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प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 13 अगस्त, 2021

  • 13 Aug 2021
  • 10 min read

ओलंपियन चमगादड़

Olympian Bat

हाल ही में एक चमगादड़ ने लंदन से उत्तर-पश्चिमी रूस के पस्कोव क्षेत्र में 2,000 किमी. से अधिक की दूरी तक उड़ान भरकर वैज्ञानिकों को चकित कर दिया। इस चमगादड़ को "ओलंपियन चमगादड़" कहा जाता है और इसने जलवायु वैज्ञानिकों में गहरी रुचि पैदा की है।

Olympian

प्रमुख बिंदु

  • यह चमगादड़ नाथुसियस पिपिस्ट्रेल प्रजाति के चमगादड़ से संबंधित है।
  • यह यात्रा महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह पूरे यूरोप में ब्रिटेन के एक चमगादड़ द्वारा की गई सबसे लंबी यात्रा है।
  • नाथुसियस की पिपिस्ट्रेल प्रजाति से संबंधित इस चमगादड़ का वज़न आमतौर पर 10 ग्राम से कम होता है।
    • वे उत्तर-पूर्वी यूरोप में गर्मियों के समय प्रजनन करने हेतु मैदानों से महाद्वीप के गर्म क्षेत्रों में प्रवास करने के लिये जाने जाते हैं जहाँ वे इमारतों में तथा पेड़ों में हाइबरनेट करते हैं।
  • 'ओलंपियन' चमगादड़ का रिकॉर्ड उसी प्रजाति के एक अन्य चमगादड़ से ऊपर है, जिसने वर्ष 2019 में लातविया से स्पेन तक 2,224 किमी. की दूरी तय की थी।
  • जलवायु वैज्ञानिकों के लिये यह यात्रा चमगादड़ के प्रवास और जलवायु परिवर्तन के साथ इसके संबंध का अध्ययन करने का एक महत्त्वपूर्ण साधन है।
  • जलवायु की चरम सीमाओं में वृद्धि से चमगादड़ के हाइबरनेशन से जल्दी या अधिक आवृत्ति पर उभरने की संभावना बढ़ जाती है।
    • यह न केवल कम ऊर्जा भंडार से हाइबरनेटिंग चमगादड़ को खतरे में डाल देगा, बल्कि इसके बच्चों के जन्म और अस्तित्व को भी प्रभावित कर सकता है।
  • इस प्रकार नाथुसियस पिपिस्ट्रेल प्रजाति का विस्तार जलवायु परिवर्तन से जुड़ा हुआ है तथा भविष्य में होने वाले जलवायु परिवर्तन इस प्रजाति को और प्रभावित करेगा।
  • वर्ष 2014 में चमगादड़ कंज़र्वेशन ट्रस्ट द्वारा ‘नेशनल नाथुसियस पिपिस्ट्रेल’ (National Nathusius’ Pipistrelle) परियोजना शुरू की गई थी।
    • परियोजना का उद्देश्य ग्रेट ब्रिटेन में नाथुसियस की पिपिस्ट्रेल प्रजाति हेतु पारिस्थितिकी, वर्तमान स्थिति और संरक्षण खतरों की समझ में सुधार करना है।
    • इस परियोजना के लक्ष्यों में से एक चमगादड़ की इस प्रजाति के प्रवासी मूल/उद्भव (migratory origins) का निर्धारण करना है क्योंकि वे जलवायु परिवर्तन के साथ इसके संबंधों को समझने में मदद कर सकते हैं।
    • पृथ्वी के गर्म होने के कारण पक्षियों के जल्दी पलायन के कुछ प्रमाण पहले ही देखे गए हैं।
  • नाथुसियस की पिपिस्ट्रेल प्रजाति के चमगादड़ों की IUCN सूची स्थिति: कम चिंताजनक।

शीत निष्क्रियता/हाइबरनेशन

  • यह गहरी नींद जैसी एक निष्क्रिय अवस्था है जिसमें ठंडी जलवायु में रहने वाले कुछ जानवर सर्दी में शीत निद्रा की स्थिति में चले जाते हैं।
  • शीत निष्क्रियता की स्थिति में शरीर का तापमान कम हो जाता है और श्वास व हृदयगति धीमी हो जाती है। 
  • यह जानवर को ठंड से बचाता है और भोजन की कमी होने पर मौसम के दौरान भोजन की आवश्यकता को कम करता है।
  • आमतौर पर ध्रुवीय भालू, कृंतक और चमगादड़ कुछ ऐसे जानवर हैं जो शीत निष्क्रियता की स्थिति में  रहते हैं।
  • ज़ेब्राफिश के संबंध में एक नए शोध ने प्रदर्शित किया है कि ‘प्रेरित हाइबरनेशन’ (टॉरपोर) अंतरिक्ष उड़ान के दौरान इसके विभिन्न तत्त्वों विशेष रूप से विकिरण से मनुष्यों की किस प्रकार रक्षा कर सकता है।

