प्रारंभिक परीक्षा
मोरक्को में भूकंप
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
8 सितंबर, 2023 की रात मोरक्को में आए भूकंप के कारण भीषण तबाही देखी गई, यह मोरक्को के इतिहास में अब तक का सबसे विनाशकारी भूकंप था। 6.8 तीव्रता वाले इस भूकंप का केंद्र एटलस पर्वत के अल-हौज़ क्षेत्र में था, यह क्षेत्र प्राचीन शहर मराकेश के निकट स्थित है।
- भूकंप की इस घटना के बाद 4.9 तीव्रता के साथ आए कई झटकों/आफ्टरशॉक्स के कारण इस क्षेत्र में स्थिति और अधिक चिंताजनक हो गई है।
मोरक्को में भूकंप का कारण:
- इस भूकंप का प्रमुख कारण एक जटिल प्लेट सीमा के साथ अफ्रीकी प्लेट और यूरेशियन प्लेट का अभिसरण है।
- इस भूकंप के भ्रंश तंत्र (Faulting Mechanism) को "ऑब्लिक-रिवर्स" के रूप में वर्गीकृत किया गया है, यह फाॅल्ट लाइन में गति को दर्शाता है जिसमें ऊपरी ब्लॉक ऊपर की उठता है और मोरक्कन हाई एटलस पर्वत शृंखला के निचले ब्लॉक से टकराता है।
- भ्रंश, शैल संरचनाओं में विभंजन/दरार (Fractures) हैं जो शैल खंडों (Rock Blocks) को एक-दूसरे के सापेक्ष स्थानांतरित करने में सक्षम बनाते हैं। भ्रंश की तीव्र गति के कारण भूकंप आ सकते हैं।
- भ्रंश/फाॅल्ट को उनके नति (Dip- सतह के संबंध में कोण) एवं सर्पण दिशा (Slip Direction) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
- नति-सर्पण भ्रंश (Dip-slip Faults) में सामान्य भ्रंश (ऊपरी ब्लॉक निचले ब्लॉक के नीचे चला जाता है) और व्युत्क्रम (ऊपरी ब्लॉक ऊपर और निचले ब्लॉक के ऊपर चला जाता है) शामिल हैं, व्युत्क्रम टेक्टोनिक संपीड़न के क्षेत्रों में आम हैं।
- नतिलंब सर्पण (Strike-slip faults) भ्रंश में भ्रंश तल के साथ क्षैतिज गति शामिल होती है।
- तिर्यक-सर्पण भ्रंश नति-सर्पण और नतिलंब सर्पण भ्रंश दोनों की विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं।
- यह भूकंप पृथ्वी की सतह के नीचे अपेक्षाकृत उथली गहराई पर आया, जो इसकी विनाशकारी क्षमता में एक योगदान कारक है।
- शैलो भूकंप पृथ्वी की सतह से निकटता के कारण अधिक खतरनाक होते हैं।
- वे गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक ऊर्जा छोड़ते हैं, जिससे वे संभावित रूप से अधिक विनाशकारी होते हैं।
- गहराई में आने वाले भूकंपों में ऊर्जा नष्ट हो जाती है क्योंकि भूकंपीय तरंगें अधिक दूरी तय करती हैं।
- शैलो भूकंप पृथ्वी की सतह से निकटता के कारण अधिक खतरनाक होते हैं।
मोरक्को के बारे में मुख्य तथ्य:
- मोरक्को पश्चिमी-उत्तरी अफ्रीका में जिब्राल्टर जलडमरूमध्य के उस पार स्पेन के ठीक सामने स्थित है।
- इसकी सीमाएँ पूर्व और दक्षिण-पूर्व में अल्जीरिया, दक्षिण में पश्चिमी सहारा से लगती हैं तथा यह पश्चिम में अटलांटिक महासागर एवं उत्तर में भूमध्य सागर से घिरा हुआ है।
- राजधानी शहर: रबात
- प्रमुख पर्वत शृंखलाएँ: एटलस और रिफ पर्वत।
- मोरक्को अफ्रीका और यूरेशिया की अभिसरण प्लेट पर स्थित है, जो पृथ्वी की भू-पर्पटी का निर्माण करने वाली दो प्रमुख विवर्तनिक प्लेटें हैं। इनमें लगातार कंपन हो रहा है और ये आपस में टकरा रही हैं जिससे पहाड़, ज्वालामुखी, भूकंप तथा अन्य भू-वैज्ञानिक स्थितियाँ उत्पन्न हो रही हैं।
- मोरक्को में एटलस पर्वत इन प्लेटों के बीच टकराव का परिणाम है, क्योंकि वे संपीड़न बलों द्वारा दबाए और ऊपर उठाए जाते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2013)
