आयुष्मान भारत के तहत वरिष्ठ नागरिकों के लिये बढ़ती लागत
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना (PM-JAY) में महत्त्वपूर्ण रुझानों को उजागर करते हुए डेटा जारी किया। यह जानकारी वरिष्ठ नागरिकों , विशेष रूप से 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के बढ़ते वित्तीय बोझ को रेखांकित करती है।
आयुष्मान भारत के संदर्भ में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिक भर्ती: डेटा से पता चलता है कि स्वीकृत अस्पतालों में जनवरी 2024 तक लगभग 6.2 करोड़ भर्ती में से 57.5 लाख भर्तियाँ 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों की थी। पिछले छह वर्षों में इस योजना के तहत उपचार पर सरकारी व्यय कुल 79,200 करोड़ रुपए रहा, जिसमें से लगभग 9,900 (14%) करोड़ रुपए विशेष रूप से 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के उपचार के लिये आवंटित किये गए।
- वृद्ध रोगियों को प्रायः पुरानी बीमारियों और कई सह-रुग्णताओं के कारण अधिक महँगे और गहन उपचार की आवश्यकता होती है। इस कारण उपचार जटिल हो जाता है, जिससे महँगी गहन देखभाल इकाई (ICU) देखभाल और लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की संभावना बढ़ जाती है।
- राज्य परिवर्तनशीलता: अस्पताल में वरिष्ठ नागरिकों के भर्ती होने का अनुपात राज्यों में व्यापक रूप से भिन्न है, महाराष्ट्र (20.49%) और केरल (18.75%) में सबसे अधिक दरें हैं, जबकि तमिलनाडु (3.12%) में सबसे कम है।
- तमिलनाडु में अस्पताल में भर्ती होने की दर कम होने के बावजूद, प्रति वरिष्ठ नागरिक रोगी उपचार की लागत अधिक है।
- गोवा, लद्दाख, लक्षद्वीप और झारखंड ऐसे चार राज्य/केंद्र शासित प्रदेश हैं, जहाँ वृद्ध व्यक्तियों के अस्पताल में भर्ती होने का प्रतिशत उन पर खर्च की गई कुल राशि से ज़्यादा है।
- चिंताएँ:
- भारत में लॉन्गिटूडिनल एजिंग स्टडीज़ ऑफ इंडिया (LASI) के अनुसार, वर्ष 2011 में भारत की 60 वर्ष से अधिक आयु की जनसंख्या 8.6% से बढ़कर वर्ष 2050 तक 19.5% हो जाने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2011 में यह संख्या 103 मिलियन से तीन गुना बढ़कर वर्ष 2050 में 319 मिलियन हो जाएगी।
- आयुष्मान भारत का विस्तार करने की सरकार की योजना का उद्देश्य 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों को शामिल करना है, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। इस विस्तार से कार्यक्रम में लगभग 4 करोड़ नए लाभार्थी जुड़ सकते हैं।
- इस योजना के लिये वर्तमान आवंटन 7,300 करोड़ रुपए है, जिसमें पिछले बजट से केवल 100 करोड़ रुपए की वृद्धि की गई है, जो इस तरह के विस्तार के लिये पर्याप्त धन के बारे में चिंताएँ उत्पन्न करता है।
- चूँकि वरिष्ठ नागरिकों के लिये स्वास्थ्य सेवा की लागत में वृद्धि जारी है, इसलिये इस योजना की धारणीयता/स्थिरता और सभी वरिष्ठ नागरिकों को व्यापक कवरेज प्रदान करने की इसकी क्षमता पर नीति निर्माताओं को ध्यान देने की आवश्यकता है।
- वृद्ध के अपेक्षाकृत समृद्ध व्यक्तियों में स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार अधिक प्रचलित है, जिससे पॉलिसी के उपयोग और लागत में वृद्धि की संभावना अधिक होती है।
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- विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस जनसांख्यिकीय को कवर करने की लागत सभी आयु समूहों में सबसे गरीब 40% को कवर करने की तुलना में अधिक होने की संभावना है।
आयुष्मान भारत योजना के संदर्भ में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: भारत सरकार की एक प्रमुख योजना के रूप में शुरू की गई आयुष्मान भारत, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) प्राप्त करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। वर्ष 2017 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति द्वारा अनुशंसित, इस योजना का उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करना, विशेष रूप से ‘Leave no one behind.’ की प्रतिबद्धता को पूरा करना है।