विश्व हाथी दिवस

World Elephant Day 

विश्व हाथी दिवस (12 अगस्त) के अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने वर्ष 2022 में अखिल भारतीय हाथियों और बाघों की आबादी के आकलन में अपनाए जाने वाले जनसंख्या अनुमान प्रोटोकॉल को सार्वजनिक किया।

  • एशियाई और अफ्रीकी हाथियों की दुर्दशा की ओर तत्काल ध्यान आकर्षित करने के लिये वर्ष 2012 में विश्व हाथी दिवस की शुरुआत की गई थी।

प्रमुख बिंदु:

भारत में हाथियों पर वर्तमान आँकड़े:

  • वर्ष 2017 में अंतिम गणना के अनुसार, भारत में 29,964 हाथी थे जो वर्ष 2012 के 29,576 हाथियों के औसत में मामूली वृद्धि है।

एशियाई हाथी: 

  • संदर्भ:
    • उल्लेखनीय है कि एशियाई हाथी की तीन उप-प्रजातियाँ हैं: भारतीय, सुमात्रन तथा श्रीलंकन।
    • वैश्विक जनसंख्या: अनुमानित 20,000 से 40,000।
  • संरक्षण स्थिति:

अफ्रीकी हाथी: 

मुद्दे:

  • हाथियों के शिकार में वृद्धि।
  • प्राकृतिक वास की क्षति।
  • मानव-हाथी संघर्ष
  • संरक्षण हेतु कैद में रखे जाने के दौरान बुरा व्यवहार।
  • हाथी पर्यटन के कारण दुर्व्यवहार।
  • बड़े पैमाने पर खनन, कॉरिडोर का विनाश।

संरक्षण के लिये उठाए गए कदम:

  • उनके शिकारियों और हत्यारों को गिरफ्तार करने की योजनाएँ और कार्यक्रम।
  • राज्यों में विभिन्न हाथी अभ्यारण्यों की घोषणा और स्थापना। उदाहरण के लिये कर्नाटक में मैसूर और दांदेली हाथी रिज़र्व।
  • लैंटाना और यूपेटोरियम (आक्रामक प्रजातियों) को नष्ट करना क्योंकि ये प्रजाति हाथियों के खाने योग्य घास के विकास में बाधक होते हैं।
  • मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिये बैरिकेड्स लगाना।
  • वनाग्नि की रोकथाम का अध्ययन करने के लिये एक प्रकोष्ठ की स्थापना करना।
  • गज यात्रा जो हाथी गलियारों को सुरक्षित करने की आवश्यकता को उजागर करने के लिये एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान है।
  • हाथियों की अवैध हत्या की निगरानी (Monitoring of Illegal Killing of Elephants- MIKE) कार्यक्रम, 2003 में शुरू किया गया एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग है जो पूरे अफ्रीका और एशिया से हाथियों की अवैध हत्या से संबंधित जानकारी के रुझानों को ट्रैक करता है, ताकि क्षेत्र संरक्षण प्रयासों की प्रभावशीलता की निगरानी की जा सके।
  • हाथी परियोजना: यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है और हाथियों, उनके आवास तथा गलियारों की सुरक्षा के लिये फरवरी 1992 में शुरू की गई थी।
    • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय परियोजना के माध्यम से देश के प्रमुख हाथी रेंज राज्यों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
  • यहाँ तक कि महावत (जो लोग हाथी के साथ काम करते हैं, उसकी सवारी करते हैं और उसकी देखभाल करते हैं) और उनके परिवार हाथियों के कल्याण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने नीलगिरि हाथी गलियारे पर मद्रास उच्च न्यायालय (HC) के 2011 के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें जानवरों के आवागमन और क्षेत्र में रिसॉर्ट्स को बंद करने के अधिकार की पुष्टि की गई थी।
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