सामाजिक न्याय
जियो पारसी योजना
- 22 Oct 2019
- 4 min read
प्रीलिम्स के लिये:
जियो पारसी योजना
मेन्स के लिये:
पारसी समुदाय से संबंधित मुद्दे,अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दे
संदर्भ
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा पारसी समुदाय की कम होती जनसंख्या से संबंधित मुद्दों हेतु वर्ष 2013 से जियो पारसी योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
जनसंख्या गिरावट से संबंधित मुद्दे:
- केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अनुसार, पारसी समुदाय की जनसंख्या वर्ष 1941 में लगभग 114,000 थी जो वर्ष 2011 में घटकर 57,264 हो गई।
- केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अनुमानानुसार, समुदाय की प्रजनन दर प्रति महिला एक से भी कम है।
- पारज़ोर फाउंडेशन (Parzor Foundation) के अनुसार, पारसी समुदाय की जनसंख्या में तेज़ी से गिरावट के कारणों में बांझपन और देरी से विवाह प्रमुख हैं। यह फाउंडेशन पारसी (जोरोस्ट्रियन) संस्कृति के संवर्द्धन और संरक्षण के लिये कार्य करता है।
कार्यान्वयन:
- इस योजना के तहत परामर्श के साथ-साथ चिकित्सा घटक को भी शामिल किया गया है।
- परामर्श कार्यक्रम के तहत समुदाय में घटती संख्या के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिये कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं।
- प्रजनन मुद्दों की जाँच और उपचार के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- इस केंद्र प्रायोजित योजना हेतु वित्तीय वर्ष 2019-2020 में 12 करोड़ रुपए का बजटीय आवंटन किया गया है।
- इस योजना के तहत ART और सरोगेसी के लिये दम्पति को प्रति बच्चा अधिकतम 8 लाख रुपए की सहायता दी जाती है।
- यह योजना सभी पारसी दम्पतियों हेतु लागू है, भले ही उनकी कैसी भी वित्तीय स्थिति हो।
उद्देश्य:
- जनसंख्या गिरावट से संबंधित समस्याओं का समग्र मूल्यांकन करना।
- सरकार इस योजना के माध्यम से पारसी दंपतियों को बच्चे पैदा करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये नकद सहायता प्रदान करती है, इस योजना के क्रियान्वयन के पश्चात् सहायक प्रजनन तकनीकों (Assisted Reproductive Techniques- ART) के माध्यम से पिछले पाँच वर्षों में 214 बच्चे पैदा हुए हैं।
पारसी समुदाय के बारे में:
- पारसी समुदाय के लोग लगभग 1,000 वर्ष पूर्व फारस (Persia) से भारतीय उपमहाद्वीप में आए थे।
- भारत में रहते हुए इस समुदाय ने अपने विशिष्ट रीति-रिवाजों को बनाए रखकर स्वयं को भारतीय समाज में एकीकृत कर लिया।
- पारसी समुदाय की सबसे अधिक जनसंख्या महाराष्ट्र में हैं और द्वितीय स्थान पर गुजरात है।
आगे की राह:
- पारसी समुदाय पर केवल दो बच्चों से संबंधित मानकों को नहीं लागू किया जाना चाहिये , इस प्रकार के प्रावधानों में उनको विशेष छूट मिलनी चाहिये।
- वित्तीय सहायता में वृद्धि की जानी चाहिये।
- जनगणना के पारंपरिक तरीके (प्रत्येक 10 वर्ष की जनगणना) के विपरीत इनकी विशेष जनगणना की जानी चाहिये।