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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 14 Dec, 2023
  • 19 min read
प्रारंभिक परीक्षा

सैगा बारहसिंघा

स्रोत: डाउन टू अर्थ

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में हाल ही में सैगा बारहसिंघा (सैगा टैटरिका) की स्थिति को देखते हुए उन्हें गंभीर रूप से संकटग्रस्त से निकट संकटग्रस्त में पुनर्वर्गीकृत किया है।

  • यह महत्त्वपूर्ण अद्यतन सकारात्मक संरक्षण प्रयासों को दर्शाता है तथा सैगा बारहसिंघा प्रजाति के अस्तित्व के लिये एक आशावादी दृष्टिकोण प्रदान करता है।

सैगा बारहसिंघा से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय:
    • सैगा बारहसिंघा एक बड़ा, घुमंतू, प्रवासी शाकाहारी (शाकभक्षी) प्राणी है जो यूरेशिया के स्टेपीज़ में निवास करता है।
      • यह कज़ाकिस्तान, मंगोलिया, रूसी संघ, तुर्कमेनिस्तान एवं उज़्बेकिस्तान में पाया जाता है।
    • यह बोविडे (ऑर्डर आर्टियोडैक्टाइला) परिवार से संबंधित है।
    • सैगा की दो उप-प्रजातियाँ हैं: सैगा टाटारिका टाटरिका (अधिकांश रेंज (range) में पाई जाती हैं) और सैगा टाटरिका मोंगोलिका (केवल मंगोलिया में पाई जाती हैं)।
    • ये विशिष्ट आवास में कम उगने वाली वनस्पतियों से आच्छादित समतल खुले क्षेत्र होते हैं, जो जानवरों को तेज़ी से भागने की अनुमति देते हैं।
    • उनकी नाक असामान्य रूप से लटकती हुई होती है, जिससे वे ऊँट जैसे दिखते हैं, हालाँकि वे बकरी के आकार के होते हैं और नर सैगा में सींग होते हैं।

  • सैगा जनसंख्या में कमी:
    • सैगा, जो हिमयुग के बाद से पृथ्वी पर निवासरत है, को 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद एक दशक के भीतर अपनी आबादी में 95% से अधिक की कमी का सामना करना पड़ा।
    • यह कमी मुख्य रूप से इस प्रजाति के मांस और सींग के लिये अवैध शिकार के कारण थी। इसके सींग का उपयोग एक चीनी पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है।
    • 2015 में एक बड़ी महामारी के कारण 200,000 से अधिक जानवरों की मृत्यु हो गयी थी, जो प्रजातियों की आशाजनक पुनर्प्राप्ति के लिये एक बड़ी क्षति थी।
  • संरक्षण:
    • संरक्षण प्रयासों से सैगा बारहसिंघा की वैश्विक रेड लिस्ट स्थिति में सकारात्मक बदलाव आया है।
      • कज़ाकिस्तान ने प्रजातियों की पुनर्प्राप्ति, अवैध शिकार विरोधी पहलों को लागू करने, कानून प्रवर्तन उपायों तथा राज्य संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना में सराहनीय नेतृत्व दिखाया है।
      • वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर कन्वेंशन (CMS) ने सैगा बारहसिंघा के संरक्षण के लिये सरकारों और नागरिक समाज संगठनों के बीच सहयोग की सुविधा प्रदान की है।
      • सैगा बारहसिंघा की संख्या 1.9 मिलियन से अधिक हो गई है साथ ही इसकी मंगोलियाई उप-प्रजाति में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो वर्ष 2023 की गणना में 15,540 की संख्या तक पहुँच गई है।
  • वर्तमान चुनौतियाँ:
    • अवैध शिकार, अवैध व्यापार, बीमारी, जलवायु परिवर्तन, अशांति और बुनियादी ढाँचे का विकास लगातार इसके अस्तित्व के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न कर रहा है। 

प्रारंभिक परीक्षा

सत्य और सुलह आयोग

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने सर्वसम्मति से वर्ष 2019 में केंद्र द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखा एवं जम्मू और कश्मीर में राज्य तथा गैर-राज्य दोनों अभिनेताओं द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन को देखने के लिये एक सत्य और सुलह आयोग (TRC) स्थापित करने की भी सिफारिश की।

सत्य एवं सुलह आयोग (Truth and Reconciliation Commission- TRC) क्या है?

