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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 10 Nov, 2023
  • 12 min read
प्रारंभिक परीक्षा

समग्र जल प्रबंधन सूचकांक

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

भारत में समग्र जल प्रबंधन सूचकांक एक महत्त्वपूर्ण उपकरण रहा है जो जल प्रबंधन में राज्यों की प्रभावकारिता का आकलन करने के लिये एक बैरोमीटर के रूप में कार्य करता है।

  • लेकिन हाल की घटनाओं ने इसकी निरंतरता पर संदेह उत्पन्न कर दिया है और साथ ही इसके भविष्य को लेकर सवाल खड़े कर दिये हैं।

समग्र जल प्रबंधन सूचकांक क्या है?

  • परिचय: 
    • भारत में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) के जल क्षेत्र की स्थिति तथा जल प्रबंधन प्रदर्शन का वार्षिक स्नैपशॉट(आशुचित्र) प्रदान करने के लिये नीति आयोग द्वारा समग्र जल प्रबंधन सूचकांक (CWMI) लॉन्च किया गया है।
  • रिपोर्ट की उत्पत्ति तथा विकास:
    • यह सूचकांक नीति आयोग द्वारा जून 2018 में लॉन्च किया गया, CWMI के पहले संस्करण में भारत की जल संबंधी चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया, वर्ष 2015-16 तथा वर्ष 2016-17 के डेटा का उपयोग करते हुए 28 मापदंडों के आधार पर राज्यों की रेटिंग की गई। यह अगस्त 2019 में लॉन्च किया गया साथ ही दूसरा संस्करण वर्ष 2017-18 को कवर करता है।
      • यह रिपोर्ट नीति आयोग के साथ तीन प्रमुख मंत्रालयों, जल संसाधन, पेयजल एवं स्वच्छता तथा ग्रामीण विकास के बीच सहयोगात्मक प्रयासों का परिणाम थी।
  • थीम्स और संकेतक:
    • सूचकांक में 28 अलग-अलग संकेतकों के साथ 9 थीम (प्रत्येक का एक अलग महत्त्व है) शामिल हैं।
      • स्रोत संवर्धन और जलस्रोतों का जीर्णोद्धार
      • स्रोत संवर्धन (भू-जल)
      • प्रमुख और मध्यम सिंचाई - आपूर्ति पक्ष प्रबंधन
      • जलसंभर विकास - आपूर्ति पक्ष प्रबंधन
      • सहभागी सिंचाई प्रथाएँ - माँग पक्ष प्रबंधन
      • खेत में जल के उपयोग की स्थाई प्रथाएँ - मांग पक्ष प्रबंधन
      • ग्रामीण पेयजल
      • शहरी जल आपूर्ति एवं स्वच्छता
      • नीति और शासन
  • आगामी संस्करणों में विलंब: 
    • नीति आयोग ने CWMI  के तीसरे और चौथे दौर में देरी के लिये कोविड-19 महामारी के कारण अद्यतन डेटा की अनुपलब्धता को ज़िम्मेदार ठहराया।
      • ज़िला स्तर तक डेटा कवरेज का विस्तार करने पर विचार करते हुए वर्ष 2021-22 तथा वर्ष 2022-23 को कवर करने के लिये राउंड 3.0, 4.0, 5.0 और 6.0 को संयोजित करने पर विचार किया गया।

भारत में जल संसाधनों की स्थिति क्या है?

  • भारत में एक वर्ष में उपयोग की जा सकने वाली जल की शुद्ध मात्रा 1,121 बिलियन क्यूबिक मीटर (bcm) अनुमानित है। हालाँकि जल संसाधन मंत्रालय द्वारा प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2025 में कुल जल की माँग 1,093 bcm और 2050 में 1,447 bcm होगी।
    • इसका अर्थ यह है कि 10 वर्ष के भीतर भारत में जल की भारी कमी हो जाएगी।
  • फाल्कनमार्क वॉटर इंडेक्स (विश्व में जल की कमी को मापने के लिये उपयोग किया जाता है) के अनुसार, जहाँ भी प्रति व्यक्ति उपलब्ध जल की मात्रा एक वर्ष में 1,700 क्यूबिक मीटर से कम है, जहाँ जल की कमी है।
    • इस सूचकांक के अनुसार, भारत में लगभग 76% लोग पहले से ही जल की कमी से जूझ रहे हैं।

भारत में जल प्रबंधन से संबंधित सरकारी पहल क्या हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 'एकीकृत जलसंभर विकास कार्यक्रम' को कार्यान्वित करने के क्या लाभ हैं? (2014)

  1. मृदा के बह जाने की रोकथाम। 
  2. देश की बारहमासी नदियों को मौसमी नदियों से जोड़ना। 
  3. वर्षा-जल संग्रहण तथा भौम-जलस्तर का पुनर्भरण। 
  4. प्राकृतिक वनस्पतियों का पुनर्जनन।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4


प्रश्न. पृथ्वी ग्रह पर अधिकांश मीठे पानी में बर्फ का आवरण और हिमनद मौजूद हैं। शेष मीठे पानी में से सबसे अधिक अनुपात किस रूप में मौजूद है? (2013)

(a) वातावरण में नमी और बादलों के रूप में पाया जाता है।
(b) मीठे पानी की झीलों और नदियों में पाया जाता है।
(c) भूजल के रूप में मौजूद है।
(d) मिट्टी की नमी के रूप में मौजूद है।

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. भारत की राष्ट्रीय जल नीति की परिगणना कीजिये। उदाहरण के तौर पर गंगा नदी का उदाहरण लेते हुए, नदियों के जल प्रदूषण नियंत्रण व प्रबंधन के लिये अंगीकृत की जाने वाली रणनीतियों की विवेचना कीजिये। भारत में खतरनाक अपशिष्टों के प्रबंधन एवं संचालन के लिये क्या वैधानिक प्रावधान हैं? (2013)

