निफ्टी के रीट्स (Reits) और इनविट्स (InvITs) सूचकांक
हाल ही में भारत के पहले रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (Reits) और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InvITs) सूचकांक को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज इंडिसेस लिमिटेड (निफ्टी) द्वारा लॉन्च किया गया, जो कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया की सहायक कंपनी है।
निफ्टी के रीट्स (Reits) और इनविट्स (InvITs) सूचकांक:
- परिचय:
- सूचकांक का उद्देश्य रीट्स और इनविट्स के प्रदर्शन को ट्रैक करना है जो NSE पर सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध हैं और ट्रेडिंग करते हैं।
- सूचकांक के तहत प्रतिभूतियों का भार उनके फ्री-फ्लोट बाज़ार पूंजीकरण पर आधारित होता है, जो प्रत्येक 33% की सुरक्षा सीमा के अधीन होता है और शीर्ष-3 प्रतिभूतियों का कुल भार 72% होता है।
- सूचकांक की आधार तिथि 1 जुलाई, 2019 और आधार मूल्य 1,000 रुपए है।
- सूचकांक की समीक्षा की जाएगी और त्रैमासिक आधार पर पुन: संतुलित किया जाएगा।
- प्रमुख घटक:
- निफ्टी के रीट्स (Reits) और इनविट्स (InvITs) सूचकांक के शीर्ष घटकों में एम्बेसी ऑफिस पार्क्स रीट, पावरग्रिड इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट, माइंडस्पेस बिज़नेस पार्क्स रीट और इंडिया ग्रिड ट्रस्ट शामिल हैं।
- इस सूचकांक में रियल एस्टेट, विद्युत और सेवाओं का भारांक क्रमशः 57.5 प्रतिशत, 35.6 प्रतिशत और 6.8 प्रतिशत है।
इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट:
- InvITs म्यूचुअल फंड के समान एक सामूहिक निवेश योजना है, जो व्यक्तिगत और संस्थागत निवेशकों से धन को प्रत्यक्ष रूप से बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में निवेश कर के रिटर्न के एक छोटे हिस्से को आय के रूप में अर्जित करने में सक्षम बनाता है।
- आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के माध्यम से InvITs स्टॉक की तरह ही एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध हैं।
- InvITs को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) (अवसंरचना निवेश न्यास) विनियम, 2014 द्वारा विनियमित किया जाता है।
रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट:
- Reits आय-उत्पादक अचल संपत्ति के संचालन, स्वामित्त्व या वित्तपोषण में निवेश योग्य धन को प्रबंधित करने के एकमात्र उद्देश्य से बनाई गई इकाई को संदर्भित करता है।
- Reits म्यूचुअल फंड की तर्ज़ पर तैयार किये गए हैं और निवेशकों को रियल एस्टेट में हिस्सेदारी प्राप्त करने हेतु एक बेहद लचीला तरीका प्रदान करते हैं।
- यह एक प्रकार की सुरक्षा है जो नियमित आय, पोर्टफोलियो विविधीकरण एवं दीर्घकालिक पूंजी अभिमूल्यन हेतु एक निर्गम मार्ग के साथ बड़े या छोटे सभी प्रकार के निवेशकों को प्रदान की जाती है। किसी भी अन्य सुरक्षा की भाँति Reits स्वयं को स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कर सकते हैं।
- भारत में Reits को वर्ष 2007 में सेबी द्वारा पेश किया गया था।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI):
- SEBI की स्थापना 12 अप्रैल, 1992 को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार की गई थी।
- प्रमुख कार्य:
- प्रतिभूतियों में निवेशकों के हितों की रक्षा करना।
- प्रतिभूति बाज़ार को विनियमित करना।
स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स
कुर्मी समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति दर्जे की मांग
हाल ही में कुर्मी समुदाय ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने की मांग को लेकर बंगाल में आंदोलन शुरू किया।