  • परिचय: 
    • सत्य और सुलह आयोग जिसे ‘सत्य और न्याय आयोग’ या ‘सत्य आयोग’ के रूप में भी जाना जाता है, यह एक सरकारी तंत्र है जो न केवल स्वीकार करता है, बल्कि सरकार या कभी-कभी गैर-राज्य अभिनेताओं द्वारा किये गए गलत कार्यों को भी प्रकट करता है।
  • उद्देश्य: 
    • सत्य आयोग वह है जो चल रही घटनाओं के बजाय अतीत पर केंद्रित है।
    • यह एक समयावधि में घटित घटनाओं के प्रतिरूप की जाँच करता है।
    • आयोग प्रत्यक्ष और व्यापक रूप से प्रभावित आबादी से जुड़ता है तथा उनके अनुभवों के बारे में जानकारी एकत्र करता है;
    • यह एक अस्थायी निकाय है, जिसका उद्देश्य अंतिम रिपोर्ट के साथ निष्कर्ष निकालना है।
    • आयोग समीक्षाधीन राज्य द्वारा आधिकारिक तौर पर अधिकृत या सशक्त है।

TRC की स्थापना करने वाले देश:

  • दो सबसे प्रसिद्ध और सबसे परिणामी आयोग दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में स्थापित माने जाते हैं।
  • भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका तथा नेपाल द्वारा सत्य आयोग स्थापित किये गए हैं।
  • दक्षिण अफ्रीका में वर्षों से चली आ रही रंगभेद की कुप्रथा के दौरान हुए मानवाधिकारों के उल्लंघन की सत्यता को उजागर करने के उद्देश्य से वर्ष 1995 में राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की सरकार द्वारा एक TRC की स्थापना की गई।

अनुच्छेद 370

  • भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता था, जो भारत, पाकिस्तान व चीन के बीच एक विवादित क्षेत्र है।
  • इसका प्रारूप भारत की संविधान सभा के सदस्य एन. गोपालस्वामी अयंगर द्वारा तैयार किया गया था तथा वर्ष 1949 में इसे ‘अस्थायी उपबंध’ के रूप में संविधान में शामिल किया गया था।
  • इसने राज्य को रक्षा, विदेशी मामलों एवं संचार के अतिरिक्त अधिकांश मामलों पर अपना संविधान, ध्वज व स्वायत्तता बनाए रखने की अनुमति दी।
  • यह विलय पत्र (इंस्‍ट्रूमेंट ऑफ एक्‍सेशन) की शर्तों पर आधारित था, जिस पर वर्ष 1947 में पाकिस्तान के आक्रमण के बाद भारत में शामिल होने के लिये जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह ने हस्ताक्षर किये थे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370, जिसके साथ हाशिया नोट “जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी उपबंध” लगा हुआ है, किस सीमा तक अस्थायी है? भारतीय राज-व्यवस्था के संदर्भ में इस उपबंध की भावी संभावनाओं पर चर्चा कीजिये। (2016)


प्रारंभिक परीक्षा

भारत में मानसिक स्वास्थ्य पहल

स्रोत: पी.आई.बी

हाल ही में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा देश में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने के उद्देश्य से की गई पहल पर प्रकाश डाला गया है।

प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य पहल क्या हैं?

  • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP):
    • NMHP, वर्ष 1982 में शुरू किया गया तथा वर्ष 2003 में पुनर्गठित किया गया कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं का आधुनिकीकरण करना एवं चिकित्सा संस्थानों में मनोरोग संबंधी विभागों को उन्नत करना है।
    • इसके अतिरिक्त वर्ष 1996 से ज़िला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (DMHP) ने 716 ज़िलों में सक्रिय प्राथमिक स्वास्थ्य स्तर पर सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान केंद्रित किया है।
      • DMHP, सामुदायिक स्वास्थ्य एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बाह्य रोगी सेवाएँ, परामर्श, मनो-सामाजिक हस्तक्षेप व गंभीर मानसिक विकारों के लिये सहायता प्रदान करता है।
    • संयुक्त रूप से वे भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के लिये एक व्यापक रणनीति बनाते हैं।
  • राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम:
    • देश में गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श एवं देखभाल सेवाओं तक पहुँच को और बेहतर बनाने के लिये NTMHP को अक्तूबर 2022 में लॉन्च किया गया था।
    • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS),बंगलुरु राष्ट्रीय स्तर पर भारत का सर्वोच्च केंद्र है, जो पूरे भारत में टेली मानस (Tele MANAS) की गतिविधियों का समन्वय करता है।
  • NIMHANS और iGOT-Diksha सहयोग:
    • NIMHANS, (iGOT)-Diksha प्लेटफॉर्म के माध्यम से मनो-सामाजिक सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करता है।
      • NIMHANS द्वारा (iGOT)-Diksha प्लेटफॉर्म पर स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं के लिये ऑनलाइन प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
  • आयुष्मान भारत– HWC योजना:
    • आयुष्मान भारत - स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (The Ayushman Bharat - Health and Wellness Centres - AB-HWCs) आयुष्मान भारत कार्यक्रम का हिस्सा हैं।
      • कार्यक्रम का उद्देश्य निवारक, प्रोत्साहन, उपचारात्मक, पुनर्वास और उपशामक देखभाल (एक विशेष चिकित्सा दृष्टिकोण जिसका उद्देश्य गंभीर बीमारियों वाले लोगों के लिये जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है) सहित सेवाओं की एक विस्तृत शृंखला प्रदान करना है।
    • आयुष्मान भारत के दायरे के तहत स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों (HWC) में मानसिक, तंत्रिका संबंधी और मादक द्रव्यों के सेवन संबंधी विकारों (MNS) पर परिचालन दिशानिर्देश जारी किये गए हैं।
  • महामारी-प्रेरित मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान:
    • सरकार ने विभिन्न वर्गों को मनोसामाजिक सहायता प्रदान करने वाली 24/7 हेल्पलाइन स्थापित की है।
      • विभिन्न सामाजिक समूहों के लिये दिशानिर्देश और सलाह जारी करके।
    • तनाव एवं चिंता को प्रबंधित करने के लिये विविध मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से वकालत और एक सहायतापूर्ण वातावरण को बढ़ावा देना।
  • मानसिक स्वास्थ्य संस्थाओं के लिये वित्तीय सहायता:

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 दिसंबर, 2023

तिहाड़ स्टोर

  • तिहाड़ जेल स्टोर ने कैदियों द्वारा तैयार किये गए उत्पादों की पेशकश करने वाले एक नए आउटलेट के साथ अपना परिचालन फिर से शुरू किया, जिसे पहले COVID-19 महामारी के कारण रोक दिया गया था।
    • इस पहल का उद्देश्य कैदियों के लिये पुनर्वास के अवसर प्रदान करना है, जिससे उन्हें बेहतर जीवन जीने का मौका मिले।
  • ये स्टोर कपड़े, कृत्रिम आभूषण, ब्रेड, बन, मोमबत्तियाँ, साबुन, टॉयलेट क्लीनर, फर्नीचर और कन्फेक्शनरी आइटम सहित विभिन्न प्रकार के उत्पाद प्रदान करते हैं।
  • जेल में कैदियों को दुकान चलाने देने से पहले उनके आचरण, स्वास्थ्य और जेल में बिताए समय की अवधि जैसे पिछले रिकॉर्ड को ध्यान में रखा जाएगा।
  • इस बिक्री से प्राप्त धनराशि राजकोष में जाएगी और प्रत्येक कैदी को स्वीकृत वेतन के अनुसार भुगतान किया जाएगा।

