प्रिलिम्स फैक्ट्स (13 Sep, 2024)



पीएम-श्री योजना

स्रोत: IE

चर्चा में क्यों?

पंजाब के बाद दिल्ली सरकार ने प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइज़िग इंडिया (PM-SHRI) योजना को लागू करने के लिये केंद्र सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने का निर्णय किया है।

  • शिक्षा मंत्रालय ने PM-SHRI योजना में भाग लेने में अनिच्छा के कारण दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल को समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के तहत धनराशि देना बंद कर दिया था।

समग्र शिक्षा अभियान (SSA):

  • समग्र शिक्षा अभियान (SSA) स्कूली शिक्षा के लिये एक एकीकृत योजना है, जो प्री-स्कूल से कक्षा 12 तक विस्तारित है, जिसका उद्देश्य स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना है।
    • इसमें सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) और शिक्षक शिक्षा (TE) की 3 योजनाओं को शामिल किया गया है।
      • इस योजना का मुख्य ज़ोर दो ‘T ’— Teacher (शिक्षक) और Technology (प्रौद्योगिकी) पर केंद्रित होकर स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने पर है।
      • यह योजना केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में क्रियान्वित की जा रही है।
    • इस योजना के लिये केंद्र और राज्यों के बीच निधि साझाकरण का अनुपात पूर्वोत्तर व हिमालयी राज्यों के लिये 90:10 तथा अन्य सभी राज्यों एवं विधानमंडल वाले केंद्रशासित प्रदेशों के लिये 60:40 है।

PM-SHRI योजना क्या है?

  • परिचय: 
    • भारत सरकार द्वारा वर्ष 2022 में शुरू की गई PM-SHRI योजना एक केंद्र समर्थित पहल है, जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के कार्यान्वयन को प्रदर्शित करने हेतु वर्तमान स्कूलों में सुधार करके लगभग 14,500 से अधिक PM-SHRI स्कूल स्थापित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • उद्देश्य:
    • इसका प्राथमिक उद्देश्य एक समावेशी और पोषणकारी परिवेश तैयार करना है, जो प्रत्येक छात्र के कल्याण तथा सुरक्षा को बढ़ावा दे, विविध शिक्षण अनुभव प्रदान करे एवं गुणवत्तापूर्ण बुनियादी अवसंरचना एवं संसाधनों तक अभिगम प्रदान करे।
  • वित्तपोषण:
    • केंद्र और राज्य सरकारों तथा विधानसभा वाले संघशासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर) के बीच वित्तपोषण का अनुपात 60:40 है।
    • पूर्वोत्तर, हिमालयी क्षेत्र और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को 90:10 का हिस्सा मिलता है जबकि बिना विधानमंडल वाले केंद्रशासित प्रदेशों को 100% केंद्रीय वित्तपोषण प्राप्त होता है।
    • राज्यों को शिक्षा मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करके अपनी भागीदारी की पुष्टि करनी होती है।
  • योजना की अवधि:
    • योजना की अवधि सत्र 2022-23 से 2026-27 तक है, जिसके बाद राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की ज़िम्मेदारी होगी कि वे इन स्कूलों द्वारा हासिल किये गए बेंचमार्क को बनाए रखें।
  • PM-SHRI स्कूलों की मुख्य विशेषताएँ:
    • ये स्कूल संचार, सहयोग और आलोचनात्मक सोच के कौशल सहित छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
    • शिक्षण पद्धतियाँ अनुभवात्मक, पूछताछ-आधारित और शिक्षार्थी-केंद्रित होंगी।
    • स्कूलों में आधुनिक प्रयोगशालाएँ, पुस्तकालय, कला कक्ष होंगे तथा जल संरक्षण एवं अपशिष्ट पुनर्चक्रण जैसी ‘हरित’ पहलों को बढ़ावा दिया जाएगा।
      • इनमें स्मार्ट क्लासरूम, कंप्यूटर लैब, समेकित विज्ञान लैब, व्यावसायिक लैब/कौशल लैब और अटल टिंकरिंग लैब सहित आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
    • अधिगम के परिणामों को प्राथमिकता दी जाएगी तथा योग्यता-आधारित मूल्यांकन किया जाएगा जो ज्ञान को वास्तविक जीवन-स्थितियों में लागू करेगा। 
  •   PM-SHRI स्कूल बनने के लिये पात्र स्कूल:
    • केंद्र/राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों और स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित स्कूल। 
    • सभी केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय, जो गैर-परियोजना के अंतर्गत हैं तथा स्थायी भवनों से संचालित होते हैं।
  • स्कूलों की मॉनिटरिंग फ्रेमवर्क:
    • स्कूल गुणवत्ता मूल्यांकन अवसंरचना (SQAF) उच्च मानकों को सुनिश्चित करने के लिये नियमित मूल्यांकन के साथ प्रदर्शन की निगरानी करेगा।
      • SQAF व्यक्तिगत और संस्थागत उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिये मानकों तथा सर्वोत्तम प्रथाओं का एक समूह है।
  • स्कूलों का चयन: यह 3-चरणीय प्रक्रिया में चैलेंज मोड के माध्यम से किया जाता है:
    • चरण-1 में केंद्र के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना शामिल है।
    • चरण-2 में संयुक्त ज़िला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस (UDISE )+ डेटा के आधार पर पात्र स्कूलों की पहचान की जाती है और 
    • चरण-3 एक चुनौतीपूर्ण पद्धति है, जिसमें पात्र स्कूल कुछ निश्चित मानदंडों को पूरा करने के लिये प्रतिस्पर्द्धा करते हैं। 
    • राज्य/संघ राज्य क्षेत्र/KVS/JNV दावों का सत्यापन करते हैं, स्कूलों की सिफारिश करते हैं तथा सचिव के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ समिति अंतिम निर्णय लेती है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020

