अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-ओमान सामरिक वार्ता
- 20 Jan 2023
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारत-ओमान सामरिक संवाद, भारत-ओमान संबंध, भारत-प्रशांत, समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद, अरब सागर, IORA मेन्स के लिये:भारत-ओमान संबंध और इसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 8वीं भारत-ओमान रणनीतिक वार्ता भारत में आयोजित की गई, जहाँ दोनों देशों ने आतंकवाद, आतंकवाद के प्रचार, साइबर स्पेस के दुरुपयोग और नई उभरती प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग की चुनौती से लड़ने के लिये सामूहिक रूप से काम करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
- दोनों देश वर्ष 2024 में ओमान में रणनीतिक वार्ता के अगले दौर को आयोजित करने पर सहमत हुए।
संवाद की मुख्य विशेषताएँ:
- दोनों पक्षों ने विश्वास और आपसी सम्मान के आधार पर अपने रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने के लिये दोनों देशों के नेतृत्व द्वारा दी गई उच्च प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला।
- द्विपक्षीय रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग, रक्षा एवं क्षेत्रीय सुरक्षा सहित आपसी हित के मुद्दों की एक विस्तृत शृंखला पर चर्चा हुई।
- दोनों पक्षों ने समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा और संरक्षित करने के महत्त्व को दोहराया।
- दोनों पक्षों ने भारत और ओमान के बीच द्विपक्षीय सहयोग के एक महत्त्वपूर्ण तंत्र के रूप में सामरिक वार्ता के महत्त्व को दोहराया।
भारत-ओमान संबंध के प्रमुख बिंदु:
- पृष्ठभूमि:
- अरब सागर पार के दोनों देश भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़े हुए हैं तथा दोनों के मध्य मधुर और सौहार्दपूर्ण संबंध बने हुए हैं, जिसका श्रेय ऐतिहासिक समुद्री व्यापार संबंधों को दिया जाता है।
- ओमान सल्तनत खाड़ी में भारत का एक रणनीतिक भागीदार है और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC), अरब लीग तथा हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) में एक महत्त्वपूर्ण वार्ताकार है।
- दिवंगत सुल्तान, काबूस बिन सईद अल सैद को भारत और ओमान के बीच संबंधों को मज़बूत करने तथा खाड़ी क्षेत्र में शांति को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों को मान्यता देने हेतु गांधी शांति पुरस्कार 2019 दिया गया था।
- रक्षा संबंध:
- संयुक्त सैन्य सहयोग समिति (Joint Military Cooperation Committee- JMCC):
- JMCC रक्षा के क्षेत्र में भारत और ओमान के बीच जुड़ाव का सर्वोच्च मंच है।
- JMCC की बैठक प्रतिवर्ष आयोजित होती है, लेकिन वर्ष 2018 में ओमान में आयोजित JMCC की 9वीं बैठक के बाद से इसका आयोजन नहीं किया जा सका।
- सैन्य अभ्यास:
- थल सेना अभ्यास: अल नागाह
- वायु सेना अभ्यास: ईस्टर्न ब्रिज
- नौसेना अभ्यास: नसीम अल बह्र
- संयुक्त सैन्य सहयोग समिति (Joint Military Cooperation Committee- JMCC):
- आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध:
- ओमान के साथ भारत अपने आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों के विस्तार को उच्च प्राथमिकता देता है। संयुक्त आयोग की बैठक (JCM) तथा संयुक्त व्यापार परिषद (JBC) जैसे संस्थागत तंत्र भारत व ओमान के बीच आर्थिक सहयोग को मज़बूती प्रदान करते हैं।
- भारत, ओमान के शीर्ष व्यापारिक भागीदारों में से एक है।
- वर्ष 2022 में ओमान के कच्चे तेल के निर्यात हेतु चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार है।
- संयुक्त अरब अमीरात (UAE), संयुक्त राज्य अमेरिका और सऊदी अरब के बाद भारत वर्ष 2022 में ओमान के गैर-तेल निर्यात हेतु चौथा सबसे बड़ा बाज़ार है और UAE के बाद आयात का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।