उपर्युक्त में से कौन-से पृथ्वी के पृष्ठ पर गतिक परिवर्तन लाने के लिये ज़िम्मेवार हैं? (a) केवल 1, 2, 3 और 4 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. क्या कारण है कि संसार का वलित पर्वत (फोल्डेड माउन्टेन) तंत्र महाद्वीपों के सीमांतों के साथ-साथ अवस्थित है? वलित पर्वतों के वैश्विक वितरण और भूकंपों एवं ज्वालामुखियों के बीच साहचर्य को उजागर कीजिये।(2014) प्रश्न. भूकंप से संबंधित संकटों के लिये भारत की भेद्यता की विवेचना कीजिये। पिछले तीन दशकों में भारत के विभिन्न भागों में भूकंप द्वारा उत्पन्न बड़ी आपदाओं के उदाहरण प्रमुख विशेषताओं के साथ दीजिये। (2021) |
प्रारंभिक परीक्षा
G-20 नेताओं को समृद्ध शिल्प से परिपूर्ण भारतीय उपहार
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिल्ली में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन 2023 ने विश्व के देशों के लिये हस्तनिर्मित उपहारों के क्यूरेटेड चयन के माध्यम से भारत की समृद्ध परंपराओं और सांस्कृतिक विविधता का अनुभव कराने हेतु एक मंच के रूप में कार्य किया।
- इन उपहारों में भारत की सांस्कृतिक और शिल्प विरासत को प्रदर्शित करने वाली विभिन्न क्षेत्रों की विभिन्न प्रकार की हस्तनिर्मित वस्तुएँ शामिल थीं।
देशों को दिये गए उपहार:
- संदूक (Chest):
- सभी उपहार की वस्तुओं को पीतल जड़ित संदूक (Chest) में कुशलतापूर्वक पैक किया गया था।
- यह संदूक शीशम (भारतीय शीशम) का उपयोग कर हाथ से बनाया गया था, जो टिकाऊ होता है और अपने विशिष्ट ग्रेन पैटर्न के लिये जाना जाता है।
- सुगंधित पाक वस्तुएँ:
- उपहार में जम्मू-कश्मीर के केसर का एक पैकेट भी शामिल था, जो अपने पाक और औषधीय गुणों के लिये विश्व के सबसे महँगे मसाले के रूप में प्रसिद्ध है।-
- शैंपेन ऑफ टी:
- भारत में पेको दार्जिलिंग (जिसे शैंपेन ऑफ टी भी कहा जाता है) और नीलगिरि चाय की खेती के रूप में चाय उत्पादन की लंबी परंपरा रही है, यह चाय उत्पादन के क्षेत्र में भारत की कृषि प्रणाली का आदर्श प्रतीक है।
- दार्जिलिंग चाय विश्व की सबसे मूल्यवान चाय है, जो पश्चिम बंगाल की धुंध भरी पहाड़ियों पर 3,000-5,000 फीट की ऊँचाई पर उगाई जाती है। यहाँ की मृदा की अनोखी विशिष्टता अत्यधिक सुगंध और स्फूर्तिदायक चाय के रूप में प्रतिबिंबित होती है।
- नीलगिरि चाय दक्षिण भारत की सबसे शानदार पर्वत शृंखला से आती है। 1,000-3,000 फीट की ऊँचाई पर पहाड़ों के हरे-भरे इलाके के बीच उगाई जाने वाली चाय अपेक्षाकृत हल्की होती है।
- भारत में पेको दार्जिलिंग (जिसे शैंपेन ऑफ टी भी कहा जाता है) और नीलगिरि चाय की खेती के रूप में चाय उत्पादन की लंबी परंपरा रही है, यह चाय उत्पादन के क्षेत्र में भारत की कृषि प्रणाली का आदर्श प्रतीक है।
- अराकू कॉफी:
- अराकू कॉफी विश्व की पहली टेरोइर-मैप्ड कॉफी है, जो आंध्र प्रदेश की अराकू घाटी में जैविक और सतत् वृक्षारोपण के माध्यम से उगाई जाती है।
- किसान छोटे खेतों में हाथ से कार्य करते हैं और मशीनों या रसायनों के उपयोग के बिना प्राकृतिक रूप से कॉफी उगाते हैं।
- सुंदरबन का पारंपरिक शहद:
- बंगाल की खाड़ी में स्थित विश्व के सबसे बड़े मैंग्रोव वन, सुंदरबन से पारंपरिक शहद संग्राहकों द्वारा एकत्रित किया गया एक विशेष शहद भी इसमें शामिल है।