  • NEP-2020 का उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है, जो वर्ष 1968 और वर्ष 1986 की नीतियों के बाद स्वतंत्रता के बाद से शिक्षा अवसंरचना में तीसरा बड़ा सुधार है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • पूर्व-प्राथमिक से कक्षा 12 तक शिक्षा तक सार्वभौमिक अभिगम सुनिश्चित करता है ।
  • 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा की गारंटी देता है ।
    • 3-8, 8-11, 11-14 और 14-18 आयु समूहों के साथ संरेखित एक नई 5+3+3+4 पाठ्यचर्या संरचना प्रस्तुत की गई है, जिसमें आधारभूत (5 वर्ष), प्रारंभिक (3 वर्ष), मध्य (3 वर्ष) और माध्यमिक (4 वर्ष) चरण शामिल हैं।
    • कला और विज्ञान, पाठ्यक्रम एवं पाठ्येतर गतिविधियों तथा व्यावसायिक एवं शैक्षणिक धाराओं के बीच सख्त विभाजन को समाप्त करता है।
    • बहुभाषिकता और भारतीय भाषाओं के प्रयोग को बढ़ावा देना।
    • समग्र विकास का आकलन और सुधार करने के लिये राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, परख की स्थापना की गई।
    • वंचित समूहों और क्षेत्रों को सहायता देने के लिये लिंग समावेशन निधि तथा विशेष शिक्षा क्षेत्र का प्रस्ताव।


फेकल माइक्रोबायोटा प्रत्यारोपण

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

चर्चा में क्यों? 

फेकल सामग्री को चिकित्सीय उपचार के रूप में प्रयोग करने की अवधारणा, जिसे फेकल माइक्रोबायोटा प्रत्यारोपण (FMT) के रूप में जाना जाता है, ने आरंभ में असंतोषजनक प्रदर्शन के बावजूद आहारनाल (gut) संबंधी विकारों के उपचार के लिये एक परिवर्तनकारी उपाय के रूप में ध्यान आकर्षित किया है।

  • भारत ने इस क्षेत्र में सुधार किया है और यह उपचार लोगों के जीवन को नया आकार दे रहा है, हालाँकि अभी भी इसमें चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

फेकल माइक्रोबायोटा प्रत्यारोपण (FMT)क्या है?

  • FMT के बारे में: इसमें एक स्वस्थ दाता से फेकल सामग्री को असंतुलित या अस्वस्थ आहारनाल माइक्रोबायोटा वाले रोगी के जठरांत्र संबंधी मार्ग में स्थानांतरित किया जाता है।
    • इसका प्राथमिक लक्ष्य दाता से प्राप्त लाभकारी बैक्टीरिया को प्राप्तकर्त्ता की आहारनाल में प्रत्यारोपित करना है, जिससे स्वस्थ माइक्रोबायोम को पुनः स्थापित करने तथा आहारनाल के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती है।
  • लाभ: मानव आहारनाल में विविध सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं, जो पाचन, प्रतिरक्षा कार्य और हानिकारक रोगाणुओं से सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • FMT, आहारनाल माइक्रोबायोम में व्यवधान को ठीक करने में मदद करता है, जो प्रायः एंटीबायोटिक दवाओं, स्टेरॉयड या क्लॉस्ट्रिडियम डिफिसाइल (एक जीवाणु जो डाईरिया, कोलाइटिस और आहारनाल से संबंधित गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है) जैसे संक्रमणों के कारण होता है।
    • FMT का उद्देश्य स्वस्थ बैक्टीरिया को शामिल करके, संतुलन पुनः स्थापित करना और समग्र आहारनाल के कार्य को सुचालित करना है।
  • चुनौतियाँ और सीमाएँ: FMT को अभी तक भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) जैसे केंद्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरणों द्वारा विनियमित नहीं किया गया है, जिससे मानकीकरण और सुरक्षा को लेकर चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
    • इस प्रक्रिया में संक्रामक रोगों और माइक्रोबायोम विविधता सहित जोखिमों से बचने के लिये सख्ती से दाताओं की जाँच करना आवश्यक है।
    • उपचार की प्रभावकारिता के बावजूद फेकल सामग्री से जुड़ा 'YUCK' फैक्टर (यह सोचना कि कुछ घृणित या बहुत अप्रिय है) कई रोगियों के लिये बाधा बना हुआ है।
  • FMT का भविष्य: शोधकर्त्ता इस बात पर ज़ोर देते हैं कि माइक्रोबायोम की भूमिका को पूरी तरह से समझने तथा FMT को एक मानक देखभाल पद्धति के रूप में स्थापित करने के लिये और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।
    • प्रोटोकॉल को परिष्कृत करने और FMT की सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने हेतु परीक्षण और अध्ययन आवश्यक हैं। इसके अभ्यास को मानकीकृत करने और नैतिक चिंताओं को दूर करने के लिये व्यापक दिशा-निर्देश एवं प्रोटोकॉल की आवश्यकता है।

आहारनाल माइक्रोबायोटा

  • यह बैक्टीरिया, वायरस, कवक और प्रोटोजोआ सहित खरबों सूक्ष्मजीवों के विशाल संग्रह को संदर्भित करता है, जो मानव जठरांत्र संबंधी मार्ग में पाए जाते हैं। यह सूक्ष्मजीव समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने और विभिन्न शारीरिक कार्यों में सहायता करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
  • ये जटिल खाद्य घटकों को तोड़ने में मदद करते हैं और B12 और K जैसे आवश्यक विटामिन का उत्पादन करते हैं। लाभकारी सूक्ष्मजीव हानिकारक बैक्टीरिया को आहारनाल में स्थापित होने से रोकते हैं।
  • चयापचय एवं ऊर्जा संतुलन: यह वसा भंडारण, ऊर्जा अवशोषण को प्रभावित करता है साथ ही यह मोटापा, चयापचय संबंधी विकार और ऑटिज्म से भी संबंधित है।
  • आहारनाल-मस्तिष्क संबंध : आहारनाल-मस्तिष्क अक्ष के माध्यम से मनोदशा और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जो चिंता एवं अवसाद से जुड़ा हुआ है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न.  प्रजैविकों (प्रोबायोटिक्स) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. प्रजैविक, बैक्टीरिया और यीस्ट दोनों से बने होते हैं।
  2. प्रजैविक में जीव, खाए जाने वाले खाद्य में होते हैं किंतु वे नैसर्गिक रूप से हमारी आहारनली में नहीं पाए जाते।
  3. प्रजैविक दुग्ध शर्कराओं के पाचन में सहायक हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • प्रोबायोटिक्स जीवित लाभकारी बैक्टीरिया और/या यीस्ट का एक संयोजन हैं, जो स्वाभाविक रूप से शरीर के भीतर रहते हैं। बैक्टीरिया को आमतौर पर नकारात्मक दृष्टि से ऐसे जीवों के रूप में देखा जाता है, जो आपको बीमार बनाते हैं। अतः कथन 1 सही है।
  • एसिडोफिलस एक प्रोबायोटिक बैक्टीरिया है, जो स्वाभाविक रूप से मानव आहारनाल और शरीर के अन्य भागों में उपस्थित होता है। यह बैक्टीरिया पाचन तंत्र को लैक्टोज़ जैसी शर्करा को लैक्टिक एसिड में विखंडित करने में मदद करता है। मानव आहारनाल में अनेक बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्म जीव उपस्थित होते हैं। अतः कथन 3 सही है।
  • ऐसे कई तरीके हैं जिनसे मानव प्रोबायोटिक सप्लीमेंट ले सकते हैं। ये कई रूपों में उपलब्ध हैं, जिनमें खाद्य पदार्थ, पेय, कैप्सूल या गोलियांँ, पाउडर, तरल पदार्थ आदि शामिल हैं।
  • अतः विकल्प (c)सही है।

