प्रिलिम्स फैक्ट: 14 सितंबर, 2021
- सारागढ़ी का युद्ध
- पीलीभीत टाइगर रिज़र्व: उत्तर प्रदेश
- मोबाइल एक्स-रे कंटेनर स्कैनिंग सिस्टम: पारादीप पोर्ट
सारागढ़ी का युद्ध
Battle of Saragarhi
हाल ही में 12 सितंबर को सारागढ़ी के युद्ध की 124वीं वर्षगाँठ थी।
प्रमुख बिंदु
- सारागढ़ी के युद्ध को दुनिया के सैन्य इतिहास में सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड में से एक माना जाता है।
- सारागढ़ी फोर्ट लॉकहार्ट और फोर्ट गुलिस्तान के बीच संचार टावर था। बीहड़ उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत (NWFP) में दो किले, जो अब पाकिस्तान में हैं, महाराजा रणजीत सिंह द्वारा बनाए गए थे, लेकिन अंग्रेज़ों ने उनका नाम बदल दिया।
- सारागढ़ी ने उन दो महत्त्वपूर्ण किलों को जोड़ने में मदद की जहाँ NWFP के बीहड़ इलाके में बड़ी संख्या में ब्रिटिश सैनिक रहते थे।
- यहाँ 21 सैनिकों ने 8,000 से अधिक अफरीदी और ओरकजई आदिवासियों के खिलाफ मोर्चा संभाला था, लेकिन उन्होंने सात घंटे तक किले पर कब्ज़ा नहीं करने दिया।
- हालाँकि सारागढ़ी में आमतौर पर 40 सैनिकों की एक पल्टन (Platoon) होती थी।
- उस दिन यहाँ पर 36वीं सिख रेजिमेंट (भारतीय सेना में अब चौथे सिख) के केवल 21 सैनिकों और एक गैर-लड़ाकू पश्तून ‘दाद’ द्वारा यह युद्ध लड़ा गया, जबकि पश्तून सेना में असैन्य कार्य किया करते थे।
- हालाँकि 36वें सिख के हवलदार ईशर सिंह के नेतृत्व में इन सिख सैनिकों ने विद्रोहियों की भारी सेना के खिलाफ अंतिम साँस तक लड़ाई लड़ी, जिसमें 200 जनजातीय लोगों की मौत हो गई और 600 घायल हो गए।
- वर्ष 2017 में पंजाब सरकार ने सारागढ़ी दिवस पर 12 सितंबर को अवकाश की घोषणा की।
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व: उत्तर प्रदेश
Pilibhit Tiger Reserve: Uttar Pradesh
हाल ही में शुक्लाफांटा राष्ट्रीय उद्यान (Shuklaphanta National Park) से हाथियों का एक झुंड पीलीभीत टाइगर रिज़र्व (उत्तर प्रदेश) पहुँचा और किसानों की फसलों को नुकसान पहुँचाया।
- शुक्लाफांटा राष्ट्रीय उद्यान सुदूर पश्चिमी क्षेत्र, नेपाल के तराई में एक संरक्षित क्षेत्र है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- यह टाइगर रिज़र्व उत्तर प्रदेश के तीन ज़िलों यथा- पीलीभीत, लखीमपुर खीरी और बहराइच में अवस्थित है।
- इसे वर्ष 2014 में टाइगर रिज़र्व के रूप में नामित किया गया था और यह भारत की 45वीं टाइगर रिज़र्व परियोजना थी।
- वर्ष 2020 में इसने बीते चार वर्षों (2014-18) में बाघों की संख्या को दोगुना करने के लिये TX2 अवार्ड भी जीता।
- यह ऊपरी गंगा के मैदान में ‘तराई आर्क लैंडस्केप’ के हिस्से का निर्माण करता है। रिज़र्व का उत्तरी छोर भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित है, जबकि दक्षिणी सीमा शारदा और खकरा नदी तक विस्तृत है।
- कॉरिडोर लिंकेज:
- राज्य के भीतर और बाहर कई बाघ आवासों के साथ संबंध होने के कारण पीलीभीत बाघों के लिये एक महत्त्वपूर्ण निवास स्थान है। इसका उपयोग बाघ और अन्य जंगली जानवरों के आवास के रूप में किया जता है।
- महत्त्वपूर्ण लिंकेज हैं:
- वनस्पति और प्राणीजगत:
- यहाँ 127 से अधिक जंगली जानवर, 326 पक्षी प्रजातियाँ और 2,100 फूल एवं पौधों की विभिन्न प्रजतियाँ पाई जाती हैं।
- जंगली जानवरों में बाघ, हिरण और तेंदुआ आदि शामिल हैं।
- इसमें कई जल निकायों के साथ जंगल और घास के मैदान भी शामिल हैं।
तराई आर्क लैंडस्केप
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मोबाइल एक्स-रे कंटेनर स्कैनिंग सिस्टम: पारादीप पोर्ट
Mobile X-Ray Container Scanning System: Paradip Port
हाल ही में पारादीप पोर्ट द्वारा पारादीप इंटरनेशनल कार्गो टर्मिनल (PICT) के पास एक मोबाइल एक्स-रे कंटेनर स्कैनिंग सिस्टम (MXCS) स्थापित किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- संदर्भ:
- इसे बंदरगाह पर कंटेनरों के भौतिक परीक्षण और उनके वहाँ रहने की अवधि को कम करने के उद्देश्य से ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (EoDB) पहल के तहत स्थापित किया गया है।
- यह आंतरिक इलाकों के उद्योगों की लंबे समय से चली आ रही आवश्यकता को पूरा करने के लिये बंदरगाह के माध्यम से कंटेनरों में बिना कटा हुआ धातु स्क्रैप सामग्री की आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगा।
- महत्त्व:
- इससे पारादीप बंदरगाह पर कंटेनर की मात्रा को बढ़ाने और रसद लागत को कम करने तथा एक्जिम (निर्यात-आयात) व्यापार में मदद मिलने की आशा है।
- पारादीप पोर्ट:
- यह भारत के पूर्वी तट पर एक प्राकृतिक, गहरे पानी का बंदरगाह है, जो ओडिशा में महानदी और बंगाल की खाड़ी के संगम पर स्थित है।
- कोलकाता के दक्षिण में 210 समुद्री मील और विशाखापत्तनम के उत्तर में 260 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है।
- यह पोर्ट, पारादीप पोर्ट ट्रस्ट (PPT) द्वारा प्रशासित है। PPT इसका प्रशासन बंदरगाह ट्रस्ट अधिनियम, 1963 के तहत करता है।
- PPT को वर्ष 1966 में लौह अयस्क के निर्यात के लिये एक मोनो कमोडिटी पोर्ट के रूप में कमीशन किया गया था।
- यह भारत के पूर्वी तट पर एक प्राकृतिक, गहरे पानी का बंदरगाह है, जो ओडिशा में महानदी और बंगाल की खाड़ी के संगम पर स्थित है।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 सितंबर, 2021
हिंदी दिवस
प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को देश भर में ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है। भारत में 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने भारत संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी भाषा को स्वीकृति दी थी, जिसे भारत के संविधान द्वारा अनुमोदित किया गया था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया। यद्यपि आज़ादी के बाद हिंदी एवं अंग्रेज़ी दोनों को भारत की भाषा के रूप में चुना गया और संविधान सभा ने देवनागरी लिपि वाली हिंदी के साथ ही अंग्रेज़ी को भी आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया किंतु वर्ष 1949 में 14 सितंबर के दिन संविधान सभा ने हिंदी को ही भारत की राजभाषा घोषित किया। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्द्धा के आग्रह पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था। हिंदी विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली पाँच भाषाओं में से एक है। उल्लेखनीय है कि प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को ‘विश्व हिंदी दिवस’ मनाया जाता है।
राजा महेंद्र प्रताप सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखी। इस विश्वविद्यालय की स्थापना राज्य सरकार द्वारा महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद् और समाज सुधारक राजा महेंद्र प्रताप सिंह की स्मृति एवं सम्मान में की जा रही है। वर्ष 1886 में उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में शाही परिवार में जन्मे महेंद्र प्रताप सिंह एक समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी एवं मार्क्सवादी क्रांतिकारी थे। ‘मुहम्मदन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेजिएट स्कूल’ (वर्तमान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय) के पूर्व छात्र के रूप में राजा महेंद्र प्रताप सिंह काफी कम उम्र से ही राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय हो गए थे। उन्होंने कॉलेज के अपने साथी छात्रों के साथ वर्ष 1911 के ‘बाल्कन युद्ध’ में भी हिस्सा लिया था। भारत को आज़ादी मिलने के बाद वह वर्ष 1947 में देश वापस लौटे आए। वह वर्ष 1957 