गोल्डफिश

गोल्डफिश, पालन की जाने वाली सबसे शुरुआती मछलियों में से एक है तथा कार्प परिवार की एक अपेक्षाकृत छोटी मछली है।

  • इसे वन में छोड़ने से इनका आकार विशाल हो सकता है, जिससे वे मूल समुद्री परिवेश के लिये आक्रामक व हानिकारक साबित हो सकते हैं, साथ ही सुनम्य पारिस्थितिकी तंत्र को हानि पहुँचा सकते हैं।
    • यह शैवाल, जलीय पादप, अंडे एवं अकशेरुकी जीवों सहित लगभग कुछ भी और सब कुछ भोजन के रूप में ग्रहण करने में सक्षम है।
    • वे जल के ताप की एक विस्तृत शृंखला का सामना कर सकते हैं तथा त्वरित यौन परिपक्वता प्राप्त कर एक मौसम में अनेक बार प्रजनन कर सकते हैं।
    • वन्य गोल्डफिश भी विनाशकारी होती हैं क्योंकि वे शैवाल का सेवन करके तथा इसके विकास को प्रोत्साहित करने वाले पोषक तत्त्वों को कम करके हानिकारक शैवाल के पनपने में योगदान देती हैं।

विक्षोभ

तरल पदार्थ के बहने/प्रवाहित होने जैसी दैनिक घटनाओं में प्रायः होने वाला विक्षोभ, पदार्थ के गठन का एक गहन स्तर है जिसे वैज्ञानिक अभी भी समझने का प्रयास कर रहे हैं।

    • विक्षोभ, तरल पदार्थ की एक जटिल गति है जो अव्यवस्थित उतार-चढ़ाव, अप्रत्याशित विविधताओं और भँवर जैसे चक्रीय, कुंडलीनुमा (Swirling) पैटर्न के गठन की विशेषता है।
    • द्रव जड़त्व (द्रव की गतिमान रहने की प्रवृत्ति) और श्यानता (गति-मंदन बल) के बीच संतुलन यह निर्धारित करता है कि प्रवाह, लेमिनार प्रवाह (सुव्यवस्थित) है या अशांत (अत्यधिक अस्थिर)
      • जब जड़त्व प्रभावी होती है तो विक्षोभ उत्पन्न होता है।
    • विक्षोभ के अनुप्रयोग:
      • मौसम संबंधी मॉडल में अधिक सटीक अल्पकालिक मौसम पूर्वानुमानों के लिये विक्षोभ अध्ययन लाभकारी है, जो आपदा तैयारियों के लिये आवश्यक है।
      • विक्षोभ का अध्ययन करने से पर्यावरण नीतियों को प्रभावित करने वाले वातावरण में प्रदूषकों के विक्षेपण का आकलन करने में मदद मिलती है।

    ऊर्जा दक्षता का जश्न: राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 2023

    ऊर्जा संरक्षण के महत्त्व का संदेश प्रचारित करने एवं ऊर्जा दक्षता तथा संरक्षण में राष्ट्र की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिये प्रति वर्ष 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है।

    • इस कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के तहत ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा ऊर्जा दक्षता और इसके संरक्षण को विनियमित करने तथा बढ़ावा देने के लिये किया जा रहा है जो कि ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 के अनुसार अधिदेशित है
    • वर्ष 2002 में स्थापित ऊर्जा दक्षता ब्यूरो, ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के नियामक और प्रचार कार्यों के साथ संरेखित होकर, नामित उपभोक्ताओं, नामित एजेंसियों तथा अन्य संगठनों के साथ समन्वय करता है एवं ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के तहत उसे सौंपे गए कार्यों को निष्‍पादित करने में विद्यमान संसाधनों व अवसंरचना को स्‍वीकार करता है, उसकी पहचान करता है और उनका उपयोग करता है।

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