- 100% प्राकृतिक और शुद्ध होने के साथ ही सुंदरबन से लाए गए शहद में फ्लेवोनोइड्स (कई फलों एवं सब्जियों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले विभिन्न यौगिक) की मात्रा भी अधिक होती है तथा यह बहुमूल्य स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
- कन्नौज का इत्र:
- उत्तर प्रदेश के कन्नौज के ज़िघ्राना इत्र ने उपहारों में एक संवेदी आयाम जोड़ते हुए उत्तम इत्र तैयार करने की भारत की सदियों पुरानी परंपरा को प्रदर्शित किया।
- कश्मीर के उत्कृष्ट शॉल:
- उपहार पैकेज में चांगथांगी बकरी के ऊन से निर्मित कश्मीरी पश्मीना शॉल भी शामिल था, यह बकरी समुद्र तल से 14,000 फीट की ऊँचाई वाले क्षेत्र में पाई जाती है।
- इस बकरी के अंडरकोट/रोम में कंघी करके (कतरकर नहीं) ऊन एकत्रित किया जाता है।
- खादी स्कार्फ:
- राजघाट की यात्रा के दौरान प्रत्येक नेता को व्यक्तिगत रूप से भेंट किया गया खादी दुपट्टे का अपना विशेष प्रतीकात्मक महत्त्व है।
- खादी, भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी उत्पत्ति और स्थायी फैशन के प्रतीक के रूप में विकसित होने के साथ उच्च गुणवत्ता एवं पर्यावरण के प्रति जागरूकता का प्रतीक है।
- स्मारक सिक्के और टिकट:
- जुलाई 2023 में भारत के प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम के उद्घाटन के दौरान भारत की G20 प्रेसीडेंसी की स्मृति में विशेष सिक्के और टिकट जारी किये।
- 'ये डिज़ाइन भारत के G20 लोगो और 'वसुधैव कुटुंबकम' की थीम से प्रेरित थे।
- G20 प्रेसीडेंसी के लोगो की भाँति G20 सम्मेलन में प्रस्तुत सुनहले डाक टिकटों में भी भारत के राष्ट्रीय फूल कमल को दर्शाया गया है।
प्रारंभिक परीक्षा
शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार 2022
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (NIScPR) के वन वीक वन लैब (OWOL) कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में CSIR ने वर्ष 2022 के लिये शांति स्वरूप भटनागर (SSB) पुरस्कारों के लिये विजेताओं की सूची की घोषणा की।
- SSB पुरस्कार 2022 के लिये किसी महिला वैज्ञानिक को नहीं चुना गया।
नोट:
- OWOL, CSIR का एक थीम-आधारित अभियान युवा नवप्रवर्तकों, छात्रों, स्टार्ट-अप, शिक्षाविदों और उद्योग को गहन तकनीकी उद्यमों के माध्यम से अवसरों की तलाश हेतु प्रेरित करने के लिये आयोजित किया जा रहा है।
- इस कार्यक्रम के तहत CSIR के विभिन्न संस्थान, प्रत्येक क्रमिक सप्ताह में एक के बाद एक भारत के व्यक्तियों के सामने अपने विशिष्ट नवाचारों और तकनीकी सफलताओं का प्रदर्शन करेंगे।
शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के विषय में मुख्य तथ्य:
- परिचय:
- शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भारत में सर्वोच्च बहुविषयक विज्ञान पुरस्कार हैं।
- इनका नाम CSIR के संस्थापक व निदेशक शांति स्वरूप भटनागर के नाम पर रखा गया है, जो एक प्रसिद्ध रसायनज्ञ और दूरदर्शी भी थे।
- उद्देश्य:
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उत्कृष्ट भारतीय कार्य की मान्यता।
- शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भारत में सर्वोच्च बहुविषयक विज्ञान पुरस्कार हैं।
- पुरस्कार की प्रकृति:
- SSB पुरस्कार, जिसमें प्रत्येक का मूल्य 5,00,000 रूपए है, (केवल पाँच लाख रुपए) है, निम्नलिखित विषयों में उत्कृष्ट कार्य और उत्कृष्ट अनुसंधान एवं अनुप्रयोग के लिये प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है: (i) जीव विज्ञान, (ii) रसायन विज्ञान, (iii) पृथ्वी, वायुमंडल, महासागर तथा ग्रह विज्ञान, (iv) अभियांत्रिकी विज्ञान, (v) गणितीय विज्ञान, (vi) चिकित्सा विज्ञान और (vii) भौतिक विज्ञान।
- पात्रता:
- भारत का कोई भी नागरिक जो पुरस्कार वर्ष से पहले वर्ष में 31 दिसंबर को 45 वर्ष की आयु तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में अनुसंधान में संलग्न हो।
- भारत के प्रवासी नागरिक (OCI) और भारत में काम करने वाले भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) भी पात्र हैं।
- इस पुरस्कार को पुरस्कार वर्ष से प्रारंभिक पाँच वर्षों के दौरान मुख्य रूप से भारत में किये गए कार्यों के माध्यम से दिये गए योगदान के आधार पर प्रदान किया जाता है।
- भारत का कोई भी नागरिक जो पुरस्कार वर्ष से पहले वर्ष में 31 दिसंबर को 45 वर्ष की आयु तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में अनुसंधान में संलग्न हो।
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR):
- CSIR भारत का सबसे बड़ा अनुसंधान और विकास (R&D) संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1942 में हुई थी, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- CSIR के पास 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 आउटरीच केंद्रों, 1 इनोवेशन कॉम्प्लेक्स और अखिल भारतीय उपस्थिति वाली तीन इकाइयों का एक गतिशील नेटवर्क है।
- CSIR को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित किया जाता है तथा यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के माध्यम से एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य करता है।
- CSIR की संगठनात्मक संरचना में अध्यक्ष के रूप में भारत का प्रधानमंत्री, उपाध्यक्ष के रूप में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, वित्त सचिव (व्यय) के साथ शासी निकाय का नेतृत्व करने वाले महानिदेशक शामिल हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार दिया जाता है? (2009)
उत्तर: C |
प्रारंभिक परीक्षा
निपाह वायरस
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारत के केरल राज्य में फिर से निपाह वायरस का प्रकोप देखा जा रहा है और इससे दो लोगों की मृत्यु हो गई है।
- यह वर्ष 2021 के बाद से भारत में निपाह वायरस का पहला प्रकोप है, जब कोविड-19 महामारी के दौरान कोझिकोड (Kozhikode) में एक मामला सामने आया था।
निपाह वायरस:
- परिचय:
- यह एक ज़ूनोटिक वायरस है (जानवरों से इंसानों में संचरित होता है)।
- निपाह वायरस इंसेफेलाइटिस के लिये उत्तरदायी जीव पैरामाइक्सोविरिडे श्रेणी तथा हेनिपावायरस जीनस/वंश का एक RNA अथवा राइबोन्यूक्लिक एसिड वायरस है तथा हेंड्रा वायरस से निकटता से संबंधित है।
- हेंड्रा वायरस (HeV) संक्रमण एक दुर्लभ उभरता हुआ ज़ूनोसिस है जो संक्रमित घोड़ों और मनुष्यों दोनों में गंभीर तथा अक्सर घातक बीमारी का कारण बनता है।
- यह पहली बार वर्ष 1998 और 1999 में मलेशिया तथा सिंगापुर में पाया गया था।
- इस बीमारी का नाम मलेशिया के एक गाँव सुंगई निपाह के नाम पर रखा गया है, जहाँ सबसे पहले इसका पता चला था।