- मुख्य घटक: आयुष्मान भारत दो परस्पर संबंधित घटकों के इर्द-गिर्द संरचित है जो स्वास्थ्य देखभाल के निर्बाध प्रवाह को प्रदान करने के लिये एक साथ कार्य करते हैं:
- स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (HWC): वर्ष 2018 में घोषित, 1,50,000 HWC के निर्माण का उद्देश्य मौजूदा उप केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का विकास करना है, जिसमें मातृ और बाल स्वास्थ्य, गैर-संक्रामक रोग का उपचार एवं निशुल्क आवश्यक दवाएँ तथा नैदानिक सेवाएँ शामिल हैं।
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY): यह विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य आश्वासन/बीमा योजना है, जो माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती के लिये प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपये का कवरेज प्रदान करती है, जिसका लक्ष्य 12 करोड़ से अधिक गरीब और कमज़ोर परिवारों को लक्षित करना है, जिसमें लगभग 55 करोड़ लाभार्थी शामिल हैं, जो सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011 (SECC- 2011) पर आधारित है।
- PM-JAY ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY) और वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना (SCHIS) को शामिल कर लिया, जिससे इसकी पहुँच और प्रभाव का विस्तार हुआ।
- कार्यान्वयन: आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन एजेंसी (AB-NHPMA) राष्ट्रीय स्तर पर इस योजना का प्रबंधन करती है।
- राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एक समर्पित राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (SHA) के माध्यम से योजना को लागू करने की सलाह दी जाती है, जो एक बीमा कंपनी, एक ट्रस्ट/सोसायटी या एक एकीकृत मॉडल के माध्यम से काम कर सकती है।
- प्रभाव: इस योजना से लगभग 40% आबादी को कवर करके, जिसमें द्वितीयक और तृतीयक स्तर अस्पताल में भर्ती भी शामिल है, स्वास्थ्य देखभाल के लिये आउट-ऑफ-पॉकेट (जेब से व्यय होने वाले) खर्च में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है।
- प्रति परिवार 5 लाख रुपए तक के कवरेज के साथ, यह योजना गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच सुनिश्चित करती है, जिससे स्वास्थ्य परिणामों में सुधार होता है।
भारत में वरिष्ठ नागरिकों के लिये अन्य स्वास्थ्य संबंधी पहल
आगे की राह
- लक्षित हस्तक्षेप: संसाधन आवंटन को अनुकूलित करने के लिये वृद्धावस्था के सामान्य स्वास्थ्य स्थितियों से निपटने वाले विशेष पैकेज विकसित करने चाहिये। वरिष्ठ नागरिकों में बीमारियों की गंभीरता को कम करने के लिये निवारक स्वास्थ्य सेवा और प्रारंभिक हस्तक्षेप पर ज़ोर देने की आवश्यकता है।
- वित्तीय स्थिरता: आयुष्मान भारत योजना में विशेष रूप से वृद्धावस्था देखभाल के लिये के लिये बजटीय आवंटन में वृद्धि की आवश्यकता है। वित्तीय बोझ को साझा करने के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी की संभावनाएँ तलाशी जानी चाहिये।
- निवारक स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान: पुरानी स्थितियों को लक्षित करके निवारक स्वास्थ्य सेवा उपायों को लागू किया जाना चाहिये, जिससे अंततः समग्र स्वास्थ्य सेवा लागत कम हो सके।
- सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को बढ़ावा दने की आवश्यकता है, जो नियमित जाँच और स्वास्थ्य समस्याओं का शीघ्र पता लगाने को प्रोत्साहित करते हों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच सीमित है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के संदर्भ में भारत की वृद्ध/वरिष्ठ आबादी के संबंध में उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)मेन्सप्रश्न. एक कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता के अलावा, प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना धारणीय विकास की एक आवश्यक पूर्व शर्त है। विश्लेषण कीजिये। (2021) |
ग्रेट बैरियर रीफ के जल का गर्म होना
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों ?