- वे यह भी चाहते हैं कि उनकी कुर्माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
पृष्ठभूमि:
- 1931 की जनगणना में कुर्मी को अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत समुदायों में शामिल नहीं किया गया था और 1950 में अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर कर दिया गया था।
- 2004 में झारखंड सरकार ने सिफारिश की कि समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत करने के बजाय अनुसूचित जनजाति की सूची में जोड़ा जाए।
- सिफारिश के बाद मामला जनजातीय अनुसंधान संस्थान (TRI) के पास गया, जिसने यह माना कि कुर्मी कुनबियों की उप-जाति है, न कि जनजाति। इसके आधार पर केंद्र ने कुर्मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति माने जाने की मांग खारिज़ कर दी।
- राज्य सरकार के जनजाति विकास विभाग के अनुसार, 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की जनजातीय जनसंख्या लगभग 53 लाख है, जो राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 5.8% है।
अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की प्रक्रिया:
- किसी समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया 1999 में स्थापित प्रणाली के एक समुच्चय का अनुसरण करती है।
- समावेशन के प्रस्ताव के लिये संबंधित राज्य या केंद्रशासित प्रदेश सरकार को पहल करनी चाहिये, जिसे पहले जनजातीय कार्य मंत्रालय और बाद में भारत के रजिस्ट्रार जनरल (ORGI) के कार्यालय में भेजा जाता है।
- यदि ORGI समावेशन की मंज़ूरी देता है, तो प्रस्ताव को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को भेजा जाता है और उसकी सहमति मिलने के बाद इस प्रस्ताव को संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, वर्ष 1950 में संशोधन के लिये कैबिनेट को भेजा जाता है।
कुर्मी समुदाय:
- परिचय:
- कुर्मी एक ज़मींदार कृषक समुदाय हैं जिनकी स्थिति जगह-जगह बदलती रहती है।
- कुर्मी को एक "प्रगतिशील किसान" माना जाता है जो क्षेत्र में उपलब्ध सभी विकास योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाते हैं।
- कुर्मी कई राज्यों में पाए जाते हैं जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, गोवा और कर्नाटक शामिल हैं।
- जातीय स्थिति:
- अधिकांश राज्यों में कुर्मी आरक्षण के लिये केंद्र और राज्य दोनों सूचियों में OBC से संबंधित हैं।
- गुजरात में पटेल जो कि कुर्मी से जुड़े हैं, सामान्य श्रेणी में आते हैं और OBC दर्जे की मांग कर रहे हैं। .
- पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड में जहाँ कुर्मी को 'कुड़मी' लिखा जाता है, कुर्मी अनुसूचित जनजाति में शामिल होना चाहते हैं।
- कुर्माली भाषा:
- कुर्माली भाषा मुख्य रूप से भारतीय राज्यों- बिहार, झारखंड और ओडिशा में कुर्मी समुदाय द्वारा बोली जाने वाली भाषा है।
- कुर्माली भाषा इंडो-आर्यन भाषा परिवार की सदस्य है और बिहारी भाषा परिवार से संबंधित है। यह मैथिली और मगही के साथ कुछ समानताएँ साझा करती है। इसकी अपनी लिपि है जिसे "कुर्मी कुदाली" कहा जाता है जो देवनागरी लिपि का एक संशोधित संस्करण है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. प्रत्येक वर्ष कतिपय विशिष्ट समुदाय/जनजाति, पारिस्थितिक रूप से महत्त्वपूर्ण, मास-भर चलने वाले अभियान/त्योहार के दौरान फलदार वृक्षों का पौधरोपण करते हैं। निम्नलिखित में से कौन-से ऐसे समुदाय/जनजाति हैं? (2014) (a) भूटिया और लेप्चा उत्तर: (b) प्रश्न. भारत के संविधान की पाँचवीं और छठी अनुसूची में किससे संबंधित प्रावधान हैं? (2015) (a) अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा उत्तर: (a) प्रश्न. भारत के संविधान की किस अनुसूची के तहत खनन के लिये निजी पार्टियों को आदिवासी भूमि के हस्तांतरण को शून्य और शून्य घोषित किया जा सकता है? (2019) (A) तीसरी अनुसूची उत्तर: (B) प्रश्न. यदि किसी विशिष्ट क्षेत्र को भारत के संविधान की पाँचवीं अनुसूची के अधीन लाया जाए, तो निम्नलिखित कथनों में कौन-सा एक इसके परिणाम को सर्वोत्तम रूप से दर्शाता है? (2022) (a) इससे जनजातीय लोगों की ज़मीन गैर-जनजातीय लोगों को अंतरित करने पर रोक लगेगी। उत्तर: (a) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