- यह पहली बार घरेलू सुअरों में देखा गया और कुत्तों, बिल्लियों, बकरियों, घोड़ों तथा भेड़ों सहित घरेलू जानवरों की कई प्रजातियों में पाया गया।
- संक्रमण:
- यह रोग पटरोपस जीनस के ‘फ्रूट बैट’ अथवा 'फ्लाइंग फॉक्स' के माध्यम से फैलता है, जो निपाह और हेंड्रा वायरस के प्राकृतिक स्रोत हैं।
- यह वायरस चमगादड़ के मूत्र और संभावित रूप से चमगादड़ के मल, लार व जन्म के समय तरल पदार्थों में मौजूद होता है।
- लक्षण:
- मानव संक्रमण में बुखार, सिरदर्द, उनींदापन, भटकाव, मानसिक भ्रम, कोमा और संभावित मृत्यु आदि इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम सामने आते हैं।
- रोकथाम:
- वर्तमान में मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिये कोई टीका उपलब्ध नहीं है। निपाह वायरस से संक्रमित मनुष्यों की गहन देखभाल की आवश्यकता होती है।
प्रारंभिक परीक्षा
पिकोफ्लेयर जेट्स
स्रोत: द हिंदू
सोलर ऑर्बिटर ने हाल ही में सूर्य की चरम पराबैंगनी छवियों को कैप्चर किया है, जिससे कोरोनल होल के भीतर "पिकोफ्लेयर" जेट के रूप में कई छोटे पैमाने के जेट दिखाई देते हैं, जिससे सौर पवन को शक्ति देने और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने में उनकी भूमिका पर सवाल उठे हैं।
सोलर ऑर्बिटर:
- सोलर ऑर्बिटर यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और नासा (NASA) के बीच एक सहयोगी मिशन है जिसका उद्देश्य सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र, ऊर्जावान कणों और गति के दौरान परिवर्तित होने से पूर्व अपनी मूल अवस्था में पाए जाने वाले प्लाज़्मा का अन्वेषण करना है।
- यह मिशन फरवरी 2020 में लॉन्च किया गया था।
पिकोफ्लेयर जेट:
- पिकोफ्लेयर जेट सूर्य में होने वाली छोटे पैमाने की घटनाएँ हैं जो एक न्यून अवधि में वृहत मात्रा में ऊर्जा मुक्त करती हैं और आमतौर पर केवल कुछ दर्जन सेकंड तक होती हैं।
- इन जेटों को पिको नाम दिया गया है क्योंकि इनमें सूर्य द्वारा उत्पन्न सबसे बड़ी ज्वालाओं से लगभग एक ट्रिलियनवाँ भाग जितनी ऊर्जा होती है।
- 'पिको' परिमाण का एक क्रम है जो 1012 या 1 इकाई के एक ट्रिलियनवें भाग को दर्शाता है।
- इन जेटों को पिको नाम दिया गया है क्योंकि इनमें सूर्य द्वारा उत्पन्न सबसे बड़ी ज्वालाओं से लगभग एक ट्रिलियनवाँ भाग जितनी ऊर्जा होती है।
- सूर्य के कोरोनल छिद्रों में इन जेटों के निर्माण के लिये ज़िम्मेदार घटना संभवतः चुंबकीय पुनर्संयोजन (Magnetic Reconnection) है।
- चुंबकीय पुनर्संयोजन में चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं का विखंडन और पुनर्संयोजन होता है, जिसमें संग्रहीत ऊर्जा की पर्याप्त मात्रा मुक्त होती है।
सौर पवन:
- सौर पवन सूर्य के कोरोना (सबसे बाहरी वातावरण) से प्लाज़्मा (आवेशित कणों का एक संग्रह) के बाहरी विस्तार से निर्मित होती है।
- यह प्लाज़्मा निरंतर इस हद तक गर्म होता है कि सूर्य का गुरुत्वाकर्षण इसे रोक नहीं पाता। इसके बाद यह सूर्य की चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के साथ यात्रा करता है जो रेडियल रूप से बाहर की ओर बढ़ता है।
- जैसे ही सूर्य घूमता है (प्रत्येक 27 दिनों में एक बार) यह अपने ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर अपनी चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं को एक बड़े घूर्णन सर्पिल आकृति में बदल देता है, जिससे "पवन" की एक निरंतर धारा बनती है।