पिछले दशक में ग्रेट बैरियर रीफ में समुद्र का तापमान 400 वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गया। वर्ष 2016 से वर्ष 2024 के बीच रीफ को बड़े पैमाने पर प्रवाल विरंजन की घटनाओं का सामना करना पड़ा।
ग्रेट बैरियर रीफ (GBR)
- ग्रेट बैरियर रीफ विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति तंत्र है। यह ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड तट से दूर कोरल सागर में स्थित है।
- यह 2,300 किलोमीटर तक फैला है और लगभग 3,000 अलग-अलग भित्तियों व 900 द्वीपों से निर्मित है। ग्रेट बैरियर रीफ 400 प्रकार के प्रवाल और 1,500 प्रजातियों की मछलियों का आवास स्थान है।
- यह डुगोंग और बड़े ग्रीन टर्टल जैसी संकटग्रस्त प्रजातियों का भी आवास स्थान है।
- ग्रेट बैरियर रीफ यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और इसे वर्ष 1981 में अंकित किया गया था।
- ग्रेट बैरियर रीफ का व्यापक सामूहिक विरंजन पहली बार वर्ष 1998 में दर्ज किया गया था और यह घटना वर्ष 2002, वर्ष 2016, वर्ष 2017, वर्ष 2020, वर्ष 2022 तथा वर्ष 2024 में फिर से हुई है।
इस शोध के क्या निष्कर्ष हैं?
- प्रवाल विरंजन: ऑस्ट्रेलिया के पूर्वोत्तर तट पर 300 से अधिक भित्ति के हवाई सर्वेक्षणों से पता चला है कि उथले जल में विरंजन हो रहा है, जिससे रीफ का दो-तिहाई हिस्सा प्रभावित हो रहा है।
- बढ़ते खतरे: भले ही ग्लोबल वार्मिंग को पेरिस समझौते के लक्ष्य के तहत रखा जाए, लेकिन विश्व में 70% से 90% प्रवाल खतरे में पड़ सकते हैं।
- कम विविधता: विरंजन घटनाओं की अनुक्रिया के रूप में पिछले चौथाई सदी में प्रवाल भित्तियाँ विकसित हो रही हैं। जैसे-जैसे अधिक ग्रीष्म-सहिष्णु प्रवाल कम गर्मी-सहिष्णु प्रजातियों की जगह ले रहे हैं, प्रजातियों की संख्या में अवांछित ह्रास और विश्व की सबसे बड़ी रीफ द्वारा कवर किये गए क्षेत्र में क्षरण के बारे में वास्तविक चिंता बढ़ती जा रही है।
प्रवाल भित्तियाँ क्या हैं?
- परिचय :
- कोरल रीफ मुख्य रूप से कोरल पॉलीप्स द्वारा निर्मित समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र हैं जिनका प्रकाश संश्लेषक शैवाल ज़ूजैन्थेला (Zooxanthellae) — के साथ सहजीवी संबंध होता है।
- ज़ूजैन्थेला प्रवाल को पोषक तत्त्व और ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, जबकि प्रवाल इन्हें आश्रय प्रदान करते हैं। यह पारस्परिकता प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और अस्तित्व के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- प्रकार:
- हाइड्रोकोरल (फायर प्रवाल): ये भित्ति निर्माण करने वाले हाइड्रॉइड हैं जिनमें एक कठोर कैल्केरियस एक्सोस्केलेटन (बाह्य संरचना) और स्टिंग कोशिकाएँ होती हैं जो छूने पर जलन उत्पन्न कर सकती हैं।
- ऑक्टोकोरल (नर्म प्रवाल): इसमें सी-फैन्स और सी-व्हिप्स शामिल हैं, जो मुख्यतः मांसल पादप की भांति विकसित होते हैं और ये कैल्शियम कार्बोनेट की कठोर संरचना नहीं बनाते हैं।
- एंटीपैथेरियन (काले प्रवाल): वे एक प्रकार के 'सॉफ्ट/नर्म' प्रवाल हैं जिन्हें उनके जेट-ब्लैक या डार्क ब्राउन चिटिन स्केलेटन से पहचाना जाता है।
- भौगोलिक विस्तार:
- प्रवाल विश्व भर के महासागरों में उथले और गहरे दोनों जल क्षेत्र में पाए जा सकते हैं। हालाँकि, शैवाल के साथ सहजीवी संबंध पर निर्भर रहने वाले रीफ-बिल्डिंग प्रवाल को प्रकाश संश्लेषण के लिये प्रकाश प्रवेश वाले उथले, साफ जल की आवश्यकता होती है।