उच्च तुंगता पर पाए जाने वाले रोगजनक

स्रोत: NYT

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जापान में 10,000 फीट तक की उच्च तुंगता पर किये गए अध्ययनों में वायु में विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया और कवक पाए गए हैं, जिनमें से कुछ संभावित रूप से मनुष्यों में रोगों का कारण बन सकते हैं।

  • वैज्ञानिक 1920 के दशक से ही वायु में उपस्थित सूक्ष्मजीवों का अध्ययन कर रहे हैं तथा वायुमंडल में निलंबित (तैर रहे या पाए जाने वाले) बीजाणुओं एवं अन्य जैविक कणों का अध्ययन कर रहे हैं।

अध्ययन के संदर्भ में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • जापान में उच्च तुंगता पर वायु सैंपलींग: शोधकर्त्ताओं ने जापान सागर की उच्च तुंगता पर वायवीय कणों को एकत्र करने के लिये उड़ानें संचालित कीं, जिनमें चीन से आने वाली वायुराशियों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
    • नमूनों में हेफनियम नामक एक दुर्लभ मृदा तत्त्व/खनिज पाया गया, जो संभवतः चीनी खदानों से आया है।
    • व्यापक कृषि, पशुधन कार्य और मृदा अपरदन के कारण पूर्वोत्तर चीन वायुजनित रोगाणुओं का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हो सकता है।
  • कावासाकी रोग से संबंध: यह अध्ययन कावासाकी रोग से जुड़े शोध से प्रेरित था।
    • यह देखा गया कि जब उत्तर-पूर्वी चीन से पवन का प्रवाह हुआ तो जापान में कावासाकी रोग के मामले बढ़ गए। इससे पता चलता है कि हवाएँ/पवनें रोगजनकों या अन्य तत्त्वों का संवाहक हो सकती हैं जो रोग-संक्रमण में योगदान करते हैं।

हेफनियम 

  • हेफनियम न्यूट्रॉन का एक अच्छा अवशोषक है और इसका उपयोग परमाणु रिएक्टरों में नियंत्रक छड़ों में किया जाता है। 
  • हेफनियम का प्रयोग वैक्यूम ट्यूबों में गेट्टर के रूप में भी किया जाता है, यह एक ऐसा पदार्थ है जो वैक्यूम ट्यूबों से संयोजित होकर ट्रेस गैसों को हटाता है। 
  • हेफनियम का उपयोग लोहा, टाइटेनियम, नियोबियम और अन्य धातुओं में मिश्र धातु एजेंट के रूप में किया जाता है।

कावासाकी रोग क्या है?

  • कावासाकी रोग, या कावासाकी सिंड्रोम पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण करने वाली रक्त वाहिकाओं की भित्तियों में होने वाली सूजन/शोथ है।
    • सूजन से ग्रस्त रक्त वाहिकाओं के फटने या संकीर्ण होने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे ऊतकों एवं अंगों में रक्त का प्रवाह सीमित हो जाता है।
  • व्यापकता: यह मुख्य रूप से 6 महीने से 5 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रभावित करता है।
    • यह रोग अमेरिका और कनाडा में 5 वर्ष से कम आयु के प्रति 100,000 बच्चों में से लगभग 10 से 20 को प्रभावित करता है, जबकि जापान, कोरिया एवं ताइवान में यह 5 वर्ष से कम आयु के प्रति 100,000 बच्चों में से 50 से 250 को प्रभावित करता है।
  • कारण: कावासाकी रोग का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन ऐसा संदेह है कि यह जीवाणु या वायरल संक्रमण, पर्यावरणीय कारकों या आनुवंशिकी से संबंधित है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स 

प्रश्न. निम्नलिखित प्रकार के जीवों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. जीवाणु
  2. कवक
  3. पुष्पी पादप 

उपर्युक्त में से किस प्रकार के जीवों की कुछ प्रजातियों को जैव कीटनाशकों के रूप में प्रयोग किया जाता है?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


IGI विश्व के बेस्ट कनेक्टेड हवाई अड्डों में से एक

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

ऑफिसियल एयरलाइन गाइड (OAG) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGIA) ने 24वाँ स्थान (विश्व में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेस्ट कनेक्टेड शीर्ष 50 हवाई अड्डों में से एक) हासिल किया है, जो वैश्विक विमानन केंद्र के रूप में इसके बढ़ते महत्त्व को दर्शाता है।