- ये पवनें जिन्हें "स्ट्रीमर" के रूप में जाना जाता है, सूर्य की सतह पर "कोरोनल होल" नामक क्षेत्रों से उत्पन्न होती हैं, जो कि कोरोना में चमकीले पैच हैं।
- जैसे ही सौर पवन सूर्य से दूर जाती है, यह उसके चारों ओर एक विशाल क्षेत्र बनाती है जिसे " हेलीओस्फीयर" कहा जाता है। यह बुलबुला हमारे सौर मंडल के अधिकांश ग्रहों की कक्षाओं से काफी आगे तक फैला हुआ है।
नोट: जब सौर पवन पृथ्वी पर पहुँचती है, तो यह हमारे ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र से विक्षेपित हो जाती है, जिससे इसके अधिकांश ऊर्जावान कण हमारे चारों ओर बहते हैं तथा हमारे पास से गुज़रते हैं। यह सुरक्षात्मक क्षेत्र जहाँ सौर पवन अवरुद्ध होती है, उसे "मैग्नेटोस्फीयर" कहा जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्नप्रश्न: यदि कोई मुख्य सौर तूफान (सौर प्रज्वाल) पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पृथ्वी पर निम्नलिखित में से कौन-से संभव प्रभाव होंगे?(2022)
नीचे दिये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 4 और 5 उत्तर: (c) |
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 सितंबर, 2023
अल्ज़ाइमर रोग से निपटने के लिये प्राकृतिक पॉलीफेनॉल्स
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के एक स्वायत्त संस्थान, जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR) के शोधकर्ताओं ने जानकारी दी है कि प्राकृतिक रूप से मौजूद पादप-आधारित पॉलीफेनॉल्स (एंटीऑक्सीडेंट गुणों वाले लाभकारी पादप यौगिक) जैसे- चेस्टनट और ओक टहनियों में पाए जाने वाले टैनिक एसिड से अल्ज़ाइमर रोग (AD) से निपटने की दिशा में एक सुरक्षित एवं लागत प्रभावी रणनीति के साथ फेरोप्टोसिस- AD एक्सिस पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
- एडी एक प्रोग्रेसिव न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है जो स्मृति और संज्ञानात्मक ह्रास को दर्शाता है।
- फेरोप्टोसिस एक प्रकार की क्रमादेशित कोशिका मृत्यु है जो शरीर में मौजूद आयरन तत्त्व पर निर्भर होती है और AD के विकास से जुड़ी होती है।
- AD फेरोप्टोसिस की विशेषताओं से संबद्ध है, जिसमें असामान्य लौह तत्त्वों के निर्माण और एंटीऑक्सीडेंट एंज़ाइम ग्लूटाथियोन पेरोक्सीडेज़ 4 (GPX4) की कम गतिविधि शामिल है।
- टैनिक एसिड GPX4 को सक्रिय कर बढ़ाता है, जो AD से निपटने के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण पेश करता है।
और पढ़ें… अल्ज़ाइमर रोग
महामारी से बचाव की तैयारी के लिये भारत और WOAH के बीच सहयोग
- हाल ही में पशुपालन और डेयरी विभाग ने विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) के साथ साझेदारी में हैदराबाद में एक बहु-क्षेत्रीय कार्यशाला "भारत में वन्यजीवों में स्पिलओवर घटनाओं का जोखिम-आधारित प्रबंधन" का आयोजन किया।
- कार्यशाला का उद्देश्य वन्यजीव-उत्पत्ति रोग जोखिम विश्लेषण के बारे में हितधारकों के ज्ञान को बढ़ाना है।
- इन चर्चाओं में "वन हेल्थ" दृष्टिकोण, अंतर-क्षेत्रीय सहयोग और महामारी संबंधी तैयारियों के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया।