- शैल प्रवाल को उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय तापमान की भी आवश्यकता होती है, जो 30 डिग्री उत्तर और दक्षिण अक्षांशों के बीच एक बैंड में मौजूद हैं।
- भारत में प्रमुख प्रवाल भित्ति संरचनाएँ मन्नार की खाड़ी, पाक खाड़ी, कच्छ की खाड़ी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप द्वीप समूह हैं।
- प्रवाल विश्व भर के महासागरों में उथले और गहरे दोनों जल क्षेत्र में पाए जा सकते हैं। हालाँकि, शैवाल के साथ सहजीवी संबंध पर निर्भर रहने वाले रीफ-बिल्डिंग प्रवाल को प्रकाश संश्लेषण के लिये प्रकाश प्रवेश वाले उथले, साफ जल की आवश्यकता होती है।
- महत्व:
- ये विश्व के महासागरों के केवल 1% हिस्से को कवर करते हैं, लेकिन विश्व की कम से कम 25% समुद्री प्रजातियों के लिये आवास प्रदान करते हैं।
- प्रवाल भित्ति औषधीय अनुसंधान के लिये मूल्यवान हैं, कैंसर, गठिया, संक्रमण और अन्य बीमारियों के उपचार के लिये भित्ति जीवों से कई औषधियाँ विकसित की गई हैं।
- प्रवाल भित्ति लहरों, तूफानों और बाढ़ के प्रभाव को कम करके तटरेखाओं का संरक्षण करते हैं तथा समुद्र तट के निर्माण में योगदान करते हैं, समुद्र तटों के समीप अधिकांश रेत टूटे हुए प्रवाल कंकालों से बनी है।
- प्रवाल भित्तियाँ स्पंज जैसे महत्त्वपूर्ण फिल्टर फीडरों का भी निवास क्षेत्र हैं, जो महासागरों से विषाक्त पदार्थों व प्रदूषकों का निस्यंदन/फिल्टर करते हैं और बड़ी मात्रा में पौधों को पोषण देते हैं जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं तथा ऑक्सीजन छोड़ते हैं।
- प्रवाल विरंजन:
- जब समुद्र के बढ़ते तापमान या प्रदूषण जैसे कारकों के कारण प्रवाल तनाव में होते हैं, तो शैवाल प्रवाल ऊतकों को छोड़ देते हैं।
- शैवाल के बिना, कोरल अपना रंग खो देते हैं, सफेद या बहुत पीले हो जाते हैं और बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
- शैवाल के समाप्त होने से कोरल की खाद्य आपूर्ति बाधित होती है जिससे प्रवाल विरंजन या कोरल ब्लीचिंग होता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित में से किनमें प्रवाल भित्तियाँ पाई जाती हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनें: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (a) |
दक्षिण चीन सागर में चीन की प्रमुख गैस क्षेत्र की खोज
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
चीन ने दक्षिण चीन सागर में लिंगशुई 36-1 गैस क्षेत्र की खोज की घोषणा की है, जो इसे अत्यंत गहरे जल में विश्व का पहला बड़ा अल्ट्रा-शैलो गैस क्षेत्र बताता है। यह महत्त्वपूर्ण खोज क्षेत्र में पहले से मौजूद भू-राजनीतिक तनाव को और बढ़ा सकती है।
- लिंगशुई 36-1 गैस क्षेत्र में 100 बिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक प्राकृतिक गैस होने का अनुमान है, जो इसे दक्षिण चीन सागर में एक महत्त्वपूर्ण संसाधन बनाता है।
- वर्ष 2023 में गैस पर लगभग 64.3 बिलियन अमरीकी डॉलर व्यय करने वाले विश्व के सबसे बड़े प्राकृतिक गैस आयातक के रूप में चीन का लक्ष्य इस खोज के साथ अपनी ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना है।
- दक्षिण चीन सागर की संयुक्त मूल गैस (OGIP) 1 ट्रिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक है, जो वैश्विक ऊर्जा संसाधनों में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर देती है।
- दक्षिण चीन सागर पर फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान चीन के दावों का विरोध कर रहे हैं।