पृथ्वी के कोर के ऊपर महासागरीय नितल का धँसाव
हाल ही में भू-वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के कोर और मेंटल के बीच एक अज्ञात परत की खोज की है, जो पृथ्वी की सामान्य परतों की तुलना में पतली लेकिन घना धँसा हुआ महासागरीय नितल हो सकता है।
- यह परत भू-गर्भीय शब्दावली में इसको पेंसिल थिंग (Pencil-Thing) कहा गया है, जिसकी लंबाई लगभग दस किलोमीटर है, इस प्रकार यह पृथ्वी की अन्य परतों की मोटाई की तुलना में बहुत कम है।
प्रमुख बिंदु
- इस प्रकार की परत की खोज, इस तथ्य को समझने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है कि पृथ्वी के कोर से ऊष्मा का निष्कासन किस प्रकार होता है।
- प्राचीन महासागरीय नितल से पदार्थ/संघटक भी मेंटल प्लम में फँस सकते हैं और ज्वालामुखी विस्फोट के माध्यम से पृथ्वी की सतह पर वापस आ सकते हैं।
- पृथ्वी के कोर में कई पर्वत हो सकते हैं उनमें से कुछ भूमिगत "पर्वतों" की ऊँचाई माउंट एवरेस्ट से पाँच गुना अधिक हो सकती है, इस प्रकार इससे यह समझने में यह मदद मिल सकती है कि पृथ्वी की सतह और वायुमंडल के बीच तथा बाह्य कोर और मेंटल की भौतिक विशेषताओं में अधिक अंतर क्यों हैं?
- अधोगामित महासागरीय पदार्थ/संघटक कोर-मेंटल सीमा/असंतात्य के समीप एकत्र हो जाते हैं जहाँ से ये समय पर्यंत प्रसरण के माध्यम से धीरे-धीरे मेंटल की चट्टानी संरचना में रूपांतरित हो सकते हैं। इससे पता चलता है कि पृथ्वी के निर्माण का इतिहास वर्तमान संकल्पनाओं से काफी अधिक जटिल है, जिसमें इस प्रकार कई धँसे हुए महासागरीय नितलों की संभावना ग्रह के भू-वैज्ञानिक बनावट की जटिलता को और बढ़ाती है।
भविष्य के अनुसंधान के निहितार्थ:
- यह नई खोज भूवैज्ञानिकों के लिये शोध के नए रास्ते खोलती है और इससे पृथ्वी के निर्माण की भू-गर्भीय प्रक्रियाओं को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।
- कोर-मेंटल सीमा/असंतात्य से प्रतिध्वनि तरंगों की विस्तृत विधि का उपयोग करके दक्षिणी गोलार्द्ध के एक बड़े हिस्से की जाँच करने के लिये इस्तेमाल की जा रही है, जिसका उपयोग विश्व के अन्य हिस्सों में इसी तरह की विसंगतियों को समझने के लिये किया जा सकता है।
- यह हमारे ग्रह के आंतरिक रहस्यों की खोज के लिये उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेज़िंग तकनीक में निरंतर निवेश के महत्त्व पर भी प्रकाश डालता है।
महासागरीय नितल:
- महासागरीय नितल यानी महासागर का तल पृथ्वी की सतह के 70 प्रतिशत से अधिक भाग को कवर करता है। स्थानिक और विवर्तनिकी प्लेटों की गति के आधार पर इसकी विभिन्न प्रकार की विशेषताएँ तथा गहराई होती है। महासागर तल को चार मुख्य क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है:
- महाद्वीपीय मग्नतट:
- यह महासागरीय नितल का सबसे उथला और चौड़ा भाग है।
- यह तट से महाद्वीप के किनारे तक फैली हुई है जहाँ यह महाद्वीपीय ढाल की तीव्रता से मिलती है।
- यह मछली, तेल और गैस जैसे समुद्री जीवन तथा संसाधनों से समृद्ध है।
- महाद्वीपीय ढाल:
- ये तीव्र ढाल हैं जो महाद्वीपीय मग्नतट को महासागरीय नितल मैदानों से जोड़ते हैं।
- यह गहरी कैनियन और घाटियों द्वारा कटी हुई है जो जल के नीचे के भूस्खलन और तलछट की नदियों द्वारा बनाई गई हैं।
- यह महासागरीय नितल क्षेत्र में रहने वाले कुछ जीवों जैसे ऑक्टोपस, स्क्वीड और एंगलरफिश का पर्यावास है।
- नितल मैदान:
- यह महासागरीय नितल का सबसे समतल भाग है।
- अधिकांश महासागर बेसिन को कवर करता है तथा महासागरीय तल से 4,000 से 6,000 मीटर नीचे स्थित है।
- यह महीन तलछट की एक मोटी परत द्वारा ढका होता है जो महासागरीय धाराओं द्वारा लाया जाता है और महासागरीय नितल पर निक्षेपित होता है।
- पृथ्वी पर कुछ सबसे विचित्र और रहस्यमय जानवर यहाँ पाए जाते हैं जैसे- जाइंट बियर्डवॉर्म (Giant Tube Worms-रिफ्टिया पचीप्टिला), बायोल्यूमिनेसेंट मछली (Bioluminescent Fish) और वैम्पायर स्क्वीड (Vampire Squids)।
- महाद्वीपीय मग्नतट:
- महासागरीय गर्त या खाइयाँ (Oceanic Deeps or Trenches):
- ये क्षेत्र महासागरों के सबसे गहरे भाग हैं।
- खाइयाँ अपेक्षाकृत खड़ी ढाल वाली, संकरी द्रोणियाँ होती हैं। वे आसपास के महासागरीय नितल की तुलना में 3-5 किमी. गहरे होते हैं।
- ये महासागरीय नितल पर स्थित तीव्र ढाल वाले लंबे, पतले तथा गहरे अवनमन के क्षेत्र हैं और सक्रिय ज्वालामुखियों एवं तीव्र भूकंप से संबंधित होते हैं।
- यही कारण है कि प्लेट संचलन के अध्ययन में इनका अत्यधिक महत्त्व है। अब तक 57 गर्तों का पता लगाया जा चुका है; जिनमें से 32 प्रशांत महासागर में, 19 अटलांटिक महासागर में तथा 6 हिंद महासागर में हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. पृथ्वी ग्रह की संरचना में मैंटल के नीचे कोर मुख्य रूप से निम्नलिखित में से किससे बना है? (2009) (a) अल्युमीनियम उत्तर: (c) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 अप्रैल, 2023
जलियाँवाला बाग हत्याकांड
जलियाँवाला बाग हत्याकांड दिवस 2023, उस दु:खद घटना के 104 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है जिसे भारतीय इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जाता है। जलियाँवाला बाग हत्याकांड एक दु:खद घटना थी जो 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर, भारत में घटित हुई थी, जहाँ ब्रिगेडियर-जनरल डायर के आदेश पर ब्रिटिश गोरखा सैनिकों ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर गोलियाँ चलाईं, जो कि रौलेट अधिनियम, 1919 के खिलाफ शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने हेतु जलियाँवाला बाग में एकत्रित हुए थे। इस घटना के परिणामस्वरूप 1000 से अधिक निर्दोष पुरुषों, महिलाओं एवं बच्चों की मृत्यु हो गई तथा पूरे देश में व्यापक विरोध तथा अशांति फैल गई। यह घटना ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु भारत के संघर्ष में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ थी तथा इसने भारतीयों को एकजुट होने एवं अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के लिये संघर्ष करने हेतु प्रेरित किया। इस हत्याकांड के कारण ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियों की व्यापक रूप से निंदा की गई तथा इस घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस घटना ने महात्मा गांधी के जीवन में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ को भी चिह्नित किया क्योंकि इसने उन्हें अपना पहला बड़ा अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन आरंभ करने के लिये प्रेरित किया, जिसने अंततः वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया। आज जलियाँवाला बाग स्वतंत्रता संग्राम में अनगिनत भारतीयों द्वारा किये गए बलिदानों की याद दिलाता है तथा यह विश्व भर के लोगों को उत्पीड़न एवं अन्याय के खिलाफ लड़ने हेतु प्रेरित करता है।