- "वन हेल्थ" दृष्टिकोण वन्यजीवों, घरेलू पशुओं और मानव के स्वास्थ्य के बीच अंतर्संबंध को देखते हुए स्थायी भविष्य के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- WOAH एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1924 में विश्व के जीवों के स्वास्थ्य में सुधार के लिये की गई थी।
- WOAH का उद्देश्य एपिज़ूटिक रोगों के प्रसार को नियंत्रित करना और रोकना है।
- WOAH में 182 सदस्य देश हैं, जिनमें सभी EU सदस्य देश शामिल हैं।
- WOAH का मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में है और क्षेत्रीय आयोग विश्व के प्रत्येक क्षेत्र में बनाए गए हैं।
और पढ़ें… "वन हेल्थ" दृष्टिकोण
ऑपरेशन पोलो
13 सितंबर, 1948 को हैदराबाद रियासत को एकीकृत करने के लिये भारत द्वारा सैन्य कार्रवाई शुरू की गई, जिसे "ऑपरेशन पोलो" के नाम से जाना जाता है, यह भारतीय इतिहास की एक महत्त्वपूर्ण घटना थी।
- हैदराबाद का निज़ाम, मीर उस्मान अली शाह कश्मीर संघर्ष में भारत सरकार की व्यस्तता का लाभ उठाते हुए आज़ादी के बाद भारत या पाकिस्तान में शामिल होने से हिचकिचा रहा था।
- नवंबर 1947 में हस्ताक्षरित एक स्टैंडस्टिल समझौते ने हैदराबाद और भारत के बीच एक वर्ष के लिये यथास्थिति बनाए रखी, जिससे निज़ाम को स्वतंत्र रूप से शासन जारी रखने की अनुमति मिली।
- हालाँकि बढ़ते तनाव, सीमा पार छापे और एक स्वतंत्र राज्य स्थापित करने के उसके इरादों ने भारत को कार्रवाई करने के लिये प्रेरित किया।
- इस ऑपरेशन के दौरान कई दिशाओं से सुनियोजित सैन्य आक्रमण के परिणामस्वरूप अंततः हैदराबाद राज्य की सेना को आत्मसमर्पण करना पड़ा।
- सरदार वल्लभभाई पटेल की निगरानी में चलाया गया यह महत्त्वपूर्ण अभियान 17 सितंबर, 1948 को युद्धविराम की घोषणा के साथ समाप्त हुआ, जिससे 18 सितंबर, 1948 तक हैदराबाद प्रभावी रूप से भारतीय नियंत्रण में आ गया।
और पढ़ें…हैदराबाद मुक्ति दिवस
हिंदी दिवस
प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाने वाला हिंदी दिवस ऐतिहासिक रूप से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत द्वारा हिंदी को आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाने की स्मृति को चिह्नित करता है।
- इसकी पृष्ठभूमि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रारंभिक दिनों में देखी जा सकती है, जब प्रतिबद्ध हिंदी विद्वानों तथा कार्यकर्ताओं के एक समूह ने हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिये वर्ष 1918 में हिंदी साहित्य सम्मेलन (Hindi Literary Conference) का गठन किया था।
- इसमें निर्णायक मोड़ 14 सितंबर, 1949 को आया, जब भारत की संविधान सभा ने आधिकारिक तौर पर हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया तथा इसकी परिकल्पना भारत के विविध भाषायी एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों के मध्य एक सेतु के रूप में की गई थी।
- वर्तमान में केंद्र सरकार की दो आधिकारिक भाषाओं में हिंदी के साथ अंग्रेज़ी भाषा शामिल है और यह भारत की 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है।
- विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है। यह प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन की वर्षगाँठ की स्मृति में मनाया जाता है, जो 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।