों या जाँच एजेंसियों की सेवाओं का उपयोग करने का अधिकार है।
- यह घटित होने के एक वर्ष के भीतर मामलों की जाँच कर सकता है।
- इसका कार्य मुख्यतः अनुशंसात्मक प्रकृति का होता है।
- सीमाएँ:
- आयोग कथित मानवाधिकार उल्लंघन की तारीख से एक वर्ष के पश्चात् किसी भी मामले की जाँच नहीं कर सकता है।
- सशस्त्र बलों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों में सीमित क्षेत्राधिकार।
- निजी पक्षों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों में कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद:
- परिचय:
- यह संयुक्त राष्ट्र का एक अंतर-सरकारी निकाय है जो विश्व भर में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिये ज़िम्मेदार है।
- इसे वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकार पर पूर्व संयुक्त राष्ट्र आयोग के स्थान पर स्थापित किया गया।
- मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
- सदस्यता:
- इसमें संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा चुने गए 47 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश शामिल हैं।
- विभिन्न क्षेत्रों को आवंटित सीटों के साथ समान भौगोलिक वितरण पर आधारित सदस्यता।
- सदस्य तीन वर्ष के कार्यकाल के लिये कार्य करते हैं और लगातार दो वर्ष के कार्यकाल के बाद तत्काल पुन: चुनाव के लिये पात्र नहीं होते हैं।
- प्रक्रियाएँ और तंत्र:
- संयुक्त राष्ट्र की सार्वभौमिक सामयिक समीक्षा (UPR) संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों में मानवाधिकार स्थितियों का आकलन करती है।
- सलाहकार समिति विषयगत मानवाधिकार मुद्दों पर विशेषज्ञता और सलाह प्रदान करती है।
- शिकायत प्रक्रिया व्यक्तियों और संगठनों के मानवाधिकार उल्लंघनों को परिषद के ध्यान में लाने की अनुमति देती है।
- संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रक्रियाएँ देशों में मानवाधिकार की स्थिति के विशिष्ट विषयगत मुद्दों की निगरानी और रिपोर्ट करती हैं।
- समस्याएँ:
- सदस्यता की संरचना चिंता उत्पन्न करती है, क्योंकि मानवाधिकारों के हनन के आरोपी कुछ देशों को इसमें शामिल किया गया है।
- इज़रायल जैसे कुछ देशों पर असंगत फोकस (Disproportionate Focus) की आलोचना की गई है।
- भारत की भागीदारी:
- वर्ष 2020 में भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूनिवर्सल पीरियोडिक रिव्यू (UPR) प्रक्रिया के तीसरे दौर के एक भाग के रूप में इसे प्रस्तुत किया।
- भारत को 1 जनवरी, 2019 से शुरू होने वाली तीन वर्ष की अवधि हेतु परिषद के लिये चुना गया था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. मौलिक अधिकारों के अलावा भारत के संविधान का निम्नलिखित में से कौन-सा भाग मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (1948) के सिद्धांतों और प्रावधानों को दर्शाता है या प्रतिबिंबित करता है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2011)
उपरोक्त में से कौन-सा/से "मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा" के अंतर्गत मानवाधिकार है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |