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जैव विविधता और पर्यावरण

यमुना में प्रदूषण पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश

  • 16 Jan 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने अनुपचारित सीवेज के कारण जल निकायों के प्रदूषित होने के मामले में संज्ञान लिया है।

  • सर्वोच्च न्यायालय हरियाणा द्वारा किये जा रहे यमुना जल प्रदूषण को रोकने के लिये दिल्ली जल बोर्ड द्वारा दायर एक तत्काल याचिका पर सुनवाई कर रहा था ताकि प्रदूषक तत्त्वों को यमुना नदी में बहाने से रोका जा सके।

प्रमुख बिंदु:

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 2017 में ‘पर्यावरण सुरक्षा समिति बनाम भारत संघ’ मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि ‘कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स’ की स्थापना और/या संचालन के लिये फंड एकत्रित करने हेतु राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 31 मार्च, 2017 से पहले मानदंडों को अंतिम रूप दिया जाएगा। 
  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित किया गया था कि इन संयंत्रों को स्थापित करने में राज्य सरकार ऐसे शहरों, कस्बों और गाँवों को प्राथमिकता देगी जो औद्योगिक प्रदूषकों और सीवर को सीधे नदियों और जल निकायों में प्रवाहित करते हैं।

संबंधित संवैधानिक प्रावधान:

  • संविधान का अनुच्छेद 243W, 12वीं अनुसूची के खंड 6 में सूचीबद्ध मामलों के संबंध में नगरपालिकाओं और स्थानीय अधिकारियों को उनके कार्यों के प्रदर्शन को विभिन्न योजनाओं के उस कार्यान्वयन के साथ निहित करता है, जो उन्हें सौंपा जा सकता है।
    • 12वीं अनुसूची के खंड 6 में "सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता संरक्षण और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन" नामक विषय शामिल है।
  • अनुच्छेद-21: 
    • पर्यावरण को स्वच्छ रखने का अधिकार तथा प्रदूषण मुक्त जल को जीवन के अधिकार के व्यापक परिदृश्य के तहत संरक्षित किया गया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को दिये गए निर्देश:

  • सर्वोच्च न्यायालय ने CPCB को यमुना नदी के किनारे स्थित ऐसी नगरपालिकाओं की पहचान करने वाली एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिन्होंने सीवेज के लिये उचित संख्या में उपचार संयंत्र स्थापित नहीं किये हैं या यह सुनिश्चित करने में अयोग्य है कि सीवेज को नदी में प्रवाहित नहीं किया जाए।

यमुना में प्रदूषण

यमुना में प्रदूषण का कारण:

  • औद्योगिक प्रदूषण
    • यमुना नदी हरियाणा से दिल्ली में प्रवेश करती है। हरियाणा के सोनीपत (यमुना के किनारे) में कई औद्योगिक इकाइयाँ हैं। यहाँ अमोनिया का उपयोग उर्वरकों, प्लास्टिक और रंजक के उत्पादन में एक औद्योगिक रसायन के रूप में किया जाता है।
  • जल निकास मार्गों का आपस में मिलना:
    • पीने के पानी और सीवेज या औद्योगिक कचरे को प्रवाहित करने वाले निकास मार्गों के आपस में मिल जाने से प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है। 

जल में बढ़ती अमोनिया की मात्रा का प्रभाव;

  • अमोनिया जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है क्योंकि यह नाइट्रोजन के ऑक्सीकृत रूपों में बदल जाती है। इसलिये यह ‘बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड’ (Biochemical Oxygen Demand) भी बढ़ाती है।
    • जैविक अपशिष्ट द्वारा जल प्रदूषण को BOD के संदर्भ में मापा जाता है।
  • यदि पानी में अमोनिया की सांद्रता 1 PPM से ऊपर है, तो यह मछलियों के लिये विषाक्त होता है।
  • मनुष्यों द्वारा 1 PPM या उससे अधिक के अमोनिया स्तर वाले जल के दीर्घकालिक अंतर्ग्रहण के कारण उनके आंतरिक अंगों को नुकसान हो सकता है।

यमुना:

  • यह गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में निम्न हिमालय के मसूरी रेंज में बंदरपूँछ चोटी के पास यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है।
  • यह उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में बहती हुई उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (संगम) में गंगा नदी में मिल जाती है।
  • लंबाई: युमना नदी की कुल लंबाई 1376 किमी. है।
  • महत्त्वपूर्ण बांँध: लखवार-व्यासी बांँध (उत्तराखंड), ताजेवाला बैराज बाँध (हरियाणा) आदि।
  • सहायक नदियाँ: युमना नदी की महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ चंबल, सिंध, बेतवा और केन हैं।

Yamuna

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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