  • OAG वैश्विक यात्रा उद्योग के लिये विश्व का अग्रणी डेटा प्लेटफॉर्म है। 
    • रिपोर्ट के अनुसार, लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे (LHR) को पहले तथा मलेशिया के कुआलालंपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (KUL) को दूसरे स्थान पर रखा गया है।  
  • IGI हवाई अड्डे को भारत में पहला शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन (Net-Zero Carbon Emission) कम्प्लायंट हवाई अड्डे का दर्ज़ा दिया गया है। यह देश का एकमात्र हवाई अड्डा है जिसमें चार रनवे हैं।
    • इसने वर्ष 2023 में देश के पहले एलिवेटेड क्रॉस टैक्सी-वे का भी उद्घाटन किया।
  • भारत का विमानन क्षेत्र:
    • भारत, अमेरिका और चीन के बाद विश्व में तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाज़ार बनकर उभरा है।
    • भारत के हवाई अड्डा नेटवर्क में उल्लेखनीय परिवर्तन आया है, जिसके तहत इसके परिचालन हवाई अड्डों की संख्या वर्ष 2014 के 74 से दोगुनी होकर अप्रैल 2023 में 148 हो गई है, जिससे हवाई यात्रा सुगमता में वृद्धि हुई है।
    • नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) ने देश के हवाई अड्डों पर कार्बन तटस्थता और शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने की दिशा में कार्य करने की पहल की है।

और पढ़ें: भारत की महत्त्वाकांक्षी हवाई अड्डों विस्तार योजना


फिलाडेल्फी कॉरिडोर

स्रोत: द गार्जियन

इज़रायल-हमास संघर्ष  के दौरान राफा क्रॉसिंग पर अधिकार कर लेने के बाद, इज़रायल के प्रधानमंत्री ने फिलाडेल्फी कॉरिडोर को नियंत्रित करने की योजना बनाई है।

  • इस मांग से हमास के साथ संघर्ष विराम के लिये वार्ता रुकने का खतरा है।
    • मिस्र और हमास दोनों फिलाडेल्फी कॉरिडोर पर इज़रायली सैन्य उपस्थिति को अस्वीकार करते हैं।
  • फिलाडेल्फी कॉरिडोर:
    • यह 14 किलोमीटर लंबी भूमि की पट्टी है, जो गाज़ा और मिस्र के बीच संपूर्ण सीमा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है।
    • इसमें राफा क्रॉसिंग शामिल है और यह भूमध्य सागर से लेकर इज़रायल के साथ केरेम शालोम क्रॉसिंग तक जाती है।
    • कैंप डेविड शांति संधि 1979 के तहत मिस्र के सैनिकों को सीमित संख्या में कॉरिडोर में रखने की अनुमति थी लेकिन भारी हथियार रखने की अनुमति नहीं थी।
    • वर्ष 2005 में गाज़ा से इज़रायल की वापसी के बाद इस कॉरिडोर को असैन्यीकृत सीमा क्षेत्र घोषित कर दिया गया।
    • वर्ष 2005 से मिस्र और फिलिस्तीनी प्राधिकरण इस आरक्षित प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार थे।
    • यह गाज़ा को इज़रायल से मुक्त बाह्य विश्व से जोड़ने वाला एकमात्र संपर्क मार्ग था।
    • वर्ष 2007 में हमास ने गाज़ा पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया, जिसके कारण तनाव बढ़ गया और सीमा पार तस्करी गतिविधियाँ जारी रहीं।

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और पढ़ें: इज़रायल-हमास संघर्ष और इसका वैश्विक प्रभाव


बांग्लादेश सीमा पर निवारक उपाय के रूप में मधुमक्खी पालन

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

हाल ही में सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने बांग्लादेश से सीमा पार घुसपैठ और तस्करी गतिविधियों को रोकने के लिये एक नवीन रणनीति के रूप में मधुमक्खी पालन का उपयोग करना शुरू कर दिया है।