में मथुरा से लोकसभा के लिये चुने गए, जहाँ उन्होंने तत्कालीन जनसंघ के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी के विरुद्ध निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ा था। दादाभाई नौरोजी और बाल गंगाधर तिलक के भाषणों से प्रभावित होकर महेंद्र प्रताप स्वदेशी आंदोलन से काफी गहराई से जुड़े थे। राजा महेंद्र प्रताप सिंह, जिन्होंने स्वयं को ‘शक्तिहीन और कमज़ोर नौकर’ के रूप में संबोधित किया था, को वर्ष 1932 में नोबल शांति पुरस्कार के लिये नामांकित किया गया था। वह 1 दिसंबर, 1915 को काबुल में स्थापित भारत की पहली अनंतिम निर्वासित सरकार के अध्यक्ष भी थे। वर्ष 1979 में राजा महेंद्र प्रताप सिंह की मृत्यु हो गई।
दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन कैप्चर प्लांट
आइसलैंड की एक कंपनी ने दुनिया का ऐसा सबसे बड़ा प्लांट स्थपित किया है जो प्रत्यक्ष तौर पर हवा से कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है और उसे भूमिगत जमा करता है। स्विट्ज़रलैंड की स्टार्टअप कंपनी ‘क्लाइमवर्क्स’ और आइसलैंड की कंपनी ‘कार्बफिक्स’ द्वारा निर्मित इस विशाल प्लांट में कुल चार इकाइयाँ शामिल हैं, जिसमें प्रत्येक में दो धातु के बक्से शामिल हैं, जो समुद्री परिवहन हेतु उपयोग किये जाने वाले कंटेनरों के समान हैं। कंपनी का दावा है कि यह प्लांट प्रतिवर्ष 4,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) अवशोषित कर सकता है, जो कि लगभग 870 कारों से होने वाले वार्षिक उत्सर्जन के बराबर है। ‘अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी’ की मानें तो बीते वर्ष वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कुल 31.5 बिलियन टन था। ‘डायरेक्ट एयर कैप्चर’ यानी हवा के माध्यम से प्रत्यक्ष कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करने की यह पद्धति वायुमंडल से CO2 को कम करने संबंधी तकनीकों में सबसे नवीन है और वैज्ञानिकों द्वारा इसे ग्लोबल वार्मिंग, जो कि वनाग्नि, अधिक तापमान, बाढ़ एवं समुद्र के बढ़ते स्तर आदि के लिये उत्तरदायी है, को सीमित करने की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। वर्तमान में दुनिया भर में 15 डायरेक्ट एयर कैप्चर प्लांट कार्य कर रहे हैं, जो प्रतिवर्ष 9,000 टन से अधिक CO2 कैप्चर करते हैं।
इंग्लैंड में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर लगाना अनिवार्य
ब्रिटिश सरकार जल्द ही इंग्लैंड में सभी नवनिर्मित घरों और कार्यालयों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर लगाना अनिवार्य करने हेतु एक कानून पेश करेगी। इस कानून के मुताबिक, सभी नए घरों और कार्यालयों में ‘स्मार्ट’ चार्जिंग डिवाइस की सुविधा उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा, जो ऑफ-पीक अवधि के दौरान वाहनों को स्वचालित रूप से चार्ज कर सकेगा। इसके अलावा नए कार्यालय ब्लॉकों के लिये प्रत्येक पाँच पार्किंग स्थानों हेतु चार्ज प्वाइंट स्थापित करने की आवश्यकता होगी। नया कानून इंग्लैंड को दुनिया का ऐसा पहला देश बना देगा, जहाँ सभी नए घरों में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये चार्जर की व्यवस्था करना अनिवार्य होगा। यह पहल इंग्लैंड में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी, क्योंकि चार्जिंग स्टेशनों की कमी इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के विकास में एक बड़ी बाधा है और यही कारण है कि प्रायः लोग इलेक्ट्रिक कारों की ओर ट्रांज़िशन करने में परेशानी का सामना करते हैं। यह प्रस्ताव वर्ष 2030 में ब्रिटेन के नए जीवाश्म ईंधन वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगाने से पूर्व इंग्लैंड में चार्जर्स की संख्या को तेज़ी से बढ़ाने संबंधी कार्यक्रम का हिस्सा है।