- चीन के तेल रिग (rig) को लेकर वर्ष 2014 में वियतनाम में हुए विरोध प्रदर्शन जैसी पिछली घटनाएँ संसाधन विकास से जुड़े कूटनीतिक मुद्दों को दर्शाती हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और सहयोगी छोटे देशों के दावों का समर्थन करते हैं जिससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ता है।
और पढ़ें: क्षेत्रीय सुरक्षा एवं वैश्विक समुद्री व्यवस्था के लिये दक्षिण चीन सागर का महत्त्व
कथित फर्जी मुठभेड़ मामलों में अनिवार्य FIR पंजीकरण
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि कथित फर्जी मुठभेड़ों के मामलों में अनिवार्य रूप से प्रथम सुचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज़ की जानी चाहिये, जिससे पुलिस की कार्रवाई के लिये कानूनी जवाबदेही मज़बूत होगी।
- मामले की पृष्ठभूमि: एक कथित मुठभेड़ के दौरान एक व्यक्ति की मौत में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज़ करने के निर्देश देने वाले आदेशों को चुनौती देने हेतु याचिका दायर की गई थी।
- एसडीएम की जाँच रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई, इसके बावजूद न्यायालय ने यह निर्धारित करने के लिये आगे की जाँच पर ज़ोर दिया कि मुठभेड़ वास्तविक थी या हत्या का मामला था।
- दिल्ली उच्च न्यायालय ने ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, 2013 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि अगर शिकायत में संज्ञेय अपराध का सुझाव दिया गया है तो FIR दर्ज़ की जानी चाहिये, भले ही अंततः आरोप पत्र के बजाय क्लोज़र रिपोर्ट ही क्यों न हो।
- न्यायालय ने मुख्यमंत्रियों को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 1997 के पत्र पर प्रकाश डाला, जिसमें पुलिस द्वारा न्यायेतर हत्याओं की उचित जाँच की आवश्यकता पर बल दिया गया था।
और पढ़ें: FIR और सामान्य डायरी
मंदिर में मूर्ति को जीवित व्यक्ति के रूप में मान्यता
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में, मद्रास उच्च न्यायालय ने पाया कि अस्पृश्यता के मुद्दे पर समुदायों के बीच विवाद के कारण 10 वर्षों तक बिना प्रथागत पूजा के मंदिर को बंद करने से जुड़े एक मामले के दौरान एक मूर्ति को कानून में एक न्यायिक व्यक्तित्व के रूप में माना गया है।
- न्यायालय ने मंदिरों के अवैध तौर पर बंद होने को रोकने और उपासना अधिकारों का पालन सुनिश्चित करने के लिये प्रशासन की जिम्मेदारी पर ज़ोर दिया।
- न्यायालय ने यह भी माना कि मंदिर में मूर्ति के पास संपत्ति रखने और कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार होता है। मंदिर को उपासना और प्रथागत अनुष्ठानों के लिये खुला रहना चाहिये।
- मूर्ति के न्यायिक व्यक्तित्व पर विचार के साथ यह सुनिश्चित करते हुए कि दैनिक धार्मिक अनुष्ठान जारी रहे, न्यायालय ने मूर्तियों के अधिकारों की रक्षा के लिये पैरेंस पैट्रिया क्षेत्राधिकार का प्रयोग किया।
- पैरेंस पैट्रिया का सिद्धांत, जिसका अर्थ है ‘राष्ट्र का अभिभावक’, एक कानूनी सिद्धांत है जो राज्य को उन लोगों, जो स्वयं की देखभाल करने में असमर्थ हैं, के लिये अभिभावक/माता-पिता के रूप में कार्य करने की अंतर्निहित शक्ति और अधिकार प्रदान करता है।
- भारत में, यह सिद्धांत अपने नागरिकों के कल्याण और हितों की रक्षा के लिये देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति बनाम सोम नाथ दास मामले (2000) में परिभाषित न्यायिक व्यक्ति, कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त इकाई है, एक कानूनी व्यक्तित्व होता है, जिसमें देवी-देवता, निगम, नदियाँ और जीव-जंतु शामिल होते हैं।
और पढ़ें: जीवित इकाई के रूप में नदियों का निरूपण