  • BSF जवानों को मधुमक्षिशाला के बक्से जैसी संरचनाओं का उपयोग करने के लिये प्रशिक्षित किया गया है, जहाँ मधुमक्खियाँ भित्तियों का निर्माण करती हैं।  
  • मधुमक्खियों का उपयोग सीमा पर एक प्राकृतिक निवारक बनाने के लिये किया जाता है क्योंकि मधुमक्खी के डंक का खतरा तस्करों और घुसपैठियों को बाड़ के पास आने से हतोत्साहित करता है।
    • मधुमक्षिशाला की स्थापना के बाद से बाड़ काटने और अवैध प्रवेश की घटनाएँ लगभग शून्य हो गई हैं।
  • यह पहल न केवल सुरक्षा उद्देश्य की पूर्ति करती है बल्कि जवानों को मधुमक्खी पालन सीखने का अवसर भी प्रदान करती है, जिसे वे सेवानिवृत्ति के बाद आय के स्रोत के रूप में जारी रख सकते हैं।
  • बांग्लादेश और भारत के बीच 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो विश्व में पाँचवीं सबसे लंबी सीमा है।
    • इसकी सीमा भारतीय राज्यों असम, पश्चिम बंगाल, मिज़ोरम, मेघालय और त्रिपुरा से मिलती है।

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और पढ़ें: भारत-बांग्लादेश संबंध


ईस्टर्न ब्रिज अभ्यास

स्रोत: पी.आई.बी

भारतीय वायु सेना (IAF)और रॉयल ओमान वायु सेना के बीच द्विपक्षीय अभ्यास ईस्टर्न ब्रिज’ का 7 वाँ संस्करण ओमान के मसीरा एयर बेस में आयोजित हो रहा है

  • इसमें जटिल हवाई युद्धाभ्यास, हवा-से-हवा और हवा-से-ज़मीन पर होने वाले ऑपरेशन एवं लॉजिस्टिक समन्वय शामिल होंगे।
    • इसका पहला संस्करण वर्ष 2009 में ओमान के थुमरैत में दोनों वायु सेनाओं के बीच आयोजित किया गया था।
  • ओमान के साथ भारत के अन्य सैन्य अभ्यास:
    • नसीम अल-बहर : भारतीय नौसेना और रॉयल ओमान एयर फोर्स के बीच।
    • अल नजाह : भारतीय सेना और ओमान रॉयल फोर्स के बीच।
  • ओमान की स्थिति: ओमान, होर्मुज़ जलडमरूमध्य के प्रवेश द्वार के निकट अपनी रणनीतिक स्थिति तथा अरब सागर के ऊपर स्थित होने के कारण पश्चिम एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का एक महत्त्वपूर्ण साझेदार है।

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अधिक पढ़ें: भारत-ओमान रणनीतिक वार्ता


स्वामी विवेकानंद के 1893 के शिकागो भाषण की 132वीं वर्षगाँठ

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में स्वामी विवेकानंद के 1893 के शिकागो भाषण की 132 वीं वर्षगाँठ पर भारत के प्रधानमंत्री ने इस भाषण के एकता, शांति और भाईचारे के संदेश पर प्रकाश डाला तथा पीढ़ियों तक इसकी निरंतर प्रेरणा के महत्त्व को दर्शाया।

  • स्वामी विवेकानंद, जो पश्चिमी देशों को हिंदू धर्म, योग और वेदांत का परिचय कराने वाले प्रमुख व्यक्ति थे, ने वर्ष 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद (Parliament of the World’s Religions-PWR) में धार्मिक सहिष्णुता का समर्थन किया था। 
    • उन्होंने संप्रदायवाद/संप्रदायिकता, कट्टरता (किसी भी मत के प्रति पूर्ण असहिष्णुता) और कट्टरता की निंदा की, यहूदियों व पारसियों को आश्रय देने के साथ हिंदू धर्म की समावेशिता पर प्रकाश डाला तथा अपने संदेश को भगवद्गीता सार्वभौमिक एकता की शिक्षा के साथ जोड़कर प्रस्तुत किया।
  • PWR की शुरुआत वर्ष 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व कोलंबियाई प्रदर्शनी से हुई थी, यह अंतर-धार्मिक संवाद हेतु एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करता है। यह शिकागो में स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जो संयुक्त राष्ट्र के सार्वजनिक सूचना विभाग (United Nations Department of Public Information) से संबद्ध है।
  • स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में हुआ था इनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। वह रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे और सेवा, शिक्षा तथा आध्यात्मिक उत्थान के सिद्धांत के पक्षधर थे। 
  • उन्होंने अद्वैत वेदांत के आदर्शों का प्रचार करने के लिये वर्ष 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। उनकी मृत्यु वर्ष 1902 में रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूर मठ में हुई।
  • प्रत्येक वर्ष स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

और पढ़ें: स्वामी विवेकानंद