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असम के बिहू नृत्य ने दो गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए
असम के बिहू नृत्य ने गुवाहाटी के सुरसजाई स्टेडियम में 11,304 नर्तकों और संगीतकारों के प्रदर्शन के साथ दो विश्व रिकॉर्ड तोड़कर इतिहास रच दिया। कलाकारों ने दो श्रेणियों में विश्व रिकॉर्ड बनाने का प्रयास किया- सबसे बड़ा बिहू नृत्य प्रदर्शन और लोक संगीतकारों द्वारा सबसे बड़ा प्रदर्शन। यह पारंपरिक लोकनृत्य बिहू के लिये एक महत्त्वपूर्ण क्षण रहा, जो पूरे असम में लोकप्रिय है और विशेष रूप से बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू (वसंत उत्सव जो अप्रैल के मध्य में असमिया नववर्ष की शुरुआत को इंगित करता है) के दौरान किया जाता है। भारत के राष्ट्रपति ने वैशाखी, विशु (केरल और अन्य पड़ोसी क्षेत्रों), नाबा बरशा (पश्चिम बंगाल), पुथंडु-पिरप्पु (तमिलनाडु) तथा वैशाखड़ी सहित पूरे भारत में मनाए जाने वाले विभिन्न पारंपरिक नववर्ष उत्सवों के अवसर पर बधाई दी है। बसंत के मौसम में मनाए जाने वाले ये त्योहार भारत में विभिन्न क्षेत्रीय कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत का संकेत देते हैं। वैशाखी हिंदुओं तथा सिखों द्वारा मनाई जाती है और गुरु गोबिंद सिंह के नेतृत्त्व में योद्धाओं के खालसा पंथ के गठन का प्रतीक है। ये त्योहार संपूर्ण भारत के विभिन्न जातियों और धर्मों के लोगों को एक साथ लाते हैं और देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता का उत्सव मनाते हैं।
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IAF फ्राँस में आयोजित बहुराष्ट्रीय अभ्यास ओरियन में शामिल होगी
भारतीय वायु सेना (IAF) की एक टुकड़ी 17 अप्रैल से 05 मई, 2023 तक फ्राँस में आयोजित होने वाले ओरिअन अभ्यास में भाग लेगी। इस अभ्यास का आयोजन फ्राँस के मॉन्ट डे मार्सन में फ्रेंच एयर एंड स्पेस फोर्स (FASF) के वायु सेना बेस स्टेशन पर किया जाएगा। यह अभ्यास IAF के राफेल विमान के लिये पहली विदेशी भागीदारी को चिह्नित करेगा। IAF और FASF के अलावा जर्मनी, ग्रीस, इटली, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, स्पेन और संयुक्त राज्य अमेरिका की वायु सेनाएँ भी इस बहुपक्षीय अभ्यास में भाग लेंगी। इस अभ्यास में भागीदारी से भारतीय वायु सेना अन्य देशों की वायु सेनाओं से सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को आत्मसात कर अपनी कार्यशैली को और समृद्ध करेगी।
घाना ने ऑक्सफोर्ड की मलेरिया वैक्सीन R21 को मंज़ूरी दी
घाना ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के मलेरिया के एक नए टीके को मंज़ूरी दे दी है, जिससे वह ऐसा करने वाला विश्व का पहला देश बन गया है। R21 के रूप में जाना जाने वाला यह टीका घरेलू स्तर पर 5-36 महीने के उन बच्चों के लिये स्वीकृत किया गया है, जिन्हें मलेरिया से मृत्यु का उच्चतम जोखिम होता है। यह स्पष्ट नहीं है कि घाना में वैक्सीन को कब शुरू किया जाएगा क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सहित अन्य नियामक निकाय इसकी सुरक्षा और प्रभावशीलता का आकलन कर रहे हैं। यह वैक्सीन उपयोग के लिये स्वीकृत होने वाली दूसरी मलेरिया वैक्सीन है और अमीर देशों से इतर अफ्रीकी देश में स्वीकृत होने वाली पहली प्रमुख वैक्सीन है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड के साथ प्रतिवर्ष वैक्सीन की 200 मिलियन खुराक तक का उत्पादन करने हेतु समझौता किया है। WHO ने कहा है कि जिन क्षेत्रों में मॉस्क्युरिक्स का टीका दिया गया है वहाँ सभी कारणों से होने वाली बाल मृत्यु दर में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है।
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