- प्रमुख भारतीय वित्तीय संस्थानों की ओमान में उपस्थिति है। भारतीय कंपनियों ने ओमान में लोहा और इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, कपड़ा आदि क्षेत्रों में निवेश किया है।
- भारत-ओमान संयुक्त निवेश कोष (India-Oman Joint Investment Fund- OIJIF) जो भारतीय स्टेट बैंक और ओमान के स्टेट जनरल रिज़र्व फंड (SGRF) के बीच एक संयुक्त उपक्रम है तथा भारत में निवेश करने के लिये एक विशेष प्रयोजन वाहन है, का संचालन किया गया है।
- ओमान में भारतीय समुदाय:
- ओमान में करीब 6.2 लाख भारतीय रहते हैं, जिनमें से करीब 4.8 लाख कर्मचारी और पेशेवर हैं। ओमान में 150-200 से अधिक वर्षों से भारतीय परिवार रह रहे हैं।
भारत के लिये ओमान का सामरिक महत्त्व:
- ओमान होर्मुज़ जलसंधि के प्रवेश मार्ग पर स्थित है जिसके माध्यम से भारत अपने तेल आयात का पाँचवाँ हिस्सा आयात करता है।
- मज़बूत भारत-ओमान सामरिक साझेदारी के लिये रक्षा सहयोग एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभरा है। रक्षा संबंधी आदान-प्रदान एक फ्रेमवर्क समझौता ज्ञापन द्वारा निर्देशित होते हैं जिसे हाल ही में वर्ष 2021 में नवीनीकृत किया गया था।
- खाड़ी क्षेत्र में ओमान एकमात्र ऐसा देश है जिसके साथ भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेवाएँ नियमित द्विपक्षीय अभ्यास करती हैं, इससे पेशेवर स्तर पर घनिष्ठ सहयोग और विश्वास में वृद्धि होती है।
- ओमान हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (Indian Ocean Naval Symposium -IONS) में भी सक्रिय रूप से भाग लेता है।
- हिंद महासागर क्षेत्र में अपने विस्तार में भारत ने सैन्य उपयोग और रसद समर्थन के लिये ओमान में दुक्म के प्रमुख बंदरगाह तक पहुँच हासिल कर ली है। यह इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव तथा गतिविधियों का सामना करने के लिये भारत की समुद्री रणनीति का हिस्सा है।
- दुक्म बंदरगाह ओमान के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है, जो अरब सागर और हिंद महासागर के साथ संपर्क को मज़बूत बनाता है।
- यह ईरान में चाबहार बंदरगाह के निकट स्थित है। दुक्म बंदरगाह, सेशेल्स में अज़म्पशन द्वीप और मॉरीशस में अगालेगा द्वीप भारत के सक्रिय समुद्री सुरक्षा रोडमैप के अनुरूप हैं।
आगे की राह
- भारत के पास अपनी वर्तमान या भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त ऊर्जा संसाधन नहीं हैं। तेज़ी से बढ़ती ऊर्जा मांग ने ओमान जैसे देशों की दीर्घकालिक ऊर्जा साझेदारी की आवश्यकता में योगदान दिया है।
- ओमान का दुक्म बंदरगाह पूर्व में पश्चिम एशिया के साथ जुड़ने वाला अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग लेन के मध्य में स्थित है।
- भारत को ओमान के साथ जुड़ने और दुक्म बंदरगाह औद्योगिक शहर से उत्पन्न होने वाले अवसरों का उपयोग करने के लिये पहल करने की आवश्यकता है।
- भारत को इस क्षेत्र में रणनीतिक मज़बूती और हिंद महासागर के पश्चिमी तथा दक्षिणी हिस्से में अपने इंडो-पैसिफिक विज़न को बढ़ाने के लिये ओमान के साथ मिलकर काम करना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन 'खाड़ी सहयोग परिषद' का सदस्य नहीं है? (2016) (a) ईरान उत्तर: (a) व्याख्या:
अत: विकल्प (a) सही है। प्रश्न. अनेक बाहरी शक्तियों ने अपने आपको मध्य एशिया में स्थापित कर लिया है, जो कि भारत के हित का क्षेत्र है। इस संदर्भ में भारत के अश्गाबात समझौते में शामिल होने के निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा- 2018) प्रश्न. भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिये। (मुख्य परीक्षा- 2017) |