प्रश्न. “भारत में घटते भूजल संसाधनों का आदर्श समाधान जल संचयन प्रणाली है।” इसे शहरी क्षेत्रों में कैसे प्रभावी बनाया जा सकता है? (2018)

प्रश्न. जल तनाव (Water Stress) क्या है? भारत में क्षेत्रीय स्तर पर यह कैसे और क्यों भिन्न है? (2019)


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 नवंबर, 2023

सुरबाया का युद्ध

वर्ष 1945 में सुरबाया के युद्ध के दौरान इंडोनेशियाई देशभक्तों की वीरता की याद में 10 नवंबर को इंडोनेशिया में राष्ट्रीय नायक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

  • सुरबाया का युद्ध, इंडोनेशियाई राष्ट्रवादियों और ब्रिटिश एवं ब्रिटिश भारतीय सेनाओं के बीच लड़ा गया, जो वर्ष 1945 से 1949 तक चला।
  • युद्ध के समय इंडोनेशिया एक डच उपनिवेश था और साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण के बाद इंडोनेशियाई राष्ट्रवादियों ने स्वतंत्रता की घोषणा की। हालाँकि डचों ने इस घोषणा को मान्यता नहीं प्रदान की और अपने उपनिवेश पर फिर से नियंत्रण पाने की कोशिश की, जिसके कारण युद्ध हुआ।
  • युद्ध का परिणाम ब्रिटिश एवं ब्रिटिश भारतीय सेनाओं की जीत थी, जो भयानक युद्ध के बाद सुरबाया शहर पर अधिकार करने में कामयाब रहे।

और पढ़ें… भारतीय राष्ट्रीय सेना, भारत में यूरोपीय लोगों का आगमन

पटाखों और प्रदूषण पर सर्वोच्च न्यायालय का आदेश

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने पटाखों से होने वाले वायु तथा ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिये अपने निर्देशों को बहाल किया।

  • न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उसके आदेश सभी राज्यों के लिये बाध्यकारी हैं तथा न केवल उत्सवों के दौरान बल्कि पूरे वर्ष प्रदूषण को कम करने के लिये निरंतर प्रयास किये जाने चाहिये।
  • इसने दिवाली समारोहों के महत्त्व को रेखांकित किया, इस बात पर प्रकाश डाला कि खुशी हेतु पर्यावरण की भलाई से समझौता नहीं करना चाहिये।
  • इसमें ज़िम्मेदारी के साथ दिवाली उत्सव मनाने के महत्त्व को रेखांकित किया गया एवं इस बात पर प्रकाश डाला कि उत्साह के लिये पर्यावरण की भलाई से समझौता नहीं करना चाहिये।

और पढ़ें…हरित पटाखे

दिल्ली प्रदूषण से निपटने हेतु कृत्रिम वर्षा परियोजना

दिल्ली सरकार शहर में बढ़ते प्रदूषण स्तर से निपटने के उपाय के रूप में क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम वर्षा पर विचार कर रही है।

  • IIT-कानपुर ने मानसून के महीनों के दौरान पायलट परियोजनाएँ संचालित की हैं और अब उसका ध्यान सर्दियों की स्थितियों पर है।
  • क्लाउड सीडिंग के लिये न्यूनतम 40% बादल और नमी की आवश्यकता होती है।
    • कृत्रिम वर्षा के लिये 20 और 21 नवंबर, 2023 को संभावित अनुकूल परिस्थितियों का अनुमान  हैं।
  • इस परियोजना में विमान के माध्यम से क्लाउड सीडिंग के लिये सिल्वर आयोडाइड और अन्य घटकों का उपयोग किया जाएगा।
  • प्रदूषण के स्तर को कम करने में कृत्रिम बारिश की प्रभावशीलता नमी और वर्षा जैसे कारकों पर निर्भर करती है।

और पढ़ें…क्लाउड सीडिंग

प्रथम INDUS-X निवेशक सम्मेलन

रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग और अमेरिकी रक्षा विभाग के अंतर्गत रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार (iDEX) ने हाल ही में नई दिल्ली में भारत और अमेरिका के बीच मंत्रिस्तरीय वार्ता के पहले आयोजन के रूप में प्रथम INDUS निवेशक सम्मेलन का आयोजन किया गया। 

  • इस कार्यक्रम में INDUS-X एजुकेशनल सीरीज़ (GURUKUL) लॉन्च की गई। गुरुकुल पहल का उद्देश्य अन्वेषक/स्टार्टअप को अमेरिका और भारत के रक्षा इकोसिस्टम में सम्मिलित करने में सहायता करना है।
    • गुरुकुल (शिक्षा) शृंखला में सरकारी अधिकारियों, कॉर्पोरेट प्रतिनिधियों, उद्योग मंचों, इनक्यूबेटर्स/एक्सेलरेटर्स आदि सहित दोनों पक्षों के विशेषज्ञों द्वारा स्टार्टअप्स/अन्वेषकों के लिये सत्र का आयोजन किया जाएगा।
  • पैनल ने 'रक्षा क्षेत्र में निवेश के अवसरों' पर चर्चा की, जिसमें रक्षा सहयोग और सह-उत्पादन के लिये एक स्थायी वाणिज्यिक आधार स्थापित करने पर विस्तार से चर्चा की गई।
  • जून 2023 में शुरू की गई भारत-अमेरिका रक्षा त्वरण पारिस्थितिकी तंत्र (India-US Defence Acceleration Ecosystem- INDUS-X) पहल का उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी तथा रक्षा औद्योगिक सहयोग को बढ़ाना है।

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